फ़िल्म प्रवेशद्वार

प्रवेशद्वार फिल्म चित्रण 01

फ़िल्म एक शब्द है जो अकेले चलचित्रों को निरूपित करने के लिए काम में लिया जाता है। फ़िल्मों का क्षेत्र कला का क्षेत्र माना जाता है। फ़िल्म में तस्वीरों को इस तरह एक के बाद एक प्रदर्शित किया जाता है जिससे गति का आभास होता है। फ़िल्में अकसर विडियो कैमरे से रिकार्ड करके बनाई जाती हैं, या फ़िर एनिमेशन विधियों या स्पैशल इफैक्ट्स का प्रयोग करके। आज ये मनोरंजन का महत्त्वपूर्ण साधन हैं लेकिन इनका प्रयोग कला-अभिव्यक्ति और शिक्षा के लिए भी होता है। भारत विश्व में सबसे अधिक फ़िल्में बनाता है। फ़िल्म उद्योग का मुख्य केन्द्र मुंबई है, जिसे अमरीका के फ़िल्मोत्पादन केन्द्र हॉलीवुड के नाम पर बॉलीवुड कहा जाता है। भारतीय फिल्मे विदेशो में भी देखी जाती है

सिनेमा बीसवीं शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय कला है जिसे प्रकाश विज्ञान, रसायन विज्ञान, विद्युत विज्ञान, फोटो तकनीक तथा दृष्टि क्रिया विज्ञान (खोज के अनुसार आंख की रेटिना किसी भी दृश्य की छवि को सेकेंड के दसवें हिस्से तक अंकित कर सकती है) के क्षेत्रों में हुए तरक्की ने संभव बनाया है। बीसवीं शताब्दी के संपूर्ण दौर में मनोरंजन के सबसे जरूरी साधन के रूप में स्थापित करने में बिजली का बल्ब, आर्कलैंप, फोटो सेंसिटिव केमिकल, बॉक्स-कैमरा, ग्लास प्लेट पिक्चर निगेटिवों के स्थान पर जिलेटिन फिल्मों का प्रयोग, प्रोजेक्टर, लेंस ऑप्टिक्स जैसी तमाम खोजों ने सहायता की है। सिनेमा के कई प्रतिस्पर्धी आए जिनकी चमक धुंधली हो गई। लेकिन यह अभी भी लुभाता है। फिल्मी सितारों के लिए लोगों का चुंबकीय आकर्षण बरकरार है। एक पीढ़ी के सितारे दूसरी पीढ़ी के सितारों को आगे बढ़ने का रास्ता दे रहे हैं। सिनेमा ने टी. वी., वीडियों, डीवीडी और सेटेलाइट, केबल जैसे मनोरंजन के तमाम साधन भी पैदा किए हैं। अमेरिका में रोनाल्ड रीगन, भारत में एम.जी.आर. एन.टी.आर. जंयललिता और अनेक संसद सदस्यों के रूप में सिनेमा ने राजनेता दिए हैं। कई पीढ़ियों से, युवा और वृद्ध, दोनों को समान रूप से सिनेमा सेलुलाइड की छोटी पट्टियां अपने आकर्षण में बांधे हुए हैं। दर्शकों पर सिनेमा का सचमुच जादुई प्रभाव है।

विस्तार से पढ़ें...

निर्वाचित लेख

रणबीर कपूर
बर्फी! 2012 में प्रदर्शित रोमेंटिक हास्य-नाटक हिन्दी फ़िल्म है जिसके लेखक, निर्देशक व सह-निर्माता अनुराग बसु हैं। 1970 के दशक में घटित फ़िल्म की कहानी दार्जिलिंग के एक गूंगे और बहरे व्यक्ति मर्फी "बर्फी" जॉनसन के जीवन और उसके दो महिलाओं श्रुति और मंदबुद्धि के साथ सम्बन्धों को दर्शाती है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका में रणबीर कपूर (चित्रित), प्रियंका चोपड़ा और इलियाना डी'क्रूज़ हैं तथा सहायक अभिनय करने वाले सौरभ शुक्ला, आशीष विद्यार्थी, और रूपा गांगुली हैं। लगभग 30 करोड़ (US$4.38 मिलियन) के बजट में बनी, बर्फी! विश्व स्तर पर 14 सितम्बर 2012 को व्यापक समीक्षकों की प्रशंसा के साथ प्रदर्शित हुई। समीक्षकों ने अभिनय, निर्देशन, पटकथा, छायांकन, संगीत और शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के सकारात्मक चित्रण की प्रशंसा की। फ़िल्म को बॉक्स-ऑफिस पर बड़ी सफ़लता प्राप्त हुई, परिणामस्वरूप यह भारत और विदेशों में 2012 की उच्चतम अर्जक बॉलीवुड फ़िल्मों की श्रेणी में शामिल हुई। दुनिया भर में फ़िल्म ने रु.. 175 करोड़ (US$ 25.55 मिलियन) अर्जित किए। फ़िल्म को 85वें अकादमी पुरस्कारों की सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फ़िल्म श्रेणी के नामांकन के लिए भारतीय आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुना गया।

निर्वाचित चित्र

ग्रौमन चीनी थियेटर
ग्रौमन चीनी थियेटर
श्रेय : कारोल एम॰ हाइस्मिथ
ग्रौमन चीनी थियेटर लोस एंजेल्स, कैलिफोर्निया में स्थित हॉलीवुड सिनेमाघर है। चीनी सिनेमाघर का निर्माण १९२२ में पास ही में खुले ग्रौमन मिश्र सिनेमाघर की सफलता को देखकर किया गया था।

क्या आप जानते हैं...

  • ...कि ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय ने सत्यजित राय को मानद डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की थी। चार्ली चैपलिन के बाद वे इस सम्मान को पाने वाले पहले फ़िल्म निर्देशक थे।

    Did you know?
  • ... कि जिब्राल्टर क्रॉस ऑफ़ सैक्रिफ़ाइस के उद्घाटन के समय रिकॉर्ड की गई फ़िल्म जिब्राल्टर की जमीन पर बनी सबसे पहली फ़िल्म थी।
  • ... कि 144 फ़िल्मों में पुलिस निरीक्षक की भूमिका निभाने के लिए पूर्व बॉलीवुड अभिनेता जगदीश राज का नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अभिलेखित किया गया था।
  • निवाचित सूची

    दिल बोले हड़ीप्पा के प्रचार के दौरान २००९ में रानी मुखर्जी।
    रानी मुखर्जी एक भारतीय अभिनेत्री हैं जिन्हें बॉलीवुड फ़िल्मों में उनके अभिनय के लिए जाना जाता है। उन्होंने बांग्ला फ़िल्म बियर फूल (१९९२) से फ़िल्मी दुनिया में पदार्पण किया था। इस फ़िल्म का निर्देशन उनके पिता राम मुखर्जी ने किया था तथा रानी ने इस फ़िल्म में सहायक अभिनेत्री का अभिनय किया था। उनकी प्रमुख अभिनय भूमिका के रूप में १९९७ की नाटक फ़िल्म राजा की आयेगी बारात पहली फ़िल्म थी जिसमें उन्होंने बलात्कार की शिकार युवती का अभिनय किया। फ़िल्म आर्थिक रूप से (टिकट खिड़की) पर असफल रही लेकिन उन्होंने स्टार स्क्रीन पुरस्कार समारोह में विशेष जूरी ट्राॅफी पुरस्कार जीता। सन् १९९८ में आमिर खान के साथ एक्शन फ़िल्म ग़ुलाम में अभिनय किया जिसने उन्हें एक नई पहचान दी। उसी वर्ष बाद में रानी मुखर्जी ने रूमानी नाटक फ़िल्म कुछ कुछ होता है में शाहरुख खान के रूमानी आकर्षण का अभिनय किया। इस फ़िल्म ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार दिलाया। उनकी इस पहली सफलता के बाद उन्होंने हास्य फ़िल्म हैलो ब्रदर (१९९९), एक्शन थ्रिलर फ़िल्म बिच्छू (२०००) और नाटक फ़िल्म नायक (२००१) सहित विभिन्न फ़िल्मों में मुख्य अभिनेत्री का अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी उनके फ़िल्मी जीवन को आगे बढ़ाने में सहायक नहीं रही। कमल हासन की द्विभाषी फ़िल्म हे राम में उन्होंने सहायक अभिनेत्री की भूमिका निभाई थी जिससे उन्हें और अधिक ख्याति प्राप्त हुई। यह फ़िल्म उस वर्ष ऑस्कर के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टियों में शामिल हुई थी।

    निर्वाचित व्यक्तित्व लेख

    सत्यजित राय
    सत्यजित राय (बांग्ला (बंगाली): সত্যজিৎ রায়) एक भारतीय फ़िल्म निर्देशक थे, जिन्हें 20वीं शताब्दी के सर्वोत्तम फ़िल्म निर्देशकों में गिना जाता है। इनका जन्म कला और साहित्य के जगत में जाने-माने कोलकाता के एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व-भारती विश्वविद्यालय में हुई। इन्होने अपने कैरियर की शुरुआत पेशेवर चित्रकार की तरह की। फ़्रांसिसी फ़िल्म निर्देशक ज्यां रेनुआ से मिलने पर और लंदन में इतालवी फ़िल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (बाइसिकल चोर) देखने के बाद फ़िल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ। राय ने अपने जीवन में 37 फ़िल्मों का निर्देशन किया। इनकी पहली फ़िल्म पथेर पांचाली (पथ का गीत) को कान फ़िल्मोत्सव में मिले “सर्वोत्तम मानवीय प्रलेख” पुरस्कार को मिलाकर कुल ग्यारह अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले। यह फ़िल्म अपराजितो और अपुर संसार (अपु का संसार) के साथ इनकी प्रसिद्ध अपु त्रयी में शामिल है। वो पटकथा लिखना, अभिनेता ढूंढना, पार्श्व संगीत लिखना, चलचित्रण, कला निर्देशन, संपादन और प्रचार सामग्री की रचना करना। फ़िल्में बनाने के अतिरिक्त वे कहानीकार, प्रकाशक, चित्रकार और फ़िल्म आलोचक भी थे। राय को जीवन में कई पुरस्कार मिले जिनमें अकादमी मानद पुरस्कार और भारत रत्न शामिल हैं।

    विकिपरियोजनायें

    श्रेणियाँ


    सह विकिमीडिया