झारखंड मुक्ति मोर्चा
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) झारखण्ड का एक प्रमुख क्षेत्रीय राजनैतिक दल है, जिसका प्रभाव झारखण्ड एवं ओडिशा, पश्चिम बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी क्षेत्रों में है। शिबू सोरेन झामुमो के अध्यक्ष हैं। झारखंड के लिए इसका चुनाव चिन्ह धनुष और बाण है।[1]
झारखंड मुक्ति मोर्चा Jharkhand Mukti Morcha | |
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नेता |
बिनोद बिहारी महतो शिबू सोरेन अरुण कुमार राय |
गठन | 4 फरवरी 1973 |
मुख्यालय | बरियातू रोड, रांची-834008 |
गठबंधन |
एन.डी.ए. (2013 तक) |
लोकसभा मे सीटों की संख्या |
1 / 545 |
राज्यसभा मे सीटों की संख्या |
2 / 245 |
राज्य विधानसभा में सीटों की संख्या |
30 / 81 |
विचारधारा | क्षेत्रवाद |
युवा शाखा Mulayam Singh youth brigade | झारखंड छात्र युवा मोर्चा |
जालस्थल |
jmmjharkhand |
Election symbol | |
भारत की राजनीति राजनैतिक दल चुनाव |
पार्टी आधिकारिक तौर पर झारखण्ड के आदिवासी योद्धा बिरसा मुंडा के जन्मजयंती पर बनाई गई थी, जिन्होंने वर्तमान झारखण्ड में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। झारखण्ड राज्य भी 2000 में बिरसा मुंडा के जन्मजयंती पर अस्तित्व में आया।
इतिहास
संपादित करेंपार्टी का गठन
संपादित करेंकुड़मी नेता बिनोद बिहारी महतो ने 1967 में "शिवाजी समाज" की स्थापना की। संथाल नेता शिबू सोरेन ने 1969 में 'सोनत संथाली समाज' की स्थापना की। "झारखंड मुक्ति मोर्चा" की स्थापना बिनोद बिहारी महतो, शिबू सोरेन और कॉमरेड डॉ. एके रॉय ने किया था। पार्टी आधिकारिक तौर पर झारखण्ड के 19वीं सदी के आदिवासी योद्धा बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर बनाई गई थी, जिन्होंने वर्तमान झारखण्ड में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
4 फरवरी 1973 को बिनोद बिहारी महतो पार्टी के अध्यक्ष और शिबू सोरेन महासचिव बने। उस समय के प्रमुख पार्टी नेता थे: कॉमरेड एके रॉय (पार्टी सचिव-औद्योगिक और कोयला मजदूर समाज), निर्मल महतो (प्रमुख ट्रेड यूनियन आंदोलन के नेता) और टेकलाल महतो, अन्य।
प्रारंभिक वर्षों में झामुमो की स्थिति
संपादित करेंअपने शुरुआती वर्षों में, झामुमो ने औद्योगिक और खनन श्रमिकों को अपने पाले में लाया, जो मुख्य रूप से दलित और पिछड़े समुदायों जैसे सुडी, डोम, दुसाध और कुड़मी महतो, कोइरी, तेली, अहीर से संबंधित गैर-आदिवासी थे। हालाँकि कांग्रेस के दिवंगत सांसद ज्ञानरंजन के साथ सोरेन के जुड़ाव ने उन्हें नई दिल्ली में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीब ला दिया। उन्होंने 1972 में दुमका लोकसभा सीट जीती। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ सोरेन के जुड़ाव से चिढ़कर, झामुमो के कुछ युवा सदस्यों ने जमशेदपुर में एक साथ मिलकर ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी का स्थापना किया। इसने 1991 के भारतीय आम चुनाव में झामुमो के विकास को प्रभावित नहीं किया जहां झामुमो ने छह सीटें जीतीं। 1980 में, झामुमो नेता बिनोद बिहारी महतो ने झामुमो द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने के फैसले के बाद "झारखंड मुक्ति मोर्चा (बी)" पार्टी का गठन किया। 1987 में झामुमो अध्यक्ष निर्मल महतो की कथित तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ हत्या के बाद बिनोद बिहारी महतो झामुमो में वापस लौट आए। जनवरी 1990 में झामुमो (बी) का झामुमो में विलय हो गया।
राम दयाल मुंडा ने आदिवासियों के बीच बंटे हुए समूहों को एकजुट करके झारखण्ड के लिए आंदोलन को फिर से शुरू किया। उनके मार्गदर्शन में जून 1987 में झारखंड समन्वय समिति का गठन किया गया, जिसमें झामुमो गुटों सहित 48 संगठन और समूह शामिल थे। राम दयाल मुंडा, शिबू सोरेन, सूरज मंडल, साइमन मरांडी, शैलेंद्र महतो और आजसू नेताओं जैसे सूर्य सिंह बेसरा और प्रभाकर तिर्की के कारण संक्षेप में एक राजनीतिक मंच साझा किया, लेकिन झामुमो ने जेसीसी से हाथ खींच लिया क्योंकि उसे लगा कि 'सामूहिक नेतृत्व 'एक तमाशा' है। झामुमो/आजसू और जेपीपी ने अंतरिम रूप से 1988-89 में तथाकथित बंदों और आर्थिक नाकाबंदी को सफलतापूर्वक आयोजित किया।
झारखण्ड राज्य गठन के बाद झामुमो की स्थिति
संपादित करें2000 में बिहार विधानसभा ने झारखण्ड राज्य के निर्माण के लिए बिहार पुनर्गठन विधेयक-2000 पारित किया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 15 नवंबर 2000 को झारखण्ड भारत का 28वां राज्य बना।
2013 में झामुमो ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ गठबंधन किया था, जबकि 2014 में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) के समर्थन से सरकार बनाई। 2005 में झारखण्ड विधानसभा चुनाव हुए जिसके बाद झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने, लेकिन बहुमत के अभाव में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। शिबू सोरेन तीन बार झारखण्ड के मुख्यमंत्री बने। मनमोहन सिंह सरकार में वो कोयला मंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन भी दो बार झारखण्ड के मुख्यमंत्री बने। 13 जुलाई 2013 को हेमंत सोरेन ने झारखण्ड के 9वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। 2019 में हेमंत सोरेन एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए।
मुख्यमंत्रियों की सूची
संपादित करें15 नवंबर 2000 को राज्य के गठन के बाद से झारखंड मुक्ति मोर्चा से झारखंड के मुख्यमंत्रियों की सूची निम्नलिखित है:
क्रमांक | मुख्यमंत्री | चित्र | कार्यालय में कार्यकाल | सभा | चुनाव क्षेत्र | ||
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कब से | कब तक | कार्यकाल | |||||
1 | शिबू सोरेन | 2 मार्च 2005 | 12 मार्च 2005 | 308 दिन | दूसरी विधानसभा | ||
27 अगस्त 2008 | 19 जनवरी 2009 | ||||||
30 दिसंबर 2009 | 1 जून 2010 | तीसरी विधानसभा | |||||
2 | हेमंत सोरेन | 13 जुलाई 2013 | 28 दिसंबर 2014 | 1 वर्ष, 168 दिन | दुमका | ||
29 दिसंबर 2019 | 31 जनवरी 2024 | 4 साल, 33 दिन | पांचवीं विधानसभा | बरहैट | |||
3 | चम्पई सोरेन | 2 फरवरी 2024 | पदस्थ | 264 दिन | सरायकेला |
उपमुख्यमंत्रियों की सूची
संपादित करेंक्र. | उपमुख्यमंत्री (निर्वाचन क्षेत्र) |
चित्र | कार्यलय में कार्यकाल | विधानसभा (चुनाव) |
मुख्यमंत्री | |||
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शुरू | अंत | अवधि | ||||||
1 | सुधीर महतो (ईचागढ़) |
14 सितम्बर 2006 | 23 अगस्त 2008 | 1 साल, 344 दिन | दूसरी विधानसभा (2005 चुनाव) |
मधु कोड़ा | ||
2 | हेमंत सोरेन (दुमका) |
11 सितम्बर 2010 | 18 जनवरी 2013 | 2 साल, 129 दिन | तीसरी विधानसभा (2009 चुनाव) |
अर्जुन मुंडा |
विपक्ष के नेता की सूची
संपादित करेंक्र. | विपक्ष के नेता (निर्वाचन क्षेत्र) |
चित्र | कार्यलय में कार्यकाल | विधानसभा (चुनाव) | ||
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शुरू | अंत | अवधि | ||||
1 | स्टीफन मरांडी (दुमका) |
24 नवंबर 2000 | 10 जुलाई 2004 | 3 साल, 229 दिन | पहली विधानसभा (2000 चुनाव) | |
2 | हाजी हुसैन अंसारी (मधुपुर) |
2 अगस्त 2004 | 1 मार्च 2005 | 211 दिन | ||
3 | सुधीर महतो (ईचागढ़) |
16 मार्च 2005 | 18 सितम्बर 2006 | 1 साल, 186 दिन | दूसरी विधानसभा (2005 चुनाव) | |
4 | हेमंत सोरेन (बरहैट) |
7 जनवरी 2015 | 28 दिसम्बर 2019 | 4 साल, 355 दिन | चौथी विधानसभा (2014 चुनाव) |
उल्लेखनीय लोग
संपादित करें- शिबू सोरेन
- हेमंत सोरेन
- चम्पई सोरेन
- बिनोद बिहारी महतो
- निर्मल महतो
- हाजी हुसैन अंसारी
- सुनील कुमार महतो
- सनातन मांझी
- स्टीफन मरांडी
- जगरनाथ महतो
- विजय कुमार हंसदक
- दशरथ गागराई
- संजीब सरदार
- सुमन महतो
- सुधीर महतो
- नलिन सोरेन
- अमित कुमार
- चमरा लिंडा
- पौलुस सुरीन
- दीपक बिरुवा
- निरल पुरती
- रवीन्द्र नाथ महतो
- जय प्रकाश भाई पटेल
- सीता सोरेन
- अनिल मुरमू
- शशिभूषण सामाड़
- योगेन्द्र प्रसाद
- कल्पना सोरेन
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Shiv Sena finds Jharkhand Mukti Morcha has first right to symbol". The Indian Express (अंग्रेज़ी में). 2015-09-28. अभिगमन तिथि 2023-06-14.
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