चित्रगुप्तवंशी कायस्थ

चित्रगुप्तवंशी कायस्थ मूलतः भारत में रहने वाली एक उच्च कोटि की जाति है जो उत्तर भारत में मुख्यतः निवास करते हैं। यह भारत में रहने वाले कलमकांडी कायस्थ महाजाति का एक हिस्सा है। [1]

चित्रगुप्तवंशी कायस्थ
धर्म हिन्दू धर्म
भाषा हिंदी
वासित राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड , दिल्ली , बिहार , झारखण्ड , मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , राजस्थान महाराष्ट्र बंगाल आसाम उड़ीसा कर्नाटक आन्ध्रप्रदेश हिमाचल प्रदेश और नेपाल
उप विभाजन 12 प्राथमिक उप-कुलों

श्रीवास्तव, सूर्यध्वज, वाल्मीकि, अष्ठाना, माथुर, गौड़, भटनागर, सक्सेना, अम्बष्ट, निगम, कर्ण, कुलश्रेष्ठ नामों से चलती हैं। अहिल्या, कामधेनु, धर्मशास्त्र एवं पुराणों के अनुसार इन बारह मुख्य कुलों का विवरण है।

चित्रगुप्तवंशी कायस्थ कायस्थ समुदाय के हिंदुओं के उपसमूह को दर्शाता है जो मुख्य रूप से उत्तर भारत हिंदी बेल्ट में केंद्रित हैं। वे ब्राह्मण व क्षत्रिय या लाला होते है ।[1]

सदियों तक कायस्थों ने आधे से अधिक भारत पर शासन किया एवं कई राज़्य बसाए। उसके बाद कायस्थों का व्यवसायिक इतिहास काफी हद तक शास्त्री सेवाओं के आसपास घूमते थे। उत्तर भारत की मुस्लिम विजय तक प्रारंभिक हिंदू राज्यों से उन्हें मुख्य रूप से शास्त्री, क्लर्क, न्यायमंत्री, वित्तमंत्री, सेनाध्यक्ष शासक के रूप में नियुक्त किया गया था।[2] चित्रगुप्तवंशी कायस्थ और बंगाली कायस्थ पारंपरिक रूप से इंडिक प्रशंसा भाषण। स्तोत्र लिखने के लिए जिम्मेदार थे, जिन्हें प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्यों में हिंदू राजाओं के लिए प्रशस्ति के रूप में जाना जाता है।[3]

व्युत्पत्ति

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मरियम-वेबस्टर के अनुसार, कायस्थ शब्द संभवतः संस्कृत काया '(शरीर) और प्रत्यय' '-स्थ' 'से बना है (खड़ा होना, भीतर होना) ).[4] प्रत्यय वंशी संस्कृत शब्द 'वंश' (वंश) से लिया गया है, जो एक विशेष परिवार वंश से संबंधित है.[5] ब्राह्मणवादी साहित्य के अनुसार, चित्रगुप्त की दो पत्नियाँ थीं- शोभावती, जो एक ब्राह्मण सुषर्मा...और नंदिनी , जो क्रमशः क्षत्रिय श्राद्धदेव मनु ”की बेटी थीं और उनके वंशज थे। 12 बेटे इस समुदाय के 12 उप-समूह बनाते हैं.[6][7][2] क्योंकि श्रेष्ठ कुल होने के कारण ये ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों वर्णों को धारण कर सकते हैं अतः ये ब्रह्मक्षत्रिय श्रेणी के हुये। ये ब्राह्मणों से श्रेष्ठ माने जाते हैं। क्योंकि बनारस के पंडितो द्वारा पेशवा दरबार को 1779 ईसवी में दिए उत्तर के अनुसार चित्रगुप्त के वंशज "कायस्थ" ब्राह्मण एवं क्षत्रिय से श्रेष्ठ हैं। ब्राह्मण ऋषि पुत्र हैं एवं "कायस्थ" देव पुत्र हैं। कुछ लोग कायस्थ को शुद्र कहते लेकिन लेकिन बनारस और बंगाली पंडितो को अनुसार कायस्थ कभी शुद्र थे ही नहीं क्योंकि कायस्थ क्योंकि ब्रह्माजी एक नए क्षत्रिय बनराहे थे जब लेकिन ब्राम्हजी 17 वे पुत्र चित्रगुप्त हुए उनमें चारो वर्ण की शक्ति थी और ब्राम्हण की बुद्धि और क्षत्रिय का बाल था इन्हों ने इंद्र का भी गमंड तोड़ा और यमराज को भी युद्ध मैं हरया है और यमराज और इंद्र ज्यादा शक्तिशाली चित्रगुप्त भगवान क्योंकि बुझाओ मैं एक कलम और पुस्तक और तलवार और कमंडल और कमल और धनुष बाण है और कायस्थ upsc mpsc की विश्व इतिहास और कायस्थ क्षत्रिय मैं और govermnt के अनुसार कायस्थ क्षत्रिय वर्ण के है[3]

विभूतियाँ

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स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनेता

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साहित्यकार

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विज्ञान एवं तकनीक

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आध्यात्मिक

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प्रशासनिक सेवा

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यह भी देखें

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  1. उदय सहाय, IPS (२०२१). कायस्थ: एक एनसाइक्लोपीडिया अनकही कहानियों का (हिंदी में). नई दिल्ली: SAUV कम्युनिकेशंस. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7315-617-5.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. Carroll, Lucy (February 1978). "Colonial Perceptions of Indian Society and the Emergence of Caste(s) Associations". The Journal of Asian Studies. 37 (2): 233–250. JSTOR 2054164. डीओआइ:10.2307/2054164.
  3. Bellenoit, Hayden J. (January 2017). "The Formation of the Colonial State in India". Routledge Studies in South Asian History (1 संस्करण): 220. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780203762011. डीओआइ:10.4324/9780203762011 – वाया Routledge - Taylor and Francis group.
  4. "Kayastha". Merriam-Webster.com. अभिगमन तिथि 3 March 2020.
  5. "vaMza". Spokensanskrit.org.
  6. Rajnī Kānt Śāstrī (1949). Hindū jati kā utthān aur patan. Kitab Mahal. अब चित्रगुप्त के विवाह संबंध की वार्ता सुनिए। इनकी दो स्त्रियां थीं-(१)सुशर्मा ब्राह्मण की कन्या शुभावती (ब्राह्मणी) जिसके आठ पुत्र हुए श्रौर (२)श्राद्धदेव मनु की पुत्री नन्दिनी (चत्रिया) जिसके चार पुत्र हुए।
  7. Hayden J. Bellenoit (17 February 2017). The Formation of the Colonial State in India: Scribes, Paper and Taxes, 1760–1860. Taylor & Francis. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-134-49429-3. The north Indian Kayasthas are divided into 12 subgroups, reflecting King Chitragupta's marriage to Devi Nandini and Devi Shobhavati
  8. Sinha, Tara (2021-01-19). Yugpurush Dr. Rajendra Prasad. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5266-149-7.
  9. Makhan lal Chaturvedi Rachnawali. Vani Prakashan.
  10. Jogi, Dr Sunil (2018-05-04). Lal Bahadur Shastri: भारत के लाल लाल बहादुर शास्त्री. Diamond Pocket Books Pvt Ltd. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5278-998-6.
  11. Lokatantra samīkshā. Sāṃvidhānika tathā Saṃsadīya Adhyayana Sansthāna. 1971.
  12. Sharma, Ramvilas (2002-01-01). Nirala Ki Sahitya Sadhana-V-1. Rajkamal Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-267-0435-4.
  13. Prasāda, Citrāṃśa Rājakiśora (1986). Citragupta mahāparivāra kā itihāsa. Citragupta Mahāparivāra Kalyāṇa Saṅgha, Bihāra.
  14. Singh, Arun (2019-04-01). Patna Khoya Hua Shahar. Vani Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-88684-90-3.
  15. Baru, Sanjaya (2022-04-06). Satta Ke Galiyaron Se. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5562-028-6.
  16. Bhandari, Pradeep (2021-01-01). Modi Vijaygatha 2019. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-90366-42-2.
  17. Bhandari, Pradeep (2021-01-01). Modi Vijaygatha 2019. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-90366-42-2.
  18. "Independence Day 2020 भारत ने दुनिया को दी ऐसी 5 चीजें, जिन्हें जानकर हर भारतीय को होगा गर्व". m.jagran.com. अभिगमन तिथि 2022-06-02.

ग्रन्थसूची

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  1. Sinha, Ranjit K. (2014). The Kayastha Caste of India: Antiquity, Tradition and Modernity. पटना, बिहार: Indo books. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789350741139.
  2. Prasad, K.; LLC, Books (2018). The Kayastha Ethnology, an Enquiry Into the Origin of the Chitraguptavansi and Chandrasenavansi Kayasthas. Creative Media Partners. पपृ॰ 34–69, 75–78. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780343919894.