Mangeelal
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-- नया सदस्य सन्देश (वार्ता) 03:02, 30 नवम्बर 2017 (UTC)
जिस समाज ने पेड़ों को बचाने के लिये जान दी आज उनके हक की लड़ाई लड़ रहा है एक युवा
क्या आप यकीन करेंगे की पेड़ों को बचाने के लिये कोई अपनी जान भी दे सकता है? क्या आप जानते हैं कि राजस्थान (Rajasthan) के जोधपुर किले (Jodhpur Fort) को बनाने के लिये जिन पेड़ों को काटा गया उनको बचाने के लिये एक दो नहीं बल्कि एक समाज उन पेड़ों से पहले कटने को तैयार हो गया था और वो था बिश्नोई समाज (Bishnoi Samaj)। विशेक बिश्नोई (Vishek Vishnoi) जिनके पूर्वजों ने पेड़ों के कभी जान दी थी वो आज पेड़ों को बचाने और नये पेड़ों को लगाने की एक मुहिम में जुड़े हैं। इसके अलावा बिश्नोई समाज (Bishnoi Samaj) को शहीद का दर्जा दिलाने के लिये वो एक मुहिम चला रहे हैं।

बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के खतरे को रोकने के लिए आज दुनिया को बिश्नोई समाज (Bishnoi Samaj) जैसे लोगों की जरूरत है। जिन्होने करीब 250 साल पहले पेड़ों को बचाने के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की और पेड़ों के साथ 363 विश्नोई समाज के लोगों ने अपनी जान दे दी। जिसमें सबसे पहले बलिदान करने वाली थीं अमृता देवी विश्नोई। तब इन पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल जोधपुर किले (Jodhpur Fort) को बनाने के लिए किया गया था। सालों बाद बिश्नोई समाज का एक वंशज विशेक बिश्नोई (Vishek Vishnoi) अपने पूर्वजों को उनका सम्मान और हक दिलाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिये वो लोगों को पर्यावरण बचाने के लिये जागरूक करते हैं और लोगों से कहते हैं कि अगर दुनिया को ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) से बचाना है तो बिश्नोई समाज जैसी इच्छाशक्ति की जरूरत है।
राजस्थान के जोधपुर शहर (Jodhpur city of Rajasthan) में रहने वाले विशेक बिश्नोई (Vishek Vishnoi) पिछले 6 सालों से अकेले मिशन ग्लोबल ब्रांड 363 नाम से मुहीम चला रहे हैं। उनको इस काम की प्रेरणा अपने पिता राणाराम बिश्नोई (Ranaram Bishnoi) से मिली जो बिश्नोई समाज के पूर्वजों के काम से प्रभावित होकर पिछले 50 सालों में 50 हजार से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। विशेक बिश्नोई ने इंडिया मंत्रा (India Mantra) को बताया कि
जब मैंने ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की समस्या को देखा तो मुझे लगा कि बिश्नोई समाज (Bishnoi Samaj) के इस बलिदान को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाना चाहिए ताकि लोग जान सकें कि पर्यावरण की रक्षा के लिए कैसे लोगों ने जान दे दी। मेरा मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए ही आज पूरे विश्व तक इनके बलिदान को ले जाने की है। जिससे कि लोग भी जान सकें कि हमारे लिए पर्यावरण की रक्षा (protection of the environment) करना कितना जरूरी है।

विशेक और उनके पिता अब तक बबूल, कंकेडी, खेजड़ी, वींगनवेल, रोहिडा और भोग के पेड़ लगाये हैं। ये वो पेड़ हैं जो राजस्थान की जलवायु (Climate of Rajasthan) में जिंदा रह सकते हैं। यही नहीं विशेक ने बिश्नोई समाज को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर के अलावा अजमेर (Ajmer) और जोधपुर (Jodhpur) पर कई धरने और प्रदर्शन कर चुके हैं। उनकी इस मुहिम में आम लोग भी काफी संख्या जुड़ते हैं। हाल ही में उन्होने जोधपुर (Jodhpur) में कलेक्ट्रेट के सामने 5 दिन का धरना प्रदर्शन किया।
विशेक एक गरीब किसान परिवार से आते हैं और अपने पिता के साथ खेती करते हैं। उनके बड़े भाई कल्याण सिंह भारतीय सेना में हैं। विशेक का ज्यादातर वक्त अपनी मुहिम चलाने में निकलता है। पिछले 6 महीनों से उन्होने अपनी इस मुहिम में युवाओं को जोड़ने के उद्देश्य से सोशल मीडिया की मदद लेनी शुरू की है। इसके जरिये वो अपने काम को लोगों के सामने लाने की कोशिश करते हैं। यही वजह है कि लोगों से उनको काफी अच्छी प्रतिक्रियायें मिलती हैं। वो अपनी मुहिम के लिये सोशल मीडिया से ही फंड जुटाते हैं और इस पैसे का इस्तेमाल पोस्टर, बैनर और धरने से जुड़ी दूसरी चीजों पर करते हैं। सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिये विशेक की योजना जुलाई में अजमेर शहर (Ajmer city) में धरना प्रदर्शन करने की है। वो कहते हैं कि
देश में नेताओं के नाम पर इतनी सड़कें और स्मारक हैं और उनमें से कई ऐसे हैं जिनका देश सेवा में कोई योगदान नहीं है। जबकि बिश्नोई समाज के 363 लोगों ने केवल पेड़ और पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी जान दे दी उनको आज तक कोई पहचान नहीं मिली है।

प्रधानमंत्री मोदी से प्रभावित विशेक को उम्मीद है कि वो उनकी आवाज जरूर सुनेंगे। यही वजह है कि उन्होने अपनी मोटरसाइकिल और हेलमेट में स्लोगन लिखा है कि ‘मोदी जी मैं आ रहा हूं’। इसके अलावा उन्होने 6 महीने पहले 50 लोगों को इस तरह के हेलमेट बांटे, जिस पर लिखा था ‘मोदी जी हम आ रहे हैं’। पिछले 6 सालों से अकेले मुहिम चला रहे विशेक का कहना है कि आज के दौर में गरीब किसान की आवाज कोई नहीं सुनता यही वजह है कि अपनी मुहिम में युवाओं से मदद मांग रहे हैं।
अगर आप भी विशेक बिश्नोई (Vishek Vishnoi) की इस मुहिम में कोई उनकी कोई मदद करना चाहते हैं तो आप फेसबुक प्रोफाइल पर संपर्क कर सकते हैं या फोन (7728973921, 9950113686) के द्वारा भी सम्पर्क कर सकते हैं।Mangeelal (वार्ता) 13:42, 7 जनवरी 2018 (UTC)