मिस्टर इंडिया (1987 फ़िल्म)

1987 की शेखर कपूर की फ़िल्म

मिस्टर इंडिया १९८७ में बनी हिन्दी भाषा की विज्ञान कथा फ़िल्म है। सलीम—जावेद द्वारा लिखी गई और शेखर कपूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में प्रमुख भूमिकाओं को अनिल कपूर और श्री देवी द्वारा निभाया गया है। अमरीश पुरी, अशोक कुमार, सतीश कौशिक, अजीत वाच्छानी और शरत सक्सेना को सहायक भूमिका निभाने वालों में शामिल किया गया है।

मिस्टर इंडिया

मि. इंडिया का पोस्टर
निर्देशक शेखर कपूर
लेखक सलीम-जावेद
निर्माता बोनी कपूर
अभिनेता अनिल कपूर,
श्री देवी,
अमरीश पुरी,
सतीश कौशिक,
अन्नू कपूर
छायाकार बाबा आज़मी
संपादक वमन भोंसले
गुरुदत्त शिराली
संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
जावेद अख्तर (गीत)
वितरक नरसिम्हा एंटरप्राइजेज़
प्रदर्शन तिथियाँ
२५ मई, १९८७
लम्बाई
१७९ मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी
लागत 3 करोड़ (US$4,38,000)
कुल कारोबार 12 करोड़ (US$1.75 मिलियन)[1]

यह फिल्म १९८७ की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी, और यह भारत में ऐतिहासिक छाप वाली फिल्म बनी हुई है। यह फिल्म श्रीदेवी के "मिस हवा हवाई" प्रदर्शन सहित कई लाइनों और गानों के लिए जानी जाती थी, और अमरीश पुरी का उद्धरण "मोगैम्बो खुश हुआ", जो बॉलीवुड के सबसे प्रसिद्ध उद्धरणों में से एक है और पुरी से समानार्थी बन गया है। मोगैम्बो चरित्र को बॉलीवुड के इतिहास में सबसे अच्छे खलनायकों में से एक माना जाता है। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, विशेष रूप से गीत "हवा हवाई", जो आज तक बहुत लोकप्रिय है। इस फिल्म को अक्सर शीर्ष बॉलीवुड फिल्मों की विभिन्न सूचियों में स्थान दिया गया है

संक्षेप संपादित करें

अरुण वर्मा (अनिल कपूर) एक अनाथ है, जो अपने एक पुराने घर में दर्जन भर अनाथ बच्चों के साथ रहता है और उनकी देख रेख करता है। खाना बनाने और उनकी देखरेख करने में उसका साथ केलेंडर (सतीश कौशिक) भी देता है। अरुण अपना सारा राशन का सामान रूपचंद (हरीश पटेल) की किराना दुकान से लाता है, पर वहाँ काफी उधार ले चुका रहता है, और साथ ही उसके घर का कई महीनों का किराया उसके घर के मालिक, माणिकलाल (युनूस परवेज़) को देना भी बचा हुआ है।

पैसों की समस्या से परेशान अरुण अपने घर का पहला मंज़िल किराये में देने की सोचता है और अखबार में विज्ञापन दे देता है। उस विज्ञापन को देख कर सीमा सोनी (श्रीदेवी) रहने आ जाती है। सीमा पेशे से एक पत्रकार है, जो रहने के लिए एक शांत जगह चाहते रहती है। पर किराये के पैसे देने के बाद उसे पता चलता है कि उस घर में ढेर सारे बच्चे रहते हैं, और इस बात पर उसकी अरुण के साथ बहस भी होती है। बाद में वे सभी काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं। अरुण दिल ही दिल में उससे प्यार करने लगता है।

एक दिन अरुण को उसके पिता के दोस्त, डॉ॰ सिन्हा (अशोक कुमार) का खत मिलता है। जिसमें उसके पिता के द्वारा बनाए गैजेट का जिक्र रहता है। वो जुगल के साथ उनके घर जाता है। उसे घर में एक गैजेट मिलता है। उसे पता चलता है कि वो उस गैजेट की मदद से गायब हो सकता है, बस उस गैजेट से वो लाल रोशनी में ही दिखाई दे सकता है। वे दोनों इसे सभी से छुपाकर रखने का फैसला करते हैं।

कुछ महीने बाद सीमा को अचानक पता चलता है कि डागा (शरत सक्सेना) और तेजा (अजित वचनी) एक पार्टी का आयोजन किए हैं, वो उस पार्टी में एक हवाई की नाचने वाली बन कर आ जाती है, पर उसे जासूसी के शक में वे लोग उसे पकड़ लेते हैं। अरुण उसे बचाने के लिए गायब हो कर आ जाता है और अपने आप को "मिस्टर इंडिया" कह कर अपना परिचय देता है। वो सीमा को कैद से छुड़ा लेता है और सीमा को उससे प्यार हो जाता है। अरुण अपनी पहचान सभी से छुपाए ही रखता है कि वही मिस्टर इंडिया है।

एक दिन इसी तरह अरुण उस गैजेट का इस्तेमाल मोगेम्बो के गुंडों को सबक सिखाने में कर देता है। मोगेम्बो को पहले से ही गायब करने वाले गैजेट के बारे में कुछ पता रहता है और वो समझ जाता है कि कोई उसका ही इस्तेमाल कर रहा है। वो अब मिस्टर इंडिया की तलाश करने लगता है। वो कई जगह खिलोनों में बम रख देता है। उसमें से एक बम का शिकार अरुण के घर में रहने वाली अनाथ लड़की, टीना भी होती है।

काफी खोज करने के बाद मोगेम्बो के गुंडों को पता चलता है कि मिस्टर इंडिया जैसा कार्य उसके एक जूएँ के अड्डे में देखने को मिला है, जिसका लाभ अरुण वर्मा को हुआ है। वो अरुण वर्मा और उसके सभी साथियों को पकड़ कर लाने को कहता है। उन सभी को मोगेम्बो के अड्डे में लाते समय गलती से अरुण का गैजेट बीच में ही गिर जाता है। मोगेम्बो उस गैजेट को पाने के लिए मिस्टर इंडिया की पहचान बताने को कहता है और दो बच्चों को अम्ल (एसिड) में डालने की धमकी देता है। अरुण मान लेता है कि वही मिस्टर इंडिया है, पर उसके पास इस बात को साबित करने के लिए वो गैजेट नहीं होता है। परेशान हो कर मोगेम्बो उन्हें जेल में भर देता है।

वे सभी वहाँ से भागने में सफल हो जाते हैं और वहीं मोगेम्बो पूरे भारत को तबाह करने के लिए चार मिसाइल दागने की तैयारी करता है। अरुण को जब ये पता चलता है तो वो और मोगेम्बो के बीच लड़ाई शुरू हो जाती है। अरुण को पता चलता है कि मिसाइल को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता, तो वो मिसाइल का रुख बदल कर मोगेम्बो के अड्डे को निशाना बना लेता है। अरुण और उसके सभी साथी उसके अड्डे से बाहर आ जाते हैं और मोगेम्बो अपने अड्डे के साथ ही विस्फोट में मारा जाता है। इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है।

मुख्य कलाकार संपादित करें

संगीत संपादित करें

सभी गीत जावेद अख्तर द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."काटे नहीं कटते"किशोर कुमार, अलीशा चिनॉय6:38
2."हवा हवाई"कविता कृष्णमूर्ति7:03
3."जिंदगी की यही रीत है"किशोर कुमार5:14
4."ना माँगे सोना चाँदी"अनुराधा पौडवाल, शब्बीर कुमार9:24
5."जिंदगी की यही रीत है" (दुखद)किशोर कुमार1:29
6."करते हैं हम प्यार"कविता कृष्णमूर्ति, किशोर कुमार6:37
7."जिंदगी की यही रीत है" (दुखद)कविता कृष्णमूर्ति1:26

ना माँगे सोना चाँदी को मशहूर गीतों को ढाल कर बनाया गया है। क्रमशः वो हैं - "प्यार में सौदा नहीं" - (बॉबी) "चाहूँगा मैं तुझे सांज सवेरे" - (दोस्ती) "सावन का महीना पवन करे शोर" - (मिलन) "एक प्यार का नगमा है" - (शोर) "तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन पुराना" - (एक दूजे के लिये) "डफली वाले डफली बजा" - (सरगम) "मेरा नाम है चमेली" - (राजा और रंक) "खिलौना जान कर तुम तो" - (खिलौना) "झूठा है तेरा वादा, वादा तेरा वादा" - (दुश्मन) और ओम शांति ओम - (कर्ज़)।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Mr. India". IBOS Network. मूल से 3 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 May 2014.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें