शक्ति दान कविया

डिंगल, राजस्थानी, हिंदी और ब्रज-भाषा के विद्वान कवि और लेखक

डॉ. शक्ति दान कविया (17 जुलाई 1940 - 13 जनवरी 2021) राजस्थान से एक कवि, लेखक, आलोचक और विद्वान थे। डॉ. कविया जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में हिंदीराजस्थानी के विभाग प्रमुख के पद पर रह चुके थे। उन्हें डिंगल ( राजस्थानी ) साहित्य के एक विशेषज्ञ के साथ हिंदी और ब्रज-भाषा के एक महान विद्वान के रूप में जाना जाता था। डॉ. कविया अपनी कृति ''धरती घणी रुपाळी' लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित थे।[1][2]

डॉ.
शक्ति दान कविया
जन्म17 जुलाई 1940
बिराई, जोधपुर रियासत
मौत13 जनवरी 2021(2021-01-13) (उम्र 80 वर्ष)
पेशा
भाषा
राष्ट्रीयताभारत
उच्च शिक्षाएसकेएस कॉलेज-जोधपुर
(कला स्नातक)
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय
(पीएचडी)
खिताबसाहित्य अकादमी पुरस्कार(1993)

राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार(1982)
कविश्री काग बापू लोक साहित्य पुरस्कार (2013)

ब्रज भाषा अकादमी पुरस्कार
बच्चे5
रिश्तेदारठा. अलसीदान जी रतनू
(जैसलमर रियासत के राज-कवि)

प्रारंभिक जीवन और परिवार

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शक्ति दान कविया का जन्म 17 जुलाई 1940 को राजस्थान के जोधपुर ज़िले के बिराई गांव में हुआ था। उनके पिता गोविंद दान जी कविया राजस्थानी (डिंगल) और ब्रज साहित्य के विद्वान थे।[3]

उनके मामाजी ठा. अलसीदान जी रतनू (बारठ का गांव)जैसलमेर राज्य|जैसलमेर]] रियासत के राज-कवि थे।1956 में, शक्ति दान का विवाह सिंध के खारोड़ा गाँव के लहर कंवर से हुआ था। डॉ. कविया के पांच पुत्र हैं: [4]

  • वीरेंद्र कविया
  • मनजीत सिंह कविया
  • नरपत दान कविया
  • हिम्मत सिंह कविया
  • वासुदेव कविया

Source[4]

डॉ. कविया ने बालेसर सरकारी स्कूल और मथानिया स्कूल से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण की। मैट्रिक परीक्षा के लिए वह जोधपुर के चोपासनी स्कूल गए। मथानिया स्कूल में अपनी पढ़ाई के दौरान वह पद्म-श्री सीता राम लालस के एक छात्र थे, जिन्होंने राजस्थानी भाषा का पहला शब्दकोश राजस्थानी सबदकोस का निर्माण किया था ।

जोधपुर में अपनी शिक्षा के दौरान कविया ने सामाजिक, साहित्य और वाद -विवाद कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने वाक प्रदर्शन के लिए सम्मान प्राप्त किया। उन्होंने राजस्थानी और हिंदी कविता कार्यक्रमों के साथ-साथ अंग्रेजी कार्यों का राजस्थानी में अनुवाद भी किया।

कम उम्र में भी, शक्ति दान महत्वपूर्ण साहित्यकारों और गणमान्य व्यक्तियों के संपर्क में आ चुके थे। 1951 में, जब शक्ति दान पांचवीं कक्षा में थे, तब उनका शंकर दान जी देथा (लिम्बडी-काठियावाड़ के राज-कवि) के साथ पत्राचार प्रारम्भ हो चुका था। छठी कक्षा की स्कूली शिक्षा में, कविया ने साधना प्रेस (जोधपुर) में हिंदू देवी करणी माता को समर्पित अपनी रचना 'श्री करनी यश प्रकाश' शीर्षक से प्रकाशित की। विश्वविद्यालय में अपनी कला स्नातक की पढ़ाई के दौरान, कविया ने थॉमस ग्रे की अंग्रेजी कविता एलीजी का राजस्थानी में अनुवाद किया और हिंदी में इसका अर्थ लिखा। यह राजस्थानी प्रतिपादन और इससे जुड़ा हिंदी सार 1959 में मासिक प्रेरणा पत्रिका के अप्रैल संस्करण में प्रकाशित हुआ था।

शक्ति दान एसकेएस कॉलेज (जोधपुर) के पहले ऐसे छात्र थे, जिनकी कविताओं और रचनाओं को आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) जयपुर में नियमित प्रसारण के लिए चुना गया था। बाद में, वे आकाशवाणी कार्यक्रम सलाहकार समिति के निर्वाचित सदस्य भी बने।

1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भी डॉ. कविया सक्रिय थे और इस विषय पर उनकी डिंगल और ब्रज कविताएँ नियमित रूप से प्रकाशित होती थीं।

1964 में, जब जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने अपनी वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया, तब शक्ति दान ने इसके राजस्थानी भाग के सलाहकार के रूप में कार्य किया।

1969 में, शक्ति दान ने अपनी पीएच.डी. जोधपुर विश्वविद्यालय से 'डिंगल के ऐतिहासिक प्रबंधन काव्य' नामक शोध थीसिस पर पूर्ण की।

शक्ति दान कविया ने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर में एक व्याख्याता के रूप में प्रवेश लिया और 40 वर्षों तक संस्थान का हिस्सा रहे। 17 वर्षों तक उन्होंने हिंदी विभाग में और 20 वर्षों तक उन्होंने राजस्थानी विभाग में व्यख्याता के रूप में अध्यापन किया ।[4]

डॉ. कविया साहित्य के महान विद्वान थे। उनकी रचनाएँ राजस्थानी, डिंगल, हिंदी और ब्रज साहित्य पर केंद्रित थीं। कविया ने तीन बार जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में राजस्थानी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। [5]

1974-75 में, राजस्थानी भाषा को साहित्य अकादमी द्वारा मान्यता दी गई और जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने स्नातक स्तर पर पहली बार राजस्थानी कक्षाएं शुरू कीं। तीन छात्रों की कम संख्या के बावजूद, शक्ति दान काविया ने पहले बैच को पढ़ाने की जिम्मेदारी स्वीकार की और छात्रों को पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए राजी किया, अंततः छात्रों की संख्या बढ़ाकर 19 कर दी। उन्हें संस्था के इतिहास में पहले व्याख्याता के रूप में श्रेय दिया जाता है, जिन्होंने डिंगल साहित्य को व्यापक रूप से पढ़ाया। राजस्थानी के विभाग प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, जेएनवीयू विश्वविद्यालय राजस्थानी भाषा में एमफिल पाठ्यक्रम की पेशकश करने वाला दुनिया का पहला विश्वविद्यालय बन गया।[4]

1993 में, डॉ. कविया को 'धरती घणी रुपाळी 'के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो रामेश्वर लाल खंडेलवाल द्वारा तरुण कविता की 20 कविताओं का राजस्थानी अनुवाद था। [6]

डॉ. कविया ने डिंगल कविता में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और इसे बढ़ावा दिया।उन्होंने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में डिंगल कविता का एक परिचयात्मक गायन प्रदर्शन दिया। उन्हें "राजस्थानी डिंगल कविता का महान विशेषज्ञ" भी कहा गया है। [7]

डॉ. कविया की कृतियों का अकादमिक उपयोग

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Source[4]

शैक्षणिक सत्र 1976-77 के लिए, शक्ति दान काविया द्वारा रंगभीनी को कला अध्ययन के द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम के द्वारा रंगभीनी को पाठ्यपुस्तक में जोड़ा गया था।

शक्ति दान कविया द्वारा रचित, डिंगल भाषा में राजस्थानी लोक कथाओं का एक संग्रह, 1964-65 और 1965-67 के 2 शैक्षणिक सत्रों के लिए एमए हिंदी के पाठ्यक्रम का हिस्सा था। बाद में, यह विषय के लिए एक संदर्भ पुस्तक बन गई।

संस्कृति री सोरम

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1986 में, डॉ. कविया को संस्कृत री सोरम नामक निबंध संकलन के लिए पहला सूर्यमल मिश्रण शिखर पुरस्कार मिला।1993 से 2000 तक महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर में राजस्थानी वैकल्पिक पेपर के लिए 'संस्कृति री सोरम' आधिकारिक पाठ्यक्रम का हिस्सा था।

धरती घणी रुपाळी

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डॉ. कविया को उनकी कविता कृति 'धरती घणी रुपाळी ' के लिए 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।

शैक्षणिक संस्थाएं

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Source[4]

डॉ. कविया केके बिड़ला फाउंडेशन (नई दिल्ली), साहित्य अकादमी (नई दिल्ली), और लखोटिया अवार्ड्स (नई दिल्ली) सहित कई साहित्य संस्थाओं में पुरस्कार निर्णय पैनल सदस्य थे।

साहित्य अकादमी

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हिंदी, राजस्थानी और ब्रज साहित्य में अपने अपार ज्ञान और योगदान के कारण, डॉ. कविया राजस्थानी, हिंदी और ब्रजभाषा तीनों संबंधित साहित्य अकादमी के सदस्य रहे।

इटली का दौरा और ट्राएस्टे विश्वविद्यालय

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1987 में, डॉ. कविया ने डिंगल पर एक विशेषज्ञ के रूप में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य संगोष्ठी के लिए इटली की यात्रा की। संगोष्ठी 8 दिनों तक चली जहां उन्होंने डिंगल कविता पर ध्यान आकर्षित किया। इटली में डॉ. कविया ने 'राजस्थानी साहित्य में एल.पी. टेसिटोरी का योगदान' विषय पर व्याख्यान भी दिया। ट्रिएस्ट विश्वविद्यालय में डॉ. काविया ने डिंगल साहित्य पर व्याख्यान दिया। [4]

डॉ. शक्ति दान कविया का 13 जनवरी 2021 को 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थे।[3]

डॉ. आईदान सिंह भाटी, डॉ. गजादान चारण, मोहन सिंह रतनू, डॉ. मिनाक्सी बोराना, डॉ. गजसिंह राजपुरोहित, डॉ. भंवरलाल सुथार, डॉ. सुखदेव राव, और डॉ इंद्र दान चारण सहित पूरे राजस्थान के विद्वानों और साहित्यकारों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। डिंगल भाषा और साहित्य को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने में उनके अपार योगदान के कारण डॉ. कविया को "डिंगल भाषा का सूर्य" कहा जाता है। [8] [9]

डॉ. कविया के शोध कार्यों का अंग्रेजी, इतालवी और गुजराती में भी अनुवाद और प्रकाशन किया गया है। उन्हें कई वृत्तचित्रों और टेलीफिल्मों में जोरदार डिंगल पाठ के लिए श्रेय दिया गया है।[4]

शैक्षणिक पद व अन्य दायित्व

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  • जोधुपर विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष एवं सीनेट एकेडमिक काउसिंल सदस्य
  • रिसर्च बोर्ड सदस्य एवं राजस्थानी पाठ्‌यक्रम समिति संयोजक
  • राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी
  • राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर-सरस्वती सभा के सदस्य
  • राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर-कार्यसमिति सदस्य
  • विश्वविद्यालयों और राज. लोक सेवा आयोग की राजस्थानी पाठयक्रम समिति के सदस्य
  • आकाशवाणी केन्द्र जोधपुर-कार्यक्रम सलाहकार समिति सदस्य
  • अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर की एकेडेमिक काउंसिल के मनोनीत सदस्य
  • चौपासनी शिक्षा समिति-कार्यकारिणी सदस्य।
  • विश्वविद्यालय में हिंदी और राजस्थानी के मान्यता प्राप्त शोध-निर्देशक।
  • मरुभारती, परम्परा, वरदा, विश्वम्भरा आदि पत्रिकाओं के परामर्श-मंडल सदस्य
  • राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर की सामान्य सभा के सदस्य

पुरस्कार और उपलब्धियां

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Source[8]

  • राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर: राजस्थानी पद्य पुरस्कार (1982)
  • राजस्थानी ग्रेजुएट्‌स एसोसिएशन मुम्बई पुरस्कार (1984)
  • भारतीय भाषा परिषद कोलकाता पुरस्कार (1985)
  • राजस्थान रत्नाकर, नई दिल्ली: महेंद्र जाजोदिया पुरस्कार (1986)
  • राजभाषा और संस्कृति अकादमी, बीकानेर: सूर्यमल्ल मिश्रण शिखर पुरस्कार (1986)
  • महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन, उदयपुर: महाराणा कुंभा पुरस्कार (1993)
  • श्री द्वारका सेवानिधि ट्रस्ट, जयपुर: राजस्थानी पुरस्कार (1993)
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार, नई दिल्ली: राजस्थानी अनुवाद पुरस्कार (1993)
  • साहित्य समिति, बिसाऊ: राजस्थानी साहित्य पुरस्कार (1994)।
  • घनश्यामदास सराफ साहित्य पुरस्कार, मुंबई (2003)
  • फुलचंद बांठिया पुरस्कार, बीकानेर (2003)
  • लखोटिया पुरस्कार, नई दिल्ली (2005)
  • कमला गोयनका राजस्थानी साहित्य पुरस्कार मुंबई (2005)
  • पद्म श्री काग बापू ट्रस्ट, गुजरात: कविश्री काग बापू लोक साहित्य पुरस्कार (2013)
  • राजस्थानी भाषा और संस्कृति अकादमी: महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ पुरस्कार (2013)
  • ब्रज भाषा अकादमी पुरस्कार

राजस्थानी भाषा में प्रकाशित रचनाएँ

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Source[10]

  • संस्कृति री सौरम (निबंध-संग्रै) [11]
  • सपूतां री धरती (काव्य-संग्रै) [11]
  • दारू-दूषण: डिंगळ शैली में सोरठाबद्ध काव्य (दूहा-संग्रै)- शक्तिदान कविया [12]
  • पद्मश्री डॉ. लक्ष्मीकुमारी चुंडावत (जीवनवृत्त)
  • धरा सुरंगी धाट (काव्य-संग्रै)
  • धोरां री धरोहर (काव्य-संग्रै)
  • प्रस्तावना री पीलजोत (राजस्थानी निबंध) [13]
  • अेलीजी (अनुवाद)
  • धरती घणी रुपाळी (पद्यानुवाद)
  • रूंख रसायण
  • संबोध सतसई
  • सोनगिर साकौ
  • गीत गुणमाल
  • दुर्गा सातसी [14]

हिन्दी भाषा में प्रकाशित रचनाएँ

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  • राजस्थानी साहित्य का अनुशीलन 1984 (निबंध-संग्रह)[15]
  • शक्तिदान कविया, डिंगल के ऐतिहासिक प्रबंध काव्य (शोध-प्रबंध) (संवत 1700 से 2000 vi) 1997. जोधपुर, साइंटिफिक पब्लिशर्स।[16]
  • राजस्थानी काव्य में संस्कृतिक गौरव 2004 (निबंध-सत्र)[17]

ऐतिहासिक कार्यों का संपादन

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Sources[18][1]

  • शक्ति दान कविया द्वारा राजिया रा सोरठा (राजस्थानी दोहे), 1990. (जोधपुर: राजस्थानी ग्रंथागार)[19]
  • शक्ति दान कविया द्वारा उमरदान ग्रंथावली (जनकवि उमरदान की जीवनी और काव्य कृतियाँ)(2009)[20]
  • काव्य कुसुम (संपादन-1966 ई.)
  • लाखीणी (संपादन-1963 ई.)
  • रंगभीनी (संपादन-1965 ई.)
  • दरजी मायाराम री वात
  • कविमत मंडण
  • फूल सारू पांखड़ी (विविधा) (1965)[21]
  • भगती री भागीरथी
  • राजस्थानी दुहा संग्रह
  • मान-प्रकास

राजस्थानी भाषा में प्रकाशित शोध-पत्र

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Source[4]

1. मातृभाषा में शिक्षण अर राजस्थानी जेएनवी वि. वि. जोधपुर 1967
2. राजस्थानी भाषा रै सवाल ललकार 1967
3. राजस्थानी भाषा री विशेषतावां लाडेसर 1968
4. लारला पच्चीस बरसां में डिंगळ काव्य जाणकारी 1968
5. चौमासै रौ चाव जो. वि. वि. पत्रिका 1970
6. करसां रौ करणधार : बलदेवराम मिर्धा स्मारिका 1977
7. डिंगळ कवि देवकरण इन्दोकली चारण साहित्य 1977
8. भक्तकवि अलूजी कविया जागती जोत (नवम्बर) 1981
9. भक्त कवि ईसरदासजी रा अज्ञात ग्रंथ जागती जोत (मई) 1982
10. पश्चिमी राजस्थान रा चारण संत कवि चितारणी 1982
11. राजस्थान रा तीज तिंवार माणक (अप्रेल) 1982
12. महात्मा ईसरदासजी माणक (जून) 1982
13. राज. में साहित्यकार सम्मान री परंपरा माणक (फरवरी) 1983
14. डिंगळ गीतां रौ सांस्कृतिक महत्व जो. वि. वि. पत्रिका 1983
15. राजस्थानी साहित्य में वीर रस माणक (जनवरी) 1984
16. सीतारामजी माटसाब : जूनी यादां जागतीजोत (दिसम्बर) 1987
17. जोधांणा रौ सपूत कानसिंह परिहार अभि. ग्रंथ 1989
18. सांस्कृतिक राजस्थान माणक (अगस्त-सितम्बर) 1989
19. राजस्थानी साहित्य में रांमकथा माणक 1992
20. प्रिथीराज राठौड़ अर डिंगळ गीत वैचारिकी 1993
21. राजस्थानी संस्कृति री ओळखांण माहेश्वरी स्मारिका 1994
22. बाला सतीमाता रूपकंवर क्षत्रिय दर्शन 1995
23. रंग-रंगीलै राजस्थान री संस्कृति माणक (अप्रेल) 1997
24. प्रेम अर प्रकृति रौ पारंगत कवि डॉ नारायणसिंह भाटी जागती जोत (अप्रेल) 2004

हिन्दी भाषा में प्रकाशित शोध-पत्र

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Source[4]

1. सम्पत्ति का संप्रभुत्व प्रेरणा 1959
2. कविवर नाथूदानजी बारहठ प्रेरणा 1959
3. डिंगल में अफीमची आलोचना प्रेरणा 1961
4. आदर्श परम्परा के अवशेष अभयदूत 1962
5. गोविन्द विलास ग्रन्थ; एक विवेचन प्रेरणा 1964
6. महाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण और निराला के वीरकाव्य का तुलनात्मक अध्ययन जोधपुर विश्वविद्यालय पत्रिका 1958
7. पी. एन. श्रीवास्तव के काव्य का मूल्यांकन ललकार 1968
8. भारतीय संस्कृति और डिंगल साहित्य संस्कृति प्रवाह 1969
9. मोतीसर जाति और उसका साहित्य राजस्थान अनुशीलन 1970
10. राजस्थान के जीवन और साहित्य का सौष्ठव जेएनवी वि. वि. पत्रिका 1970
11. राजस्थानी लोक साहित्य की विशेषताएं चेतन प्रहरी 1970
12. सूरज प्रकाश ग्रन्य; एक विवेचन तरुण राजस्थान 1970
13. विद्यार्थी और विद्रोह तरुण-शक्ति 1973
14. चारणों की कर्त्तव्यनिष्ठा और प्रतिष्ठा चारण साहित्य (अंक-1) 1977
15. डिंगल काव्य में गांधी वर्णन चारण साहित्य (अंक-2) 1977
16. राजस्थानी मर्सिया काव्य चारण साहित्य (अंक-3) 1977
17. राजस्थानी रामभक्ति-काव्य चारण साहित्य (अंक-4) 1977
18. डिंगल साहित्य में ऊर्जस्वी जीवन कर्मठ राजस्थान 1981
19. डिंगल शब्द की सही व्युत्पत्ति कर्मठ राजस्थान 1981
20. डिंगल काव्य में शोध एवं श्रृंगार का समन्वय वरदा 1982
21. मीरां की भक्ति साधना वरदा 1985
22. राजभाषा के लिए हिंदी ही क्यों? जिंकवाणी (जनवरी) 1985
23. रामनाथ कविया का एक पत्र वरदा (अप्रेल-जून) 1985
24. मारवाड़ के चारणों का ब्रजभाषा काव्य में योगदान ब्रज अरु मारवाड़ (स्मारिका) 1986
25. डिंगल काव्य में श्री करनी महिमा श्री करणी षटशती 1987
26. महाकवि दुरसा आढ़ा और उनकी अज्ञात भक्ति रचनाएं विश्वंभरा (जनवरी-जून) 1987
27. डिंगल भाषा में नाथ साहित्य नाथवाणी (जु.-दिस. ) 1988
28. गौरीशंकर ओझा का एक ऐतिहासिक पत्र वरदा (जुलाई-दिसम्बर) 1988
29. डिंगल में संवाद काव्यों की परम्परा वरदा (जुलाई-दिसम्बर) 1989
30. मोडजी आशिया की अज्ञात रचनाएं वरदा (अप्रेल-जून) 1990
31. दुरसा आढ़ा संबंधी भ्रामक धारणाएं एवं उनका निराकरण वरदा (अप्रेल-सितम्बर) 1991
32. मारवाड़ के सपूत जगदीश सिंह गहलोत राजस्थान इतिहास रत्नाकर 1991
33. डिंगल काव्य में वीर दुर्गादास मरु भारती (जुलाई) 1991
34. महाराजा मानसिंह के राज्याश्रित कवियों का राजस्थानी काव्य को योगदान स्मृति-ग्रंथ 1991
35. चारण-क्षत्रिय संबंधों के छप्पय राजपूत एकता (जुलाई) 2002
36. मेहा वीठू रचित राय रूपग राणा उदैसिंहजी नूं वरदा (अक्टूबर) 2002
37. कुचामन ठिकाने की खूबियां राजपूत एकता (फरवरी) 2003
38. महाराजा मानसिंह की शरणागत वत्सलता राजपूत एकता (जुलाई) 2004
39. भक्तकवि ईसरदास बोगसा कृत सवैया विश्वम्भरा (जुलाई) 2004
40. स्मृतिशेष संत श्री हेतमरामजी महाराज स्मारिका 2005
41. डॉ. गंगासिंह के काव्य में सुभाषित एवं संवेदना स्मारिका 2005
42. महाकवि तरुण की काव्य साधना तरुण का काव्य संसार 1994

ब्रजभाषा में प्रकाशित शोध-पत्र

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Source[4]

1. मारवाड़ के चारणन कौ ब्रजभाषा काव्य ब्रजमंडल-स्मारिका 1986
2. मरुभाषा कौ स्वातंत्र्योत्तर अज्ञात ब्रजभाषा काव्य ब्रज शतदल 1991
3. ब्रजभाषा कौ मानक रूप ब्रज शतदल 1991
4. जनचेतना के कवि : जसकरण खिड़िया ब्रजभाषा साहित्यकार दरपन 1994
5. काव्यमय पत्रन में ठा. जसकरण खिड़िया ब्रजभाषा साहित्यकार दरपन 1994
6. कवि ईसरदास का सर्वप्रथम ब्रजभाषा काव्य ब्रज शतदल 1999
7. मेड़तणी मीरां : विषपान के प्रमान ब्रज शतदल (जनवरी) 2001
8. दूध कौ रंग लाल हौ ब्रज शतदल लघु नीतिकथा 2003
  1. "आपाणो राजस्थान". www.aapanorajasthan.org. अभिगमन तिथि 2022-01-27.
  2. "Dr Shakti Dan Kaviya Passes Away: डॉ शक्ति दान कविया नहीं रहे". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2022-01-27.
  3. Dan, Shakti (13 January 2021). "शक्ति दान कविया, डिंगळ सिरमौर रौ देवलोक गमन व्हियौ". Nunwo Rajasthan. अभिगमन तिथि 4 December 2021.[मृत कड़ियाँ]
  4. Charan, Gajadan (2014). राजस्थानी साहित्य रा आगिवाण- डॉ. शक्तिदान कविया (Rajasthani में). Bikaner: Rajasthani Bhasha Sahitya & Sanskriti Academy, Bikaner.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  5. Maru-Bhāratī. Biṛlā Ejyūkeśana Ṭrasṭa. 2002.
  6. "RAJASTHANI (Since 1974) – Sahitya Akademi" (अंग्रेज़ी में). मूल से 23 जनवरी 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-12-04.
  7. IANS (2018-01-19). "Many languages, one literature (Exclusive to IANS)". Business Standard India. अभिगमन तिथि 2021-12-04.
  8. "स्मृति शेष:राजस्थानी साहित्य की धरोहर थे डाॅ. शक्तिदान कविया जेएनवीयू राजस्थानी विभाग के 3 बार अध्यक्ष रहे". Dainik Bhaskar. 13 January 2021. अभिगमन तिथि 4 December 2021.
  9. "Rajasthan Shaktidan Kavia's death shocked Rajasthani literature world - Rao|कवि शक्तिदान कविया के निधन से राजस्थानी साहित्य जगत को आघात - राव". Bhilwara Halchal - Hindi News (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-12-04.[मृत कड़ियाँ]
  10. RajRAS (2021-03-01). Rajasthan Current Affairs 2020: Summary Book: Useful for Sub-Inspector, Assistant Professor, RAS 2021 Exam (अंग्रेज़ी में). RajRAS.
  11. "शक्तिदान कविया - कविता कोश". kavitakosh.org. अभिगमन तिथि 2022-01-27.
  12. कविया, शक्तिदान. "दारू-दूषण : डिंगळ शैली में सोरठाबद्ध काव्य". 東京外国語大学附属図書館OPAC. अभिगमन तिथि 2022-01-27.
  13. "पोथीखानौ Rajasthani Books: प्रस्‍तावना री पीलजोत : शक्तिदान कविया (आलोचना)". पोथीखानौ Rajasthani Books. अभिगमन तिथि 2022-01-27.
  14. Maru-Bhāratī. Biṛlā Ejyūkeśana Ṭrasṭa. 2002.
  15. MAHARAJ, JAMBHESHWAR JI (2016-01-01). KANT SANGOSTHI. Jambhani Sahitya Akadami. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-83415-25-0.[मृत कड़ियाँ]
  16. Jansen, Jan; Maier, Hendrik M. J. (2004). Epic Adventures: Heroic Narrative in the Oral Performance Traditions of Four Continents (अंग्रेज़ी में). LIT Verlag Münster. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-8258-6758-4.
  17. Kaviyā, Śaktidāna (2004). Rājasthānī kāvya meṃ sāṃskr̥tika gaurava. Jodhapur: Jōdhapura : Mahārājā Mānasiṃha Pustaka Prakāśa : Ekamātra vitaraka, Rājasthānī Granthāgāra, 2004. OCLC 56598567.सीएस1 रखरखाव: तिथि और वर्ष (link)
  18. Kaviya, Shakti Dan. शक्तिदान कविया. padhesari files.
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