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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 01:37, 15 दिसम्बर 2017 (UTC)उत्तर दें

( लोहागढ़ के भैरब मन्दिर का इतिहास )

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लोहागढ़- भैरब मन्दिर आज भी आस्था का प्रतीक है इस से जुड़ी एक कथा मिलती है लोहागढ़ गाँव के दक्षिण दिशा में जंगल ऐरिया था जहाँ पर एक पेड़ के नीचे भैरब जी की गोल पत्थर की एक प्रतिमा रखी हुई थी एक बार एक व्यापारी उसी रास्ते से जा रहा था उस की वैलगाड़ी अचानक ख़राब हो गई उस की गाड़ी का पहिया अचानक से निकल गया उस ने उसे ठीक करने के लिए भैरब जी की जो गोल प्रतिमा रखी थी उसे उठा लिया उसे नहीं पता था की वह किसी देवता की प्रतिमा है उसने अपनी गाड़ी ठीक कर ली और उस ने सोचा कहीं मेरी गाड़ी फिर रास्ते में ख़राब न हो जाये यह सोचकर उसने उस पत्थर को अपनी गाड़ी में रख लिया जब उसने गाड़ी को हाँका तो उस की बैलगाड़ी में लगे बैल आगे नहीं बड़ रहे थे कुछ समय बाद वहाँ पर कुछ ग्वाला आये उन्होंने उस पत्थर के बारे में वताया की यह तो भैरब जी सरकार है तो उसने विश्वाश कर उस ने मंदिर का निर्माण कराया जो चूना पत्थर से वना है!आज उस मंदिर का निर्माण चल रहा है!राजू श्रीधर हिन्दी (प्रवक्ता) लोहागढ़ मोठ झाँसी उ प्र