समस्तीपुर जिला
समस्तीपुर भारत गणराज्य के बिहार प्रान्त में दरभंगा प्रमंडल स्थित एक शहर एवं जिला है। इसका मुख्यालय समस्तीपुर है। समस्तीपुर के उत्तर में दरभंगा, दक्षिण में गंगा नदी और पटना जिला, पश्चिम में मुजफ्फरपुर एवं वैशाली, तथा पूर्व में बेगूसराय एवं खगड़िया जिले है। यहाँ शिक्षा का माध्यम हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी है लेकिन बोल-चाल में मैथिली, मगही ]] बोली जाती है। इसे मिथिला का प्रवेश द्वार कहा जाता है। ये उपजाऊ कृषि प्रदेश है। समस्तीपुर पूर्व मध्य रेलवे का मंडल भी है। समस्तीपुर को मिथिला का 'प्रवेशद्वार' भी कहा जाता है।
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बिहार में समस्तीपुर ज़िले की अवस्थिति | |
राज्य |
बिहार भारत |
प्रभाग | दरभंगा |
मुख्यालय | समस्तीपुर |
क्षेत्रफल | 2,904 कि॰मी2 (1,121 वर्ग मील) |
जनसंख्या | 4,254,782 (2011) |
जनघनत्व | 1,465/किमी2 (3,790/मील2) |
साक्षरता | 63.81 % |
लिंगानुपात | 909 |
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | समस्तीपुर, उजियारपुर |
राजमार्ग | राष्ट्रीय राजमार्ग २८, राष्ट्रीय राजमार्ग १०३ |
आधिकारिक जालस्थल |
नामकरण
संपादित करेंसमस्तीपुर का परंपरागत नाम सरैसा है। इसका वर्तमान नाम मध्यकाल में बंगाल एवं उत्तरी बिहार के शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास (१३४५-१३५८ ईस्वी) के नाम पर पड़ा है। कुछ लोगों का मानना है कि इसका प्राचीन नाम सोमवती था जो बदलकर सोम वस्तीपुर फिर समवस्तीपुर और समस्तीपुर हो गया।
इतिहास
संपादित करेंसमस्तीपुर राजा जनक के मिथिला प्रदेश का अंग रहा है। विदेह राज्य का अन्त होने पर यह लिच्छवी गणराज्य का अंग बना। इसके पश्चात यह मगध के मौर्य, शुंग, कण्व और गुप्त शासकों के महान साम्राज्य का हिस्सा रहा। ह्वेनसांग के विवरणों से यह पता चलता है कि यह प्रदेश हर्षवर्धन के साम्राज्य के अंतर्गत था। १३ वीं सदी में पश्चिम बंगाल के मुसलमान शासक हाजी शम्सुद्दीन इलियास के समय मिथिला एवं तिरहुत क्षेत्रों का बँटवारा हो गया। उत्तरी भाग सुगौना के ओईनवार राजा (1325-1525 ईस्वी) के कब्जे में था जबकि दक्षिणी एवं पश्चिमी भाग शम्सुद्दीन इलियास के अधीन रहा। समस्तीपुर का नाम भी हाजी शम्सुद्दीन के नाम पर पड़ा है। शायद हिंदू और मुसलमान शासकों के बीच बँटा होने के कारण ही आज समस्तीपुर का सांप्रदायिक चरित्र समरसतापूर्ण है।
ओईनवार राजाओं को कला, संस्कृति और साहित्य का बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। शिवसिंह के पिता देवसिंह ने लहेरियासराय के पास देवकुली की स्थापना की थी। शिवसिंह के बाद यहाँ पद्मसिंह, हरिसिंह, नरसिंहदेव, धीरसिंह, भैरवसिंह, रामभद्र, लक्ष्मीनाथ, कामसनारायण राजा हुए। शिवसिंह तथा भैरवसिंह द्वारा जारी किए गए सोने एवं चाँदी के सिक्के यहाँ के इतिहास ज्ञान का अच्छा स्रोत है। अंग्रेजी राज कायम होने पर सन १८६५ में तिरहुत मंडल के अधीन समस्तीपुर अनुमंडल बनाया गया। बिहार राज्य जिला पुनर्गठन आयोग के रिपोर्ट के आधार पर इसे दरभंगा प्रमंडल के अंतर्गत १४ नवम्बर १९७२ को जिला बना दिया गया। अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध हुए स्वतंत्रता आंदोलन में समस्तीपुर के क्रांतिकारियों ने महती भूमिका निभायी थी। यहाँ से कर्पूरी ठाकुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के प्रथम सांसद स्व. सत्यनारायण सिन्हा लगातार चार बार सांसद रहे और कई बार कैबिनेट मंत्री भी रहे साथ ही जब इंदिरा गांधी राज्यसभा की सदस्य थीं तो इन्होंने लोकसभा के नेता सदन का कार्यभार भी संभाला है। अपने राजनीति के अंतिम चरण में ये मध्यप्रदेश के राज्यपाल के पद पर भी रहे। आकाशवाणी पर रामचरितमान पाठ शुरू करने केलिए सूचना प्रसारण मंत्री के रूप में इनका कार्यकाल सदा याद किया जाएगा।
भूगोल
संपादित करेंसमस्तीपुर २५.९० उत्तरी अक्षांश एवं ८६.०८ पूर्वी देशांतर पर अवस्थित है। सारा जिला उपजाऊ मैदानी क्षेत्र है किंतु हिमालय से निकलकर बहनेवाली नदियाँ बरसात के दिनों में बाढ़ लाती है।
नदियाँ : समस्तीपुर जिले के मध्य से बूढ़ी गण्डक, उत्तर में बागमती नदी एवं दक्षिणी तट पर गंगा बहती है। इसके अलावा यहाँ से बांया भाग में, जमुआरी, नून, बागमती की दूसरी शाखा और शान्ति नदी भी बहती है जो बरसात के दिनों में उग्र रूप धारण कर लेती है।
प्रशासनिक विभाजन: यह जिला ४ तहसीलों (अनुमंडल), २० प्रखंडों, ३८० पंचायतों तथा १२४८ राजस्व गाँवों में बँटा है।
अनुमंडल- दलसिंहसराय, शाहपुर पटोरी, रोसड़ा, समस्तीपुर सदर
प्रखंड- दलसिंहसराय, उजियारपुर, विद्यापतिनगर, पटोरी, मोहनपुर,मोहिउद्दीनगर, रोसड़ा, हसनपुर, बिथान, सिंघिया, विभूतीपुर, शिवाजीनगर, समस्तीपुर, कल्याणपुर, वारिसनगर, खानपुर, पूसा, ताजपुर, मोरवा, सरायरंजन
जनसांख्यिकी
संपादित करें2011 की जनगणना के अनुसार इस जिले की जनसंख्या 4,261,566 है जिसमें पुरुष की आबादी 2,230,003 एवं 2,031,563 स्त्रियाँ है।[1] १८·५२% जनसंख्या अनुसूचित जाति की तथा ०·१% जनसंख्या अनुसूचित जनजाति की है। मानव विकास सूचिकांक काफी नीचे है जिसकी पुष्टि इन आँकड़ो से होती है:-
- साक्षरता: ४५·१३% (पुरुष-५७·५९%, स्त्री- ३१·६७%)
- जनसंख्या वृद्धि दरः २·५२% (वार्षिक)
- स्त्री-पुरुष अनुपातः ९२८ प्रति १०००[1]
- घनत्वः ११६९ प्रति वर्ग किलोमीटर
महत्वपूर्ण व्यक्तित्व
संपादित करें- दार्शनिक : गदाधर पंडित, शंकर, वाचस्पति मिश्र, उदयनाचार्य, अमर्त्यकार, अमियकर आदि
- स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ : पंडित यमुना कर्जी (किसान नेता स्वामी सहजानन्द सरस्वती के सहयोगी), सत्य नारायण सिन्हा (पूर्व राज्यपाल एवं चार बार लोक सभा सदस्य), कर्पूरी ठाकुर (दो बार बिहार के मुख्यमंत्री), बलिराम भगत (पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं लोकसभा अध्यक्ष), गया प्रसाद शर्मा (स्वतंत्रता संग्राम में ११ बार जेल गये), रामविलास पासवान (हाजीपुर से चार बार लोकसभा सदस्य एवं लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष), सैय्यद शाहनवाज हुसैन (भारतीय जनता पार्टी नेता एवं सांसद), रामनाथ ठाकुर (कर्पूरी ठाकुर के पुत्र एवं विधायक)
- साहित्यकार एवं कलाकार : महान मैथिली कवि विद्यापति, बिहारकोकिला मैथिली गायिका शारदा सिन्हा चंद्रकांता उपन्यास के लेखक श्री देवकीनंदन खत्री समस्तीपुर पूसा के हैं।
शिक्षा
संपादित करेंराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय[2] समस्तीपुर जिले में पूसा नामक स्थान पर है, इसके अलावा कोई अन्य उच्च स्तरीय तकनीकी शिक्षा संस्थान यहाँ नहीं है। प्राथमिक शिक्षा की स्थिति संतोषजनक है। २००१ की जनगणना के अनुसार जिले में साक्षरता दर[3] ४५.६७% (पुरुष: ५७.८३, स्त्री: ३२.६९) है। समस्तीपुर तथा पूसा में केन्द्रीय विद्यालय तथा बिरौली में जवाहर नवोदय विद्यालय स्थित है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभन्गा के अंतर्गत जिले में निम्नलिखित अंगीभूत स्नातक महाविद्यालय हैं:
- आचार्य नरेन्द्रदेव महाविद्यालय शाहपुर पटोरी
- बलिराम भगत महाविद्यालय समस्तीपुरज
- समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर
- महिला महाविद्यालय समस्तीपुर
- आर एन ए आर कॉलेज समस्तीपुर
- डा लोहिया कर्पूरी विशेश्वरदास महाविद्यालय ताजपुर
- डी बी के एन महाविद्यालय नरहन
- आर बी कॉलेज दलसिंहसराय
- जी एम आर डी कॉलेज मोहनपुर
- आर बी एस कॉलेज मोहिउद्दीननगर
- उमा पांडे कॉलेज पूसा
- यू आर कॉलेज रोषड़ा
- सिंघिया कॉलेज सिंघिया
पर्यटन स्थल
संपादित करेंबन्दा : बन्दा समस्तीपुर जिला का सबसे अच्छा और विद्वानों का स्थल माना जाता है। बन्दा में एक विशाल मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, जिसका नाम मानस मंदिर बन्दा है।।। बन्दा के नेता कहलाने वाले राधा कांत राय , राम प्रताप राय , विश्व्नाथ राय , नागेंद्र राय। बन्दा वासी की कोई भी समस्या हो वो अपनी समस्या गाँव के साथ बांटते है।। राधे राधे।। यहाँ की अमृत वाणी है।।।
- ताजपुर: ताजपुर आर्थिक और सामाजिक रूप से समस्तीपुर का सबसे महत्वपूर्ण शहर में से एक है। मुजफ्फरपुर से समस्तीपुर को जोड़ने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 28 ताजपुर से होके गुजरती है एवं पटना से हाजीपुर मोरवा होते हुए राजमार्ग है जो ताजपुर को जोड़ती है इसके अलावा गढ़िया पूसा मार्ग जो की भारत के पहले कृषि विश्वविद्यालय को जाता है ताजपुर से गुजरता है। मुख्यमंत्री ने ताजपुर - बख्तियारपुर 6 लेन सड़क मार्ग की घोषणा की जो उत्तर बिहार का पटना से यातायात सुगम करेगा जिसका निर्माण प्रगति में है। ताजपुर में अभी सीमेंट फैक्ट्री का निर्माण भी हो रहा है जो की लगभग पूरा हो गया है और 2024 से उत्पादन कार्य शुरू होने की संभावना है।
ताजपुर में क्रमश DR.L.K.V.D COLLEGE, जल जीवन हरियाली पार्क , विभिन्न बेहतरीन स्थापत्य एवं शिल्प कला के धनी मंदिर, मदरसा अजाजिया साल्फिया रहीमाबाद और उसकी जमा मस्जिद आदि घूमने लायक जगह है।
ताजपुर का दुर्गा पूजा और रावण दहन जिले में अतिप्रसिद्ध है। उसके अलावा रामनवमी जुलूस,बजरंग जुलूस और मोहर्रम का ताजिया जुलूस मनमोहक और अति आनन्द देने वाला होता है। इन सबके अलावा ताजपुर बाजार और यहां की होटल, रेस्त्रा, मॉल, रेस्टुरेंट और दुकानों की चकाचौंध शाम के वक्त देखते ही बनती है। हालांकि ताजपुर कुछ मामलों में शासन द्वारा अपेक्षित है जैसे की ताजपुर की दशकों पुरानी मांग की ताजपुर में एक उच्च स्तर का रेलवे स्टेशन हो आजतक पूरा नहीं किया गया। ताजपुर अंग्रेजी हुकूमत के काल में अनुमंडल था और आज इसका स्तर प्रखंड का है इसे अनुमंडल बनाने की मांग भी अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। ताजपुर का पुरानी बाजार लगभग 1000 साल पहले से ताजपुर कहलाता था हालांकि आज ये ताजपुर का छोटा भाग है और ताजपुर काफी विस्तृत हो के आस पास के छोटे गांव इलाका को खुद में समा चुका है।
- पूसा: पूसा में भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय और अनुसंधान केंद्र अंग्रेजी हुकूमत द्वारा स्थापित किया गया था और ये आज भी कृषि क्षेत्र में क्रांति करता रहता है।
राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा एक घूमने लायक और ज्ञान बढाने वाला स्थान है।
- विद्यापतिनगर: शिव के अनन्य भक्त एवं महान मैथिल कवि विद्यापति ने यहाँ गंगा तट पर अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए थे। ऐसी मान्यता है कि अपनी बिमारी के कारण विद्यापति जब गंगातट जाने में असमर्थ थे तो गंगा ने अपनी धारा बदल ली और उनके आश्रम के पास से बहने लगी। वह आश्रम लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
- बाबा हरिहरनाथ महादेव मंदिर: बाबा हरिहरनाथ महादेव मंदिर, ग्राम हरिहरपुर खेढ़ी, प्रखंड खानपुर, जिला समस्तीपुर, बिहार। यह बाबा का स्थान समस्तीपुर से 18 किलोमीटर दूर पुर्व दिशा मे स्थित हैं। इसी पंचायत मे मसिना कोठी हैं जो अंग्रेज के समय का कोठी हैं यहाँ पर उस समय मैं नील की खेती करवाते थे लेकिन देश आजाद होने के बाद यहाँ पर अब मक्के की खेती एवं अन्य फसल का अनुसन्धान केंद्र बन गया हैं यहाँ के द्वारा तैयार किया हुआ बीज दूर दूर तक पहुचाया जाता हैं। इसके निकट के गाँव भोरेजयराम हैं जिसकी खेती करने का जमीन २२ सो एकर के आस पास हैं जहा मक्के की खेती की जाती है। यह स्थान बूढी गंडक नदी के तटबंध किनारे स्थित हैं। इस मंदिर का निर्माण बछौली मुरियारो के स्वर्गीय धोली महतो ने अपनी मनोकामना पूर्ण हो जाने के बाद कराया था। इस मंदिर परिसर में बजरंगबली, माँ दुर्गा , श्री गणेश मंदिर भी है। यह मंदिर अपने शिवरात्री महोत्सव के लिये भी काफी प्रसिद्ध है। इस मन्दिर का उल्लेख होली के समय आकाशवाणी से प्रसारित गानो मे भी होता है। स्थानीय लोगों में इस मंदिर की बड़ी प्रतिष्ठा है और लोगों में ऐसा विश्वास है कि यहाँ पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है।
- करियनः महामहिषी कुमारिलभट्ट के शिष्य महान दार्शनिक उदयनाचार्य का जन्म ९८४ ईस्वी में शिवाजीनगर प्रखंड के करियन गाँव में हुआ था। उदयनाचार्य ने न्याय, दर्शन एवं तर्क के क्षेत्र में लक्षमणमाला, न्यायकुशमांजिली, आत्मतत्वविवेक, किरणावली आदि पुस्तकें लिखी जिनपर अनगिनत संस्थानों में शोध चल रहा है। दुर्भाग्य से यह महत्वपूर्ण स्थल सरकार की उपेक्षा का शिकार है।[4]
- मालीनगर: यहाँ १८४४ में बना शिवमंदिर है जहाँ प्रत्येक वर्ष रामनवमी को मेला लगता है। मालीनगर हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार बाबू देवकी नन्दन खत्री एवं शिक्षाविद राम सूरत ठाकुर की जन्म स्थली भी है।[5]
- मंगलगढ: यह स्थान हसनपुर से १४ किलोमीटर दूर है जहाँ प्राचीन किले का अवशेष है। यहाँ के स्थानीय शासक मंगलदेव के निमंत्रण पर महात्मा बुद्ध संघ प्रचार के लिए आए थे। उन्होंने यहाँ रात्रि विश्राम भी किया था। जिस स्थान पर बुद्ध ने अपना उपदेश दिया था वह बुद्धपुरा कहलाता था जो अब अपभ्रंश होकर दूधपुरा हो गया है।
- मोहम्मद पुर कोआरी: पुसा प्रखंड मे स्थित मोहम्मद पुर कोआरी एक एेतिहासिक गाँव है। इस गाँव मे मस्जिदो की सुन्दरता देखते ही बनती है।
- जगेश्वरस्थान (बिभूतिपुर): नरहन रेलवे स्टेशन से १५ किलोमीटर की दूरी पर बिभूतिपुर में जगेश्वरीदेवी का बनवाया शिव मंदिर है। अंग्रेजों के समय का नरहन एक रजवाड़ा था जिसका भव्य महल बिभूतिपुर में मौजूद है। जगेश्वरी देवी नरहन स्टेट के वैद्य भाव मिश्र की बेटी थी।
- रहीमाबाद: ताजपुर प्रखंड मे स्थित यह कस्बा अपने एेतिहासिक मदरसा अजीजीया सलफ़ीया के लिए विख्यात है।
- मोरवा अंचल में खुदनेस्वर महादेव मंदिर की स्थापना एक मुस्लिम द्वारा यहाँ शिवलिंग मिलने पर की गयी थी। मंदिर के साथ ही महिला मुस्लिम संत की मजार हिंदू और मुस्लिम द्वारा एक साथ पूजित है।
- मुसरीघरारी: राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर स्थित यह एक कस्बा है जहाँ का मुहरर्म तथा दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन होता है।
- संत दरियासाहेब का आश्रम: बिहार के सूफी संत दरिया साहेब का आश्रम जिले के दक्षिणी सीमा पर गंगा तट पर बसा गाँव धमौन में बना है। यहाँ निरंजन स्वामी का मंदिर भी है।
- थानेश्वर शिवमंदिर, खाटू-श्याम मंदिर एवं कालीपीठ समस्तीपुर जिला मुख्यालय का महत्वपूर्ण पूजा स्थल है।
- शाहपुर बघौनी:ताजपुर प्रखंड मे स्थित एक सुन्दर सा गाँव है। इस गाँव मे 12 मनमोहक मस्जिदे है। शाहपुर बघौनी के मस्जिदो की सुन्दरता मन मोह लेती है|
- माँ सती का मंदिर : धोवगामा स्थित 500 वर्ष पुराना मंदिर।
- रंजितपुर-माँ वैष्णवी मंदिर"' यह समस्तीपुर से १५ किलो मीटर पूरब रंजितपुर गांव में यह मंदिर स्थित है। यहाँ चैती नवरात्रि में माता रानी की पूजा एवं भव्य मेला का आयोजन किया जाता हैं, यहां की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से पूजते है उनके हरेक मनोकामना पूर्ण होती है!
- किशनपुर बैकुंठ - यह समस्तीपुर जिले से 23 किलोमीटर दूर वारिसनगर प्रखंड के अंतर्गत बसंतपुर रमणी पंचायत का एक संतोषजनक शिक्षित गाँव, और यहाँ दर्शनयोग्य श्री बाबा बैकुंठनाथ महादेव मंदिर है जिसके बारे में लोककथा यह है कि एक बार एक व्यक्ति जहर खाये एक व्यक्ति को उसके परिजनों ने यहाँ लाया तो उसके स्वास्थ्य में सुधार आने लगा।
- माँ काली शक्तिपीठ भी यहाँ दर्शन योग्य है जिसका स्थापना सन 1964 में किया गया था।
- अख्तियार पुर(चन्दौली): पुसा प्रखंड मे स्थित है। यहा मुहर्रम का भव्य आयोजन होता है,तथा हिन्दु मुस्लिम सभी मिलके ताजिया निकालते है।
यातायात सुविधाएँ
संपादित करें- सड़क मार्ग
समस्तीपुर बिहार के सभी मुख्य शहरों से राजमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। यहाँ से वर्तमान में दो राष्ट्रीय राजमार्ग तथा तीन राजकीय राजमार्ग गुजरते हैं। मुजफ्फरपुर, मोतिहारी होते हुए लखनऊ तक जानेवाली राष्ट्रीय राजमार्ग २८ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 103 जिले को चकलालशाही, जन्दाहा, चकसिकन्दर होते हुए वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से जोड़ता है। हाजीपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 19 पर महात्मा गाँधी सेतु से होकर राजधानी पटना जाया जाता है। जिले में राजकीय राजमार्ग संख्या ४९, ५० तथा ५५ की कुल लंबाई ८७ किलोमीटर है।
- रेल मार्ग
समस्तीपुर भारतीय रेल के [नक्शे] का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। यह पूर्व मध्य रेलवे का एक मंडल है। दिल्ली-गुवाहाटी रूट पर स्थित रेल लाईनें एक ओर शहर को मुजफ्फरपुर,हाजीपुर, छपड़ा होते हुए दिल्ली से और दूसरी ओर बरौनी, कटिहार होते हुए गुवाहाटी से जोड़ती है। इसके अतिरिक्त यहाँ से मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, अहमदाबाद, जम्मू, अमृतसर, गुवाहाटी तथा देश के अन्य महत्वपूर्ण शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
- वायु मार्ग
समस्तीपुर का निकटस्थ हवाई अड्डा 30 किलोमीटर दूर दरभंगा में स्थित है। बाबा विद्यापति हवाई अड्डा दरभंगा (IATA कोड- DBR) से अंतर्देशीय तथा सीमित अन्तर्राष्ट्रीय उड़ाने उपलब्ध है। इंडियन, किंगफिशर, जेट एयर, स्पाइस जेट तथा इंडिगो की उडानें दिल्ली, कोलकाता और राँची के लिए उपलब्ध हैं।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ [1] Archived 2011-07-21 at the वेबैक मशीन समस्तीपुर एक नजर में
- ↑ "राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जालपृष्ठ". मूल से 4 नवंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2018.
- ↑ "बिहार मे साक्षरता दर". मूल से 24 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 सितंबर 2018.
- ↑ [2] Archived 2012-03-23 at the वेबैक मशीन उदयनाचार्य की जन्मभूमि पर जागरण समाचार
- ↑ [3] Archived 2019-03-28 at the वेबैक मशीन अंग्रेजी विकिपीडिया पर समस्तीपुर