मुगल रामायण
मुगल बादशाह अकबर द्वारा रामायण का फारसी अनुवाद करवाया था। उसके बाद हमीदाबानू बेगम, रहीम और जहाँगीर ने भी अपने लिये रामायण का अनुवाद करवाया था।
अकबर की रामायण[1]
संपादित करेंअकबर की सचित्र रामायण वर्तमान समय में महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय, जयपुर में है। यह रामायण ई.स. १५८४ से १५८८ के बीच तैयार हुए थीं। इस रामायण की पाण्डुलिपि दौलताबादी कागज़ पर लीखी गई हैं जिसके ३६५ पृष्ठ हैं। इस रामायण में अकबर के पुत्र जहाँगीर ने टिप्पणी लिखी हैं कि
यह पुस्तक ई.स. १६०५ मेरे किताबखाने मे लायी गई थीं। यह पुस्तक हिंदू की महत्त्वपूर्ण पुस्तक हैं जिसका भाषांतरण मेरे पिता ने करवाया था। इस पुस्तक मे अजीब और न माननेवाली विचित्र कथायें हैं विशेषकर तृतीय और पंचम कांड में।
रामायण की इस प्रति मे ई.स. १६५४ की शाहजहां और ई.स. १६५८ तथा ई.स. १६६१ की औरंगजेब की मुहर लगी हुई हैं। इस पाण्डुलिपि को १५१६ रुपये देकर तैयार करवाया गया था।
अकबर की रामायण के चित्रकार
संपादित करेंअकबर की रामायण मे १७६ चित्र हैं। इसमें एक चित्र पर दो चित्रकार के नामोल्लेख मिलतें हैं एक 'तरह' अर्थात् 'रेखांकन' तथा 'अमल' अर्थात् 'चित्रांकन'। इसके मुख्य चित्रकार बासवान, केशव, लाल और मिस्कीन हैं।
मुगल रामायण के चित्रप्रसंग
संपादित करें- लोमपाद द्वारा ऋषिश्रंग को मोहित करने स्त्रीयोँ को भेजना
- ऋषिश्रंग का स्त्रीयों से मिलना
- दशरथ का यज्ञ
- देवदूत का खीर देना
- विश्वामित्र द्वारा राम और लक्ष्मण को वन लेजाना
- ताडका को मारना और राम को दिव्यास्त्रों देना
- कुशनाभ की पुत्रीयों की कथा
- सगरपुत्रों का कपिल ऋषि से मिलना
- त्रिशंकु का यज्ञ और आकाश मे लटकना
- विश्वामित्र का शुनःशेप को बचाना और मधुच्छंद को शाप देना
- विश्वामित्र का 'ब्रह्मर्षि' बनना
- राम द्वारा धनुभंग और विवाह
- राम द्वारा परशुराम का गर्वभंजन
- दशरथ का राम से चर्चा
- कैकेयी का वचन मांगना
- राम का वनगमन
- राम का गुहा और भारद्वाज से मिलना
- लक्ष्मण राम को वन के फल देना
- राम का यमुना पार करना
- दशरथ को श्रवण के माता-पिता का शाप
- दशरथ की मृत्यु
- दशरथ के अंतिमसंस्कार पर भरत का विलाप
- भरत का राम से मिलना और अयोध्या जाना
- राम द्वारा तीनों माताओं और भाइयों को विदा करना।
- राम का विराघ, त्रिशिरा और खर-दूषण को मारना
- राम का मारिच को मारना
- सीताहरण और जटायु वघ
- राम द्वारा कबंध को मारना और सुग्रीव से मिलना
- वालीवघ
- हनुमान का प्रभा, संपाति और सुपार्व से मिलना
- हनुमान का सीता को संदेश देना
- हनुमान द्वारा राक्षसों का नाश
- हनुमान का राम से मिलना
- राम का समुद्र तट जाना
- राम का वरुण पर क्रोधित होना और वरुण का क्षमा मांगना
- सेतुबंध
- सुग्रीव का राम को सेतुबंधन के बारे मे बताना
- विभीषण का राम के पक्ष में जाना
- सीता मायावी राम का कटा सर देखना
- इन्द्रजीत का सर्पास्त्र छोडना पर गरुड़ से रक्षा
- कुंभकर्ण का युद्ध
- त्रिशिरा का वघ
- हनुमान का औषधि लाना
- कुंभ, निकुंभ और महाराक्ष का वघ
- इन्द्रजीत और रावण का वघ
- विभीषण का राज्याभिषेक और सीता की अग्निपरीक्षा
- राम का राज्याभिषेक
- रावण का अर्जुन, वाली, यम, इन्द्र और महाजंबूनाद से युद्ध
- रावण का ऋषि कपिल का विश्वरूप देखना
- इन्द्र द्वारा हनुमान पर आक्रमण
- इन्द्र और सूर्य का ऋक्षराज को स्त्रीरूप मे देखना
- रावण का श्वेतद्वीप की स्त्रियों द्वारा अपमान
- दशरथ का दुर्वासा और वसिष्ठ से मिलना
- शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर का वघ
- राम द्वारा शंबूक का वघ
- सीता का त्याग और वाल्मीकि ऋषि का सीता की सहायता करना
- सीता का धरती प्रवेश
- राम का स्वर्ग-गमन
रहीम की रामायण
संपादित करेंअकबर के मंत्री खान-ए-खानां रहीम ने भी रामायण लिखवायी थीं जो वर्तमान समय में 'फ्रिर गैलरी ऑफ़ आर्ट, वाशिंगटन' में हैं जिसे १५० रुपये देकर बनवाया गया था। इस प्रति के ३४९ पृष्ठ हैं। इसमें उल्लेख हैं कि रामायण मे ६२० कथा और २४५६० श्लोक हैं जिसमें से ९० कथा और ३९६० श्लोक रहीम कि रामायण मे लेखांकित किये गए है। इसमें बालकांड को आदिकांड कहा गया हैं जो पृष्ठ १३बी से आरंभ होता हैं। अयोध्याकाण्ड पृष्ठ ६९ए, अरण्यकाण्ड ११५बी, किष्किंधाकाण्ड १४०ए, सुंदरकाण्ड १६२ए, युद्धकाण्ड १८७ए और उत्तरकाण्ड २८६ए पृष्ठ से प्रारंभ होता हैं। इसके १बी पृष्ठ मे 'श्री गणेश के नाम पर' लिखा है।
रामायण में रहीम लेख
संपादित करेंरहीम की रामायण के पृष्ठ १ए मे रहीम द्वारा लिखा गया हैं जिसमें लिखा है कि
रामायण रामचंद्र का इतिहास हैं। वाल्मीकि अनुसार वे शिव के पुत्र थे। बादशाह अकबर ने ब्राह्मण देव मिश्रा और नाकीब खान के द्वारा रामायण का अनुवाद करवाया। मैंने भी बादशाह से इजाजत मांगी और उन्होंने इजाजत दे दी। इसे ई.स. १५८७ से १५९८ के बीच तैयार करवाया था। इसमें ३४९ पृष्ठ और १३५ चित्र हैं।
इसमें एक भूल हैं कि राम शिव के पुत्र थे।
रहीम रामायण के चित्रकार
संपादित करें- फज्ल - २१ चित्र
- गुलाम अली - ४ चित्र
- गोवर्घन - ९ चित्र
- काला पहार - ७ चित्र
- कमल - ५ चित्र
- मोहन - ५ चित्र
- मुशफिग - २ चित्र
- नादिम - १० चित्र
- नादिर - ३ चित्र
- काबिल - १४ चित्र
- सादि - १ चित्र
- श्याम सुंदर - ३५ चित्र
- युसुफ अली - ११ चित्र
- जय्न अल अब्दिन - २ चित्र
अकबर का योग वासिष्ठ रामायण[2]
संपादित करेंचेस्टर बेट्टी पुस्तकालय, डबलिन मे एक फारसी योग वासिष्ठ की पाण्डुलिपि है जिसका समय दिसम्बर, १६०२ हैं। इसमें जहाँगीर ने टिप्पणी लिखी हैं कि,
यह पुस्तक जोग-बासिष्ट सबसे पुरानी कहानियों में से एक हैं जब में बीस साल का राजकुमार था तब मैंने इसका भाषांतर किया था।
इससे स्पष्ट होता हैं कि यह योग वासिष्ठ की पाण्डुलिपि अकबर की थीं जो बाद में जहाँगीर को प्राप्त हुई थीं।
योग-वासिष्ठ के चित्र
संपादित करेंचेस्टर बेट्टी पुस्तकालय, डबलिन की फारसी योग वासिष्ठ की पाण्डुलिपि मे ४१ चित्र हैं जिसके मुख्य चित्रकार केशु, हरिया, हरिबंश और इमाम कुली हैं। मुगल योग वासिष्ठ के चित्रप्रसंग इस प्रकार है :
- 1.राम का दशरथ से मिलना
- 2.दशरथ द्वारा विश्वामित्र का स्वागत
- 3.वसिष्ठ का राम को उपदेश
- 4.रानी लीला और राजा पद्म की बातचीत
- 5.पालखी मे राजा पद्म
- 6.बादलों मे वासिष्ठ और अरून्धती
- 7.विदूरथ का युद्ध
- 8.विदूरथ का सिंधुराज से युद्ध
- 9.कार्कटी का हिमालय पर विहार
- 10.कार्कटी और किरातराज का संवाद
- 11.राजा लवण का पेड से लटकना
- 12.राजा लवण का चांडालों से मिलना
- 13.राजा लवण का राजसूय यज्ञ
- 14.राजा लवण का चांडाल से पूछताछ करना
- 15.भृगु और उनके पुत्र शुक्र का यम से मिलना
- 16.देवता और दानवों का युद्ध
- 17.देवता और दानवों का युद्ध
- 18.दाशूर का अपने पुत्र को ज्ञान देना
- 19.विदेहराज जनक का सिद्धों से मिलना
- 20.ऋषि पुण्य और पावक की चर्चा
- 21.राजा बलि द्वारा शुक्राचार्य का स्वागत
- 22.प्रह्लाद द्वारा भगवान विष्णु का पूजन
- 23.भगवान विष्णु का गाधी से मिलना
- 24.राजा का ऋषि से मिलना
- 25.ऋषि उद्दालक को लेने अप्सराओं का आना
- 26.सुरघु का पर्णाद ऋषि से मिलना
- 27.ऋषि भास और विभास की चर्चा
- 28.वीथहव्य की तपश्चर्या
- 29.अगस्त्य द्वारा पर्वत लांघना
- 30.शिव-पार्वती का वसिष्ठ से मिलना
- 31.राजा का वैताल के प्रश्न का उत्तर देना
- 32.किरात द्वारा मणि की खोज
- 33.शिखिध्वज का अंतःपुर
- 34.नारद का अप्सराओं का देखना
- 35.चूडाला द्वारा शिखिध्वज को ज्ञान देना
- 36.शिखिध्वज का तप करना
- 37.शिखिध्वज और मदनिका का विवाह
- 38.शिखिध्वज का मदनिका को मायावी प्रेमी के साथ देखना
- 39.कच का अपने पिता के गले लगना
- 40.शिव का भृंगीश ऋषि से मिलना
- 41.मनु और इक्ष्वाकु की चर्चा
इन्हें भी देखे
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2017.
- ↑ https://www.academia.edu/34835719/Akbars_Yogavāsiṣṭha_in_the_Chester_Beatty_Library.pdf