स्वागत!  नमस्कार मनोज उपाध्याय मतिहीन जी! आपका हिन्दी विकिपीडिया में स्वागत है।

-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 09:08, 30 जुलाई 2018 (UTC)उत्तर दें

भाषा की महत्ता...

भाषा नही होती तो संपूर्ण विश्व गूंगा बन जाता व संसार की समस्त संचार व्यवस्था ठप्प हो जाती! 
             मनोज उपाध्याय मतिहीन

भाषा... संपादित करें

भाषा की आवशयकता,महत्ता और विकास

भाषा की आवश्कता ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार जीवन के लिए श्वांसों की है!भाषा की अनुपस्थिति में मानव मन की भावनाएँ कभी व्यक्त नही हो पाती !और वह अंदर ही घुंट के रह जाती !इस लिए भाषा चाहे ध्वनि हो संकेत हो या किसी भी प्रकार की हो उसकी आवश्कता शाश्वत है!मानवीय भावनाओं व संवेदनाओं की स्पषटता के दृष्टिकोण से यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण है!मानव जीवन के क्रमिक विकास के साथ साथ इसका भी विकास हुआ है ,और आगे भी होता रहेगा !

                            मनोज उपाध्याय मतिहीन...
                   मनोज उपाध्याय मतिहीन (वार्ता) 19:38, 7 अगस्त 2018 (UTC)उत्तर दें

सदस्य:मनोज उपाध्याय मतिहीन पृष्ठ को शीघ्र हटाने का नामांकन संपादित करें

 

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तुम भांड मे जाओ,विद्वान जिस क्षेत्र मे महारत रखता है उसे लोगों को परोसता है, तुम्हारे जैसे चोरी करके दूसरे के रचित लिखित तथ्यो को नही लिखते... तुम्हारे जैसे ग्यानी के साथ मुझे स्वयं नही जुड़ना ,पहले जानता तो पहले ही नही जुड़ता.तुम इतिहास भूगोल से चोरी करी करो...

चेतावनी संपादित करें

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कवि बनना है संपादित करें

मैने अटल जी को श्रद्धान्जलि स्वरूप एक कविता लिखी तो सोचा सांझा कर दूं.नही तो यहां सूनने वालों का आकाल नही है, बहुत फैन है... कवि बनना नही है, मै कवि हूँ, तुममे इतनी विद्वता नही कि तुम किसी को कवि बना सको, आत्मा के सौंदर्य का शब्द रूप है काव्य, मानव होना भाग्य है,कवि होना सौभाग्य !अब समझा कि इसे भी वीकीपीडिया मे खोजेगा...!? मनोज उपाध्याय मतिहीन (वार्ता) 19:56, 17 अगस्त 2018 (UTC)उत्तर दें