विकिपीडिया:पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा/लेख/गयासुद्दीन गाजी
- निम्न चर्चा नीचे लिखे पृष्ठ के प्रस्तावित विलोपन का पुरालेख है। कृपया इसमें बदलाव न करें। अनुवर्ती टिप्णियाँ उपयुक्त वार्ता पृष्ठ पर करनी चाहिए (जैसे कि लेख का वार्ता पृष्ठ)। इस पृष्ठ पर किसी भी प्रकार का कोई संपादन नहीं होना चाहिए।
परिणाम: गयासुद्दीन गाजी पृष्ठ को गंगाधर नेहरु पर पुनर्निर्देशित कर उसके उचित सामग्री को गयासुद्दीन गाजी विवाद अनुभाग के अंतर्गत समायोजित कर दिया गया है। अनिरुद्ध वार्ता 20:33, 17 नवम्बर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अनुक्रम
गयासुद्दीन गाजी (संपादन|वार्ता|इतिहास|कड़ियाँ|ध्यान रखें|लॉग)
गयासुद्दीन गाजी -विकिपीडिया -wikipedia के लिये गूगल परिणाम: खोज • समाचार • पुस्तक • विद्वान •
नामांकन के लिये कारण:
सन्दर्भहीन लेख जिसकी प्रमाणिकता का कोई स्रोत उपलब्द्ध नहीं है। ☆★संजीव कुमार (बातें) 19:26, 31 अगस्त 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- हटाएँ: यह लेख गंगाधर नेहरू की बात कर रहा है और बिना सन्दर्भ के यह दावा कर रहा है कि वे मूल रूप से एक मुसलमान थे। बिना स्रोत के ऐसा कुछ भी विवादास्पक कहना ग़लत है। इसे हटाया जाना चाहिए।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 01:24, 12 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- रक्खें: कृपया लेख की बाहरी कड़ियों में नेहरु की पीढ़ी - नेहरु से पहले नाम की दैनिक जागरण में 1 सितम्बर, 2011 को प्रकाशित जागरण जंक्शन की खबर को भी देखें फिर निर्णय लें कि क्या करना है। वैसे इस लेख की कड़ियाँ गंगाधर नेहरू नामक लेख से भी सम्बन्ध रखती हैं अत: फिलहाल इसे रखना ही श्रेयस्कर रहेगा। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 14:11, 12 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- हटाएँ: क्रान्त जी, शायद आपने पृष्ठ में दिये गये सन्दर्भ को ध्यान से नहीं पढ़ा। सन्दर्भ एक ब्लॉग है जो अनिल गुप्ता नामक किसी व्यक्ति ने लिखा है। ब्लॉग में सबसे उपर की पंक्ति की ओर ध्यान दें - "Reader Blogs are not moderated, Jagran is not responsible for the views, opinions and content posted by the readers." अर्थात दैनिक जागरण का इस बात से कोई लेना देना नहीं है। क्योंकि जागरण अपने पाठकों को ब्लॉग लिखने की सुविधा देता है और इसके लिए केवल पंजीकरण पर्याप्त है। यहाँ पर पंजीकरण के बाद आपको 10 मेघाबाइट का मेमोरी स्पेस मिलता है। इसी सन्दर्भ के नीचे आप देखेंगे तो एक टिप्पणीकर्ता (अमर सिंह) ने सन्दर्भ माँगे हैं जिनका कोई उत्तर नहीं दिया गया। अतः इस पृष्ठ का विकिपीडिया पर होना केवल बर्बरता को बढ़ावा देगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 18:02, 12 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- रक्खें: कृपया लेख की बाहरी कड़ियों में नेहरु की पीढ़ी - नेहरु से पहले नाम की दैनिक जागरण में 1 सितम्बर, 2011 को प्रकाशित जागरण जंक्शन की खबर को भी देखें फिर निर्णय लें कि क्या करना है। वैसे इस लेख की कड़ियाँ गंगाधर नेहरू नामक लेख से भी सम्बन्ध रखती हैं अत: फिलहाल इसे रखना ही श्रेयस्कर रहेगा। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 14:11, 12 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अभी न हटायें: संजीव जी! एवं प्रबन्धक महोदय सिद्धार्थ जी! मैंने इस लेख को थोड़ा और सुधार दिया है। मैंने हिन्दू सभा वार्ता में बहुत समय पहले एक लेख पढ़ा था जिसमें कमोवेश यही तथ्य दिये थे। जागरण जंक्शन की जिस बाहरी कड़ी का जिक्र किया गया है उसे यदि अविश्वसनीय मान भी लिया जाये तो दूसरा सन्दर्भ, जो गूगल ट्रांसलेशन से छनकर आया है, भी इस बात की पुष्टि करता है कि लेख में कुछ सच्चाई तो अवश्य है। अत: मेरा आप दोनों से अनुरोध और सुझाव भी है कि इसे फ़िलहाल रहने दिया जाये। अन्य लोगों की राय भी ले ली जाये। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 06:13, 13 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- टिप्पणी: क्रान्त जी, एक लेख को हटाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाता है। इसका नामांकन 31 अगस्त को किया गया था। लेकिन 12 सितम्बर तक किसी की कोई टिप्पणी नहीं आयी। अब यहाँ क्या आशा की जा सकती है कि और सन्दर्भ मिलेंगे? जो भी हो आप लेख को सुधारते रहो। 20 सितम्बर तक तो नहीं हटाया जायेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 06:58, 13 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- हटाएँ: क्रान्त जी आपका द्वितीय स्रोत nehrufamily डॉट wordpress डॉट com भी एक ब्लॉग है। इसको गूगल में अनूदित करने पर सन्दर्भ योग्य लेख नहीं बन सकता। आपको इस बात का ध्यान होना चाहिए कि हिन्दी विकी पर वर्डप्रेस के लिंक नहीं लगाये जा सकते। इन्हें मयूर जी ने (स्पॅम सुरक्षा फिल्टर से) ब्लॉक कर दिया था।☆★संजीव कुमार (✉✉) 07:25, 13 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अभी न हटाये: जवाहर लाल नेहरु ने स्वयं कहा था कि मैं दुर्घटना से बना हिन्दू हूँ। यह बात तो सभी जानते हैं। इसलिए जाँच-पड़ताल के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए।--प्रतीक मालवीय (वार्ता) 10:50, 13 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- हटाएँ:जवाहर लाल नेहरु कब कहा? कहां कहा? उनका वाक्य क्या था? इसके कोई तथ्य नहीं हैं। यदि तथ्य नहीं दिये जाते तो इस तरह के दुषप्रचार करना कतई उचित नहीं है। अन्य बात यदि जवाहर लाल नेहरु यदि दुर्घटना से बने हिन्दू थे तो वो स्वयं पहले क्या थे। इसका अर्थ यह निकलता है कि उनके पिता का धर्म हिन्दू नहीं था। यहाँ तो उनके पितामह की बात चल रही है अतः मुझे प्रतीक जी की बात का यहाँ कोई महत्व प्रतीत नहीं होता।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:17, 13 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- टिप्पणी: संजीव जी उस समय मीडिया और इन्टरनेट नहीं था परन्तु उस समय के हर लोग इस बात को जानते है। हालाँकि गयासुद्दीन गाजी और गंगाधर नेहरु के बारे में मुझे पता नहीं हैं।--प्रतीक मालवीय (वार्ता) 12:38, 13 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- प्रतीक जी, मैं भी यह ही कह रहा हूँ। आपकी टिप्पणी का इस लेख से कोई लेना देना नहीं है। मेरे गाँव में एक आदमी रुपयों को दोगुना करता था। लेकिन यदि उसको अधिक रुपये दोगे तो रुपये ही जल जाते थे। इसका अर्थ यह नहीं की वो आदमी एक जादुगर था बल्कि मेरा यह कथन असत्य भी हो सकता है क्योंकि यह मैंने गाँव वालों से सुना है। इसके अलावा यदि किसी ने उस समय कुछ कहा है तो हो सकता है उसकी रिकार्डिंग उपलब्द्ध नहीं है लेकिन किसी पुस्तके में अथवा किसी समाचार पत्र में अथवा कहीं तो कोई साक्ष्य मिलना चाहिए ना? अब आप यह तो नहीं कह सकते कि उस समय समाचार पत्र एवं पुस्तकें भी नहीं हुआ करती थी लेकिन मान लेता हूँ कि उस समय किसी ने इस बात को इतना महत्व नहीं दिया और यह अलिखित रह गयी। लेकिन बाद में यदि यह तथ्य लोगों के सामने आया है तो जरूर इसपर शोध हुआ है। आप उस शोध का उल्लेख कर सकते हो। यदि अभी भी आपके पास कोई टिप्पणी है तो बेशक लिख सकते हो।☆★संजीव कुमार (✉✉) 13:23, 13 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- तथ्य और किंवदंतियों में जो अंतर होता है उस पर आपको (प्रतीक मालवीय जी) ध्यान देना चाहिए। गाँधी जी पर लिखा गया शाहिद अमीन का यह लेख आपको पढ़ना चाहिए। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 18:05, 13 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- टिप्पणी: संजीव जी, मैंने बड़े बुजुर्गो के साथ मैंने यह बयान गिरीश प्रभुणे की पुस्तक हिन्दू स्वाभिमान का स्वर्णिम पृष्ठ में पढ़ा है।यह पुस्तक २००८ में हुए अमरनाथ आन्दोलन के बारे में है लेकिन कश्मीर का इतिहास का भी इसमें जिक्र है।हो सकता है पंडित नेहरु ने यह बयान मुस्लिम वोट बैंक साधने के लिए दिया हो या फिर यह भी हो सकता है कि वह मुस्लिमों को अपना इतिहास बता रहे हो जैसे कि राहुल गाँधी कश्मीर में जाकर अपने को कश्मीरी बताते है जबकि यह बात सभी जानते है कि उनके परदादा नेहरूजी ही कश्मीरी और कोई नेहरु-गाँधी परिवार का नहीं। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि गंगाधर नेहरु ही गयासुद्दीन गाजी था लेकिन होने की संभावना भी ५०% है। इसलिए मैं यह कह रहा हूँ कि जांच-पड़ताल के बाद ही इस लेख के बारे में कोई निर्णय लिया जाय।--प्रतीक मालवीय (वार्ता) 10:36, 14 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- प्रतीक जी, प्रथम तो मैंने नाम देखते ही पुस्तक को अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ईबे, इन्फीबीम और अन्य कुछ स्थानों पर खोजने की कोशिश की। मुझे पुस्तक नहीं मिली अन्यथा मैं इसे अभी क्रय कर लेता। जो भी हो मैं बाजार में और देखकर पुस्तक क्रय कर ही लुँगा। दूसरी बात राहुल गाँधी के परदादा नेहरूजी नहीं थे। तीसरा बिन्दु: आप कोई भी ऐसा तथ्य उपलब्द्ध नहीं करवा रहे जो गंगाधर नेहरु को गयासुद्दीन गाजी सिद्ध करता हो। अब मैं आपको इस पृष्ठ को हटाने के कारण बताता हूँ:
- आगामी आम चुनाव में "कंकड़ सिंह पत्थर" को लोकसभा में पूर्ण बहुमत मिलेगा और वो भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। इस आधार पर मैं "कंकड़ सिंह पत्थर" नाम से एक पृष्ठ विकिपीडिया पर बना दुँगा और लिख दुंगा की वो भारत के अगले प्रधानमंत्री हैं तो क्या आप यह स्वीकार करेंगे? (चूँकि सम्भावना से मना नहीं किया जा सकता।)
- एक भारतीय सन्त ने अमेरिका का निर्माण किया था। चूँकि अंग्रेज़ी हुकुमत से पूर्व अमेरिका में क्या था और क्या नहीं इसके बारे में दुनिया कुछ ज्यादा नहीं जानती। अब मैं ऐसा ही कोई फकड़ नाम लेकर इस बारे में एक लेख बना दूँ तो क्या वह फकड़ सन्त लेख ५०% प्रायिकता के आधार पर विकी पर रहना चाहिए?
- आपने गंगाधर नेहरु और गयासुद्दीन गाजी के एक ही व्यक्ति होने की ५०% सम्भावना व्यक्त की है जबकि आपके पास इसका कोई भी सबूत नहीं है। आपको इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि ५०% सम्भावना तब व्यक्त की जाती है जब दो तथ्य एक वस्तु के सम्बन्ध में मिलें जिनमें से एक उसके प्क्ष में हो और दूसरा उल्टा परिणाम देते हों। यहाँ तो इस बात का भी कोई तथ्य नहीं है कि गयासुद्दीन गाजी नामक कोई व्यक्ति था भी अथवा नहीं। अतः इसकी प्रायिकता आप कह सकते हैं कि ५० प्रतिशत है कि "गयासुद्दीन गाजी" नामक कोई व्यक्ति था। इसके बाद वो ही व्यक्ति गंगाधर नेहरू था इसकी बिना स्रोतों के आधार पर प्रायिकता कुछ 0.00000001 से भी कम है जिसका कारण यह है कि भारत में उस समय जो जनसंख्या थी उसमें से किसको गयासुद्दीन गाजी माना जाये इसका कोई तथ्य नहीं है।
- यदि आप इस सम्बंध में कोई तथ्य भविष्य में उपलब्द्ध करवाओ तो इस लेख को पुनः स्थापित किया जा सकता है। अतः इसे बनाये रखने का मेरी समझ में कोई अर्थ नहीं है।
- अतः मैं यह ही कहुँगा कि पृष्ठ को तुरन्त प्रभाव से हटा दिया जाये।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:48, 14 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- Note: संजीव जी! एक निवेदन है। आप कृपया इसे अवश्य देखें। स्पीकिंग ट्री के नाम से लेख और ब्लॉग काफी लम्बे समय से टाइम्स ऑफ इण्डिया सरीखे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में छपते रहे हैं। क्या इसकी सामग्री को भी प्रामाणिक नहीं मानेंगे? फिर तो बेकार है यहाँ पर समय बर्बाद करना। विकीपीडिया को भगवान भरोसे छोड़ दीजिये। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 05:12, 15 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- प्रतीक जी, प्रथम तो मैंने नाम देखते ही पुस्तक को अमेज़न, फ्लिपकार्ट, ईबे, इन्फीबीम और अन्य कुछ स्थानों पर खोजने की कोशिश की। मुझे पुस्तक नहीं मिली अन्यथा मैं इसे अभी क्रय कर लेता। जो भी हो मैं बाजार में और देखकर पुस्तक क्रय कर ही लुँगा। दूसरी बात राहुल गाँधी के परदादा नेहरूजी नहीं थे। तीसरा बिन्दु: आप कोई भी ऐसा तथ्य उपलब्द्ध नहीं करवा रहे जो गंगाधर नेहरु को गयासुद्दीन गाजी सिद्ध करता हो। अब मैं आपको इस पृष्ठ को हटाने के कारण बताता हूँ:
- क्रान्त जी नमस्ते। आप किसी विचारधारा विशेष का आग्रह रखकर तथ्य तलाशने की कोशिश करेंगे तो समय बर्बाद होगा ही। विकि को भगवान भरोसे छोड़ने का सुझाव आपका व्यक्तिगत है। आप ही चाहें तो इस पर अमल करें। इतिहास को तोड़ने मरोड़ने और विनिर्मित करने में अंतर होता है। आप जैसे वरिष्ठ और संवेदनशील व्यक्ति से यह आशा की जा सकती है कि आप इतिहास और तथ्यों के विनिर्माण (deconstruction) और विध्वंस (demolition) में अंतर कर पाएँगे। आप ने जिस कड़ी का उल्लेख किया है वह पक्षपातपूर्ण विश्लेषण का उदाहरण है। ऊपर मैंने भी गाँधी के बारे में एक कड़ी दी है आप चाहें तो उसे पढ़ सकते हैं। इतिहास में किंवदंतियों से कुछ सूत्र अवश्य मिलते हैं, लेकिन किंवदंती मात्र को तथ्य के रूप में प्रस्तुत करना तटस्थ लेखन में स्वीकार्य नहीं है। यह कार्य व्यक्तिगत लेखन में ही होना चाहिए। गाँधी-नेहरू से संबंधित अनेकों विवाद हैं। इनपर टिप्पणी करते समय तथ्यात्मक और तार्किक रहने की आवश्यकता है। धन्यवाद। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 05:56, 15 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रान्त जी, वैसे तो अजीत जी ने उत्तर लिख दिया है फिर भी मैं मेरी तरफ से साफ कर दूँ। आपके द्वारा दिया गया तथ्य एक ब्लॉगर का लिखा हुआ है जिसनका सदस्य नाम "The Stud" है। उस ब्लॉग के नीचे लिखी टिप्पणियाँ और उनके उत्तर पढ़ोगे तो बात और स्पष्ट हो जायेगी। आप को बता दूँ कि मैं वास्तविक जीवन न ही तो कांग्रेस पार्टी का प्रसंशक हूँ और न ही मुझे अन्य किसी से। मैं मेरे ब्लॉग में जो बाते लिखता हूँ अर्थात मेरे वेबपृष्ठ पर लिखता हूँ वो बहुत ही अभिनत हो सकती हैं लेकिन विकिपीडिया का उद्देश्य यह नहीं है। अब आप यह शर्त रखते हो कि आप इस तरह के सन्दर्भ हीन लेख लिखना चाहोगे और इस तरह के सन्दर्भहीन विवादास्पद पृष्ठों को हटाने पर आप विकिपीडिया छोड़ने की धमकी देते हो तो मैं भी यह ही कहूँगा कि "आप स्वतन्त्र हैं, विकि मेरी जागीर नहीं है।" आप राजीवमास का उदाहरण देख सकते हो, उन्होंने विकी पर इतना योगदान दिया कि कोई भी वर्तमान सक्रिय सदस्य उनकी बराबरी पर नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें उनके विवादास्पद लेखों और टिप्पणियों के लिए हटाया गया था। अतः आप जैसा उचित समझो वैसा करो। आप वरीष्ठ सदस्य हो मैं आपकी इज्जत करता हूँ लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि इन विवादास्पद विचारों को बिना सन्दर्भ के स्वीकार किया जायेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 06:46, 15 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- प्रिय अजीत जी! एवं संजीव जी! आप दोनों ने ही शायद मेरी बात को अन्यथा ले लिया। मैं न तो आप में से किसी को धमकी दे रहा हूँ और न ही दुराग्रह। मैंने तो केवल एक पक्ष रखने का प्रयास किया था जिससे आपको कष्ट हुआ। उसके लिये मुझे क्षमा करें। विकिकॉमन्स पर खोज रहा था तो वहाँ गयासुद्दीन खान के नाम से एक सन्दर्भ मिल गया। कृपया इसे ध्यान से देखें। आखिर एक ही व्यक्ति से सम्बन्धित पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित इतने सारे स्मारकों का क्या औचित्य है? गयासुद्दीन तुगलक से इसका सन्दर्भ न लें। धन्यवाद डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 07:48, 15 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रान्त जी, शायद आपने ध्यान नहीं दिया। यह चर्चा गयासुद्दीन खान अथवा गयासुद्दीन तुगलक के बारे में नहीं है। यह चर्चा गयासुद्दीन गाजी पर चल रही है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 08:05, 15 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- प्रिय अजीत जी! एवं संजीव जी! आप दोनों ने ही शायद मेरी बात को अन्यथा ले लिया। मैं न तो आप में से किसी को धमकी दे रहा हूँ और न ही दुराग्रह। मैंने तो केवल एक पक्ष रखने का प्रयास किया था जिससे आपको कष्ट हुआ। उसके लिये मुझे क्षमा करें। विकिकॉमन्स पर खोज रहा था तो वहाँ गयासुद्दीन खान के नाम से एक सन्दर्भ मिल गया। कृपया इसे ध्यान से देखें। आखिर एक ही व्यक्ति से सम्बन्धित पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित इतने सारे स्मारकों का क्या औचित्य है? गयासुद्दीन तुगलक से इसका सन्दर्भ न लें। धन्यवाद डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 07:48, 15 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रान्त जी, वैसे तो अजीत जी ने उत्तर लिख दिया है फिर भी मैं मेरी तरफ से साफ कर दूँ। आपके द्वारा दिया गया तथ्य एक ब्लॉगर का लिखा हुआ है जिसनका सदस्य नाम "The Stud" है। उस ब्लॉग के नीचे लिखी टिप्पणियाँ और उनके उत्तर पढ़ोगे तो बात और स्पष्ट हो जायेगी। आप को बता दूँ कि मैं वास्तविक जीवन न ही तो कांग्रेस पार्टी का प्रसंशक हूँ और न ही मुझे अन्य किसी से। मैं मेरे ब्लॉग में जो बाते लिखता हूँ अर्थात मेरे वेबपृष्ठ पर लिखता हूँ वो बहुत ही अभिनत हो सकती हैं लेकिन विकिपीडिया का उद्देश्य यह नहीं है। अब आप यह शर्त रखते हो कि आप इस तरह के सन्दर्भ हीन लेख लिखना चाहोगे और इस तरह के सन्दर्भहीन विवादास्पद पृष्ठों को हटाने पर आप विकिपीडिया छोड़ने की धमकी देते हो तो मैं भी यह ही कहूँगा कि "आप स्वतन्त्र हैं, विकि मेरी जागीर नहीं है।" आप राजीवमास का उदाहरण देख सकते हो, उन्होंने विकी पर इतना योगदान दिया कि कोई भी वर्तमान सक्रिय सदस्य उनकी बराबरी पर नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें उनके विवादास्पद लेखों और टिप्पणियों के लिए हटाया गया था। अतः आप जैसा उचित समझो वैसा करो। आप वरीष्ठ सदस्य हो मैं आपकी इज्जत करता हूँ लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि इन विवादास्पद विचारों को बिना सन्दर्भ के स्वीकार किया जायेगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 06:46, 15 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- संदर्भ बाकायदा दिए गए हैं। अतः हहेच टैग के साथ जो कारण दिया गया है, वह लागू नहीं होता। अतः लेख हटाया नहीं जाना चाहिए।
- लेख की सामग्री आमतौर पर उपलब्ध इतिहास से भिन्न अवश्य है, किन्तु यह हटाए जाने का कारण नहीं बन सकता क्योंकि विकि तटस्थता की नीति अपनाता है। यह नोट किया जाना चाहिए कि शासक वर्ग अपने बारे में अलोकप्रिय तथ्यों को प्रकाशित नहीं होने देते, और न ही प्रख्यात प्रकाशक यह जोखिम लेते हैं। अतः ऐसे विषयों में संदर्भों की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता नहीं होगी।
- यदि किसी को लेख सामग्री अपने विचार या सहमति अनुसार नहीं लगती है तो वह भी लेख को संपादित करके अपने तथ्य भी जोड़ सकता है, लेख आंशिक या पूर्ण तौर पर मिटाने का कोई औचित्य नहीं है, बल्कि मेरे विचार में यह विकि नीति के विरुद्ध ही होगा।
- Improvement Required, Better references required, विवादास्पद आदि सरीखा कोई टैग लगाना चाहें तो ठीक है। मिटाने का कोई औचित्य नहीं।
- "अंग्रेजों के कहर व मारे जाने के डर से उसने एक हिन्दू नाम गंगाधर रख लिया।" इस वाक्य पर -citation needed-टैग लगा कर छोड़ दिया जाऐ।
- मैं स्वयं और संदर्भ ढूंढने की कोशिश करूंगा।
- हिन्दी विकि में मात्र २०० active users हैं। विकि का मूल मंत्र crowdsourcing, good faith है, तर्क यह कि दोनों से मिलकर ही quality आती है। २०० is not a "crowd"। मैं प्रबंधकों से अपील करता हूं कि शक्तिप्रयोग संयम से करें, deletionist न बनें। क्वालिटी में थोड़ी ढील बरतें और भविष्य पर आशा रखें। Crowd का इंतज़ार करें (बरसों ही सही)। विनाश न करें, निर्माण पर ध्यान दें।
धन्यवाद। --मनोज खुराना (वार्ता) 13:42, 16 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी आपने जो उदारता दिखाई उसके लिए आपका आभार। अब मैं आपके बिन्दुओं पर क्रमशः आता हूँ:
- आपने लिखा है सन्दर्भ दिये गये हैं। क्या आपने सन्दर्भ देखे भी हैं? उत्तर नहीं। मैं आपको दिखाता हूँ:
- Nehru Gandhi family नेहरू गान्धी परिवार - लेख में कहीं गयासुद्दीन का उल्लेख नहीं है। चूँकि गंगाधर नेहरू नामक लेख पहले से बना हुआ है अतः इस लेख का कोई मह्त्व नहीं है।
- hidden facts about the nehru-gandhi dynasty नेहरू गान्धी वंश के छुपे हुए तथ्य :- उपरोक्त के समान।
- नेहरु की पीढ़ी —– नेहरु से पहले - अनिल गुप्ता नामक व्यक्ति का जागरण पर ब्लॉग जिसका विवरण मैं उपर भी दे चुका हूँ।
- THE TRUTH OF NEHRU FAMILY नेहरू परिवार का सच - वर्डप्रेस के एक ब्लॉग का गूगल अनुवाद। चूँकि वर्डप्रेस को मयूर जी ने हिन्दी विकी पर प्रतिबंधित कर दिया था अतः उसको गूगल की सहायता से यहाँ लगाया गया।
- आगे के बिन्दुओं में तीन पुस्तकों के सन्दर्भ दिये गये हैं। चूँकि तीनों ही पुस्तकों में से प्रथम दो में कहीं भी गयासुद्दीन नाम का उल्लेख नहीं है। तृतीय पुस्तक क्रान्त जी ने स्वयं लिखी है जो मेरे पास उपलब्द्ध नहीं है। लेकिन मुझे नहीं लगता उसमें गयासुद्दीन नामक व्यक्ति का कोई उल्लेख है।
- यहाँ दिया गया प्रत्येक सन्दर्भ एक ब्लॉग है जहाँ आप और मैं भी अपने विचार लिख सकते हैं। मैं एक ब्लॉग लिख दुंगा जिसमें किसी भी देश के प्रधानमन्त्री अथवा राष्ट्रपति के बारे में कुछ भी विचार लिख दूँ तो वह सन्दर्भ नहीं बन जाता! उसको सन्दर्भ के रूप में देना तटस्थता नहीं बल्कि अफवाह की श्रेणी में आता है।
- आपने लिखा है सन्दर्भ दिये गये हैं। क्या आपने सन्दर्भ देखे भी हैं? उत्तर नहीं। मैं आपको दिखाता हूँ:
- उपरोक्त सन्दर्भों को ही बाहरी कड़ियों के रूप में दिया गया है। इस प्रकार पृष्ठ को हटाने के लिए जो कारण दिया है वह गलत नहीं है। चूँकि यह पृष्ठ एक गयासुद्दीन नामक व्यक्ति के बारे में लिखा हुआ है जिसके बारे में मैंने तो आजतक कुछ नहीं पढ़ा। और यहाँ कोई भी योगदान कर्ता एवं पृष्ठ का पक्षधर कोई भी सार्थक सन्दर्भ देने में असमर्थ रहा है। आपको स्पष्ट कर देना चाहुँगा कि यह पृष्ठ शीघ्र हटाने के लिए नामांकित करने योग्य पृष्ठ था। मैंने यदि ऐसा किया होता तो अब तक हट चुका होता। यदि आप इस पृष्ठ को वास्तविकता में बचाना चाहते हो तो कृपया सन्दर्भ दें। यदि आप अनर्गल पुस्तकों के सन्दर्भ दोगे तो भी मैं आपको यह जानकारी दे देता हूँ कि मैं पुस्तकों का बहुत शौकीन हूँ और क्रय कर लेता हूँ। पुस्तकों का सन्दर्भ देते समय पुस्तक की पृष्ठ संख्या (संस्करण सहित) जरूर लिखें। अन्यथा एक जाँच कर्ता एक वाक्य के लिए पूर्ण पुस्तक को नहीं खंगाल सकता।
- मनोज जी आपने जो उदारता दिखाई उसके लिए आपका आभार। अब मैं आपके बिन्दुओं पर क्रमशः आता हूँ:
- हटायें अतः मैं इस पृष्ठ को जल्द से जल्द हटाने का आग्रह करता हूँ।☆★संजीव कुमार (✉✉) 14:24, 16 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- संजीव जी, आपको बार-बार अपना मत देने की आवश्यकता नहीं है। एक बार अपना मत देने के पश्चात भागीदार सदस्य को केवल चर्चा में भाग लेना चाहिए जैसा आप बखूबी कर ही रहे हैं।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 15:09, 16 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मैं यहाँ बस विकिपीडिया के मूल सिद्धांतों में से एक का वर्णन करना चाहूँगा: "हर लेख को हमारी सन्दर्भ नीति का पालन करना होगा, जो यह अनिवार्य करती है कि तथ्यों को विश्वसनीय सन्दर्भों और स्रोतों के साथ साबित किया जाए। विकिपीडिया पर ऐसे किसी भी तथ्य को सम्मिलित करने पर पाबंदी है जिसका विकिपीडिया से भिन्न, स्वतन्त्र और विश्वसनीय स्रोत में उल्लेख न हो। ऐसी किसी भी सामग्री को विकिपीडिया में डालना वर्जित है जिसका मूल शोध लेखक ने स्वयं किया हो। विकिपीडिया हर संभव तथ्य और जानकारी का एकीकरण नहीं है। यह अपनी राय और भावनाओं को प्रकट करने का स्थान नहीं है।"<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 15:09, 16 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- बिल जी! मैं आपकी बात से शत प्रतिशत सहमत हूँ। कृपया इस लेख को भी देखने का कष्ट करें। इसमें मोतीलाल नेहरू के माता-पिता दोनों का ही नाम नदारद (गायब) है। क्यों? क्या यह गलत नहीं है? अथवा क्या इस तथ्य से आपको दाल में काला नज़र नहीं आता? क्या बिना माँ-बाप के कोई बेटा हो सकता है? अब रही दूसरी बात, जिसका संकेत संजीव जी ने ऊपर किया है; उसके बारे में भी जान लीजिये। अपनी जिस पुस्तक का सन्दर्भ मैंने इस लेख में दिया है उसमें भी केवल वही तथ्य दिये हैं जिनकी पुष्टि जवाहरलाल नेहरू की आत्मकथा मेरी कहानी पुस्तक से होती है। कोई नयी खोज नहीं है। आप स्वयं विवेक का प्रयोग करते हुए उचित निर्णय लेंगे ऐसा हमें विश्वास है। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 06:27, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रान्त जी, आपको नीचे उत्तर दे दिया है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 07:07, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रांत जी, आपके द्वारा संदर्भित किया गया लेख कोई निर्वाचित लेख नहीं है इसलिए उसमें कमियाँ होना स्वाभाविक है बल्कि लेख में अभी बहुत कमियाँ हैं। मैने अब मोतीलाल के पिता की जानकारी लेख में जोड़ दी है शायद अब आपकी शिकायत दूर हो जाएगी।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 07:33, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- बिल जी! मैं आपकी बात से शत प्रतिशत सहमत हूँ। कृपया इस लेख को भी देखने का कष्ट करें। इसमें मोतीलाल नेहरू के माता-पिता दोनों का ही नाम नदारद (गायब) है। क्यों? क्या यह गलत नहीं है? अथवा क्या इस तथ्य से आपको दाल में काला नज़र नहीं आता? क्या बिना माँ-बाप के कोई बेटा हो सकता है? अब रही दूसरी बात, जिसका संकेत संजीव जी ने ऊपर किया है; उसके बारे में भी जान लीजिये। अपनी जिस पुस्तक का सन्दर्भ मैंने इस लेख में दिया है उसमें भी केवल वही तथ्य दिये हैं जिनकी पुष्टि जवाहरलाल नेहरू की आत्मकथा मेरी कहानी पुस्तक से होती है। कोई नयी खोज नहीं है। आप स्वयं विवेक का प्रयोग करते हुए उचित निर्णय लेंगे ऐसा हमें विश्वास है। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 06:27, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- बिल जी! इतने पुराने लेख में इस जानकारी का अभाव मुझे खला। इसलिये मैंने ऐसा लिखा। इसके अलावा कुछ जानकारी मेरी इतिहास की पुस्तक से मिल सकती है। आप फिलहाल कहाँ हैं मुझे नही मालूम। शायद वहाँ के पुस्तकालय में मेरी पुस्तक न हो परन्तु तीन मूर्ति भवन स्थित नेहरू म्यूजियम लाइब्रेरी में यह पुस्तक उपलब्ध है। उस पुस्तक में नेहरू जी के दादा का सन्दर्भ केवल इतना ही दिया है कि उनका चित्र मुगल वेशभूसा में हाथ में तलवार लिये जवाहरलाल नेहरू ने देखा था। और वे दिल्ली से भागकर आगरा जा बसे थे। वहीं उनका इन्तकाल हुआ। बस इतनी ही जानकारी मैंने अपनी उस पुस्तक में दी है। एक बात और स्पष्ठ कर दूँ यह पेज मेरा बनाया हुआ नहीं है हाँ इतना अवश्य है कि मैंने इसमें सम्पादन शायद सर्वाधिक किये हैं। शेष कार्य मैं आप जैसे सुधी जनों को सौंपता हूँ। P.S. I saw the article in English Wikipedia. The citation you added does not say about the mother & father of Motilal Nehru. Its a book on Jawaharlal Nehru published by NBT which is a Govt of India publication. डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 08:22, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी, मैं आपके तर्कों से असहमत नही हूं, मात्र आपके निर्णय से हूं। आप केवल पहली पंक्ति को पढ़ कर उद्वेलित हो उठे हैं और आप जैसे बुद्धिजीवी व्यक्ति के लिए यह उचित और पूर्णतया अपेक्षित भी है, स्वागत योग्य है, किन्तु मेरा निवेदन है कि कृपया आगे दिए गए सुझाव भी पढ़ें। मैने मध्यम मार्ग सुझाने की चेष्टा की है। यदि उनके बाद भी असहमति हो तो बताएं, फिर चर्चा को आगे बढ़ाया जाए। --मनोज खुराना (वार्ता) 05:32, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
कुछ और टिप्पणियों के उत्तर
संपादित करेंमनोज जी के अनुसार उनकी कुछ बातें अनुत्तरित रह गयी। यहाँ मैं उनके उत्तर भी देने की कोशिश कर रहा हूँ:
- लेख की सामग्री आमतौर पर उपलब्ध इतिहास से भिन्न अवश्य है,...
- उत्तर: आपकी यह नीति ही पृष्ठ हटाए जाने का कारण है। तटस्थता का अर्थ कोई भी विवादास्पद वाक्य न लिखने से है। चूँकि यहाँ तो पूर्ण पृष्ठ ही विवादित है। सन्दर्भ प्रचुर मात्र में नहीं हों लेकिन कम-से-कम एक सन्दर्भ तो होना चाहिए। यहाँ तो एक भी सन्दर्भ नहीं है।
- यदि किसी को लेख सामग्री अपने विचार या सहमति अनुसार नहीं लगती है....
- उत्तर:मुझे नहीं लगता कुछ मनगढ़ंत कहानियों के अलावा गयासुद्दीन गाजी के बारे में कोई भी विकि-सदस्य कुछ जानता है। अतः लेख में सुधार की कोई सम्भावना ही नहीं है। अतः ऐसे विवादस्पद पृष्ठ को पूर्णतया मिटाना विकि के लिए न्यायोचित होगा। सन्दर्भ के रूप में विकिपीडिया के मूल सिद्धांत देखे जा सकते हैं।
- Improvement Required, Better references required,.....
- उत्तर: ऐसा कोई टैग ऐसी अवस्था में लगाया जाता है जब पृष्ठ का कोई एक अनुभाग विवादास्पद हो। मेरा तो यह मानना है कि इस अवस्था में भी उस अनुभाग को हटा देना चाहिए।
- "अंग्रेजों के कहर व मारे जाने के डर से उसने एक हिन्दू नाम गंगाधर रख लिया।" इस वाक्य पर -citation needed-टैग लगा कर छोड़ दिया जाऐ।
- उत्तर: यदि यह नीति अपनायी गयी तो पृष्ठ के सभी वाक्यों पर -citation needed- लग जायेगा। जो किसी भी लेख को शोभा नहीं देगा।
- मैं स्वयं और संदर्भ ढूंढने की कोशिश करूंगा।
- उत्तर: जब सन्दर्भ मिल जायें तो पृष्ठ दोबारा बनाया जा सकता है अथवा पुराने पृष्ठ को पुनः लाया जा सकता है। इस प्रकार मैं कर्पूर चन्द्र कुलिश नामक पृष्ठ को पुनः ला चुका हूँ।
- हिन्दी विकि में मात्र २०० active users हैं। विकि का मूल मंत्र crowdsourcing, good faith.....
- उत्तर: इसका अर्थ बर्बरता बढ़ाना नहीं होना चाहिए। पृष्ठ निर्माण के साथ गुणवता जाँच भी आवश्यक है अन्यथा एक बार खोई हुई विश्वनीयता लाना खांडे की धार होती है। अतः पृष्ठ लघु हो सकता है, एक पंक्ति का हो सकता है लेकिन उसका अस्तित्व होना आवश्यक है। गुणवता में ढ़ील के नाम पर बर्बरता को बढ़ावा देना कदापि ठीक नहीं। बर्बरता बढ़ाकर भीड़ का इन्तजार नहीं किया जा सकता बल्कि बर्बरता का ही इन्तजार किया जा सकता है।
- मनोज जी वैसे अपको एक बात यह भी कहना चाहूँगा कि जब गयासुद्दीन गाजी का अस्तिव ही नकारा जा चुका है तो इन अन्य टिप्पणियों का कोई अर्थ नहीं था लेकिन आपकी इच्छापूर्ती के लिए यह सब लिखा है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 06:17, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- तटस्थता का अर्थ कोई भी विवादास्पद वाक्य न लिखने से है।
- तटस्थता का अर्थ सभी विवादास्पद वाक्यों को बराबर स्थान देने से है।
- यहाँ तो एक भी सन्दर्भ नहीं है।
- सन्दर्भहीन का टैग लगा दीजिए।
- मुझे नहीं लगता कुछ मनगढ़ंत कहानियों के अलावा
- आपको नहीं लगता, सौ और लोगों को नहीं लगता, मुझे लगता है, क्रांत जी को लगता है। A true sceptic is one who sees his sceptcism with scepticism. "लगना" पर पुनर्विचार कीजिए, कहीं आप पूर्वाग्रही तो नहीं हो रहे, आत्मावलोकन करें, कहीं आप ये तो नहीं समझ रहे कि बचपन से जो पढ़ा है वो गलत कैसे, २५ साल तक लगातार पढ़ने,बोलने,सुनने से झूठ सच का कोई वास्ता नहीं है। आत्मावलोकन करें - प्रबंधक की बजाय कहीं आप न्यायाधिकारी बनने की ओर अग्रसर तो नहीं, Are you sure you are not "passing the judgement", "trying to impose your viewpoint" instead of just "managing" ? कृपया अपने प्रश्नों पर प्रश्न उठाएं।
- मेरा तो यह मानना है कि इस अवस्था में भी उस अनुभाग को हटा देना चाहिए।
- मेरा तो यह मानना नहीं है - विनाश के पक्षधर हों तो अपनी सुनें, निर्माण चाहते हों तो मेरी। जिस प्रकार कई जगह लिखा रहता हे कि "विचार व्यक्तिगत हैं, प्रकाशक के नहीं।" इसी प्रकार यदि आप कोई भी टैग लगा दें कि यह लेख विवादास्पद है, स्रोतहीन है, बेकार क्वालिटी का है, विकि के स्तर का नहीं है, कोई भी बेकार से बेकार टैग लगा दीजिए, मेरी सहमति है, मैं भी मानता हूं कि यह अच्छे स्तर का नहीं है। एसे Disclaimer टैग लगाने से आपके प्रबंधकीय कार्य का निर्वहन पूर्ण रूप से हो जाता है। आगे पाठक की मर्ज़ी।
- जब गयासुद्दीन गाजी का अस्तिव ही नकारा जा चुका है
- अभी चर्चा जारी है, फैसला सुनाने की जल्दी क्यों ? Again - please ask yourself, are you sure you are not "passing the judgement"?
मान लीजिये ये १९५० का समय है, नाथूराम गोडसे के विचारों पर आपको कोई संदर्भ ढूंढने कि लिए आपको २७ वर्ष का इंतज़ार करना होगा क्योंकि उसकी आत्मकथा १९७७ में जाकर ही प्रकाशित हो पाई जब पहली बार सत्ता में कोई दूसरी पार्टी आई।
अंत में- मैने एसा कुछ कहीं सुना है, शायद ब्रिटेन की संसद में कहीं लिखा है - I may not agree with what you say, but I'll defend till my last breath- your right to say what you want. --मनोज खुराना (वार्ता) 12:41, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- खुराना जी के लिए। कृपया आप विकिक्वोट के इस पृष्ठ को देखें। आपने जिस उद्धरण का उल्लेख किया है उसे वाल्तेयर के नाम से उद्धृत किया जाता है। हालांकि उसे गलत श्रेय की श्रेणी में रखा गया है। उद्धरण कुछ इस प्रकार है :
- I disapprove of what you say, but I will defend to the death your right to say it.
- Though these words are regularly attributed to Voltaire, they were first used by Evelyn Beatrice Hall, writing under the pseudonym of Stephen G Tallentyre in The Friends of Voltaire (1906), as a summation of Voltaire's beliefs on freedom of thought and expression.[1]
- Another possible source for the quote was proposed by Norbert Guterman, editor of "A Book of French Quotations," who noted a letter to M. le Riche (6 February 1770) in which Voltaire is quoted as saying: "Monsieur l'abbé, I detest what you write, but I would give my life to make it possible for you to continue to write" ("Monsieur l'abbé, je déteste ce que vous écrivez, mais je donnerai ma vie pour que vous puissiez continuer à écrire"). This remark, however, does not appear in the letter.
- आशय यह कि मान्यताओं के श्रोत और संदर्भ हो सकते हैं किंतु मान्यताएँ स्वयं विश्वसनीय श्रोत नहीं हो सकतीं। आपका आग्रह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए तो स्वीकार्य है किंतु तटस्थ ज्ञानकोष के लिए नहीं। यहाँ सभी आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। आपके विचारों और टिप्पणियों का सदैव स्वागत है। धन्यवाद। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 15:07, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- वैसे तो अजीत जी ने बात का सटीक उत्तर दे दिया है फिर भी मैं कुछ पंक्तियाँ और जोड़ देता हूँ:
- मनोज जी आप चाहे कुछ भी कहो, लेकिन विकिपीडिया दुषप्रचार का स्थान नहीं है। इस आधार पर दुःप्रचार नहीं करने दिया जा सकता कि उसके तथ्य भविष्य में २७ वर्ष पश्चात प्राप्त होंगे।
- आपको मैं पहले ही कह चुका हूँ कि गयासुद्दीन के अस्तित्व का कोई सन्दर्भ नहीं है अतः यहाँ उस व्यक्ति का पृष्ठ बनाना कतई न्यायोचित नहीं है जो कभी पैदा ही नहीं हुआ। इसका आधार आप यह नहीं दे सकते कि आपने यह कहानी पहले कभी सुनी थी। यदि मैंने कोई कहानी नहीं सुनी तो मैं सन्दर्भ देने पर उसे पढ़कर मान लुंगा। लेकिन इसमें पूर्वाग्रह की बात कहाँ से आ गयी?
- आप बात को समझने का बिल्कुल प्रयास नहीं कर रहे। आप पहले तो उपर की पुरी वार्ता पढ़ें फिर समझने का प्रयास करें की हिन्दी विकी पर संजीव कुमार नाम से लेख है लेकिन "हरीभाई जरीवाला" नहीं, जबकि यह उनका मूल नाम था। आप अंग्रेज़ी विकी पर भी देख सकते हैं: en:Sanjeev Kumar है लेकिन en:Haribhai Jariwala उस पर अनुप्रेषित होता है। यह केवल उस अवस्था में जब दोनों नाम ज्ञात हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि किसी व्यक्ति के दो ज्ञात नाम होने पर उस व्यक्ति के नाम से दो अलग पृष्ठ बनाने के स्थान पर उस नाम से पृष्ठ बनाया जाता है जिससे उसको प्रसिद्धि मिली। हाँ दूसरे नाम के तथ्य होने पर उसे अनुप्रेषित किया जा सकता है। यहाँ मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि बिना सन्दर्भ के इस तथ्य को अनुप्रेषित भी करना दुःप्रचार की श्रेणी में आता है अतः इस पृष्ठ को हटाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 15:25, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अजीत जी के लिए : आपने कहा- "आपका आग्रह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए तो स्वीकार्य है किंतु तटस्थ ज्ञानकोष के लिए नहीं। " मैं तटस्थता की परिभाषा पर ही बात करना चाह रहा हूं। कृपया संजीव जी के और मेरे इन तर्कों पर विचार व्यक्त करें।
- तटस्थता का अर्थ कोई भी विवादास्पद वाक्य न लिखने से है।
- तटस्थता का अर्थ सभी विवादास्पद वाक्यों को बराबर स्थान देने से है।
सभी सदस्यगण को- कृपया ध्यान दें- मैं भी जानता (मानता हूं इसलिए मुझे लगता है कि जानता हूं) कि ९९% गाज़ी एक मनगढंत पात्र है। लेकिन तटस्थता की नीति के चलते मैं लेख को रखने के पक्ष में हूं। इसे मिटाने की बजाय, मैं लेख को सुधारने का, विकिफाई करने का पक्ष लूंगा। य़ाद रखें- हम सभी किसी भी लेख को संपादित करेने के लिए स्वतंत्र हैं। आप (या मैं) अपनी जानकारी अनुसार संदर्भ दे कर एक और हिस्सा जोड़ सकते हैं जिसमें यह लिखा हो कि यह सब झूठ है। लेकिन यह एक तथ्यात्मक सत्य है कि यह कथा नेट पर सैकड़ों जगह उपलब्ध है, यह भी सत्य है कि ९९% यह कथा blogs पर ही है, लेकिन यह भी सत्य है कि ये सब स्वतंत्र blogs हैं, लेखक के नही हैं। इन सभी कारणों से मैं लेख को रखने का पक्ष लेता हूं। प्रबंधक गण जो उचित समझें वो टैग लगा दें, मुझे टैग्स की ज़्यादा जानकारी नहीं है (सहायता का स्वागत है)। लेखक से भी निवेदन है कि सदस्यों की राय अनुसार लेख में आवश्यक परिवर्तन करें जिससे निष्पक्षता दिखे, दोनों पक्ष दिखें, लेख मात्र लांछन जैसा ना लगे। धन्यवाद। --मनोज खुराना (वार्ता) 06:34, 18 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी, पहले तो आपको बता देना चाहता हूँ कि टिप्पणी लिखने से पूर्व किसी के वार्ता पृष्ठ पर सन्देश न छोड़ें। आपने यहाँ टिप्पणी बाद में लिखी है और अजीत जी के वार्ता पृष्ठ पर पहले ही सन्देश छोड़ दिया।
- दूसरी बात: क्या आपको यह प्रतीत नहीं हो रहा कि आप एक निरर्थक बहस करने पर तुले हो। आप स्वयं जानते हो कि बिना तथ्यों के ९९% प्रतिशत असत्य कथन यहाँ लिखे गये हैं। चूँकि लेख के लेखक सहित अन्य कोई भी सदस्य इसे सुधारने में असमर्थ हैं। क्रान्त जी भी असफल प्रयास कर चुके हैं। आप यहाँ ये उटपटांग टिप्पणियाँ लिखने से पहले लेख में उचित तथ्यों के साथ सुधार क्यों नहीं कर देते? यदि आप सुधार कर दोगे और पृष्ठ उचित लगेगा तो आवश्यकतानुसार टैग मैं लगा दुँगा। आप अजीत जी को और मुझे पृष्ठ सुधारने को कह रहे हो जबकि हमे तो लगता है कि पृष्ठ हटाने लायक है। अतः हमारा सुधार तो यह ही होगा कि पृष्ठ को तुरन्त प्रभाव से हटा दिया जाये।☆★संजीव कुमार (✉✉) 07:02, 18 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- पहले ही सन्देश छोड़ दिया- क्षमाप्रार्थी हूं।
- दूसरी बात: क्या आपको यह प्रतीत नहीं हो रहा कि "निरर्थक", "उटपटांग" आदि विशेषण आपकी अपनी राय, आपका अपना judgement है ? क्या आपको यह प्रतीत नहीं हो रहा कि अपनी राय को universal truth की तरह लिखना पूर्वाग्रह की निशानी है? क्या आपको यह प्रतीत नहीं हो रहा कि आपको अपना विरोध असह्य हो रहा है? रही बात सुधार करने की, तो उस के लिए समय चाहिए , उस के लिए लेख को ज़िंदा रहना चाहिए, उसी के लिए भगवानतुल्य प्रबंधकों के ताण्डव नृत्य के आगे याचना की जा रही है। --मनोज खुराना (वार्ता) 07:58, 18 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी आप इन बातों को व्यक्तिगत न लें। शुरुआती दिनों में मुझे भी समस्या आयी थी। बिल विलियम कॉम्प्टन जी ने मेरे एक लेख सबाल्टर्न अध्ययन को विकि नियम के तहत हटा दिया था लेकिन उचित कारण बताने पर उसे वापस लाया गया और अन्य संपादकों के सहयोग से उसे विकिफाई कर एक ज्ञानकोषीय लेख का रूप दिया गया। आप निश्चिंत रहें, विकि पर आपका या किसी का भी कोई सकारात्मक योगदान हमेशा के लिए मिटाया नहीं जा सकता। कृपया भावनाओं पर नियंत्रण रखें। यहाँ न कोई ताण्डव करने आया है और न किसी को याचना करने की आवश्यकता है। सहयोग की भावना पर विश्वास रखें। आपको सभी का सहयोग और समर्थन प्राप्त होगा। धन्यवाद। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 08:14, 18 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी, तटस्थता के संबंध में आपके द्वारा उल्लेखित दोनों बिंदु उचित हैं। जब तक कोई ठोस आधार न हो तो पहले बिंदु का पालन करना चाहिए। कोई मान्य श्रोत या संदर्भ हो तो उसका उल्लेख कर आप किसी विवादास्पद पहलू का उल्लेख कर सकते हैं। उदाहरण के लिए कबीर या कबीर पंथ को ले सकते हैं। उनके जीवन और रचनाओं के संबंध में अनेकों विवाद और किंवदंतियाँ हैं। वह सही या गलत हैं इसका निर्णय विकि का लेखक नहीं कर सकता। वह केवल उल्लेख कर सकता है। कैलवार्ट और लॉरेञ्जन द्वारा संपादित अनंतदास की कबीर परचई, कबीर पंथ पर लिखी वेस्टकॉट और केदारनाथ द्विवेदी की पुस्तकें, नाभादास कृत भक्तमाल, भक्तिरसबोधिनी टीका आदि ऐसे सर्वमान्य स्रोत हैं जिनका आप संदर्भ दे सकते हैं। जहाँ तक टैग की बात है तो वह ऐसे लेख में लगाया जा सकता है जिसकी उल्लेखनीयता असंदिग्ध हो किंतु सुधार संभव। उदाहरण के लिए कार्ल मार्क्स जैसे लेख। आशा है कि आप इसका संज्ञान लेंगे और ऐसी बहसों में देर तक उलझे रहने की बजाय लेख लिखने और अन्य संपादनों में अपना योगदान देंगे। किसी भी सहायता के लिए हम सदैव आपका स्वागत करते हैं। धन्यवाद -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 08:01, 18 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
मैंने कल थोड़ा समय लगाया था, मुझे दिल्ली पुलिस की आधिकारिक साईट पर गंगाधर नेहरू का वर्णन मिला। ऐडिनबर्ग यूनि की साईट पर १८५७ में दिल्ली की स्थिति से संबंधित २८ पृष्ठों का एक रिसर्च पेपर मिला जिसे पूरा नहीं पढ़ पाया किन्तु प्रथमावलोकन में कोई हिन्दू नाम नहीं था (गयासुद्दीन गाज़ी भी नहीं था)। सैकड़ों ब्लाग हैं जिनमें यह कहानी है। समय लगाना होगा कि कहीं कोई संदर्भ मिल जाए। मेरी दिक्कत है कि मैं सिर्फ विकिपीडिया एक्सेस कर पाता हूं, बाकी नेट नहीं। मुझे स्वयं लग रहा है कि हम लोग बहस में समय और ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं। सब अपने अपने तर्क दे चुके हैं, अब निर्णय लिया जाए।
चलते चलते एक जनरल सी बात और - जीवनचक्र (wiki-evolution) के अनुसार हिन्दी विकि अभी मात्र बाल्यावस्था में है (शैशवावस्था कहना भी गलत न होगा)। बात १० या १३ साल की नहीं, उन सभी पैरामीटर्स की है जिनके सिनर्जिकल प्रभाव से विकिवृक्ष फूलता और फलता है। अभी हिन्दी विकि की तुलना करनी हो तो ३-४ साल आयु के अंग्रेजी विकि से हो सकती है, आज के अंग्रेजी विकि से नहीं। यदि एक परिपक्व वयस्क के अनुशासन, कसरत आदि के मापदंड एक बच्चे पर लगा दिए जाएं तो कितना लाभ होगा यह कोई भी कल्पना कर सकता है। evolution pattern के हिसाब से ही अनुशासन के मापदंड निर्धारित होने चाहिएं, यह मेरा निवेदन है। --मनोज खुराना (वार्ता) 09:53, 18 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी, मेरा आप से विनय पूर्वक निवेदन है कि सोच-समझ कर टिप्पणी करें व किसी भी दूसरे सदस्य की टिप्पणी को व्यक्तिगत रूप से ना लें। "भगवानतुल्य प्रबंधकों के ताण्डव नृत्य के आगे याचना" एक असभ्य और अपमानजनक टिप्पणी है! विकि कार्यप्रणाली में प्रबंधक "भगवानतुल्य" नहीं अपितु एक सेवक के रूप में होता है उसका कार्य विकि पर साफ़-सफाई का कार्य करना व अन्य दूसरे तकनीकी बदलाव करना है। वो सदस्यों के मतैक्य अनुसार कार्य करता है। अगर यह लेख हट भी जाता है तो इसे वापस भी लाया जा सकता है, आप बस इस पर कार्य करने की इच्छा व्यक्त करें। दूसरा, लेख आपके सैंडबॉक्स में रखा जा सकता है जहाँ आप अनंत समय तक इसमें सुधार कर सकते हैं और जब आपको उचित लगे कि यह अब विकि निति का पालन कर रहा है तब इसे मुख्यनामस्थान पर ला सकते हैं। विकि पर कार्य पारस्परिक सहयोग से होता है, यहाँ निरंकुशता नहीं है। अंग्रेज़ी विकि से तुलना हिन्दी विकि की हो ही नहीं रही और ना ही उसकी नीतियाँ यहाँ पर लागू हैं। हिन्दी विकि अपने में एक स्वतंत्र परियोजना है व इसकी अपनी निति तथा दिशानिर्देश हैं। आपने सही कहा कि "तटस्थता का अर्थ सभी विवादास्पद वाक्यों को बराबर स्थान देने से है", परन्तु उसके लिए विवाद भी तो उल्लेखनीय होना चाहिए। यहाँ उल्लेखनीय से तात्पर्य ऐसे तथ्य से है जिसे विश्वसनीय स्रोतों द्वारा कवर किया गया हो परन्तु अब तक इस चर्चा में एक भी सदस्य ने लेख के तथ्यों के लिए उचित सन्दर्भ नहीं दिया है। लेख को संजीव जी ने 31 अगस्त को नामंकित किया था परन्तु अभी तक कोई भी इसमें सुधार नहीं कर पाया। मैं पहले ही इसका उल्लेख कर चुका हूँ परन्तु एक बार फ़िर करता हूँ कि "हर लेख को हमारी सन्दर्भ नीति का पालन करना होगा, जो यह अनिवार्य करती है कि तथ्यों को विश्वसनीय सन्दर्भों और स्रोतों के साथ साबित किया जाए। विकिपीडिया पर ऐसे किसी भी तथ्य को सम्मिलित करने पर पाबंदी है जिसका विकिपीडिया से भिन्न, स्वतन्त्र और विश्वसनीय स्रोत में उल्लेख न हो।" ये विकिपीडिया के मूल सिद्धांतों में से एक है और ये जब से विकि का जन्म हुआ है तब से लागू है अब आपको या किसी और को ये पसंद नहीं तो इसका अर्थ यह नहीं है कि विकि अपने मूलभूत सिद्धांतों को त्याग देगा। विवादास्पद तथ्यों को भी विकि पर जगह मिलती है परन्तु उसके लिए कुछ आधार तो हो। मेरे या आपके द्वारा कह देने भर से इतिहास नहीं बदल जाता, इतिहास को केवल प्रत्ययनीय स्रोतों से समझा जाता है। बाल गंगाधर तिलक के अनुसार आर्य उत्तरी ध्रुव से आए थे, यह तथ्य वैज्ञानिकों के अनुसार एकदम गलत है परन्तु फ़िर भी इसे विकि पर शामिल किया गया है क्योंकि इस तथ्य के पीछे कुछ एतिहासिक आधार हैं। अभी भी आपके पास समय है इस लेख में सुधार करने का, मैं जब किसी लेख को ना हटाए जाने के पक्ष में मत देता हूँ तो केवल वाद-विवाद में नहीं उलझता बल्कि अपनी बात को प्रमाण के साथ रखता हूँ और लेख को बचा भी लेता हूँ। आप से और हर किसी सदस्य से यही अपेक्षा रखी जाती है इसलिए इस हटाने की चर्चा का निर्माण हुआ है, संजीव जी आराम से 'साफ़ धोखा' के तहत लेख को शीघ्र हटाने के लिए नामांकित कर सकते थे परन्तु उन्होंने चर्चा का माध्यम इसलिए ही चुना जिससे सब को अपना पक्ष रखने का अवसर मिले। परन्तु निराधार बातों से इस लेख का कुछ फ़ायदा नहीं होने वाला। मेरे पास बहुत सी शोध वेबसाइटों के सब्सक्रिप्शन हैं अगर आपको कोई सहायता चाहिए तो बताएँ।<>< बिल विलियम कॉम्पटनवार्ता 11:08, 18 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
सर्वप्रथम मैं क्षमा चाहूंगा कि मेरी वजह से भावनाए़ आहत हुईं। हालांकि मेरे विचार में ईश्वरतुल्य या याचना आदि शब्द यहां अनावश्यक भले हों, असभ्य तो नहीं थे, कोई गाली गलौच तो नहीं थे। मैं स्वयं भी असभ्य होने की बजाय सभा का त्याग करना या हार मानना ही बेहतर समझता हूं। लेकिन फिर भी इतना तो मानना पड़ेगा कि उग्र होने की, और एसे माहौल में इन शब्दों के प्रयोग की कोई आवश्यकता नहीं थी, शायद मेरी टोन भी ठीक नहीं थी। जो भी हो, अनचाहे ही सही, दिल दुखाने के लिए मैं माफी चाहता हूं। इस समय चर्चा आगे बढ़ाकर मैं अपनी क्षमाप्रार्थना को डिल्यूट नहीं करना चाहता, अतः अभी एक अल्पविराम। --मनोज खुराना (वार्ता) 06:20, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी, वर्तमान स्थिति पृष्ठ हटाने के पक्ष में है अतः आप पृष्ठ की वर्तमान सामग्री को अपने प्रयोगपृष्ठ में प्रतिलिपि कर लें। अन्यथा यह सामग्री आपकी पहुँच से दूर हो जायेगी।☆★संजीव कुमार (✉✉) 06:25, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- संजीव जी, अभी चर्चा जारी है, फैसला सुनाने की जल्दी क्यों ? :-) --मनोज खुराना (वार्ता) 08:28, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
अन्य विकि पृष्ठ से तुलना
संपादित करेंयह उत्तर क्रान्त जी की टिप्पणी के सन्दर्भ में है। चूँकि Motilal Nehru नामक पृष्ठ में माता-पिता का नाम न होना केवल कुटनीति हो यह आवश्यक नहीं। चूँकि अज्ञानतावश अथवा सन्दर्भ के अभाव में भी ऐसा किया जाता है। उस पृष्ठ में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा जो सिद्ध करता हो कि मोतीलाल नेहरू बिना माँ-बाप के धरती पर आये, मतलब दाल में काला होने जैसा कुछ नहीं है। आपने अपनी पुस्तक के बारे में बताया उसके लिए धन्यवाद।☆★संजीव कुमार (✉✉) 07:07, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- इतने पुराने लेख में इस जानकारी का अभाव मुझे खला। इसलिये मैंने ऐसा लिखा। इसके अलावा कुछ जानकारी मेरी इतिहास की पुस्तक से मिल सकती है। आप फिलहाल स्वीटज़रलैण्ड में हैं शायद वहाँ के पुस्तकालय में यह पुस्तक न हो परन्तु तीन मूर्ति भवन स्थित नेहरू म्यूजियम लाइब्रेरी में यह पुस्तक उपलब्ध है। उस पुस्तक में नेहरू जी के दादा का सन्दर्भ केवल इतना ही दिया है कि उनका चित्र मुगल वेशभूसा में हाथ में तलवार लिये जवाहरलाल नेहरू ने देखा था। और वे दिल्ली से भागकर आगरा जा बसे थे। वहीं उनका इन्तकाल हुआ। बस इतनी ही जानकारी मैंने अपनी उस पुस्तक में दी है। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 08:07, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- अभी मैं मुम्बई में ही हूँ लेकिन मैं सामान्यतः पुस्तकें ऑनलाइन क्रय करता हूँ। यदि फ्लिपकार्ट, अमेज़न अथवा इन्फीबीम जैसी किसी विश्वनीय वेबसाइट पर उपलब्द्ध हो तो मुझे लिंक दें। मैं उसी समय उसे क्रय कर लुँगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 09:34, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- Hay Sanjeev! If you are in Bombay you may search the library for this book by typing your location in this link Okey डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 13:14, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रान्त जी मुझे मुम्बई में इसका कोई पुस्तकालय नहीं दिखाई दे रहा। यदि आप क्रय करने का कोई साधन बता दें तो शायद अच्छा होगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 16:13, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- Hay Sanjeev! If you are in Bombay you may search the library for this book by typing your location in this link Okey डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 13:14, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- अभी मैं मुम्बई में ही हूँ लेकिन मैं सामान्यतः पुस्तकें ऑनलाइन क्रय करता हूँ। यदि फ्लिपकार्ट, अमेज़न अथवा इन्फीबीम जैसी किसी विश्वनीय वेबसाइट पर उपलब्द्ध हो तो मुझे लिंक दें। मैं उसी समय उसे क्रय कर लुँगा।☆★संजीव कुमार (✉✉) 09:34, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
इसके लिये प्रकाशक के मोबाइल 09310675061 पर आप उससे वार्ता करके पता कर लेंवें। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 17:06, 17 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
मेरा विचार है कि तर्क वितर्क काफी हो चुके हैं, अब चर्चा का समापन करना चाहिए। संजीव जी की राय थी कि मुझे ही सुधार कर देना चाहिए। हालांकि मैं अनुभवी लोगों की सहायता का इच्छुक था क्योंकि मुझे यहां मात्र एक महीना ही हुआ है, विकिफिकेशन की जानकारी और अनुभव न के बराबर ही है और क्रांत जी का विकिफिकेशन के बजाय साहित्यिक लहज़े की तरफ रुझान जगज़ाहिर है। सीनियर होने के नाते उन्हें समझाना भी कठिन है, बेहतर है कि वो जो चाहें उन्हें करने दिया जाए, बाद में हम लोग स्वयं ही उसमें सुधार कर दें। सुधार के लिए समय मांगा गया था ताकि संदर्भ ढूंढे जा सकें। लेकिन संजीव जी की राय और उतावलेपन का सम्मान करते हुए, जितना मुझसे बन पड़ा, मैने बदलाव कर दिए हैं। कृपया नोट करें कि मै अनुभवहीन हूं, इसी दृष्टि से पेज को चैक किया जाए। कई जगह अधूरापन है, लेकिन यह एक संकेतमात्र है कि यहां क्या लिखा जाएगा, यदि समय दिया गया तो। क्रांत जी द्वारा दो पुस्तक संदर्भ दे दिए गए है, और अधिक संदर्भ ढूंढने में वे अभी भी प्रयासरत हैं, पुस्तक में भी संदर्भ निहित हैं, इन्हें ढूंढना बाकी है। प्रतीक जी ने भी कुछ संदर्भ बताए हैं, उन्हें भी ढूंढना बाकी है। संजीव जी से खास निवेदन है कि चर्चा के दौरान दिए गए वचनों का ध्यान रखें। अजीत जी के कहे अनुसार सहयोग की भावना पर विश्वास करते हुए, मैं सभी सदस्यगण का धन्यवाद करता हूं और निर्णय का आह्वान करता हूं। --मनोज खुराना (वार्ता) 09:03, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी आप मूल मुद्दे को यदि भावनात्मक बनाकर अथवा सम्मान देने की बात कहकर भटकाने की कोशिश न करें। आपने मेरा "संजीव कुमार" नाम से उल्लिखित कथन नहीं पढ़ा? पहली बात तो यह है कि लेख में लिखे विवादास्पद कथनों के विश्वनीय सन्दर्भ अब तक लुप्त अवस्था में हैं और बाकी बात रही पृष्ठ के न हटने की उस अवस्था में आपको यह सिद्ध करना होगा कि गयासुद्दिन गाजी नामक कोई व्यक्ति प्रसिद्ध हुआ था। यदि पृष्ठ की वर्तमान स्थित को सही माना भी जाये तो इसके साथ आपको यह सिद्ध करना होगा कि गयासुद्दीन नामक व्यक्ति न केवल गंगाधर नेहरू थे बल्कि उनकी प्रसिद्धि भी गंगाधर नेहरू बनने से पहले बहुत अधिक थी। द्वितीय स्थिति में गंगाधर नेहरू नामक पृष्ठ की सामग्री वहाँ से हटाकर यहाँ अनुप्रेषित कर दी जायेगी।☆★संजीव कुमार (✉✉) 09:26, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- संजीव जी, और चर्चा की या कुछ सिद्ध करने की अब कोई गुंजाईश नहीं है। मैं अभी विकि के नियम ज्यादा नहीं जानता लेकिन अंदाजा लगा सकता हूं कि उपरोक्त मांगें आपकी अपनी कल्पना की उपज हैं, और यह भी संदेह है कि एक प्रबंधक के नाते ना तो आप ये शर्तें रखने के लिए अधिकृत हैं, ना कोई सदस्य इन्हें मानने के लिए विवश। आपके अपने विचारों और मान्यताओं को सर्वोपरि मानने कि चेष्टा को देखते हुए (मात्र) इस चर्चा पर निर्णय देने की आपकी क्षमता के प्रति मैं अपना संदेह स्पष्ट तौर पर व्यक्त करता हूं और तटस्थ प्रबंधकों-सदस्यों द्वारा निर्णय का प्रस्ताव रखता हूं। --मनोज खुराना (वार्ता) 10:37, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी, प्रथम बात तो आपको गलतफहमी हो गई है कि मैं प्रबंधक हूँ। मैं प्रबंधक नहीं हूँ एवं किसी पृष्ठ को हटाने के लिए नामांकित कर सकता हूँ हटा नहीं सकता। दूसरी बात आपको कई बार पंचशील सिद्धान्त पढ़ने के लिए कहा गया लेकिन आपने इसे उचित नहीं समझा। आप अपने वार्ता पृष्ठ पर देखें वहाँ आपका खाता बनते ही मयूर जी द्वारा बनाये गये एक स्वचालित सदस्य नया सदस्य सन्देश ने एक सन्देश दिया था। उस सन्देश में बहुत से नियम हैं और बहुत से नियमों के बारे में लिखा हुआ है। अतः कृपया उसे ध्यान से पढ़ो और उसमें दी गयी कड़ियों पर भी जाओ और पढ़ने की कोशिश करो। यदि फिर भी समस्या रहती है तो उसके बारे में प्रश्न कर सकते हो।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:54, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- जब मैंने इस चर्चा में टिप्पणी दी थी तब मुझे इतने सदस्यों के भाग लेने की अपेक्षा नहीं थी। यह देख कर अच्छा लग रहा है कि सदस्य इन चर्चाओं में भाग ले रहे हैं।
- अब इस लेख के सन्दर्भों के सम्बन्ध में:
- सर्वप्रथम तो एक विषय पर आम तौर पर एक ही लेख होता है, अतः यदि यह व्यक्ति और गंगाधर नेहरू एक ही हैं तो लेख एक ही होना चाहिए गंगाधर नेहरू नाम से।
- परन्तु इस लेख की सामग्री के उस पृष्ठ पर होने के लिए भी यह आवश्यक है कि ये सामग्री विकिपीडिया के नियमों के अनुसार हो।
- इस पृष्ठ पर जो सन्दर्भ दिए गए हैं उनके सम्बन्ध में:
- वर्त्तमान पहला सन्दर्भ विकिया की conspiracy wiki से है। यह आम लोगों द्वारा लिखी एक विकि है। इसपर कोई भी कुछ भी लिख सकता है। इसके विवरण के ही अनुसार From claims that secret societies have hidden themselves from humanity since ancient times to the most ridiculous scams from modern-day tabloids, everything is welcome here. अतः निस्संदेह ये स्रोत विश्वसनीय नहीं है।
- वर्तमान दूसरा, तीसरा एवं दसवाँ सन्दर्भ जो एक ही है, एक पुस्तक है। ये पुस्तक यह कहती है कि गयासुद्दीन गाज़ी ही गंगाधर नेहरू थे। पढ़ कर लगता है कि इन्होंने यह बात 29 अगस्त 1997 के इंडियन एक्सप्रेस में के.एन.राव के लिखे किसी लेख से यह बात ली है। यहाँ यह स्पष्ट नहीं है कि यह मूल लेख एडिटोरियल में था, या फिर मुख्य अखबार में समाचार की तरह।
- इसे कुछ आगे पढ़ें तो यह पुस्तक और भी ऐसी बहुत सी बातें कहती है जिन्हें यहाँ उठाया गया है, कुछ ऐसी जो यहाँ नहीं उठायी गयी है और जिन्हें अति-विवादास्पक माना जा सकता है।
- वर्तमान चौथा, पाँचवा एवं छठा सन्दर्भ ब्लॉग हैं और इसलिए विश्वसनीय नहीं हैं।
- सातवाँ और आठवाँ सन्दर्भ जवाहरलाल नेहरू की लिखी पुस्तक मेरी कहानी है। लेख में जिस कथन के लिए इसे उपयोग किया गया है वह उपयुक्त है, परन्तु यह गंगाधर नेहरू के गयासुद्दीन गाज़ी होने के बारे में कुछ भी नहीं कहता।
- नौवा सन्दर्भ क्रांत जी की लिखी एक पुस्तक है। इससे भी जो सामग्री संदर्भित की गयी है उसमें गयासुद्दीन गाज़ी के बारे में कुछ नहीं है।
- वर्तमान ग्यारहवे सन्दर्भ के अनुसार कोतवाल गंगाधर नेहरू थे। इसमें गयासुद्दीन गाज़ी के बारे में कुछ भी नहीं है।
- वर्त्तमान बारहवे सन्दर्भ में केवल गंगाधर नेहरू के बारे में लिखा है। इसमें भी गयासुद्दीन गाज़ी के बारे में कुछ भी नहीं है।
- अतः इनमें से एक सन्दर्भ (गूगल पुस्तक, दूसरा, तीसरा एवं दसवाँ सन्दर्भ) को छोड़ कर कोई भी ऐसा विश्वसनीय सन्दर्भ नहीं है जिसमें गयासुद्दीन गाज़ी का कोई ज़िक्र हो। और ये सन्दर्भ केवल इतना कहता है कि गंगाधर नेहरू पहले गयासुद्दीन गाज़ी नामक मुसलमान थे। अतः इस लेख में केवल इस सन्दर्भ द्वारा दी गयी जानकारी को सीमित स्तर तक विश्वसनीय माना जा सकता है। सीमित स्तर इसलिए क्योंकि विकिपीडिया पर हमें स्रोतों को उतना ही महत्त्व देना होता है जितना असल ज़िन्दगी में उन्हें दिया जाता है। अतः चूँकि असल ज़िन्दगी में ये बात (गंगाधर नेहरू के गयासुद्दीन गाज़ी होने की बात) एक विवादास्पक थ्योरी है जिसे मुख्य मीडिया में स्वीकृति नहीं है और जिसके लिए विश्वसनीय स्रोत उपलब्ध नहीं हैं, अतः हमें विकिपीडिया पर भी इस बात को उतना ही महत्त्व देना होगा।
- इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मेरा मत ये है कि इस लेख को हटाया जाना चाहिए, गूगल पुस्तक से उपलब्ध जानकारी को उपयुक्त रूप से गंगाधर नेहरू में समाविष्ट किया जाना चाहिए। इसके बाद इस लेख को गंगाधर नेहरू को एक पुनर्निर्देश के रूप में पुनः बनाया जाना चाहिए। मैं सीधे पुनर्निर्देशन के बजाए हटाकर पुनर्निर्देशन करने के मत में हूँ ताकि अविश्वसनीय जानकारी इतिहास में ना उपलब्ध हो (ताकि कोई बर्बरता कर के पूर्ववत ना कर सके)। यदि कभी इस विवाद के सम्बन्ध में इतनी विश्वसनीय जानकारी हो जाती है कि एक पूरा अलग लेख बनाया जा सके, तो लेख को अलग करने में कोई समस्या नहीं है (परन्तु किसी उपयुक नाम से, इस नाम से नहीं)। परन्तु वर्तमान लेख में उपलब्ध विश्वसनीय जानकारी एक अलग लेख जितनी नहीं है।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 10:54, 21 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- इस लेख के साथ क्या किया जाय इस पर कुछ नहीं लिखना चाहता हूँ क्योंकि इसकी सत्यता/असत्यता के बारे में मुझे कुछ पता नहीं है। किन्तु मैं इस लेख पर श्री सिद्धार्थ घई की टिप्पणियों को अस्वीकार/नजरअंदाज करने के निवेदन के लिए लिख रहा हूँ। आप सभी को याद होगा कि उन्होने अभी हाल में लिखा है कि 'विकिपिडिया किसी की बपौती नहीं है'। एक तो उन्होने 'बपौती' जैसे आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग किया है जिस पर उन्हें कोई चेतावनी नहीं दी गई है। दूसरी यह कि जब विकिपीडिया किसी की बपौती नहीं है तो कैसे कोई इस लेख को हटा सकता है? यदि इसे हटाया जाता है तो सिद्धार्थ जी को बताया जाय कि उनका यह तर्क पूर्णतः गलत है।-- अनुनाद सिंहवार्ता 12:15, 21 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- अनुनाद जी, यदि सिद्धार्थ जी ने कोई आपत्तिजनक शब्द लिखा है तो अवश्य उन्होंने गलती की है लेकिन उनकी यहाँ दी गई टिप्पणियों से समान टिप्पणियाँ ही मैं भी उपर लिख चुका हूँ। विकिपीडिया किसी सदस्य की व्यक्तिगत सम्पति नहीं है लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है कि यह खुला हाट है। विकिपीडिया की एक विश्वनीयता है, यह एक ज्ञानकोष है जिसमें सभी लोग अपने व्यक्तिगत विचार लिखने लगे तो वह ज्ञानकोष नहीं रह पायेगी।
- दूसरी बात यदि सिद्धार्थ जी ने एक जगह गलती की है तो इसका यह अर्थ तो कदापि नहीं होना चाहिए कि उनके द्वारा किये गये किसी भी सम्पादन को इस आधार पर नकार दिया जाये क्योंकि उन्होंने भूतकाल में एक गलत वाक्य बोला था। जो भी हो, अपने उपरोक्त वाक्य (बपौती) के सन्दर्भ में तो सिद्धार्थ जी ही बता सकते हैं।☆★संजीव कुमार (✉✉) 13:09, 21 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- संजीव जी, मैं फिर से स्पष्ट कर दूँ कि मेरी आपत्ति इस लेख को हटाने/न हटाने से बिलकुल सम्बन्धित नहीं है। मैं केवल यह जानना चाहता हूँ कि केवल पाँच-सात दिन पहले 'विकिपीडिया किसी की बपौती नहीं है' जैसा तर्क देने के बाद सिद्धार्थ घई जी को किसी दूसरे लेख को हटाने के पक्ष में विचार रखने का कोई नैतिक अधिकार रह जाता है? मैं नहीं मानता कि उन्होने कोई 'गलत वाक्य' बोला है या कोई 'चूक' की है। उन्होने जो कुछ लिखा है वह बहुत सोचसमझकर लिखा है। -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:39, 22 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- इसका उत्तर तो सिद्धार्थ जी ही दे सकते हैं। मैं मेरे हाथ वापस खींच रहा हूँ।☆★संजीव कुमार (✉✉) 06:35, 22 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- इस लेख के साथ क्या किया जाय इस पर कुछ नहीं लिखना चाहता हूँ क्योंकि इसकी सत्यता/असत्यता के बारे में मुझे कुछ पता नहीं है। किन्तु मैं इस लेख पर श्री सिद्धार्थ घई की टिप्पणियों को अस्वीकार/नजरअंदाज करने के निवेदन के लिए लिख रहा हूँ। आप सभी को याद होगा कि उन्होने अभी हाल में लिखा है कि 'विकिपिडिया किसी की बपौती नहीं है'। एक तो उन्होने 'बपौती' जैसे आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग किया है जिस पर उन्हें कोई चेतावनी नहीं दी गई है। दूसरी यह कि जब विकिपीडिया किसी की बपौती नहीं है तो कैसे कोई इस लेख को हटा सकता है? यदि इसे हटाया जाता है तो सिद्धार्थ जी को बताया जाय कि उनका यह तर्क पूर्णतः गलत है।-- अनुनाद सिंहवार्ता 12:15, 21 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी, प्रथम बात तो आपको गलतफहमी हो गई है कि मैं प्रबंधक हूँ। मैं प्रबंधक नहीं हूँ एवं किसी पृष्ठ को हटाने के लिए नामांकित कर सकता हूँ हटा नहीं सकता। दूसरी बात आपको कई बार पंचशील सिद्धान्त पढ़ने के लिए कहा गया लेकिन आपने इसे उचित नहीं समझा। आप अपने वार्ता पृष्ठ पर देखें वहाँ आपका खाता बनते ही मयूर जी द्वारा बनाये गये एक स्वचालित सदस्य नया सदस्य सन्देश ने एक सन्देश दिया था। उस सन्देश में बहुत से नियम हैं और बहुत से नियमों के बारे में लिखा हुआ है। अतः कृपया उसे ध्यान से पढ़ो और उसमें दी गयी कड़ियों पर भी जाओ और पढ़ने की कोशिश करो। यदि फिर भी समस्या रहती है तो उसके बारे में प्रश्न कर सकते हो।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:54, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- इस अयाचित व्यवधान के लिए क्षमा चाहूँगा लेकिन बपौती शब्द अपने आप में आपत्तिजनक तो नहीं है। इसके प्रयोग मात्र से कोई अपने नैतिक अधिकार से वंचित कैसे हो सकता है! सवाल नहीं पूछ रहा हूँ, केवल विस्मय के साथ व्यक्तिगत राय रख रहा हूँ। आपसी मतभेदों को छिद्रान्वेषण में न ही बदलें तो बेहतर होगा। आप सभी का विकि पर बहुत सम्मान है कृपया इसे बनाये रखें। सहयोग की भावना में पूरी आस्था के साथ आप सबका साथी। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 06:40, 22 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- अजीत जी, मुझे नहीं लगता अनुनाद जी किसी आपसी मतभेद को छिद्रान्वेषण का कार्य कर रहे हैं। मुझे लगता है वो केवल अपनी व्यक्तिगत जानकारी के लिए पुछ रहे हैं।☆★संजीव कुमार (✉✉) 06:43, 22 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- संजीव जी, इतनी संवेदनशीलता की आशा तो आप मुझसे कर ही सकते हैं कि मैं किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं करूँगा। हालांकि मैंने किसी का नाम नहीं लिखा है लेकिन यह संबद्ध किसी भी व्यक्ति के ऊपर लागू होती है। समझदार व्यक्ति संकेतों से ही स्थिति की वास्तविकता से अवगत हो जाएगा। मैं तब तक सबको समझदार मानता हूँ जब तक कि वह स्वयं अपनी नासमझी का पूरा प्रमाण न प्रस्तुत कर दे। धन्यवाद। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 06:52, 22 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- अजीत जी, शब्दकोशीय दृष्टि से हो सकता है कि 'बपौती' शब्द आपको आपत्तिजनक न लगे। किन्तु जिस सन्दर्भ के साथ यह प्रयोग किया गया है उसे हिन्दी समाज में आपत्तिजनक अर्थ में ही लिया जाता है। दूसरी बात यह है कि मैंने इस शब्द को सिद्धार्थ जी के खुद के पैमाने से मापकर 'आपत्तिजनक' कहा है। किसी को जानना हो तो मैं सिद्धार्थ जी के 'पैमाने' का दर्शन करा सकता हूँ। अजीत जी, मैं छिद्रान्वेषण नहीं कर रहा। 'दोहरी नीति' का विरोध कर रहा हूँ। दोहरी नीति नहीं चलनी चाहिए, दोहरा पैमाना नहीं चलाना चाहिए। -- अनुनाद सिंहवार्ता 07:22, 22 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- बिल्कुल सही कहा अनुनाद जी आपने। दोहरी नीति का हरसंभव प्रतिरोध किया जाना चाहिए और इस आशय के किसी भी प्रस्ताव पर मैं आपके या किसी के भी साथ रहूँगा। आशा है कि सदस्य नीतियों को सदैव संज्ञान में रखेंगे, आपसी वार्ता में भी। ध्यान बस इस बात का रहना चाहिए कि दोहरा मानदण्ड सिद्ध करने के उचित तर्क मौजूद हों और दूसरे पक्ष को अपना मत रखने का पर्याप्त अवसर दिया जाय। मेरे निवेदन को सही भाव (स्पिरिट) में लेने के लिए धन्यवाद। -- अजीत कुमार तिवारी वार्ता 08:09, 22 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- चूँकि यहाँ अनुनाद जी द्वारा उठाये गये मुद्दे का असर केवल इस चर्चा तक सीमित नहीं है और नीतियों के दोहरे मापन (double standards) के सन्दर्भ में है, अतः मैंने इस चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए विकिपीडिया:चौपाल#दोहरी नीति विवाद पर नये भाग में उत्तर दिया है। सदस्यों से अनुरोध है कि इस चर्चा को आगे बढ़ाने हेतु उस भाग का प्रयोग करें और इस पृष्ठ को केवल गयासुद्दीन गाजी लेख के सम्बन्ध में चर्चा हेतु प्रयोग करें।--सिद्धार्थ घई (वार्ता) 19:12, 22 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- संजीव जी, और चर्चा की या कुछ सिद्ध करने की अब कोई गुंजाईश नहीं है। मैं अभी विकि के नियम ज्यादा नहीं जानता लेकिन अंदाजा लगा सकता हूं कि उपरोक्त मांगें आपकी अपनी कल्पना की उपज हैं, और यह भी संदेह है कि एक प्रबंधक के नाते ना तो आप ये शर्तें रखने के लिए अधिकृत हैं, ना कोई सदस्य इन्हें मानने के लिए विवश। आपके अपने विचारों और मान्यताओं को सर्वोपरि मानने कि चेष्टा को देखते हुए (मात्र) इस चर्चा पर निर्णय देने की आपकी क्षमता के प्रति मैं अपना संदेह स्पष्ट तौर पर व्यक्त करता हूं और तटस्थ प्रबंधकों-सदस्यों द्वारा निर्णय का प्रस्ताव रखता हूं। --मनोज खुराना (वार्ता) 10:37, 19 सितंबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
कहानी में ट्विस्ट है
संपादित करें'Mutiny at the Margins' was a two-year project, in the School of History & Classics at Edinburgh University, which aimed to provide long overdue new perspectives on the Indian Uprising of 1857 through thematic, collaborative research, a network of international scholars, and a series of conferences, workshops and other public events to be held in Edinburgh, London and India in 2007-08. http://www.csas.ed.ac.uk/mutiny/confpapers/Farooqui-Paper.pdf, page-2 In the second week of the uprising. It was in the same period that Moinuddin Hasan Khan was appointed Kotwal, or city police chief, for a brief period, replacing Qazi Faizullah. Shortly afterwards Syed Mubarak Shah was appointed Kotwal
The Last Mughal, William Dalrymple, Penguin , page xix Moinuddin Hasan Khan, cousin of Ghalib. then Syed Mubarak Shah.
Bahadur Shah Zafar; And the War of 1857 in Delhi, By S. Mahdi Husain, Page 198
on 13th may, emporor called Mirza Muniruddun, governor and kotwal of city
चूँकि जब श्री संजीव कुमार ने इसे हटाने का प्रस्ताव रखा था निस्संदेह इसमें कोई भी सन्दर्भ नहीं था। और इसी तथ्य को ध्यान में रखकर श्री सिद्धार्थ घई जी ने भी उनकी ही बात का समर्थन किया। उसके पश्चात् काफी लम्बी बहस भी चली और आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चला। कुछ तल्खी भी आयी परन्तु विकी हित को सर्वोपरि मानते हुए उसमें व्यापक संशोधन भी सदस्यों ने किये। कुछ ऐसे भी सन्दर्भ तथा बाह्यसूत्र दिये गये थे जिन पर सद्स्यों को आपत्ति थी। मैंने आज ही उन्हें दुरुस्त करने का यथासामर्थ्य कार्य सम्पन्न कर दिया है। मेरे विचार से अब इस लेख को हिन्दी विकीपीडिया पर रखना ठीक रहेगा। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 08:30, 7 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रान्त जी, यह मैं भी मानता हूँ कि आपने लेख में बहुत सुधार किया है। लेख की बनावट को भी बदल दिया गया है फिर भी लेख को 'रखने' का कोई कारण स्पष्ट नहीं है। लेख में देखने को तो आपने २२ सन्दर्भ दे दिये लेकिन क्र॰सं॰ 1, 2, 6 और 13 में कोई अन्तर नहीं है। इसे <ref name="ref1" /> का उपयोग करके विलय किया जा सकता है। सन्दर्भ 3, 4 का यहाँ कोई महत्व नहीं है क्योंकि दोनो विकि-पृष्ठ हैं। इसी प्रकार अन्य सन्दर्भों में भी अधिकतर ब्लॉग और महत्वहीन हैं। कुछ पुस्तकों के पृष्ठों का उल्लेख आया है जिसे अभी तक मैं जाँच नहीं पाया अतः उसके विरुद्ध भी कुछ कहने का अधिकार नहीं रखता।
- इन सब बातों के अलावा आपने अथवा अन्य किसी सदस्य (जो पृष्ठ को रखने के पक्ष में हैं) ने मेरी एक बात पर शायद ही कभी ध्यान दिया होगा। पृष्ठ को हटाने के सन्दर्भ में मेरा तर्क यह है कि यदि "गयासुद्दीन गाजी" ने नाम बदलकर गंगाधर नेहरु रख लिया तो ये सभी विवाद गंगाधर नेहरू नामक पृष्ठ पर लगा देने चाहिए। यदि आप सभी सदस्यों की अनुमति हो तो यह कार्य मैं मेरे हाथों सम्पन्न कर दुँगा। इसके मैं आपको कई उदाहरण देता हूँ:
- दिलीप कुमार के नाम से पृष्ठ विकिपीडिया पर है लेकिन "यूसुफ़ ख़ान" नाम से उन्हें कोई नहीं जानता अतः यह पृष्ठ अलग से नहीं है।
- औरंगज़ेब नामक पृष्ठ लगभग ५० विकियों पर है लेकिन उनके बचपन के नाम के बारे में अलग से पृष्ठ नहीं है। इसी प्रकार शाह जहाँ नामक पृष्ठ अस्तित्व में है लेकिन "खुर्रम" के लिए अलग से स्थान नहीं है।
- क्रान्त जी आपके विषय में ही बता दुँ: एक पृष्ठ "मदनलाल वर्मा 'क्रान्त'" शीर्षक से है लेकिन आपके नाम से तीन अलग-अलग पृष्ठ बनाये जायें जिसमें एक का शीर्षक दिया जाये जो आपके माता पिता प्यार से आपको बचपन में पुकारा करते थे। दूसरा बनाया जाये "एम एल वर्मा" और तृतीय पृष्ठ का निर्माण "क्रान्त" नाम से किया जाये तो क्या यह विकी के लिए ठीक रहेगा?
- सबसे अन्तिम बिन्दु; यदि आपको अब भी लगता है कि आप इस पृष्ठ को रखने के सन्दर्भ में सही हो तो कृपया इस पृष्ठ को अंग्रेज़ी में अनूदित करें और अंग्रेज़ी विकी पर पृष्ठ बना दें। यदि वहाँ यह स्वीकार्य होगा तो मैं यहाँ इसका विरोध सदा के लिए छोड़ दुंगा। यहाँ ध्यान रहे कि यह मेरी अंग्रेज़ी गुलामी की मानसिकता नहीं है बल्कि नियमावली की बात है क्योंकि वहाँ पृष्ठ को मानदण्डों पर खर्रा उतरना पड़ता है। साथ में यह ध्यान रहे कि इस तरह के विवादास्पद पृष्ठ का मैं वहाँ भी विरोध करुँगा।
- आगे यदि कुछ सार्थक तर्क मिला तो मैं मेरे विचार बदलने को तैयार हूँ लेकिन वर्तमान सामग्री के साथ मैं सहमत नहीं हूँ।☆★संजीव कुमार (✉✉) 16:16, 7 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- देखिये संजीव जी! आपने ऊपर जो तीन उदाहरण प्रस्तुत किये हैं वे तर्कसगत नहीं हैं। किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत नाम, परिवर्तित नाम अथवा उपनाम यदि वास्तव में उल्लेखनीय हों तो उन पर अलग से पृष्ठ बनाया जा सकता है। रह गयी गयासुद्दीन गाजी के नाम पर हिन्दी विकीपीडिया पर लेख बनाने की बात तो मैं आपको साफ बतला दूँ कि यह लेख मैंने शुरू नहीं किया था। हाँ जब इसे हटाने की चर्चा चली और उसे काफी तूल दे दिया गया तो मुझे लगा कि यह विषय इतिहास की उल्लेखनीय विरासत से सम्बन्ध रखता है तो मैं भी इसमें शामिल हो गया क्योंकि मुझे इतिहास में विशेष रुचि है। जो सन्दर्भ इसमें दिये क्या वे प्रामाणिक नहीं हैं? पहली बात दूसरी बात हिन्दी विकीबुक्स पर नेहरू राजवंश पर काफी पुराना लेख पहले से ही मौजूद था। उसका इतिहास खोजने पर मुझे और भी कई जानकारियाँ मिलीं। इससे यह बात तो सोलहो आने सच सिद्ध हो गयी कि गयासुद्दीन गाजी नाम का व्यक्ति इतिहास में था और काफी समय तक रहा। हालात ने उसे हिन्दू नाम रखने पर मजबूर कर दिया। यदि ऐसा न होता तो स्वयं जवाहरलाल नेहरू अपनी आत्मकथा में यह कदापि न लिखते कि उन्होंने अपने दादा का मुगल वेशभूषा में कोई चित्र देखा था। दूसरे आप मोतीलाल नेहरू पर अंग्रेजी विकीपीडिया पर लेख देख सकते हैं। उसमें भी एमके अग्रवाल की उसी पुस्तक के हवाले से गंगाधर नेहरू के वास्तविक नाम का उल्लेख गयासुद्दीन गाजी ही किया गया है। मैंने इस लेख में भी एमके अग्रवाल की ही पुस्तक का सन्दर्भ दिया है। अब आगे प्रबन्धकों के विवेक पर मैं इस चर्चा को विराम देने के लिये सौंपते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 07:30, 8 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रान्त जी, आपने मेरी बात के तर्कसंगत न होने की घोषणा तो कर दी लेकिन इसका कोई उदाहरण अथवा कारण नहीं दिया। इस अवस्था में मैं आपकी बात को किस आधार पर समझ पाउँगा?
- यहाँ एक बात सिद्ध होती है: हिटलर ने कहा था कि एक (गलत) कथन को इतनी बार दोहरावो की वह सत्य हो जाये। अर्थात गयासुद्दीन गाजी को आप इतनी बार दोहरा रहे हो कि मैं भी मन ही मन सोचने लगा हूँ कि ऐसा कुछ हुआ ही होगा। लेकिन यह सच्चाई और निष्पक्षता से दूर ले जा सकता है और तटस्थता को उधेड़ सकता है जो कतई ठीक नहीं है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 10:43, 8 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- प्रिय संजीव! इसके उत्तर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की ये पंक्तियाँ आपको देकर जा रहा हूँ "समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध; जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।" डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 17:37, 8 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- क्रान्त जी, चाहे जो भी हो, मुझे अभी तक एक भी कथन नहीं मिला जो गयासुद्दीन गाजी को गंगाधर नेहरू से प्रसिद्ध सिद्ध करे तथा आप भी मेरी बात का उत्तर देने की बज़ाय मुझे शेरोशायरी में बाँधने लग गये हो।☆★संजीव कुमार (✉✉) 21:47, 8 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- प्रिय संजीव! इसके उत्तर में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की ये पंक्तियाँ आपको देकर जा रहा हूँ "समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध; जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।" डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 17:37, 8 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- देखिये संजीव जी! आपने ऊपर जो तीन उदाहरण प्रस्तुत किये हैं वे तर्कसगत नहीं हैं। किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत नाम, परिवर्तित नाम अथवा उपनाम यदि वास्तव में उल्लेखनीय हों तो उन पर अलग से पृष्ठ बनाया जा सकता है। रह गयी गयासुद्दीन गाजी के नाम पर हिन्दी विकीपीडिया पर लेख बनाने की बात तो मैं आपको साफ बतला दूँ कि यह लेख मैंने शुरू नहीं किया था। हाँ जब इसे हटाने की चर्चा चली और उसे काफी तूल दे दिया गया तो मुझे लगा कि यह विषय इतिहास की उल्लेखनीय विरासत से सम्बन्ध रखता है तो मैं भी इसमें शामिल हो गया क्योंकि मुझे इतिहास में विशेष रुचि है। जो सन्दर्भ इसमें दिये क्या वे प्रामाणिक नहीं हैं? पहली बात दूसरी बात हिन्दी विकीबुक्स पर नेहरू राजवंश पर काफी पुराना लेख पहले से ही मौजूद था। उसका इतिहास खोजने पर मुझे और भी कई जानकारियाँ मिलीं। इससे यह बात तो सोलहो आने सच सिद्ध हो गयी कि गयासुद्दीन गाजी नाम का व्यक्ति इतिहास में था और काफी समय तक रहा। हालात ने उसे हिन्दू नाम रखने पर मजबूर कर दिया। यदि ऐसा न होता तो स्वयं जवाहरलाल नेहरू अपनी आत्मकथा में यह कदापि न लिखते कि उन्होंने अपने दादा का मुगल वेशभूषा में कोई चित्र देखा था। दूसरे आप मोतीलाल नेहरू पर अंग्रेजी विकीपीडिया पर लेख देख सकते हैं। उसमें भी एमके अग्रवाल की उसी पुस्तक के हवाले से गंगाधर नेहरू के वास्तविक नाम का उल्लेख गयासुद्दीन गाजी ही किया गया है। मैंने इस लेख में भी एमके अग्रवाल की ही पुस्तक का सन्दर्भ दिया है। अब आगे प्रबन्धकों के विवेक पर मैं इस चर्चा को विराम देने के लिये सौंपते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 07:30, 8 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
संजीव जी,
- पहले हिटलर वाली बात- क्या ये संभव नहीं कि आपको हमें जो टेक्स्ट बुक्स पढ़ाई जाती हैं, वो झूठ हों, और सालों साल वही पढ़कर सुनकर हम उसे सच मान बैठे हों, और वो भी इतनी अच्छी तरह कि कोई दूसरी थ्योरी होने की हम कल्पना ही नहीं कर पा रहे ?
- प्रसिद्धि वाली बात - पहली बात कि यह कोई विकि नीति नहीं है। यदि व्यक्तिगत नीति भी हो तो भी माननीय सदस्य की संतुष्टि हेतु तर्क है कि इस विवाद के समर्थक कहते हैं कि इस तथ्य को जान बूझ कर दबाया गया है (जैसा कि नाथूराम गोडसे) अतः इस केस में कम संदर्भों, कम प्रसिद्धि को भी उचित माना जा सकता है।
- अंत में - हरीहर-संजीव, यूसुफ-दिलीप आदि में कहीं भी कोई विवाद नहीं है। यहां गाजी और गंगाधर में विवाद ही विवाद है। ध्यान दें कि मैं एक पक्ष ना लेते हुए दोनों ओर से बात कर रहा हूं। यदि गाजी स्पष्ट तौर पर गंगाधर सिद्ध हो जाते तो मैं सहमत हूं कि अलग लेख की कोई आवश्यकता नहीं थी, तब इसे हरीहर-संजीव, यूसुफ-दिलीप की तरह मात्र अनुप्रेषित किया जा सकता था। लेकिन विवाद के कारण से अलग लेख रखा जा सकता है- मात्र एक विवाद के तौर पर। खासतौर से जबकि अब इस लेख का निश्चयात्मक स्वरूप बदल कर विवादात्मक कर दिया गया है। --☍ मनोज खुराना ( सदस्यपृष्ठ) 07:12, 9 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- पहले तो मैं ऐसे बहुत झटके खा चुका हूँ। बचपन से पढ़ाया गया "राष्ट्रभाषा हिन्दी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं। राष्ट्रीय खेल हॉकी है।" जबकि ये तीनों कथन आधिकारिक तौर पर गलत हैं। संविधान में इन तीनों का ही कहीं भी उल्लेख नहीं है फिर भी ये दिमाग में इस तरह बैठ चुके हैं जैसे ये सही हैं।
- अब आपकी बात को सुलझाने का प्रयास करता हूँ। आपने अब तक जितने सन्दर्भ दिये हैं उनके अनुसार इस लेख को केवल एक अनुभाग की जरूरत है। सन्दर्भ बढ़ेंगे और आवश्यकता महसूस हुई तो "गाजी नेहरू विवाद" नाम से एक नया पृष्ठ बना दिया जायेगा। लेकिन वर्तमान उपलब्द्धता से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इस पृष्ठ का आंशिक विलय गंगाधर नेहरू में किया जा सकता है। वहाँ गाजी-नेहरू विवाद नाम से एक अनुभाग बनाया जा सकता है जिसकी चर्चा मैंने उपर भी की है।☆★संजीव कुमार (✉✉) 08:22, 9 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
लेख में दिये गये कुछ उदाहरणों को मैंने जाँच के लिए रखा है। इसके अलावा कुछ साक्ष्य प्रयुक्त करना चाहता हूँ: यह बहुत जगह लिखा है कि गंगाधर नेहरू एक कोतवाल थे। अब प्रत्येक सन्दर्भ का उल्लेख कर रहा हूँ:
प्रथम सन्दर्भ - जाँच के लिए रखा है।
सन्दर्भ २ एवं सन्दर्भ ३ विकी पृष्ठ हैं और इन्हें सन्दर्भ के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता और इनपर कोई भी तथ्य नहीं है।
सन्दर्भ ४- जाँच के लिए रखा गया।
सन्दर्भ ५ -विश्वसनीय स्रोत नहीं।
सन्दर्भ ६ - अनिल गुप्ता नामक व्यक्ति का ब्लॉग अर्थात अविश्वसनीय स्रोत।
सन्दर्भ ७ एवं १६ - इसमें निम्न वाक्य लिखे हैं:
"The only surviving portrait of Ganga Dhar Nehru shows hi bearded, dressed like a Mughal grandee, with a curved
sword in his hand. There was nothing surprising in a Kashmiri Brahmin being turned out like a Muslim nobleman, if we
remember that the conventions, the ceremonial and even the language - Persian of the Mughal Court had, since the days
of Akbar, set the fashion for the entire Indian sub-continent By the middle of the nineteenth century western influences
had made themselves felt in the port-towns of Bombay, Calcutta and Madras, but had not yet percolated to the heart of
the sub-continent Neverthe-less, by 1857 even Delhi had enterprising individuals such as Ramachandra, the mathematician,
and Mukandlal, the physician, who had received western education* Ganga Dhar's own sons, though only in their teens,
had learnt to speak English -an accomplishment which was soon to stand them in good stead."
जिससे स्पष्ट होता है कि गंगाधर नेहरू का नाम गयासुद्दीन नहीं था और वो ना ही एक मुस्लिम थे।
सन्दर्भ ८ - उपरोक्त से प्रतिलिपि की गई एक पंक्ति जो कुछ भी सिद्ध नहीं करती।
सन्दर्भ ९- अविश्वनीय स्रोत
सन्दर्भ १० एवं १७ - गलत स्रोत। यदि यह इस पृष्ठ के लिए है तो इसे जाँच के लिए रखा गया है।
सन्दर्भ ११ - केवल यह कहा गया है कि वो दिल्ली के कोतवाल थे। अर्थात गयासुद्दीन नामक व्यक्ति के अस्तित्व का कोई अर्थ नहीं।
सन्दर्भ १२ एवं सन्दर्भ १३ में कहीं भी गयासुद्दीन अथवा गंगाधर का उल्लेख नहीं है।
सन्दर्भ १४ (Charles Metcalfe, Two Native Narratives, The Narrative of Mainodin Hasan Khan) और सन्दर्भ १५ (The Last Mughal, William Dalrymple, Penguin ) की जानकारी पर्याप्त नहीं है।
इसके अलावा नव हिन्द टाइम्स के लेख और एस के अग्रवाल द्वारा रचित पुस्तक जवाहर लाल नेहरू के अनुसार भी गंगाधर नेहरू कश्मिरी ब्राह्मण परिवार से थे।
चूँकि उपरोक्त सभी लेख इसके लिए प्रेरित करते हैं कि लेख को हटा देना चाहिए। लेख का कोई औचित्य नहीं है। चूँक्कि तीन माह के लम्बे अन्तराल के बावजूद भी कोई विश्वनीय स्रोत नहीं मिला।☆★संजीव कुमार (✉✉) 19:31, 23 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
चर्चा एवं लेख से जाहिर है कि-
- गयासुद्दीन गाजी तथा गंगाधर नेहरु एक ही व्यक्ति संबंधी लेख हैं।
- दोनों लेखों की सामग्री भी ७५% से ज्यादा मिलती जुलती है।
- ये लेख केवल जवाहर लाल नेहरु से संबंधित होने एवं बहु-विवादित होने के कारण महत्वपूर्ण प्रतीत हो रहे हैं।
- पूर्व पक्ष को लेकर विवाद है किंतु बाद में जवाहरलाल के दादा पूर्वनाम मान्य या अमान्य होने की दोनों ही स्थितियों में गंगाधर नेहरु के नाम से प्रसिद्ध हुए।
- इसलिए
- गयासुद्दीन गाजी के पृष्ट को गंगाधर नेहरु पर बिना मिटाए पुनर्निर्देशित किया गया है।
- गयासुद्दीन गाजी संबंधी विवाद को एवं उसकी सामग्री को विकिकृत कर लेख में जोड़ दिया गया है।
- ब्लॉग आदि अप्रमाणिक संदर्भों को छोड़कर शेष सारे संदर्भ भी हू-ब-हू जोड़ दिए गए हैं।
- लेख को सभी के संपादन के लिए मुक्त रखा गया है।
आशा है कि सहमति और असहमति दोनों ही स्थितियों में सदस्य लेख के विवाद के समर्थन एवं विरोध के खंडों को संवर्धित एवं संदर्भ युक्त करने में अपनी प्रतिभा और शक्ति लगाएंगें। अनिरुद्ध वार्ता 20:57, 23 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- अनिरुद्ध जी, शायद आपने यह कार्य नीति के अनुसार नहीं किया। चूँकि यहाँ चर्चा चल रही है और आपने केवल अपने विचारों से लेख को पुनर्निदेशित कर दिया। चूँकि मैं अब भी कहुँगा कि लेख को पुनर्निदेशित करने का भी कोई औचित्य नहीं है। इसमें एक भी सन्दर्भ ऐसा नहीं है जो यह सिद्ध करता हो कि गयासुद्दीन गाज़ी ही गंगाधर नेहरू थे। यहाँ दिये गये सन्दर्भों की जाँच मैंने अंग्रेज़ी विकी पर करवाई है। वहाँ साफ-साफ लिखा है कि लेख में दिये गये सन्दर्भों में केवल 'द लास्ट मुग़ल पुस्तक का सन्दर्भ उचित है। लेकिन इस पुस्तक का सन्दर्भ में उल्लेख तो किया है लेकिन पृष्ठ संख्या नहीं दी गई, अतः मेरे लिए इसकी जाँच करना नामुमकीन है। इस आधार पर यह साफ कहा जा सकता है कि लेख को पुनर्निर्देशित नहीं किया जा सकता।☆★संजीव कुमार (✉✉) 11:31, 24 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- Sorry to use English, there's some problem with my browser. I agree that this page should not be redirected as till date there is only one clear reference. Whether that is junk or not is a matter of discussion which I will continue, but this much is agreed that on basis of only one reference we cannot redirect this article as this is a politically very very sensitive matter. Also, the Autbiography of Jawaharlal Nehru cannot be taken lightly and can not be given equal weightage as compared to MK Agarwal's book. Therefore, even if redirected, it can not be mentioned in the first line of Gangadhar Nehru page. Therefore, first of all I agree with Sanjeev that redirection should be reversed first. Final decision should be taken only when consensus prevails. Many people are still engaged in research and the discussion is not yet complete. A very healthy discussion is going on, Situaion has been changing with every new revelation, and at times both the parties have seemed to changed sides. So, lets wait a little.
- Now, to Sanjeev ji- Page number of Wiliam Dalrymple's book has been mentioned in roman script, reason being that it forms a part of preface to the book, initial introduction of characters. Kotwals of Delhi are very clearly mentioned as Muslims, though the name Ghiyasuddin Ghazi is not there. So, it leaves us in mid way. It does not stand for Ghazi, but it very clearly and credibly refutes Jawaharlal's and Delhi Police's claim that Gangadhar Nehru was Kotwal of Delhi at the time of mutiny. If Jawaharlal's claim is refuted, this is a big enough reason to keep this page, and to keep MK Agarwal's book in consideration, due to well known reason that no "credible" publisher will risk publishing "anti-government" matter and keeping in view the NPOV policy, that writer deserves to stay on wiki. It is but natural that he'll be found with "non-credible",anti-government, mischevious element, junk -whatever name can be given by "pro-government" people which happen to be 99.9%.
- MJ Akbar book was mentioned only to remove biasness. Earlier only one aspect (Ghazi's)was mentioned. I was amazed when I found out that Jawaharlal himself has written in detail about his family history and it was not mentioned in the article! So, I mentioned Jawaharlal's autobiography extract, to maintain NPOV in the article. MJ Akbar's reference is only for support of Jawaharlal's version. Nothing else. So, no deep research required into that. Please note that after finding these two references, I removed the sentence that "there is no enough detail available in history about Nehru family beyond Gangadhar."
- Sanjeev ji will be happy to hear this- "Hindu by accident" logic has completely lost the relevance. Earlier it was mentioned that Jawaharlal himself said this. Now further study has shown that it was said by someone else. It completely changes the picture upside down. So, Ghazi looses out on this one too (atleast my favour).
- Charles Metcalfe's book : Two Native Narratives, The Narrative of Mainodin Hasan Khan, needs to be checked further. Initial idea is that it also confirms William Dalrymple's claim. Two muslim kotwals, no Gangadhar Nehru.
- Regarding Nav-Hind Times- We'll find a thousand claims supporting Jawaharlal's view. No doubt about that. All of them can be mentioned in Gangadhar Nehru's actual page. This article is about the controversy.
- On Gangadhar Nehru page, prominence should of course go to Jawaharlal's version, with support of MJ Akbar/Nav Hind Times etc., and this controversy should only be mentioned as one paragraph (for example see Tajmahal page and controversy about Taj being a hindu temple) reason being that evidences and supporting reference are less in number and credibility is doubtful. Link to this page for detailed information should be placed there.
- Many references refuting the Last Delhi Kotwal claim, One refrence naming Ghazi, many other references still pending for review, newer references cropping up day by day, Issue being anti-government less no. of reference should be acceptable, So as per Policy of NPOV The article should not be deleted. --☍ मनोज खुराना ( सदस्यपृष्ठ) 13:42, 24 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मनोज जी, आप William Dalrymple नामक सन्दर्भ की बात कर रहे हो तो कुछ ही दिनों में मैं इसकी भी जाँच कर लुँगा। इसके अलावा आपने जो भी लिखा है वो शायद उपर कुछ भी पढ़ने से पहले लिखा है अतः सबकुछ अर्थहीन एवं बिना काम का है। चूँकी जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है कि कश्मिरी ब्राह्मण मुस्लिम कपड़ों में हो सकते हैं इसका अर्थ यह नहीं है कि कश्मिरी ब्राह्मण मुस्लिम होते हैं। दिल्ली में एक कोतवाल ही हो यह आवश्यक नहीं है। वहाँ अनेक कोतवाल हो सकते हैं। कोतवाल का अर्थ किसी कस्बे के पुलिस अधिकारी से है। इसका शब्द का किसी धर्म से कुछ लेना देना नहीं है। मैं कल ब्राजिल देश की भाषा में काम करने लगुं तो मेरा धर्म परिवर्तित नहीं होगा। मुझे यदि किसी अन्य धर्म (मेरे वर्तमान धर्म से भिन्न) के मोहल्ले में जाना पड़ा तो मेरा धर्म नहीं बदलता। अतः यहाँ आप एक भी सन्दर्भ William Dalrymple की पुस्तक "द लास्ट मुग़ल" के अलावा एक भी सन्दर्भ बताओ जिसे मैं सही समझ सकुँ। चूँकि इस सन्दर्भ की मैं अभी तक जाँच नहीं कर पाया। मुझे पता नहीं है कि इसमें क्या लिखा है? अतः इस एक सन्दर्भ के लिए मैं कुछ नहीं कह सकता।☆★संजीव कुमार (✉✉) 14:25, 24 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- संजीव जी, मैने पुनर्निर्देसित करने से पहले अन्य स्थानों पर जाँच की है। पुनर्निर्देशित करने का अर्थ यह नहीं है कि गयासुद्दीन गाजी गंगाधर नेहरु हैं या नहीं हैं। पुनर्निर्देश का मतलब होता है एक ही आलेख से संबंधित पहुँच के विभिन्न मार्गों को एक लेख तक करना। जिससे कि दोनों शब्दों से लेख की जानकारी चाहने वाला व्यक्ति सही गंतव्य तक पहुँच जाए। गयासुद्दीन गाजी की भ्रांती ऐसी नहीं है जिसे लेख में स्थान ही न दिया जाए। यदि किसी व्यक्ति के संबंध में किसी तरह की भ्रांती समाज में कुछ स्रोतों सहित भी मिलती है तो आलेख में विवाद या भ्रांतियाँ आदि अनुभाग के अंतर्गत उसका जिक्र करना न केवल उचित है बल्कि आवश्यक है। जैसे की सुभाष की मृत्यु के संबंध में पैदा भ्रांति या विवाद उस आलेख का अनिवार्य हिस्सा है। अंग्रेजी विकि के अरुणाचल प्रदेश एवं कश्मीर संबंधी विवादित नक्से का प्रसंग इस संबंध में देखना शायद उचित उदाहरण रहेगा। मनोज खुराना जी के तटस्थता का मतलब ही विकिया की दिशा है। सामान्य ज्ञान की उपलब्धता मात्र नहीं बल्कि विवादित मुद्दों पर विरोधी विचारों को एक साथ रखना विकि नीति ही है। यह गाजी संबंधी सामग्री के लिए उचित तर्क है। पुनर्निदेश को नीति उल्लंघन कतई नहीं है। पुनर्निर्देश तो कई बार प्रचलित अशुद्ध वर्तनियों के भी बनाए जाते हैं। यहाँ तो एक ही लेख पृष्ठ के लिए दो बिल्कुल अलग नाम हैं। सही गलत का फैसला पाठकों पर छोड़ दीजिए। विकि पर सामग्री विकि नीति के अनुरूप होनी चाहिए। अनिरुद्ध वार्ता 17:22, 24 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मैं प्रो०अनिरुद्धजी के उपरोक्त कथन से शत प्रतिशत सहमत हूँ उन्होंने अपने विवेकाधिकार का एकदम तर्कसंगत प्रयोग करते हुए उचित कार्रवाई की है। मैंने गंगाधर नेहरू पृष्ठ स्वयं देख लिया है। उसमें कुछ त्रुटियाँ रह गयीं थीं उन्हें मैंने सुधार दिया है। एक कथन जवाहरलाल जी की आत्मकथा सम्बन्धी अंग्रेजी में है उसे कल हिन्दी में कर दूँगा। अब बहुत रात हो चुकी है। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 18:54, 24 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- अनिरुद्ध जी, आप मूल मुद्दे से न भटकें तो अच्छा होगा। जब यहाँ चर्चा चल रही है और वो भी बिना किसी नतिजे के। चूँकि इस चर्चा का कोई परिणाम निकाले बिना ही आपने पृष्ठ को पुनर्निदेशित कर दिया। आपने "धर्म और गर्भपात" नामक पृष्ठ को तो हटा ही दिया था। चूँकि उसे भी उस समय पुनर्निदेशित कर सकते थे। चूँकि वहाँ तो लेख का विषय भी ठीक था। यहाँ एक बकवास लेख पर चर्चा चल रही है। एक भी तथ्य नहीं है और आपने जो नये पृष्ठ में सुधार किये हैं उनमे भी आपने एक भी तथ्य की जाँच नहीं की। आपने सन्दर्भ देते समय यह भी नहीं देखा कि उस सन्दर्भ में गंगाधर नेहरू अथवा गयासुद्दीन गाजी किसी का उल्लेख हुआ भी है अथवा नहीं। आप गंगाधर नेहरू के वार्ता पृष्ठ पर मेरी टिप्पणियाँ पढ़ो तो आपको पता चलेगा कि वो सन्दर्भ कितने औचित्यहीन हैं। अब मैं कल मैं एक ब्लॉग लिख दुंगा जिसमें कुछ भी बकवास लिख दुँगा, जैसे मैं अमेरिका के बारे में कुछ लिखुंगा और आप उसे "प्राचीन भारत इतिहास" नामक लेख में सन्दर्भ के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। क्या यह औचित्यपूर्ण होगा? चूँकि आपने के लेख को दूसरे में विलय किया है तो आपको कम से कम इस चर्चा को समाप्त करना चाहिए था। ऐसी चर्चाओं को खुला छोड़कर अपना निर्णय थोंपने का क्या अर्थ है? इसी तरह की चर्चाएँ अधुरी रहने के कारण ही दिनेश स्मिता जी जैसे सदस्य कहते हैं कि आपकी चर्चाएँ परिणाम रहित होती हैं। आप यदि परिणाम निकाल ही रहे थे तो कम से कम इस चर्चा को बन्द तो कर सकते थे जिसमें एक टैग लगा देते और लिख देते कि "चर्चा समाप्त, परिणाम - लेख को विलय किया" इसके बाद पुरी चर्चा को एक घर में (बॉक्स) में बन्द कर देते जिससे यह चर्चा भविष्य के लिए एक पुरालेख बन जाती। आप एक वरिष्ठ सदस्य हो, पहले भी अच्छी जिम्मेदारियाँ सम्भाल चुके हो और आपसे आशा की जाती है कि आप नियमावली का ध्यान रखोगे, इन सबके बावजूद यदि आप ही ऐसा करने लगे तो फिर अन्य सदस्यों का क्या होगा। चूँकि आपकी अनुपस्थिति में हिन्दी विकी पर कुछ नियमावलियों का उल्लंघन हुआ। उस समय मैं पुरालेख पढ़ता था तो लगता था कि आप, मयूर जी अथवा आप जैसे अन्य कई पुराने लोगों में से कोई होता तो ऐसा नहीं होता। चूँकि अब आप ही नियमावली का पालन नहीं करोगे तो उन लोगों में और आपमें अन्तर ही क्या रह जायेगा जिन्होंने नियमावली को ताक पर रखा था। अभी आशा करता हूँ कि आप बचे हुए कार्य को पूर्ण करोगे और यदि पृष्ठ को पुनर्निर्देशित करना आपके लिए सही परिणाम है तो मुझे उसमें आपत्ति नहीं है केवल एक सुधार चाहता हूँ: पुनर्निदेश गंगाधर नेहरू पर न होकर गंगाधर नेहरू#गयासुद्दीन गाजी विवाद पर हो एवं इस चर्चा को बॉक्स (html ke <div> जैसे उपकरणों का उपयोग) करके बन्द किया जाये।☆★संजीव कुमार (✉✉) 20:19, 24 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- मैं प्रो०अनिरुद्धजी के उपरोक्त कथन से शत प्रतिशत सहमत हूँ उन्होंने अपने विवेकाधिकार का एकदम तर्कसंगत प्रयोग करते हुए उचित कार्रवाई की है। मैंने गंगाधर नेहरू पृष्ठ स्वयं देख लिया है। उसमें कुछ त्रुटियाँ रह गयीं थीं उन्हें मैंने सुधार दिया है। एक कथन जवाहरलाल जी की आत्मकथा सम्बन्धी अंग्रेजी में है उसे कल हिन्दी में कर दूँगा। अब बहुत रात हो चुकी है। डॉ०'क्रान्त'एम०एल०वर्मा (वार्ता) 18:54, 24 अक्टूबर 2013 (UTC)[उत्तर दें]
- ऊपर की चर्चा इस पृष्ठ पर हुए विचार-विमर्श का पुरालेख है। कृपया इसमें किसी तरह का बदलाव न करें। अनुवर्ती टिप्णियाँ उपयुक्त वार्ता पृष्ठ पर करनी चाहिए (जैसे कि लेख का वार्ता पृष्ठ या पृष्ठ हटाने हेतु चर्चा का वार्ता पृष्ठ)। इस पृष्ठ पर किसी भी प्रकार का कोई संपादन नहीं होना चाहिए।