पूर्वी तटीय रेलवे भारतीय रेलवे का एक ब्लू चिप रेलवे जोन है और अपने मौजूदा स्वरूप में 1 अप्रैल 2003 से अस्तित्व में है। तब से इस नई जोनल रेलवे का मुख्यालय भुवनेश्वर में कार्य कर रहा है जो है ओडिशा राज्य की राजधानी शहर है। इस रेलवे के भौगोलिक अधिकार क्षेत्र का विस्तार तीन राज्यों, पूर्वोत्तर आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विशाखापत्तनम और विजयनगरम तथा छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर और दंतेवाड़ा जिलों एवं ओडिशा के लगभग सभी हिस्सों में फैला हुआ है। इस प्रकार, यह एक लंबी तटीय जोन होने के साथ-साथ, इन क्षेत्रों में खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की समृद्धता है जिसके कारण इस क्षेत्र में भारी औद्योगिक विकास होने वाला है।

इस क्षेत्र में कई खनिज आधारित उद्योगों के साथ, बड़ी इस्पात संयंत्र और रासायनिक उर्वरक संयंत्र आने वाले हैं और परिवहन की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए पूर्वी तट रेलवे एक मुख्य भूमिका निभाने के लिए तैयार है। पारादीप, विशाखापत्तनम और गोपालपुर जैसे प्रमुख बंदरगाहों में रेल की क्षमता में वृद्धि करने एवं माल निपटान की सुविधाएं बढ़ाने के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की तैयारियां चल रही हैं। औद्योगिक गतिविधियों के प्रत्याशित विकास की मांग को पूरा करने के लिए, रेल की बुनियादी ढांचे में विकास हेतु वर्तमान विभिन्न परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है।

इतिहास संपादित करें

संसद की मंजूरी के फलस्वरूप, रेलवे के सात नए क्षेत्रों में से, पूर्व तट रेलवे वह पहला क्षेत्र है जिसका उद्घाटन भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री एच.एच. देवगौड़ा ने दिनांक 08.08.1996 को किया था। इस नए घोषित क्षेत्र का कार्यभार विशेष कार्य अधिकारी ने दिनांक 16 सितम्बर 1996 को संभाला. प्रारंभ में, खोरधा रोड के नाम से केवल एक ही प्रभाग इस रेलवे में था। बाद में, लेकिन जब इस क्षेत्र को 01.04.2003 से पूरी तरह चालू किया गया, तब इस खोरधा मन्डल को दक्षिण पूर्व रेलवे से अलग कर दिया गया जिसमें खोरधा रोड, वाल्टेयर और संबलपुर सहित तीन प्रभाग थे।

इस प्रक्रिया ने इतिहास को दोहराया है। वर्तमान का पूर्व तट रेलवे पहले बने पूर्व तट रेल का एक छोटा संस्करण है जिसे यातायात के लिए एक सदी से भी अधिक समय यानी 1 नवम्बर 1888 को खोला गया था। लंबे समय के बाद यानी 01.08.1955 में नागपुर, बिलासपुर, चक्रधरपुर, खड़गपुर, आद्रा तथा खोरधा रोड समेत षडधिक प्रशासनिक विभाग एवं अधिकार क्षेत्र के विस्तार सहित दक्षिण पूर्व रेलवे के गठन के लिए बंगाल नागपुर रेलवे (बी एन आर) को संयुक्त पूर्व क्षेत्र से अलग किया गया। इसके बाद, अक्टूबर, 1962 में पलासा-विशाखापत्तनम (एम एल के एकल लाइन), रायपुर-विजयनगरम (आर वी) एकल लाइन, बलांगिर-टिटिलागढ़ (एकल लाइन) सहित वालतेरु प्रभाग इस क्षेत्र के अंतर्गत शामिल हुआ। अप्रैल, 1994 में संबलपुर मन्डल के गठन के बाद, रायपुर-विजयनगरम (आर वी) लाइन, का अधिकार क्षेत्र वालतेरु मन्डल से अलग करके पूर्व में बनी टिटिलागढ़-विजयनगरम में मिला दिया गया। बाद में नव निर्मित संबलपुर-तालचेर लाइन को 15.08.1998 में यातायात के लिए खोला गया। इसकी लम्बाई 154 किलोमीटर है।

वर्ष घटनाएँ
1889 मद्रास सरकार द्वारा पूर्व तट पर दक्षिण मराठा रेलवे तथा निजाम राज्य के विजयवाड़ा जंक्शन बिंदु से कटक तक रेल लाइन के सर्वेक्षण करने के लिए आदेश दिया गया।
1890 पूर्व तट रेलवे के नाम से इस लाइन के निर्माण के लिए मंजूरी मिली थी।
1899 खड़गपुर से कटक तक बी एन आर लाइन को नव वर्ष के दिवस पर खोला गया।
1902 319,51 मील की दूरी का ब्रॉड गेज लाइन जो कि उस समय पूर्व तट रेलवे के उत्तरी भाग के नाम से जाना जाता था बंगाल नागपुर रेल प्रणाली में विलय कर दिया गया।
1955 दक्षिण पूर्व रेलवे का गठन.
1996 माननीय प्रधानमंत्री द्वारा पूर्व तट रेलवे का उद्घाटन.
2003 01.04.2003 को पूर्व तट रेलवे का संचालन कार्य आरंभ किया गया।

मिशन संपादित करें

पूर्व तट रेलवे सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक और प्रभावी उपयोग के माध्यम से सुरक्षित, कम लागत, ग्राहक के अनुकूल तथा विश्वसनीय रेल परिवहन सेवा प्रदान करने के लिए हमेशा प्रयास करेगा।

उद्देश्य
  • अपनी भौगोलिक अधिकार क्षेत्र के भीतर गुणवत्ता बुनियादी ढांचे का विकास करना है।
  • अपने नवेली नेटवर्क के माध्यम से लोगों और स्थानों को जोड़ना है।
  • ट्रेन के अपने सभी कार्यकलापों में निरापद, सुरक्षा और समयबद्धता सुनिश्चित करना है।
  • अपने पूरे क्षेत्र में यात्री संख्या को बढ़ाना है तथा रेल उपयोगकर्ता की सुविधाओं को बेहतर बनाना है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता से उत्पादकता में वृद्धि करना है।
  • संसाधनों के विवेकपूर्ण और कुशलतापूर्वक उपयोग करने के लिए अनुकूलतम प्रयास करना है।

सांख्यिकी संपादित करें

  • कुल किलोमीटर मार्ग : 2520.12
  • कुल ट्रैक किलोमीटर : 4838.01
  • कुल किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण : 1293.05
  • कुल ट्रैक किलोमीटर का विद्युतीकरण : 2541.36
  • सवारी डिब्बा मरम्मत कार्यशाला : 01 (मंचेश्वर)
  • डीजल लोको शेड (बड़ी) : 01 (विशाखापटनम)
  • इलेक्ट्रिक लोको शेड : 02 (विशाखापत्तनम, अनुगुल : -- रूपांतरण कार्य चल रहा है)
  • कुल स्टेशनों की संख्या : 269
  • स्टाफ की संख्या : 45510
क्रमांक नाम संक्षेप स्थापना समय मुख्यालय मंडल
1. उत्तर रेलवे उरे 14 अप्रैल, 1952 दिल्ली अंबाला, फिरोजपुर, लखनऊ, मुरादाबाद
2. पूर्वोत्तर रेलवे उपूरे 1952 गोरखपुर इज्जत नगर, लखनऊ, वाराणसी
3. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे पूसीरे 1958 गुवाहाटी अलीपुर द्वार, कटिहार, लामडिंग, रंगिया, तिनसुकिया
4. पूर्व रेलवे पूरे अप्रैल, 1952 कोलकाता हावड़ा, सियालदह, आसनसोल, मालदा
5. दक्षिणपूर्व रेलवे दपूरे 1955 कोलकाता आद्रा, चक्रधरपुर, खड़गपुर, राँची
6. दक्षिण मध्य रेलवे दमरे 2 अक्टूबर, 1966 सिकंदराबाद सिकंदराबाद, हैदराबाद, गुंटकल, गुंटूर, नांदेड़, विजयवाड़ा
7. दक्षिण रेलवे दरे 14 अप्रैल, 1951 चेन्नई चेन्नई, मदुरै, पालघाट, तिरुचुरापल्ली, त्रिवेंद्रम, सलेम (कोयंबतूर)
8. मध्य रेलवे मरे 5 नवंबर, 1951 मुंबई मुंबई, भुसावल, पुणे, सोलापूर, नागपुर
9. पश्चिम रेलवे परे 5 नवंबर, 1951 मुंबई मुंबई सेंट्रल, वदोदरा, रतलाम, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर
10. दक्षिण पश्चिम रेलवे दपरे 1 अप्रैल, 2003 हुबली हुबली, बैंगलोर, मैसूर
11. उत्तर पश्चिम रेलवे उपरे 1 अक्टूबर, 2002 जयपुर जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर
12. पश्चिम मध्य रेलवे पमरे 1 अप्रैल, 2003 जबलपुर जबलपुर, भोपाल, कोटा
13. उत्तर मध्य रेलवे उमरे 1 अप्रैल, 2003 इलाहाबाद इलाहाबाद, आगरा, झांसी
14. दक्षिणपूर्व मध्य रेलवे दपूमरे 1 अप्रैल, 2003 बिलासपुर बिलासपुर, रायपुर, नागपुर
15. पूर्व तटीय रेलेवे पूतरे 1 अप्रैल, 2003 भुवनेश्वर खुर्दा रोड, संबलपुर, विशाखापत्तनम
16. पूर्वमध्य रेलवे पूमरे 1 अक्टूबर, 2002 हाजीपुर दानापुर, धनबाद, मुगलसराय, सोनपुर, समस्तीपुर
17. कोंकण रेलवे† केआर 26 जनवरी, 1998 नवी मुंबई कोई नहीं

कोंकण रेलवे भारतीय रेल के एक अनुषांगिक इकाई के रूप में परंतु स्वायत्त रूप से परिचालित होनेवाली रेल व्यवस्था है जिसका मुख्यालय नवी मुंबई के बेलापुर में रखा गया है। यह सीधे रेलवे बोर्ड एवं केंद्रीय रेलमंत्री के निगरानी में काम करता है।


बाहरी कड़ियाँ संपादित करें