आदिवासी भाषाएँ
भारत में आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषाएं हैं। भाषाविज्ञानियों ने आदिवासी भाषाओं को मुख्यतः तीन भाषा परिवारों रखा है- द्रविड़, आस्ट्रो-एशियाई और चीनी-तिब्बती। आदिवासी भाषाओं में ‘संथाली’ बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक है जबकि ‘गोंडी’ दूसरी सबसे अधिक बाली जाने वाली भाषा है।
भारत की 114 मुख्य भाषाओं में से 22 को ही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है। इनमें शामिल की गयी संथाली और बोड़ो ही मात्र आदिवासी भाषाएं हैं।[1]
भारतीय राज्यों में एकमात्र झारखण्ड में ही 6 आदिवासी भाषाओं - संथाली, मुण्डारी, हो, भूमिज, कुड़ुख और खड़िया को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।
भारत की आदिवासी भाषाएं
संपादित करेंभाषिक दृष्टि से भारत में आदिवासी भाषाओं के पांच प्रमुख भाषायी परिवार हैं -
- आस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार
- चीनी-तिब्बती भाषा परिवार
- द्रविड़ भाषा परिवार
- अंडमानी भाषा परिवार
आस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार
संपादित करेंआस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार भारत का एक प्राचीन भाषा परिवार है। इस परिवार की भाषाओं को कोल या मुंडा भाषा भी कहा जाता है। यह दक्षिण-पूर्वी एशिया के द्वीप समूहों से लेकर प्रशांत महासागर के छोटे-बड़े द्वीपों को समेटते हुए आस्ट्रेलिया तक एक ही परिवार की भाषा बोली जाती है। यह आदिवासी भाषा परिवार मुख्य रूप से भारत में झारखंड, छत्तीसगढ, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के ज्यादातर हिस्सों में बोली जाती है। संख्या की दृष्टि से इस परिवार की सबसे बड़ी भाषा संथाली है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हो, मुंडारी, भूमिज, खड़िया, सावरा इत्यादी प्रमुख भाषाएं हैं।
चीनी-तिब्बती भाषा परिवार
संपादित करेंइस परिवार की ज्यादातर भाषाएं भारत के सात उत्तर-पूर्वी राज्यों में बोली जाती है। जिनमें नगा, मिज़ो, म्हार, मणिपुरी, तांगखुल, खासी, दफ़ला, आओ आदि भाषाएं प्रमुख हैं।
द्रविड़ भाषा परिवार
संपादित करेंयह भाषा परिवार भारत का दूसरा सबसे बड़ा भाषायी परिवार है। इस परिवार की सदस्य गैर-आदिवासी भाषाएं ज्यादातर दक्षिण भारत में बोली जाती हैं। जिसमें तमिल, कन्नड़, मलयालम और तेलुगू भाषाएं हैं। परन्तु द्रविड़ परिवार की आदिवासी भाषाएं पूर्वी, मध्य और दक्षिण तक के राज्यों में बोली जाती हैं। गोंडी, कुड़ुख और मल्तो द्रविड़ परिवार की प्रमुख आदिवासी भाषाएं हैं।
अंडमानी भाषा परिवार
संपादित करेंजनसंख्या की दृष्टि से यह भारत का सबसे छोटा आदिवासी भाषायी परिवार है। इसके अंतर्गत अंडबार-निकाबोर द्वीप समूह की भाषाएं आती हैं, जिनमें अंडमानी, ग्रेड अंडमानी, ओंगे, जारवा आदि प्रमुख हैं।
आदिवासी लिपि
संपादित करेंआदिवासी भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त लिपि निम्न हैं-
- ओलचिकी लिपि - संथाली भाषा
- ओल ओनल लिपि - भूमिज भाषा
- वारंग क्षिति लिपि - हो भाषा
- मुंडारी बानी - मुंडारी भाषा
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाएं | राजभाषा विभाग | गृह मंत्रालय | भारत सरकार". rajbhasha.gov.in. अभिगमन तिथि 2024-01-22.