सरोजिनी नायडू (१३ फरवरी१८७९ - २ मार्च१९४९) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२वीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी आफ दी लेक नामक कविता रची। वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड आफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया। १८९८ में सरोजिनी नायडू, डा. गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। १९१४ में इंग्लैंड में वे पहली बार गाँधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। विस्तार से पढ़ें...
ऑक्स्फ़ोर्ड इंग्लैंड के ऑक्सफोर्डशायर का मुख्य नगर है। यहाँ विश्वविख्यात आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय है, जो यहां का प्राचीनतम अंग्रेज़ी का विश्वविद्यालय है।[1] यह लंदन से पश्चिमोत्तर पश्चिम दिशा में रेल और संड़क मार्गों से क्रमशः ६३ मील और ५१ मील की दूरी पर, टेम्स नदी और उसकी सहायक चारवेल नदी के बीच के कंकरीले मैदान में स्थित है। टेम्स नदी के किनारे का 10 मील (16 कि॰मी॰) क्षेत्र द आइसिस कहलाता है। क्षेत्रफल ८७.८५ वर्ग कि॰मी॰ है। नगर की विशेषता मध्यकालीन विश्वविद्यालय से है। यहां की जनसंख्या १,६५,००० के अंदर है जिसमें १,५१,००० लोग जिले की सीमा के भीतर ही रहते हैं। पूर्वकाल में यह नगर एक दीवार से घिरा था। इस दीवार के अवशेष न्यू कालेज के उद्यान में आज भी विद्यमान हैं। यहाँ का बोडलियन पुस्तकालय भवन देखने योग्य है। रैडक्लिफ कैमरा, क्लैरेंडन भवन और ४००० की दर्शक दीर्घा वाला शैलडोनियन व्याख्यान भवन, अन्य महत्वपूर्ण भवन हैं। इस नगर के अनेक विद्यालय भवनों में क्राइस्ट चर्च, मर्टन कालेज, न्यू कालेज, आल सोल्स-कालेज और सेंट जोंस उल्लेखनीय हैं। विस्तार में...
इंटर्न एक अंग्रेज़ी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है कैद। ये शब्द प्रायः नया व्यवसाय या नौकरी आरंभ करने वाले उन कॉलिज, विश्वविद्यालय के छात्रों या युवकों के लिये प्रयोग किया जाता है, जो अपना नया इस क्षेत्र में नये उतरे होते हैं और प्रशिक्षण के साथ ही व्यवसाय आरंभ करते हैं। इन्हें कभी-कभार प्रशिक्षु भी कहा जाता है। इस क्रिया को इंटर्नशिप कहा जाता है। यह उनके लिये एक ऐसा अवसर होता है, जो उनके लिए आकर्षक व्यवसाय की राह को सुगम बनाता है। इस काल के दौरान उन्हें व्यावसायिक कार्यों का व्यावहारिक अनुभव मिलता है, जो वे अब तक मात्र अपनी पाठय़पुस्तकों में ही पढ़े हुए होते हैं।[1] अधिकांश नियोक्ताओं का विचार होता है कि मात्र कॉलिजों में पढ़ायी गयी पाठय़पुस्तकों की सामग्री काम के लिए उस व्यावहारिक दक्षता को उत्पन्न करने में पूरी तरह सक्षम नहीं रहती, जो किसी प्रत्याशी के लिए कार्यस्थल पर आवश्यक होती है। उन्हें व्यवहारिक ज्ञान के साथ ही विषय की बारीकियों को समझने का अवसर भी मिलता है। इंटर्नशिप की अवधि में सीखी गई मूलभूत उनके भविष्य निर्माण में सहायक सिध्द होती हैं। विस्तार में...
पोर्टलइंटरनेट और विश्वव्यापी वेब के संदर्भ में जालस्थलों (वेबसाइट्स) के समूह को कहा जाता है। पोर्टल का शाब्दिक अर्थ होता है प्रवेशद्वार। एक पोर्टल वास्तव में स्वयं भी एक जालस्थल होता है, जिससे दूसरे कई अन्य संबंधित जालस्थलों पर पहुंचा जा सकता है। इंटरनेट से जुड़ने पर कई प्रकार के पोर्टल मिलते हैं।[1] ये अंतर्जाल के अथाह सागर में एक लंगर की तरह काम करता है। इन पर विभिन्न स्त्रोतों से जानकारियां जुटाकर व्यवस्थित रूप में उपलब्ध करायी जाती हैं। इसके साथ ही पोर्टल पर कई तरह की सेवाएं भी दी जाती हैं, जैसे कई पोर्टल पर उपयोक्ताओं को सर्च इंजन उपलब्ध कराया जाता है, इसके अलावा, कम्युनिटी चैट फोरम, निजी गृह-पृष्ठ (होम पेज) और ईमेल की सुविधाएं भी दी गई होती हैं। पोर्टल पर समाचार, स्टॉक मूल्य और फिल्म आदि की गपशप भी देख सकते हैं। कुछ सार्वजनिक वेब पोर्टलों के उदाहरण हैं: एओएल, आईगूगल, एमएसएन, याहू आदि।[2]विस्तार में...
दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से उल्लासपूर्ण था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए । कार्तिक मास की घनघोर काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। अधिकतर यह पर्व ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्तूबर या नवंबर महीने में पड़ती है। दीपावली दीपों का त्योहार है। इसे दीवाली या दीपावली भी कहते हैं। दिवाली अन्धेरे से रोशनी में जाने का प्रतीक है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दिवाली यही चरितार्थ करती है - असतो माऽ सद्गमय , तमसो माऽ ज्योतिर्गमय। विस्तार से पढ़ें...
तुषारजनिकी या प्राशीतनी (अंग्रेज़ी:क्रायोजेनिक्स) भौतिकी की वह शाखा है, जिसमें अत्यधिक निम्न ताप उत्पन्न करने व उसके अनुप्रयोगों के अध्ययन किया जाता है। क्रायोजेनिक का उद्गम यूनानी शब्द क्रायोस से बना है जिसका अर्थ होता है शीत यानी बर्फ की तरह शीतल। इस शाखा में (-१५०°से., −२३८ °फै. या १२३ कै.) तापमान पर काम किया जाता है। इस निम्न तापमान का उपयोग करने वाली प्रक्रियाओं और उपायों का क्रायोजेनिक अभियांत्रिकी के अंतर्गत अध्ययन करते हैं। यहां देखा जाता है कि कम तापमान पर धातुओं और गैसों में किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं।[1] कई धातुएं कम तापमान पर पहले से अधिक ठोस हो जाती हैं। सरल शब्दों में यह शीतल तापमान पर धातुओं के आश्चर्यजनक व्यवहार के अध्ययन का विज्ञान होता है।[2] इसकी एक शाखा में इलेक्ट्रॉनिक तत्वों पर प्रशीतन के प्रभाव का अध्ययन और अन्य में मनुष्यों और पौधों पर प्रशीतन के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। कुछ वैज्ञानिक तुषारजनिकी को पूरी तरह कम तापमान तैयार करने की विधि से जोड़कर देखते हैं जबकि कुछ कम तापमान पर धातुओं में आने वाले परिवर्तन के अध्ययन के रूप में। विस्तार में...
भाई दूज (भातृद्वितीया ) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाईदूज में हर बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देता है। भाईदूज दिवाली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। इस त्योहार के पीछे एक किंवदंती यह है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को इसी दिन दर्शन दिया था, जो बहुत समय से उससे मिलने के लिए व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उसकी आवभगत की। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। इसी कारण इस दिन यमुना नदी में भाई-बहन के एक साथ स्नान करने का बड़ा महत्व है। इसके अलावा यमी ने अपने भाई से यह भी वचन लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उसका भाई यम उसके घर आया है, हर भाई अपनी बहन के घर जाए। तभी से भाईदूज मनाने की प्रथा चली आ रही है। जिनकी बहनें दूर रहती हैं, वे भाई अपनी बहनों से मिलने भाईदूज पर अवश्य जाते हैं और उनसे टीका कराकर उपहार आदि देते हैं। बहनें पीढियों पर चावल के घोल से चौक बनाती हैं। इस चौक पर भाई को बैठा कर बहनें उनके हाथों की पूजा करती हैं। विस्तार में...
डिजिटल स्याही (अंग्रेज़ी:डिजिटल इंक) आधुनिक प्रौद्योगिकी की एक देन है और तकनीक का एक ऐसा रूप है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से कंप्यूटर के मॉनीटर पर हस्तलेखन या आरेखन किया जा सकता है। इसमें डिजिटल फलक (डिजिटल पेपर) पर एक डिजिटल कलम (जिसे स्टाइलस कहते हैं) से लिखा जाता है। इस तकनीक से कंप्यूटर पर सीधे हाथ से लिखा जा सकता है, अपनी लिखाई को बेहतर कर सकते हैं; और साथ ही टंकण का अभ्यास होना आवश्यक नहीं रह जाता है।[1] यह नई तकनीक हालांकि अनेक लोगों के अपठनीय लेखन (जिसे आम भाषा में घसीट लेखन भी कहते हैं) को भी डिजिटल विश्व की मुख्यधारा में ले आएगी किन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि कंप्यूटरों के कीबोर्ड की उपयोगिता ही समाप्त हो जाएगी।[2] प्रायः डिजिटल इंक और इलेक्ट्रॉनिक इंक या ई-इंक को एक ही समझा जाता है, लेकिन वास्तव में इसमें अंतर होता है। ई-इंक एक विशेष तरह का इलेक्ट्रॉनिक पेपर है जिस पर डिजिटल पेन के द्वारा लिखा जाता है, जबकि डिजिटल इंक अपेक्षाकृत सरल और व्यापक शब्द है। यह कंप्यूटर के मॉनीटर पर हैंडराइटिंग, पाठ और आरेखन करने तथा उसमें विभिन्न प्रयोगों के लिए प्रयोग होता है। डिजिटल इंक का आरंभ १९९० में क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने पर हस्ताक्षर की आवश्यकता से हुआ था। बाद में कंप्यूटर, मोबाइल फोन और ई-रीडर पर जानकारी डालने (डाटा एंट्री फीड करने) के लिए इसका प्रयोग किया जाने लगा। विस्तार में...
भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान में प्रयुक्त होने वाली द्रव्य ईंधन चालित इंजन में ईंधन बहुत कम तापमान पर भरा जाता है, इसलिए ऐसे इंजन तुषारजनिक रॉकेट इंजन (अंग्रेज़ी:क्रायोजेनिक रॉकेट इंजिन) कहलाते हैं। इस तरह के रॉकेट इंजन में अत्यधिक ठंडी और द्रवीकृत गैसों को ईंधन और ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इस इंजन में हाइड्रोजन और ईंधन क्रमश: ईंधन और ऑक्सीकारक का कार्य करते हैं। ठोस ईंधन की अपेक्षा यह कई गुना शक्तिशाली सिद्ध होते हैं और रॉकेट को बूस्ट देते हैं। विशेषकर लंबी दूरी और भारी रॉकेटों के लिए यह तकनीक आवश्यक होती है।क्रायोजेनिक इंजन के थ्रस्ट में तापमान बहुत ऊंचा (२००० डिग्री सेल्सियस से अधिक) होता है। अत: ऐसे में सर्वाधिक प्राथमिक कार्य अत्यंत विपरीत तापमानों पर इंजन व्यवस्था बनाए रखने की क्षमता अर्जित करना होता है। विस्तार में...
डॉन्ग होइ विमानक्षेत्र (वियतनामी : Cảng hàng không Đồng Hới या Sân bay Đồng Hới) (आईएटीए: VDH, आईसीएओ: VVDH) लॉक निह्न कॉम्यून में स्थित एक विमानक्षेत्र है। यह डॉन्ग होइ नगर, क्वांग बिह्न प्रान्त की राजधानी से लगभग ६ कि॰मी॰ दूर वियतनाम के उत्तर-मध्य तटीय क्षेत्र में है। देश की राजधानी से दक्षिण-पूर्व दिशा में इसकी दूरी मात्र ५०० कि.मी है। यह १७३ हेक्टेयर क्षेत्र में फैला, दक्षिण चीनी सागर के तटीय रेतीले मैदान में बना है। इसकी हवाई पट्टी सागर की ओर से आरंभ होती है और राष्ट्रीय राजमार्ग १ए के समानांतर चलती है। यहां की हवाई पट्टी फ्रांसीसी उपनिवेशकों ने १९३० में प्रथम हिन्दचीन युद्ध हेतु कच्ची बनवायी थी, जिसे वियतनाम युद्ध के दौरान उत्तरी वियतनाम द्वारा वायु-बेस के लिये अद्यतन किया गया था। ३० अगस्त, २००४ को इसका पुनरोद्धार, (असल में पुनर्निर्माण) हुआ जो २००६ में पूर्ण होना निश्चित हुआ था। विस्तार में...
स्वच्छमण्डल या कनीनिया (अंग्रेज़ी:कॉर्निया) आंखों का वह पारदर्शी भाग होता है जिस पर बाहर का प्रकाश पड़ता है और उसका प्रत्यावर्तन होता है। यह आंख का लगभग दो-तिहाई भाग होता है, जिसमें बाहरी आंख का रंगीन भाग, पुतली और लेंस का प्रकाश देने वाला हिस्सा होते हैं। कॉर्निया में कोई रक्त वाहिका नहीं होती बल्कि इसमें तंत्रिकाओं का एक जाल होता है। इसको पोषण देने वाले द्रव्य वही होते हैं, जो आंसू और आंख के अन्य पारदर्शी द्रव का निर्माण करते हैं।[1] प्रायः कॉर्निया की तुलना लेंस से की जाती है, किन्तु इनमें लेंस से काफी अंतर होता है। एक लेंस केवल प्रकाश को अपने पर गिरने के बाद फैलाने या सिकोड़ने का काम करता है जबकि कॉर्निया का कार्य इससे कहीं व्यापक होता है। कॉर्निया वास्तव में प्रकाश को नेत्रगोलक (आंख की पुतली) में प्रवेश देता है। इसका उत्तल भाग इस प्रकाश को आगे पुतली और लेंस में भेजता है। इस तरह यह दृष्टि में अत्यंत सहायक होता है। कॉर्निया का गुंबदाकार रूप ही यह तय करता है कि किसी व्यक्ति की आंख में दूरदृष्टि दोष है या निकट दृष्टि दोष। देखने के समय बाहरी लेंसों का प्रयोग बिंब को आंख के लेंस पर केन्द्रित करना होता है। इससे कॉर्निया में बदलाव आ सकता है। ऐसे में कॉर्निया के पास एक कृत्रिम कांटेक्ट लेंस स्थापित कर इसकी मोटाई को बढ़ाकर एक नया केंद्र बिंदु (फोकल प्वाइंट) बना दिया जाता है। कुछ आधुनिक कांटेक्ट लेंस कॉर्निया को दोबारा इसके वास्तविक आकार में लाने के लिए दबाव का प्रयोग करते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक अस्पष्टता नहीं जाती। विस्तार में...
सोलहवें एशियाई खेल, १२ नवंबर से २७ नवंबर, २०१० के बीच चीन के गुआंग्झोऊ में आयोजित किए जाएँगे। बीजिंग, जिसने १९९० के एशियाई खेलों की मेज़बानी की थी, के बाद गुआंग्झोऊ इन खेलों का आयोजन करने वाला दूसरा चीनी नगर होगा। इसके अतिरिक्त यह इतनी बड़ी संख्या में खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित करने वाला अन्तिम नगर होगा, क्योंकि एशियाई ओलम्पिक परिषद ने भविष्य के खेलों के लिए नए नियम लागू किए हैं जो २०१४ के खेलों से यथार्थ में आएँगे। गुआंग्झोऊ को ये खेल १ जुलाई, २००४ को प्रदान किए गए थे, जब वह इकलौता बोली लगाने वाला नगर था। यह तब हुआ जब अन्य नगर, अम्मान, क्वालालम्पुर, और सियोल बोली प्रक्रिया से पीछे हट गए। खेलों की सह-मेज़बानी तीन पड़ोसी नगरों डोंग्गूआन, फ़ोशन, और शानवेइ के द्वारा भी की जाएगी। इन एशियाई खेलों में एशिया के सभी ४५ देश भाग ले रहे हैं। गुआंगझोऊ के लोग नगर समिति द्वारा दिए उस सुझाव के विरोध में है जिसमे कहा गया है की टीवी क्रार्यक्रमों में मंदारिन का अधिक उपयोग किया जाए, बजाए की गुआंगझोऊ की मुख्य बोली कैण्टोनी। इस कारण स्थानीय समुदाय में क्रोध है। विस्तार में...
भारतीय रुपया चिह्न () भारतीय रुपये (भारत की आधिकारिक मुद्रा) के लिये प्रयोग किया जाने वाला मुद्रा चिह्न है। यह डिजाइन भारत सरकार द्वारा १५ जुलाई २०१० को सार्वजनिक किया गया था। [1][2]अमेरिकीडॉलर, ब्रिटिशपाउण्ड, जापानीयेन और यूरोपीय संघ के यूरो के बाद रुपया पाँचवी ऐसी मुद्रा बन गया है, जिसे उसके प्रतीक-चिह्न से पहचाना जाएगा। भारतीय रुपये के लिये अन्तर्राष्ट्रीय तीन अंकीय कोड (अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) मानक ISO 4217 के अनुसार) INR है। ५ मार्च २००९ को भारत सरकार ने भारतीय रुपये के लिये एक चिह्न निर्माण हेतु एक प्रतियोगिता की घोषणा की।[3][4][5] इसके अन्तर्गत सरकार को तीन हज़ार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए थे।[6] यूनियन बजट २०१० के दौरान वित्त मन्त्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि प्रस्तावित चिह्न भारतीय संस्कृति को प्रकट करेगा।[7] प्राप्त ३३३१ आवेदनों में से मनॉन्दिता कोरिया-मेहरोत्रा, हितेश पद्मशैली, शिबिन केक, शाहरुख जे ईरानी तथा डी उदय कुमार द्वारा निर्मित किये गये पाँच चिह्न [8][9]शॉर्ट लिस्ट किये गये[9] तथा उनमें से एक २४ जून २०१० को यूनियन कैबिनेट की मीटिंग में फाइनल किया जाना था।[10] वित्त मन्त्री के अनुरोध पर निर्णय स्थगित किया गया,[7] तथा १५ जुलाई २०१० की मीटिंग में निर्णय लिया गया[1] तथा उदय कुमार द्वारा निर्मित चिह्न चुना गया।[1][11] रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर की अध्यक्षता में गठित एक उच्चस्तरीय समिति ने भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं के साथ ही आधुनिक युग के बेहतर सामंजस्य वाले इस प्रतीक को अन्तिम तौर पर चयन करने की सिफारिश की थी। विस्तार में...
↑ अआ"Cabinet defers decision on rupee symbol". Sify Finance. 2010-06-24. अभिगमन तिथि 2010-07-10. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "PTI symbol" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है
अंजीर (फिकस कैरिका) पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र और दक्षिण पश्चिम एशियाई मूल की एक पर्णपाती झाड़ी या एक छोटे पेड़ है जो पाकिस्तान से यूनान तक पाया जाता है। इसकी लंबाई ३-१० फुट तक हो सकती है। अंजीर विश्व के सबसे पुराने फलों मे से एक है। यह फल रसीला और गूदेदार होता है। इसका रंग हल्का पीला,गहरा सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है। अंजीर अपने सौंदर्य एवं स्वाद के लिए प्रसिद्ध अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहु उपयोगी फल है। यह विश्व के ऐसे पुराने फलों में से एक है, जिसकी जानकारी प्रचीन समय में भी मिस्त्र के फैरोह लोगों को थी। आजकल इसकी पैदावार ईरान, मध्य एशिया और अब भूमध्यसागरीय देशों में भी होने लगी है। प्राचीन यूनान में यह फल व्यापारिक दृष्टि से इतना महत्त्वपूर्ण था और इसके निर्यात पर पाबंदी थी। विस्तार में...
अल्ब्यूमिन (लैटिन: ऐल्बस, श्वेत), या एल्ब्यूमेन एक प्रकार का प्रोटीन है। यह सांद्र लवण घोलों (कन्सन्ट्रेटेड सॉल्ट सॉल्यूशन) में धीमे-धीमे घुलता है और फिर उष्ण कोएगुलेशन होने लगता है। एल्ब्यूमिन वाले पदार्थ, जैसे अंडे की सफ़ेदी, आदि को एल्ब्यूमिनॉएड्स कहते हैं।[1] प्रकृति में विभिन्न तरह के एल्बुमिन पाए जाते हैं। अंडे और मनुष्य के रक्त में पाए जाने वाले एल्बुमिन को सबसे अधिक पहचाने मिली है। यह मानव शरीर में कई महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। यह विभिन्न प्रकार के पौधों और जंतुओं का रचनात्मक अवयव हैं। एल्बुमिन वास्तव में एक गोलाकार प्रोटीन होता है। इसकी संरचना खुरदरी और गोल होती है। इसके अणुजल के संग एक घोल तैयार करते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के पदार्थ होते हैं। मांसपेशियों में पाए जाने वाले प्रोटीन रेशेदार होते हैं। इनकी संरचना अलग तरह की होती है और ये पानी में नहीं घुलते हैं। एल्बुमिन मनुष्य के शरीर में जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण घटक होते हैं। ये वसामय ऊतकों से शरीर में महत्वपूर्ण अम्लों का निर्माण करते हैं।[1] ये शारीरिक क्रिया को नियंत्रित कर रक्त में हार्मोन और अन्य पदार्थो के परिसंचालन में सहयोग देते हैं। शरीर में इनका अभाव होने पर कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। विस्तार में...
आवश्यक वसीय अम्ल (अंग्रेज़ी:असेन्शियल फैटी एसिड, ई.एफ.ए) जिसे प्रायः विटामिन-एफ भी कह देते हैं, वसीय अम्ल (फैटी एसिड) से बना होता है। इसीलिए इसका नाम विटामिन-एफ पड़ा है। ये दो प्रकार के होते हैं - ओमेगा-३ तथा ओमेगा-६। इस विटामिन का मुख्य कार्य शरीर के ऊतकों का निर्माण और उनकी मरम्मत करना होता है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफ.डी.ए.) विटामिन-एफ को अपने दिन के पूरे कैलोरी भुक्तक्रिया (इन्टेक) में से एक से दो प्रतिशत ग्रहण करने का सझाव देता है।इसके अलावा, शरीर के चयापचय, बालों तथा त्वचा के लिए भी विटामिन-एफ काफी लाभदायक होते हैं।[1] शरीर में जब भी कहीं चोट लगती है तो उससे त्वचा के ऊतकों को काफी हाणि पहुंचती है। विटामिन-एफ इन ऊतकों की मरम्मत कर उन्हें ठीक करते हैं। केवल दो प्रकार के आवश्यक वसीय अम्ल होते हैं: अल्फा-लिनोलेनिक अम्ल जो एक ओमेगा-३ वसीय अम्ल एवं लिनोलेनिक अम्ल जो एक ओमेगा-६ वसीय अम्ल है। [2][3][4] कुछ शोधकर्ता गामा लिनोलेनिक अम्ल (ओमेगा-६), लॉरिक अम्ल (संतृप्त वसीय अम्ल), एवं पामिटोलेइक अम्ल (एकलसंतृप्त वसीय अम्ल) को कुछ स्थितियों सहित आवश्यक मानते हैं। [5]विस्तार में...
↑विटामिन-एफ|हिन्दुस्तान लाइव|२२ जून, २०१०|सारांश जैन
↑बर्र, जी.ओ। बर्र एम.एम एण मिलर, ई। १९३०। "On the nature and role of the fatty acids essential in nutrition" (पीडीएफ़). जे.बायोल. कैम. ८६ (५८७) अभिगमन तिथि:१७ जनवरी, २००७
बायोसअंग्रेज़ी के बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम शब्द का संक्षिप्त रूप है। ये आईबीएमकंप्यूटर को दिए जाने वाले निर्देशों का एक समूह होता है।[1] ये निर्देश कंप्यूटर में एक चिप में संरक्षित रहते हैं। इनको डिस्क को फेल होने से बचाने के उद्देश्य से तैयार किया जाता है।[2] कंप्यूटर का सहजता से प्रयोग करने के लिए ये निर्देश आवश्यक होते हैं। बायोस का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कंप्यूटर को चालू करते समय स्वपरीक्षण (सेल्फ टेस्ट) निर्देश देना होता है। स्वपरीक्षण यह तय करता है कि कंप्यूटर के सभी भाग जैसे हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर जैसे मेमोरी, कीबोर्ड आदि की उपयोज्यता यानि वे सब तकनीकी रूप से सही स्थिति में हैं और यह सहजता से काम करने की स्थिति में है। यदि स्वपरीक्षण में कोई अनियमितता पाई जाती है तो बायोस उसे ठीक करने के लिए कंप्यूटर को एक कोड देता है।इस तरह के कोड प्रायः एक बीप के रूप में होते हैं, जो कंप्यूटर को चालू करते समय सुनाई देते हैं। इसके साथ ही बॉयोस कंप्यूटर को यह आधारभूत जानकारी भी देते हैं कि यह अपने कुछ जरूरी घटकों जैसे, ड्राइव्स और मेमोरी के साथ किस तरह इंट्रैक्शन करें।[1] जब एक बार कंप्यूटर में आधारभूत निर्देश लोड हो जाते हैं और स्वपरीक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण हो जाता है तो कंप्यूटर आगे की प्रक्रिया पूरी करता है जिसमें प्रचालन तंत्र (ऑपरेटिंग सिस्टम) लोड करना शामिल होता है। विस्तार में...
ईथरनेट, लोकल एरिया नेटवर्क तैयार करने का एक प्रोटोकॉल होता है। यह १९७० के आरंभिक दशक से चली आ रही विश्वसनीय नेटवर्किग उपलब्ध कराने वाली सेवा है। इसकी अभिकल्पना १९७३ में बॉब मेटकॉफ ने की थी। बाद में डिजिटल, इंटेल और जेरॉक्स के प्रयासों से यह लोकल एरिया नेटवर्क का एक मानक प्रतिरूप बन गया। ईथरनेट केबलों के माध्यम से विस्तार किया जाता है। इसके केबल कई रूपों में उपलब्ध होते हैं।[1] इसमें CAT3, CAT5, CAT5ए, और CAT6 सबसे अधिक प्रचलित हैं। इनकी डिजाइन इनके प्रयोग पर निर्भर होती है और इनकी कीमत गुणवत्ता के अनुसार बढ़ती जाती है। ईथरनेट केबिल का प्रयोग प्रायः उच्च-गति वाले कंप्यूटर नेटवर्क के लिए किया जाता है। साथ ही इसका प्रयोग ब्रॉडबैंड के लिए भी होता है। कंप्यूटर के साथ लैन/ईथरनेट को जोड़ने के लिए कंप्यूटर में ईथरनेट कार्ड की आवश्यकता पड़ती है। विस्तार में...
इंद्रावती नदी (तेलुगु: ఇంద్రావతి నది) मध्य भारत की एक बड़ी नदी है और गोदावरी नदी की सहायक नदी है। इस नदी नदी का उदगम स्थान उड़ीसा के कालाहन्डी जिले के रामपुर थूयामूल में है। नदी की कुल लम्बाई 240 मील (390 कि॰मी॰) है।[1] यह नदी प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तरदन्तेवाडा जिले मे प्रवाहित होती है। दन्तेवाडा जिले के भद्रकाली में इंद्रावती नदी और गोदावरी नदी का सगंम होता है। अपनी पथरीले तल के कारण इसमे नौकायन संभव नही है। इसकी कई सहायक नदियां हैं, जिनमें पामेर और चिंटा नदियां प्रमुख हैं।इंद्रावती नदी बस्तर के लोगों के लिए आस्था और भक्ति की प्रतीक है।[2] इस नदी के मुहाने पर बसा है छत्तीसगढ़ का शहर जगदलपुर। यह एक प्रमुख सांस्कृतिक एवं हस्तशिल्प केन्द्र है। यहीं पर मानव विज्ञान संग्रहालय भी स्थित है, जहां बस्तर के आदिवासियों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं मनोरंजन से संबंधित वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। विस्तार में...
महाभारत एक टीवी धारावाहिक का नाम है जो बी आर चोपड़ा द्वारा निर्मित और उनके पुत्र रवि चोपड़ा द्वारा निर्देशित था। यह महाभारत नामक एक भारतीय पौराणिक काव्य पर आधारित धारावाहिक था और विश्व के सर्वाधिक देखे जाने वाले धारावाहिकों में से एक था। ९४-कड़ियों के इस धारावाहिक का प्रथम प्रसारण १९८८ से १९९० तक दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर किया गया था। प्रत्येक धारावाहिक ४५ मिनट का था। इसका प्रसारण एक अन्य सफ़ल पौराणिक धारावाहिक रामायण के बाद किया गया था जो १९८७-१९८८ में प्रसारित किया गया था।ब्रिटेन में इस धारावाहिक का प्रसारण बीबीसी द्वारा किया गया था जहाँ इसकी दर्शक संख्या ५० लाख के आँकड़े को भी पार कर गई, जो दोपहर के समय प्रसारित किए जाने वाले किसी भी धारावाहिक के लिए एक बहुत बड़ी बात थी। विस्तार में...
बृंदावन उद्यानभारत के कर्नाटक राज्य में स्थित है। यह उद्यान कावेरी नदी में बने कृष्णासागर बांध के साथ सटा है। इस उद्यान की आधारशिला १९२७ में रखी गयी थी और इसका कार्य १९३२ में सम्पन्न हुआ।.[1][2] वार्षिक लगभग २० लाख पर्यटकों द्वारा देखा जाने वाला यह उद्यान मैसूर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। कृष्णाराजसागर बांध को मैसूर राज्य के दीवान सर मिर्ज़ा इस्माइल की देखरेख में बनाया गया था। बांध के सौन्दर्य को बढाने के लिए सर मिर्ज़ा इस्माइल ने उद्यान के विकास की कल्पना की जो कि मुग़ल शैली जैसे कि कश्मीर में स्थित शालीमार उद्यान के जैसा बनाया गया।[1] इस उद्यान का कार्य १९२७ में आरंभ हुआ। इसको छ्त्त की प्रणाली के अनुसार बनाया गया और कृष्णाराजेन्द्र छ्त्त उद्यान का नाम दिया गया।.[1] इसके प्रमुख वास्तुकार जी.एच.कृम्बिगल थे जो कि उस समय के मैसूर सरकार के उद्यानों के लिये उच्च अधिकारी नियुक्त थे।. विस्तार में...
↑ अआइ"Brindavan Gardens". Horticultural Department, Government of Karnataka. अभिगमन तिथि 2007-02-28.
↑सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; plants नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
महासागर के जल के सतत एवं निर्देष्ट दिशा वाले प्रवाह को महासागरीय धारा कहते हैं। वस्तुतः महासागरीय धाराएं, महासागरों के अन्दर बहने वाली उष्ण या शीतल नदियाँ हैं। प्रायः ये भ्रांति होती है कि महासागरों में जल स्थिर रहता है, किन्तु वास्तव मे ऐसा नही होता है। महासागर का जल निरंतर एक नियमित गति से बहता रहता है और इन धाराओं के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं। प्राकृतिक धारा में प्रमुख अपवहन धारा (ड्रिफ्ट करंट) एवं स्ट्रीम करंट होती हैं।[1] एक स्ट्रीम करंट की कुछ सीमाएं होती हैं, जबकि अपवहन धारा करंट के बहाव की कोई विशिष्ट सीमा नहीं होती। पृथ्वी पर रेगिस्तानों का निर्माण जलवायु के परिवर्तन के कारण होता है। उच्च दाब के क्षेत्र एवं ठंडी महासागरीय जल धाराएं ही वे प्राकृतिक घटनाएं हैं, जिनकी क्रियाओं के फलस्वरूप सैकड़ों वर्षों के बाद रेगिस्तान बनते हैं।[2]विस्तार में...
बुक बिल्डिंग वह प्रक्रिया होती है जिसके माध्यम से कोई कंपनी अपनी प्रतिभूतियों का प्रस्ताव मूल्य तय करती है।[1] इस प्रक्रिया के तहत कोई कंपनी अपने शेयरों को खरीदने के लिए मांग पैदा करती है जिसके माध्यम से प्रतिभूतियों की अच्छी कीमत पाई जा सकती है।[2] इस प्रक्रिया में जब शेयर बेचे जाते हैं तो निवेशकों से अलग-अलग कीमतों पर बिड (बोली) मांगी जाती है।[3] यह तल मूल्य (फ्लोर प्राइस) से ज्यादा और कम भी हो सकता है। अंतिम तिथि के बाद ही ऑफर प्राइस सुनिश्चित होती है। इसमें इश्यू खुले रहने तक हर दिन मांग के बारे में जाना जा सकता है। उससे ही पता चलता है कि इश्यू की कीमत कितनी होनी चाहिए। विस्तार में...
मैलावेयर कुछ द्वेषपूर्ण कंप्यूटरसॉफ्टवेयर को कहा जाता है। ये अंग्रेज़ी नाम मैलेशियस सॉफ्टवेयर का संक्षिप्त रूप है। इनका प्रयोग कंप्यूटर पर किसी की पहचान चोरी करने या गोपनीय जानकारी में सेंध लगाने के लिए किया जाता है। कई मालवेयर अवांछनीय ईमेल भेजने और कंप्यूटर पर गोपनीय और अश्लील संदेश भेजने और प्राप्त करने का काम करते हैं।[1] इसमें विशेष बात यह है कि इसका प्रयोग कई हैकिंग करने वाले (हैकर) अपने हित में करते हैं और उपयोक्ताओं को इसका भान भी नहीं होता कि इसके मेल से कौन सी संदेश सामग्री भेजी गई है।इसमें स्पाई वेयर और एडवेयर प्रोग्राम जैसे ट्रैकिंग कुकीज भी शामिल होते हैं। ये प्रोग्राम नेट सर्फिग के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें की लॉगर्स, ट्रोजन हॉर्स वर्म्स और वायरस जैसे डरावने प्रोग्राम भी होते हैं। विस्तार में...
मॉर्फिग चित्रों को संपादित करने की एक तकनीक होती है। इसमें एक ही चित्र को कई तरीके से या दो और दो से अधिक चित्रों को एक साथ मिलाकर उसे बेहतर या अलग रूप दिया जाता है। यह काम इतनी सूक्ष्मता से किया जाता है कि बाद में देखने वाले को ये भान तक नहीं होता कि दो चित्रों को मिलाकर बनाया गया है। मॉर्फिग का प्रयोग चलचित्रों में पहले से होता आ रहा था, लेकिन १९९० के दशक में कंप्यूटर आने के बाद इसका अधिक प्रयोग दिखने लगा है। आज यह तकनीक, चलचित्रों, विज्ञापन और मीडिया का महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है।[1] आरंभ में मॉर्फिग दो चित्रों को क्रॉस-फेड के रूप में होती थी, जिसमें कैमरा एक चेहरे या वस्तु पर पड़ने के बाद धीरे धीरे उसे धुंधला करता जाता था और बाद में किसी दूसरी वस्तु या चेहरे पर आकर रुक जाता था। बाद में चेहरे या वस्तु को पूरी तरह धुंधला किया जाने लगा। जैसे जैसे चलचित्र-संपादन तकनीकें डिजिटल होती गई, मॉर्फिग पहले से बेहतर होने लगी। अब तो मॉर्फिंग कुछ उन्नत मोबाइल फोन उपकरणों में भी आने लगी है।[2]विस्तार में...
दक्षिण मुंबई के कोलाबा उपनगर में स्थित लियोपोल्ड कैफ़े काफ़ी लोकप्रिय रेस्तराँ और बार है जहाँ बहुत बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक खाने-पीने आते हैं। यह मुंबई के सबसे पुराने ईरानी रेस्त्रांओं में से एक है और सुबह आठ बजे से रात १२ बजे तक खुला रहता है। यह रेस्त्राँ अपने अतिथयों से आग्रह करता है कि यदि आप उभरते हुए कवि, लेखक फ़िल्मी सितारे, विदेशी पर्यटक या संगीतकार हैं तो अपने फ़ोटो के साथ एक वाक्य लिखकर भेजें कि आपको यह रेस्त्रां-बार क्यों पसंद है और आपको वॉल ऑफ फ़ेम पर स्थान दिया जाएगा। अपने प्रचार के लिए यह अपने अतिथियों को चित्रित टीशर्ट, मग, गिलास और तश्तरियों की बिक्री भी करता है।विस्तार से पढ़ें...
मानसून मूलतः हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं। [1] हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है।,[2][3] यहां ये उल्लेखनीय है, कि मॉनसून हवाओं का अर्थ अधिकांश समय वर्षा कराने से नहीं लिया जाना चाहिये। इस परिभाषा की दृष्टि से संसार के अन्य क्षेत्र, जैसे- उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, आस्ट्रेलिया एवं पूर्वी एशिया को भी मानसून क्षेत्र की श्रेणी में रखा जा सकता है। ये शब्द हिन्दी व उर्दु के मौसम शब्द का अपभ्रंश है। मॉनसून पूरी तरह से हवाओं के बहाव पर निर्भर करता है। आम हवाएं जब अपनी दिशा बदल लेती हैं तब मॉनसून आता है।.[4] जब ये ठंडे से गर्म क्षेत्रों की तरफ बहती हैं तो उनमें नमी की मात्र बढ़ जाती है जिसके कारण वर्षा होती है। विस्तार में...
आईफोन ४ (अंग्रेज़ी:iPhone 4, उच्चारित/aɪ.foʊn.fɔr/EYE-fohn-fohr) आईफोन श्रेणी का चतुर्थ प्रतिरूप है। ये आईफोन ३जीएस के बाद म‘ओडल है। ७ जून, २०१० को मॉस्कोन सेंटर, सैन फ्रांसिस्को में इसकी रिलीज़ की घोषणा हुई थी,[1] और इसे २४ जून को संयुक्त राजशाही, फ्रांस, जर्मनी, जापान और संयुक्त राज्य में रिलीज़ किया गया था। इस फोन में ५ प्लस जूम क्वालिटी वाला ५ मेगापिक्सल कैमरा, चलचित्र संपादक (मूवी एडिटर), आई बुक, आई स्टोर, विडियो चैटिंग सहित बहुत सी ऐसी सुविधाएं हैं, जो इससे पूर्व के मॉडलों में नहीं थीं। ऐपल कंपनी ने इस फोन में कई ऐसे फीचर दिये हैं, जिनके कारण ये पिछले म‘ओडलों से काफी अलग है। इसका नया रूप-रंग इसमें चार चांद लगाता है।[2] इस फोन मे सबसे आकर्षक है इसका ९००७६४० पिक्सल, ३.५ इंच रेटिना डिस्पले है। ये अब तक के सर्वोत्तम उपलब्ध पटलों में से एक है। इस फोन की आगे और पिछली बॉडी एल्यूमोनोसटीकेट कांच से बनी है जो प्लास्टिक से ३० गुना मजबूत होता है तथा इसके अन्य भाग ऐसी स्टेनलैस स्टील से बने हैं जो स्टैन्डर्ड स्टील से पांच गुना मजबूत हैं। विस्तार में...
कुनैनएक प्राकृतिक श्वेतक्रिस्टलाइनएल्कलॉएड पदार्थ होता है, जिसमें ज्वर-रोधी, मलेरिया-रोधी, दर्दनाशक (एनल्जेसिक), सूजन रोधी गुण होते हैं। ये क्वाइनिडाइन का स्टीरियो समावयव होता है, जो क्विनाइन से अलग एंटिएर्हाइमिक होता है। ये दक्षिण अमेरिकी पेड़ सिनकोना पौधै की छाल से प्राप्त होता है। इससे क्यूनीन नामक मलेरिया बुखार की दवा के निर्माण में किया जाता है। इसके अलावा भी कुछ अन्य दवाओं के निर्माण में इसका प्रयोग होता है। इसे टॉनिक वाटर में भी मिलाया जाता है, और अन्य पेय पदार्थों में मिलाया जाता है। यूरोप में सोलहवीं शताब्दी में इसका सबसे पहले प्रयोग किया गया था। ईसाई मिशन से जुड़े कुछ लोग इसे दक्षिण अमेरिका से लेकर आए थे। पहले-पहल उन्होंने पाया कि यह मलेरिया के इलाज में कारगर होता है, किन्तु बाद में यह ज्ञात होने पर कि यह कुछ अन्य रोगों के उपचा में भी काम आ सकती है, उन्होंने इसे बड़े पैमाने पर दक्षिण अमेरिका से लाना शुरू कर दिया। १९३० तक कुनैन मलेरिया की रोकथाम के लिए एकमात्र कारगर औषधि थी, बाद में एंटी मलेरिया टीके का प्रयोग भी इससे निपटने के लिए किया जाने लगा। मूल शुद्ध रूप में कुनैन एक सफेद रंग का क्रिस्टल युक्त पाउडर होता है, जिसका स्वाद कड़वा होता है। ये कड़वा स्वाद ही इसकी पहचान बन चुका है। कुनैन पराबैंगनी प्रकाश संवेदी होती है, व सूर्य के प्रकाश से सीधे संपर्क में फ़्लुओरेज़ हो जाती है। ऐसा इसकी उच्चस्तरीय कॉन्जुगेटेड रेसोनॅन्स संरचना के कारण होता है। विस्तार में...
चीनी शताब्दी एक नवगढ़न्त शब्द है जिसका अर्थ है की २१वीं सदी पर चीन का प्रभुत्व रहेगा ठीक वैसे ही जैसे २०वीं सदी को प्रायः अमेरिकी शताब्दी, और १९वीं सदी को ब्रिटिश शताब्दी कह दिया जाता है। यह मुख्य रूप से यह बतलाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है की चीन की अर्थव्यवस्था१८३० के पूर्व वाली स्थिति में आ जाएगी जब चीनी अर्थव्यस्था का विश्व अर्थव्यस्था पर प्रभुत्व था और अनुमानित है की चीनी अर्थव्यवस्था आने वाले कुछ दशकों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पछाड़ कर विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।[1][2][3] चीन के महाशक्ति के रूप में उदय की १९७० के दशक से भविष्यवाणियाँ की जाती रहीं हैं। १९८५ में ही साम्यवादी दल के प्रमुख हू याओबांग ने कहा था की चीन २०४९ से पहले ही महाशक्ति बनने की योजना बना रहा है। ग्लोबल लैंविज मॉनिटर के अनुसार, चीन का उदय २००० के दशक का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला समाचार था।[4]विस्तार में...