इक्ष्वाकु वंश

हिंदू पौराणिक राजवंश

इक्ष्वाकु वंश वैदिक आर्य क्षत्रियों के प्रमुख राजवंशो में से एक है। मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से इस वंश का आरंभ हुआ। इनकी उत्पत्ति सूर्यवंशियों में से हुई थी। ये प्राचीन कोशल देश के राजा थे और इनकी राजधानी अयोध्या थी। रामायण और महाभारत में इन दोनों वंशों के अनेक प्रसिद्ध शासकों का उल्लेख है। हिन्दू धर्म में इस वंश का बहुत महत्व है, सगर,भगीरथ,हरिश्चन्द्र, दशरथ जैसे अनेक पराक्रमी महापुरूष इसी कुल मे हुए, स्वयं भगवान राम इक्ष्वाकु वंश के वंशज थे। जैन और बौद्ध धर्म में भी इक्ष्वाकु वंश का बहुत महत्व है। सभी जैन तीर्थंकर इक्ष्वाकु वंश में ही उत्पन्न हुए थे। बुद्धवंश के अनुसार शाक्यमुनि गौतम बुद्ध इसी इक्ष्वाकु के कुल में जन्मे थे ।

शासकों की सूचीसंपादित करें

ब्रह्मा जी के 10 मानस पुत्रों मे से एक मरीचि हैं।

यहाँ से सतयुग आरम्भ होता हैं।संपादित करें

यहाँ से त्रेतायुग आरम्भ होता हैं।संपादित करें

यहाँ से द्वापर युग शुरु होता है।संपादित करें

यहाँ से कलियुग आरम्भ होता हैं।संपादित करें

राजा सुमित्र अंतिम शासक सूर्यवंश थे, जिन्हें 362 ईसा पूर्व में मगध के शक्तिशाली सम्राट महापद्म नंद ने हराया था। हालांकि, वह मारा नहीं गया था और वर्तमान बिहार स्थित रोहतास भाग गया था। [1][2][3]

इन्हें भी देखेंसंपादित करें

संदर्भसंपादित करें

  1. The Valmiki Ramayana, Volume 3.
  2. Misra, V.S. (2007). Ancient Indian Dynasties, Mumbai: Bharatiya Vidya Bhavan, ISBN 81-7276-413-8, pp.283-8, 384
  3. History Of Ancient India ISBN 81-269-0616-2 vol II [1]