इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा

(दिल्ली विमानक्षेत्र से अनुप्रेषित)

इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र (आईएटीए: DELआईसीएओ: VIDP) भारत की राजधानी एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का प्रधान अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र है। यह नई दिल्ली नगर केन्द्र से लगभग १६ कि॰मी॰(10 मील) दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित है। भारत की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी के नाम पर बना यह भारत का व्यस्ततम विमानक्षेत्र है।[2][3] हवाई अड्डे के नवीनतम टर्मिनल-३ के चालू हो जाने के बाद से ४ करोड़ ६० लाख यात्री क्षमता तथा वर्ष २०३० तक की अनुमानित यात्री क्षमता १० करोड़ के साथ यह भारत के साथ-साथ पूरे दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा और सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापार संबंधी विमानन केन्द्र बन गया है। भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई के छत्रपति शिवाजी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के साथ इसके आंकड़े मिलाकर देखें तो ये दोनों दक्षिण एशिया के आधे से अधिक विमान यातायात को वहन करते हैं।[4][5][6] इस विमानक्षेत्र के संचालक दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डयल) इसे विश्व का अगला अन्तर्राष्ट्रीय ट्रांज़िट हब बनाने के प्रयास कर रहा है।[7]

इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र

पालम विमानक्षेत्र
  • आईएटीए: DEL 7533800966
  • आईसीएओ: VIDP
    DEL is located in भारत
    DEL
    DEL
विवरण
हवाईअड्डा प्रकारसार्वजनिक
स्वामित्वभारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
संचालकदेल्ही इन्टर्नेश्नल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL)
सेवाएँ (नगर)दिल्ली/ एन.सी.आर
स्थितिदिल्ली, भारत
विमान कंपनी का केंद्र
समुद्र तल से ऊँचाई777 फ़ीट / 237 मी॰
वेबसाइटwww.newdelhiairport.in
उड़ानपट्टियाँ
दिशा लम्बाई सतह
फ़ीट मी॰
10/28 12,650 3,960 अस्फ़ाल्ट
09/27 12,920 4,230 अस्फ़ाल्ट
11/29 14,942 4,590 अस्फ़ाल्ट
सांख्यिकी (अप्रैल '११ - मार्च '१२)
यात्री आवागमन35,881,965
वायुयान आवागमन345,143
माल भार600,045

लगभग ५,२२० एकड़ (२,११० हेक्टेयर) की भू-संपदा में विस्तृत, दिल्ली विमानक्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिये प्राथमिक नागर विमानन हब (केन्द्र) है। सर्वप्रथम इसका संचालन भारतीय वायु सेना के पास था, जिसके बाद उसने इसका प्रबंधन दायित्व भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को सौंप दिया।[8] मई २००६ से हवाई अड्डे का प्रबंधन दिल्ली अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के पास आया। डायल जीएमआर समूह के नेतृत्व में एक संयुक्त उद्यम (ज्वाइन्ट वेन्चर) है। डायल ही विमानक्षेत्र के आगे हो रहे विस्तार एवं आधुनिकीकरण के लिये भी उत्तरदायी है।[9] इस निजीकरण का भरपूर विरोध भाविप्रा कर्मचारियों ने किया[10], किन्तु अन्ततः ३ मई २००६ को यह प्रबंधन स्थानांतरण संपन्न हो गया।[11]

वर्ष २००१-१२ में विमानक्षेत्र से ३५८.८ लाख यात्रियों की आवाजाही संपन्न हुई[12] और यहां के विस्तार कार्यक्रम योजना के अनुसार इसकी क्षमता वर्ष २०३० तक १० करोड़ यात्री तक हो जायेगी।[13] यहां के नये टर्मिनल भवन के २०१० के राष्ट्रमंडल खेलों से पूर्व निर्माण के बाद ही इसकी वार्षिक ३४० लाख यात्रियों की क्षमता है।[14] यहां का टर्मिनल-३ विश्व का ८वां सबसे बड़ा यात्री टर्मिनल है।[15] सितंबर २००८ में यहां ४.४३ कि.मी लंबी नयी उड़ानपट्टी (रनवे-३) का उद्घाटन हुआ था। इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र को २०१० में एयरपोर्ट काउन्सिल इन्टरनेशनल द्वारा १५०-२५० लाख यात्री श्रेणी में विश्व का चौथा सर्वोत्तम विमानक्षेत्र, एवं एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक प्रगति वाला विमानक्षेत्र होने का सम्मान मिला था।[16] वर्ष २०११ में विमानक्षेत्र को इसी परिषद द्वारा पुनः २.५-४ करोड़ यात्री क्षमता श्रेणी में विश्व का दूसरा सर्वोत्तम विमानक्षेत्र होने का गौरव मिला था।[17][18][19] यह स्थान कोरिया के इंचेयन अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र के बाद था।[20] इसके अलावा वर्ष २०११ में ही यह विमानक्षेत्र विश्व का ३४वाँ व्यस्ततम विमानक्षेत्र बना जिसकी यात्री आवागमन संख्या ३,४७,२९,४६७ रही एवं पिछले वर्ष के मुकाबले यातायात में इसने १७.८% की बढ़ोत्तरी भी दर्ज की।[21]

१९३० में दिल्ली का प्रथम हवाई –अड्डा सफ़दरजंग विमानक्षेत्र बना था और यही १९६२ तक दिल्ली का प्रमुख हवाई अड्डा रहा[22] बढ़ते वायु यातायात के कारण व सफ़दरजंग में छोटी उड़ान-पट्टी की बड़े जेट विमानों को उतार पाने में अक्षम होने के कारण से १९६२ में लगभग सभी नागरिक उड़ान प्रचालन को पालम विमान क्षेत्र (तत्कालीन नाम, जिसे बाद में इ.गाँ.अ.विमानक्षेत्र कर दिया गया) को भेज दी गईं।[22] पालम विमानक्षेत्र का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरानना स्टेशन, पालम के रूप में किया गया था और अंग्रेज़ों के जाने के बाद यह १९६२ तक मात्र वाय़ु सेना स्टेशन के रूप में ही कार्य कर रहा था।

पालम विमानक्षेत्र की सर्वोच्च यात्री क्षमता १३०० यात्री प्रति घंटा थी।[23] १९७० के दशक के अंत तक वाय़ु यातायात में बढ़ोत्तरी के चलते, तत्कालीन टर्मिनल क्षमता के चार गुना क्षमता वाला नया टर्मिनल बनाया गया। २ मई १९८६ को इस नये बने टर्मिनल के उद्घाटन के समय पालम विमानक्षेत्र को भारत की पूर्व प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के नाम पर वर्तमान नाम इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र दिया गया, जिसे अंग्रेज़ी आद्याक्षरों में आई.जी.आई एयरपोर्ट भी कह दिया जाता है।

सार्वजनिक निजी साझेदारी

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३१ जनवरी २००६ को भारत के तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री श्री प्रफुल्ल पटेल ने घोषणा की कि सक्षम मंत्री समूह ने दिल्ली विमानक्षेत्र के प्रबंधन अधिकार जी.एम.आर समूह संचालित डी.आई.ए.एल (डायल कन्सॉर्टियम) को तथा मुंबई विमानक्षेत्र के अधिकार जी.वी.के समूह संचालित संघ को देने का निर्णय लिया है।[24]

२ मई २००६ को दिल्ली एवं मुंबई विमानक्षेत्रों के प्रबंधन निजी संघों को सौंप दिये गए।[25]

देल्ही इन्टरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) जी एम आर समूह(५०.१%), फ़्रैपोर्ट एजी (१०%) एवं मलेशिया एयरपोर्ट्स (१०%),[26] इण्डिया डवलपमेंट फ़ण्ड (3.9%)[26] को सौंप दिये गए एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पास मात्र 26% भाग ही शेष रह गया।[27]

सांख्यिकी

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विमानक्षेत्र में दो प्राथमिक/द्वितीयक (प्राइमरी/सैकेण्डरी रडार स्थापित हैं, जो विमान यातायात सेवाओं में अत्यधिक सहायक हैं।

पुराना हवाई टर्मिनल अब टर्मिनल-१ कहलाता है और यहां से अधिकतर बजट वायु सेवाओं की अन्तर्देशीय उड़ाने संचालित होती हैं। टर्मिनलत तीन पृथक भागों में बंटा हुआ है – १ए (एयर इंडिया, एमडीएलआर एवं गो एयर उड़ानों हेतु), १बी (पहले अन्तर्देशीय उड़ानों के लिये प्रयोग होता था, अब बंद हो कर ध्वस्त किया जा चुका है), अन्तर्देशीय आगमन टर्मिनल १सी एवं नवनिर्मित १डी (अब सभी शेष अन्तर्देशीय वायुसेवाओं हेतु प्रयोग किया जाता है)। अति महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों हेतु वायुसेना के तकनीकी क्षेत्र में पृथक स्थान है। इनके अलावा हज उड़ानों हेतु विशिष्ट समर्पित टर्मिनल भी बना हुआ है।

भारतीय उड्डयन उद्योग के ऊंचाइयों को छूते समय में एवं विभिन्न निम्न-लागत निजी सेवाओं के उद्योग में आगमन से, विमानक्षेत्र ने यात्री संख्या एवं यातायात में एक बड़ी उछाल का सामना किया। इनके कारण अन्य विमानक्शःएत्रों सहित इस हवाई अड्डे के सामने भी बड़ी कठिनाइयाँ आयीं। टर्मिनल १ की अनुमानित क्षमता ७१.५ लाख यात्री प्रति वर्ष है। हालांकि वर्ष २००५-०६ के दौरान वास्तविक यात्री आवागमन १ करोड़ ४० लाख रहा। अन्तर्राष्ट्रीय टर्मिनल (टर्मि.२) को मिलाकर विमानक्षेत्र की कुल यात्री क्षमता १ करोड़ २५ लाख यात्री प्रति वर्ष रही, जबकि २००६-०७ में कुल यात्री संख्या १.६५ करोड़ यात्री प्रति वर्ष थी।[28] वर्ष २००८ में, विमानक्षेत्र में कुल यात्री संख्या २.३९ करोड़ तक जा पहुंची।


देखें स्त्रोत विकीडाटा क़्वेरी.


दिल्ली का हवाई अड्डा दुनिया में सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक आंका गया है। दिल्ली की आर्थिक सुदृढ़ता बनाये रखने में इसका बड़ा योगदान है। आंकड़ों के अनुसार यहां पांच लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। भारत के राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) द्वारा किए गए एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है: दिल्ली का इंदिरा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र लगभग 5.16 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध कराता है, जो अमेरिका में हार्ट्सफील्ड जैक्सन एटलांटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट में कार्यरत लोगों के मुकाबले 18 प्रतिशत अधिक है। राजधानी दिल्ली और भारत के आर्थिक विकास और रोजगार पर इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय विमानक्षेत्र के प्रभाव का आकलन करने के लिए भारत में अपनी तरह के इस पहले अध्ययन में कहा गया, दिल्ली हवाई अड्डे पर रोजगार राष्ट्रीय रोजगार का 0.11 प्रतिशत और राज्य में रोजगार का 8.47 प्रतिशत है।[29]

उड़ान पट्टियाँ

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दिल्ली विमानक्षेत्र में दो मुख्यतः समानांतर उड़ान पट्टियाँ और एक लगभग समानांतर उड़ान पट्टी है:

  • रनवे 11/29 (14,794 फ़ीट (4500मी)) CAT IIIB ILS दोनों ओर एवं
  • मुख्य रनवे 10/28 (12,795 फीट (3,900 मी॰))।

इनके अलावा एक अतिरिक्त उड़ान पट्टी भी उपलब्ध है:

रनवे 09/27 (13,780 फीट (4,200 मी॰))।

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रनवे 10/28 एवं रनवे 11/29 दक्षिण एशिया की मात्र उड़ानपट्टियाँ हैं जिन पर श्रेणी III-बी उपस्कर अवतरण प्रणाली स्थापित है। वर्ष २००५ के शीत ऋतु में दिल्ली विमानक्षेत्र में गहन कोहरे के कारण बड़ी संख्या में समस्याएं आयीं। तदुपरांत कुछ अन्तर्देशीय वायु सेवाओं ने अपने विमान चालकों (पायलट) को श्रेणी-II आइ.एल.एस के अन्तर्गत्त न्यूनतम 350 मी॰ (1,150 फीट) दृश्यता पर कार्यकुशल बनाया। ३१ मार्च २००६ को स्पाइसजेट के विमान के रनवे 28 एवं साथ ही जेट एयरवेज़ के विमान के रनवे 27 से साथ साथ परीक्षण उड़ान भरने के साथ ही आई.जी.आई विमानक्षेत्र, दो उड़ान पट्टियां एक साथ प्रयोग करने वाला प्रथम भारतीय हवाई अड्डा बना।[30]

साथ साथ उड़ान भरने की तत्कालीन आरंभिक प्रस्तावित प्रक्रियाओं (प्रोसीजर्स) के कारण विमानक्षेत्र के पश्चिमी ओर जहां रनवे 10/28 एवं 9/27 की केन्द्र रेखाएं आपस में काटती हैं, वहां कई एयर-मिस घटनाएं हुईं। २५ दिसम्बर २००७ को कतर एयरवेज़ की एयरबस ३२०-२०० एवं एक इंडिगो ए३२० यान के एयरमिस घटना के शीघ्र बाद से ही, रनवे प्रयोग प्रक्रियाओं में सवतंत्र प्रणाली (डिपेन्डेन्ट मोड) पृथक करने के लिये अनेक बदलाव किये गए। नयी प्रक्रियाओं में सभी प्रस्थानों हेतु रनवे 28 एवं सभी आगमनों हेतु रनवे 27 का प्रयोग किया जाने लगा। यह प्रक्रिया पिछली प्रक्रियाओं से कहीं अधिक बुद्धिसंगत लगी व २४ सितंबर २००८ तक पूर्णकालीन प्रयोग में लायी गई।

२१ अगस्त २००८ को विमानक्षेत्र में १००० करोड़ रुपयों की लागत से बना[31][32] ४.४३ कि.मी लंबे एवं ७५ मी. चौड़े रनवे-३ का उद्घाटन हुआ।[33] इस पर एयरबस ए 380 और एंटोनोव एएन 225 जैसे बड़े विमान भी उतर सकते हैं। इस उड़ान पट्टी पर विश्व का सबसे लंबा पक्का विस्थापित ड्योढ़ी (पेव्ड डिस्प्लेस्मेन्ट थ्रेश-होल्ड) (१४६० मी.) है। इस विस्थापन के कारण रनवे 29 की उपलब्ध अवतरण लम्बाई घट कर २९७० मी. रह गयी। इस बड़े विस्थापन (थ्रेशोल्ड डिस्लेस्मेन्ट) का मुख्य उद्देश्य निकटवर्ती आवासीय क्षेत्रों से अवतरण करते वायुयानों द्वारा किया जाने वाला शोर कम करना था। इस उड़ान पट्टी के आने से हवाई-अड्डे की क्षमता ५४-६० प्रति घंटे से ८५ प्रति घंटा हो गई। यह नया रनवे वाणिज्यिक प्रचालन में २५ सितंबर २००८ से दिया गया। वर्तमान में रनवे 11/29 एवं 10/28 संयुक्त रूप से निम्न लागत वायु सेवाओं के प्रयोग हेतु एवं माल यातायात उड़ानों के लिये रनवे 10/28 प्रयोग किया जाता है। अन्य सभी उड़ानों हेतु रनवे 11/29 का प्रयोग किया जाता है। रनवे 9/27 का प्रयोग अधिकांशतः टैक्सी-मार्ग के रूप में तथा 11/29 और 10/28 की अनुपलब्धता के समय मुख्य उड़ानपट्टी के रूप में किया जाता है।

सभी उड़ान पट्टियों के एकसाथ प्रयोग के प्रयोग ६ जून २०१२ से किये जाने का कार्यक्रम था। विमानक्षेत्र के प्रमुख रनवे 28/10 पर पीक घंटों के समय भार घटाने हेतु सभी तीन पट्टियों का प्रयोग किया जायेगा।[34]

विशिष्टताएं

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  • एक 102 मी॰ (335 फीट) का एटीसी टावर ३०० करोड़ रु. की लागत का निर्माणाधीन है।[35]
  • ४५ कि.मी टैक्सी मार्ग[36]
  • १२० विमान स्थान[36]

आई.जी.आई हवाई अड्डा विभिन्न भारतीय वायुसेवाओं का गृहस्थान है जिनमें एयर इंडिया, एयर इंडिया क्षेत्रीय, इंडिगो, जेटलाइट, स्पाइसजेट, जेट एयरवेज़, किंगफ़िशर एयरलाइंस एवं गो एयर। ये इस विमानक्षेत्र को भारत में अपने द्वितीय केन्द्र हब के रूप में प्रयोग करती हैं। लगभग ८० वायुसेवाएं इस विमानक्षेत्र को अपनी सेवाएं प्रदान करती हैं। वर्तमान में यहां दो सक्रिय अनुसूचित यात्री टर्मिनल भी हैं: एक समर्पित हज टर्मिनल एवं एक माल यातायात हेतु कार्गो टर्मिनल।

टर्मिनल १ - अन्तर्देशीय

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टर्मिनल-१ की सुविधाओं का प्रयोग अभी गो एयर, इंडिगो, स्पाइसजेट कर रहे हैं। यह दो क्षेत्रों में बंटा हुआ है: -- टर्मिनल १डी प्रस्थान हेतु एवं टर्मिनल १सी आगमन हेतु।

टर्मिनल १सी

टर्मिनल १सी का प्रयोग केवल अन्तर्देशीय आगमन उड़ानों हेतु किया जाता है। टर्मिनल के लिये नया स्वागत क्षेत्र निश्चित किया गया है जिसमें काफ़ी बड़ा स्थान है। इसके अलावा यहां अब पहले से कहीं बड़ा पंजीकृत माल प्राप्ति क्षेत्र भी है। यहां ६ बैगेज कैरौसल (बेल्ट) उपलब्ध हैं।

 
टर्मिनल १डी – अन्दर का दृश्य
टर्मिनल १डी
 
टर्मिनल १डी

टर्मिनल १डी नवनिर्मित अंतरिम अन्तर्देशीय टर्मिनल है। इसका कुल भूमि क्षेत्रफ़ल 36,000 मी2 (390,000 वर्ग फुट) है जिसकी यात्री वहन क्षमता १.२० करोड़ प्रतिवर्ष है। टर्मिनल १डी को प्रचालन में १५ अप्रैल २००९ को समर्पित किया गया था। यहां १२ सार्वजनिक प्रयोग टर्मिनल उपस्कर (कॉमन यूज़ टर्मिनल इक्विप्मेन्ट - CUTE) सक्षम चैक-इन पटल (काउन्टर), १६ स्वयं जाँच चेक-इन पटल एवं १६ सुरक्षा चैनल उपलब्ध हैं।

टर्मिनल ३– अन्तर्देशीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय

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बाहरी वीडियो
  आधिकारिक टर्मिनल-३ वीडियो
 
निर्माणाधीन टर्मिनल ३ का एरियल चित्र। ३७ माह में निर्माण सम्पन्न यह टर्मिनल विश्व का आठवां सबसे बड़ा विमानक्षेत्र टर्मिनल है।
 
इंदिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र का टर्मिनल टी३
 
टर्मिनल टी३

वर्ष २०१० में आरंभ हुआ, टर्मिनल ३, कला का उत्कृष्ट नमूना एवं एकीकृत भविष्य टर्मिनल है। यह विश्व की २४वीं सबसे बड़ी इमारत[15] एवं आठवां सबसे बड़ा यात्री टर्मिनल है। यह कुल 540,000 मी2 (5,800,000 वर्ग फुट) में बना ३.६ करोड़ यात्री की वार्षिक क्षमता रखता है।[14] इस परियोजना के निर्माण में 12 हजार 700 करोड़ रुपये की लागत आई थी।[37]

यह टर्मिनल एच.ओ.के के मॉट्ट मैक-डोनाल्ड के परामर्श में बना,[38] नया टर्मिनल ३० एकड़ क्षेत्र में विस्तृत एक दुमंजिला इमारत है, जिसका भूतल आगमन हेतु एवं ऊपरी तल प्रस्थान हेतु प्रयोग किया जाता है। टर्मिनल में २४० चेक-इन पटल, ६५ संपर्क स्टैण्ड से लगे ७८ एयरोब्रिज, ५४ पार्किंग बे, एवं न्यून प्रतीक्षा समय हेतु ७२ आप्रवास पटल (इम्मिग्रेशन काउन्टर), १५ एक्स-रे जाँच क्षेत्र से लैस शुल्क-मुक्त दुकानों एवं अन्य सुविधाओं से युक्त है।[39][40][41] विमानक्षेत्र के लगभग ९०% यात्री पूर्ण होने पर इस टर्मिनल का उपभोग कर सकते हैं। यह टर्मिनल नियत समय से दिल्ली में आयोजित हुए २०१० राष्ट्रमंडल खेलों से पूर्व पूर्ण हो चुका था। यह दिल्ली शहर से राष्ट्रीय राजमार्ग ८ पर एक आठ-लेन सड़क द्वारा एवं दिल्ली मेट्रो द्वारा भली-भांति जुड़ा हुआ है। टर्मिनल का आधिकारिक उद्घाटन ३ जुलाई २०१० को नौ परीक्षण उड़ानों सहित इसकी प्रचालन के लिये तैयार होने तथा भूमि सेवा क्षमता (ग्राउण्ड हैण्डलिंग कैपेबिलिटी) की जाँच के साथ हुआ था। सभी अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों को जुलाई २०१० के अंत तक यहां स्थानांतरित कर दिया गया था, एवं सभी पूर्ण सेवा अन्तर्देशीय वायु सेवाओं ने नवंबर के मध्य से यहां प्रचालन आरंभ कर दिया था। इस टर्मिनल पर १८ पंजीकृत माल (रजिस्टर्ड बैगेज) प्राप्ति बेल्ट हैं।

टी३ पर भारत की प्रथम स्वचालित पार्किंग प्रबंधन एवं निर्देशन प्रणाली से लैस बहु-मंजिलीय कार पार्किंग बनी है, जिसमें ७ तलों में ६३०० कारों की क्षमता है। यह पार्किंग प्रणाली एफ़.ए.ए.सी इण्डिया प्रा.लि. द्वारा श्री दीपक कपूर (प्रबंध निदे.) एवं श्री अश्फ़ाक आलम, (उत्पाद प्रबंधक) द्वारा अभिकल्पित एवं रिकॉर्ड समय में स्थापित की गई है। इसमें ऐसी सुविधा है कि किसी पार्किंग चाहने वाले को एक इलैक्ट्रॉनिक डायनैमिक साइनेज की सहायता द्वारा अधिकतम ५ मिनट में स्थान मिल सकता है।

टर्मिनल ३ विमानक्षेत्र विस्तार का प्रथम चरण है, जिसमें एक अंग्रेज़ी के 'U' आकार का भवन मॉड्यूलर रूप में बनाया गया है। २०१० से सभी अन्तर्राष्ट्रीय एवं पूर्ण सेवा वायु-संचालकों का प्रचालन यहां से आरंभ हो गया था, जबकि टर्मिनल १ से मात्र निम्न बजट वायु सेवाओं का प्रचालन ही चलता है। कालांतर में इन्हें भी नये टर्मिनल परिसर में ही स्थान देने की योजना है।

अन्तर्देशीय वायु सेवाओं के लिये नये टर्मिनल से संचालन की बहुप्रतीक्षित शुरुआत हो चुकी है। कई बाधाओं को पार करने के उपरांत भारत के राष्ट्रीय कैरियर एयर इंडिया ने भी अपनी अन्तर्देशीय सेवा टी३ से ११ नवम्बर २०१० को आरंभ कर दी थी। दो अन्य वायु सेवाएं जेट एवं किंगफ़िशर नये टर्मिनल पर १४ नवम्बर २०१० से सभी अन्तर्देशीय सेवाएं दे रही हैं। टर्मिनल टी १डी केवल गो एयर एवं अन्य कम मूल्य वायु सेवाओं के लिये ही प्रयोग किया जा रहा है।[42]

हज टर्मिनल

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वार्षिक मुस्लिम तीर्थयात्रा हज के समय, हज हेतु विशिष्ट उड़ानें चलती हैं, जो विश्व के अन्य क्षेत्रों को जा रहे यात्रियों के बीच व्यवधान से बचने हेतु इस पृथक टर्मिनल से चलायी जाती हैं। इस अंतराल में आ रहे अतिरिक्त यात्रियों को सेवा उपलब्ध कराने हेतु एक अलग टर्मिनल बनाया गया है, जहां उनके लिये पर्याप्त स्थान नियत रहता है। इस टर्मिनल की क्षमता १ करोड़ यात्री प्रति वर्ष है। इस टर्मिनल का प्रयोग प्रतिवर्ष हिजरी के अनुसार ईद उल फ़ितर के बाद दूसरे माह से लगभग दो माह तक के लिये होता है। वर्ष २०११ में यह २८ सितंबर से चालू हुए इस भवन को शेष दस माह में अन्य कार्यों के लिये प्रयोग करने की योजनाएं प्रगति पर हैं।

अप्रयोग टर्मिनल सुविधाएं

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टर्मिनल १ए

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टर्मिनल १ए एवं १सी का हवाई दॄश्य, २००६

टर्मिनल १ए का निर्माण १९९० के दशक के आरंभ में इंडियन एयरलाइंस की अन्तर्देशीय उड़ानों के प्रयोग हेतु ही किया गया था। कालांतर में हुए एक अग्नि काण्ड के पश्चात यहां की आंतरिक बनावट एवं सज्जा का पुनर्निर्माण किया गया। यहां के संचालक, डायल ने तब इस टर्मिनल का उन्नयन कार्य भी किया। अब यहां नयी चमक दमक के संग आधुनिक प्रसाधन कक्ष एवं अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। हालांकि भविष्य में ये सभी यहां नये विस्तृत टर्मिनल भवन के निर्माण के लिये हटायी जाएंगीं। इस नये टर्मिनल का निर्माण आगामी वर्षों में पूर्ण होने को है। इससे पूर्व ये टर्मिनल एयर इंडिया क्षेत्रीय द्वारा ११ नवम्बर २०१० तक नये टर्मिनल ३ को स्थानांतरित हो जाने तक प्रयोग किया जाता था। अब यह टर्मिनल बंद है और यहां की अन्तर्देशीय उड़ानें टर्मिनल १-डी को स्थानांतरित कर दी गयी हैं।

टर्मिनल १बी

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अप्रैल २००९ से नये टर्मिनल १डी के आरंभ होने पर यह टर्मिनल बंद कर दिया गया है।

टर्मिनल २

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१ मई १९८६ को ९५ करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुए,[22] टर्मिनल २ को फ़िल्हाल काफ़ी मरम्मत एवं अद्यतन आदि आवश्यकता है।[उद्धरण चाहिए] इन कार्यों के बारे में टर्मिनल ३ के उद्घाटन होने से पूर्व ही विचार कर लिया गया था। इन कार्यों में पूरे टर्मिनल भवन का रंग-रोगन किया गया है, पुरानी गहरे रंग की खिड़कियों आदि को नये शीशों से सज्जित किया गया है, फर्श पर नयी टाइल्स लगायी गई हैं, दीवारों एवं छतों पर नयी सतहें एवं फ़ाल्स सीलिंग्स आदि लगायी गई हैं, अधिक आप्रवास एवं उत्प्रवास पटल (इम्मिग्रेशन एवं ईमाइग्रेशन काउन्टर्स) बनाये गए हैं, नयी बैठने की सीटें लगायी गई हैं, नयी बैगेज बेल्ट्स, अधिक व्यापारिक लाउन्ज, खाद्य एवं रेस्टॉरेन्ट्स एवं ड्यूटी-मुक्त दुकानें बढ़ायी गई हैं। इनमें से कई नये टी३ पर स्थानांतरित कर दी गई हैं। टर्मिनल २ टी३ के साथ मिलकर ही सेवाएं देगा, जब तक कि नया टर्मिनल ४ नहीं तैयार हो जाता है। उसके तैयार हो जाने पर प्रस्तावित मास्टर प्लान के अनुसार इसे ध्वस्त कर दिया जायेगा।[43] वर्तमान में ये टर्मिनल प्रचालन से मुक्त है।

नियोजित टर्मिनल

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टर्मिनल ६ एवं ५

आगे के चरणों में टर्मिनल ६ एवं ५ के निर्माण की भी योजना है। इनका निर्माण यातायात में वृद्धि को दृष्टि में रखकर किया जायेगा। एक बार इनके निर्माण सम्पन्न हो जाने पर, सभी अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानें इन पर स्थानांतरित कर दी जायेंगीं, एवं टी३ को पूर्णतया अन्तर्देशीय उड़ानों के लिये ही प्रयोग किया जायेगा। इनके अलावा एक नये कार्गो भवन की भी योजना है। दिल्ली इन्टरनेशनल एयरपोर्ट लि. (डायल) के अनुसार इन नये टर्मिनल्स के सहयोग से विमानक्षेत्र की वार्षिक यात्री क्षमता १० करोड़ तक पहुँच जायेगी।[40]

कार्गो टर्मिनल

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यहां का कार्गो टर्मिनल प्रबंधन मै. सेलेबी देल्ही कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट इण्डिया प्रा.लि. के पास है और ये सभी माल यातायात संबंधी प्रचालन देखता है। विमानक्षेत्र को २००७ में उत्कृष्ट एवं संगठित माल/कार्गो प्रणाली के लिये अन्तर्राष्ट्रीय सम्माण भी मिल चुका है। यह मुख्य टर्मिनल टी३ से लगभग १ कि.मी की दूरी पर स्थित है।

वायु सेवाएं एवं गंतव्य

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चित्र:T3 retail 2.jpg
टी३ रिटेल
 
प्लाज़ा लाउंज, टर्मिनल १डी
 
यात्री लाउंज
 
टी३ स्वागत क्षेत्र
 
द्वारों के निर्देश
 
टी३ टर्मिनल पर शिल्पाकृतियों में सूर्य नमस्कार के बारह आसन, कृति: निखिल भंडारी [44]


वायुसेवाएंगंतव्यटर्मिनल
एरोफ़्लोट मॉस्को-शेरेमेत्येवो 3
एरोस्विट एयरलाइंस कीव-बोरिस्पिल 3
एयर अरबिया शारजाह 3
एयर अस्ताना अल्माटी 3
एयर चाइना बेइजिंग-कैपिटल 3
एयर फ़्रांस पैरिस-चार्ल्स डि-गॉल 3
एयर इण्डिया अबु धाबी, अहमदाबाद, अमृतसर, औरंगाबाद, बहरीन, बागडोगरा, बंगलुरु, बैंगकॉक-सुवर्णभूमि, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, शिकागो, कोयंबतूर, दम्मम, दुबई, फ़्रैंकफ़र्ट, गया, गोआ, ग्वालियर, गुवाहाटी, हांगकांग, हैदराबाद, इम्फ़ाल, इन्दौर, जयपुर, जम्मू, जेद्दाह, जोधपुर, काबुल, काठमांडु, खजुराहो, कोच्चि, कोलकाता, कोज़ीखोड, लेह, लंदन, लखनऊ, मुंबई, मस्कट, नागपुर, न्यू यॉर्क, ओसाका-कन्साई, पैरिस- चार्ल्स डि गॉल, पटना, पुणे, रायपुर, रांची, रियाध, सियोल- इंचेयन, शंघाई-पुडोंग, सिंगापुर, श्रीनगर, तिरुवनंतपुरम, तिरुपति, टोक्यो-नरिता, टोरोंटो-पियरसन [१ मार्च, २०१३ से चालू][45], उदयपुर, वाराणसी,गोरखपुर[46] ,विजयवाड़ा, विशाखापट्नम 3
एयर इंडिया क्षेत्रीय इलाहाबाद, औरंगाबाद, भुवनेश्वर, चेन्नई, ग्वालियर, जबलपुर, कानपुर, कोलकाता, कुल्लू, लुधियाना, पठानकोट, पोर्ट ब्लेयर, सूरत, वडोदरा3
एयर मारीशस मारीशस 3
ऑल निप्पन एयरवेज़ टोक्यो-नरिता [२९ अक्टूबर २०१२ से चालू][47] 3
एरियाना अफ़्गान एयरलाइंस काबुल, कांधार 3
एशियाना एयरलाइंस सियोल-इंचेयन 3
ऑस्ट्रियन एयरलाइंस
टायरोलियन एयरवेज़ द्वारा संचालित
वियना 3
एविया ट्रैफ़िकबिश्केक 3
बिमान बांग्लादेश एयरलाइंस ढाका 3
ब्रिटिश एयरवेज़ लंदन-हीथ्रो 3
कैथे पैसिफ़िक बैंग्काक-सुवर्णभूमि, हांगकांग 3
चाइना एयरलाइंस रोम-फ़ियूमिशिनो, ताईपेई-ताओयुआन 3
चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस शंघाई-पुडोंग 3
चाइना सदर्न एयरलाइंस ग्वांगज़ोउ 3
ड्रक एयर पारो 3
एमिरेट्स दुबई 3
इथियोपियन एयरलाइंस अदिस अबाबा, हांगज़ोउ 3
इत्तिहाद एयरवेज़ अबु धाबी 3
फ़िनएयर हेल्सिंकी 3
गो एयर अहमदाबाद, बागडोगरा, बंगलुरु, चंडीगढ़, गोआ, गुवाहाटी, जम्मू, कोच्चि, कोलकाता, लेह, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नांदेड़, पटना, पोर्ट ब्लेयर, पुणे, रांची, श्रीनगर 1D
गल्फ़ एयर बहरीन 3
इंडीगो अगरतला, अहमदाबाद, बंगलुरु, भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयंबतूर, डिब्रुगढ़, गोआ, गुवाहाटी, हैदराबाद, इम्फ़ाल, इन्दौर, जम्मू, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ,गोरखपुर,मुंबई, मस्कट, नागपुर, पटना, रायपुर, श्रीनगर, तिरुवनंतपुरम, वडोदरा, विशाखापट्नम 1D
इंडीगो बैंगकाक - सुवर्णभूमि, दुबई, काठमांडु, सिंगापुर 3
ईराकी एयरवेज़ बगदाद, बसरा 3
जगसन एयरलाइंस चंडीगढ़, धर्मशाला, कुल्लू, पंतनगर, शिमला 3
जापान एयरलाइंस टोक्यो-नरिता 3
जेट एयरवेज़ अबु धाबी, अहमदाबाद, अमृतसर, बागडोगरा, बंगलुरु, बैंगकाक, भोपाल, ब्रसल्स, चंडीगढ़, चेन्नई, दम्मम, ढाका, दोहा, दुबई,गुवाहाटी, हांगकांग, हैदराबाद, जयपुर, जोधपुर, काठमांडु, खजुराहो, कोच्चि, कोलकाता, लेह, लंदन-हीथ्रो, लखनऊ, मिलान-माल्पेन्सा, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे, रायपुर, रांची, सिंगापुर, श्रीनगर, टोरोंटो-पियरसन, तिरुवनंतपुरम, उदयपुर, वडोदरा, वाराणसी, विशाखापट्नम 3
जेटकनेक्ट अहमदाबाद, अमृतसर , औरंगाबाद, बंगलुरु, भोपाल, चंडीगढ़, चेन्नई, डिब्रुगढ़, गोआ, गुवाहाटी, हैदराबाद, जम्मू, काठमांडु, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पोर्ट ब्लेयर, पुणे, रायपुर, श्रीनगर, वडोदरा 3
काम एयर काबुल 3
केन्या एयरवेज़ नैरोबी 3
किंगफ़िशर एयरलाइंस बंगलुरु, चंडीगढ़, देहरादून, धर्मशाला, गुवाहाटी, जबलपुर, जयपुर, जम्मू, मुंबई, पुणे, श्रीनगर, उदयपुर[48] 3
केएलएम एम्स्टर्डैम 3
कुवैत एयरवेज़ कुवैत 3
लुफ़्थान्सा फ़्रैंकफ़र्ट, म्यूनिख 3
महान एयरतेहरान 3
मलेशिया एयरलाइंस कुआला लंपुर 3
मिहिन लंका कोलंबो [१ फ़रवरी २०१३ से प्रचालन आरंभ] 3
ओमान एयर मस्कट 3
पाकिस्तान इन्टरनेशनल एयरलाइंस कराची, लाहौर 3
फ़िलीपींस एयरलाइंस बैंगकाक-सुवर्णभूमि, मनीला 3
कतर एयरवेज़ दोहा 3
रॉयल जॉर्डैनियन अम्मान 3
सफ़ी एयरवेज़काबुल[49] 3
साउदियादम्मम, रियाध 3
सिंगापुर एयरलाइंस सिंगापुर 3
स्पाइसजेट अहमदाबाद, अमृतसर, औरंगाबाद, बागडोगरा, बंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, कोयंबतूर, देहरादून, गोआ, गुवाहाटी, हैदराबाद, इन्दौर, जबलपुर,[50] जम्मू, कोच्चि, कोलकाता, कोज़िखोड, मदुरई,मंगलौर, मुंबई, पुणे, रांची, श्रीनगर, सूरत, वाराणसी,गोरखपुर,विशाखापट्नम 1D
स्पाइसजेट दुबई, काबुल, काठमांडु 3
श्रीलंकन एयरलाइंस कोलंबो 3
स्विस अन्तर्राष्ट्रीय एयरलाइंस ज़्यूरिख 3
थाई एयरवेज़ अन्तर्राष्ट्रीय बैंगकाक-सुवर्णभूमि 3
टर्किश एयरलाइंस इस्तम्बोल 3
तुर्कमेनिस्तान एयरलाइंस आश्गाबात 3
यूनाइटेड एयरलाइंस नेवार्क 3
उज़्बेकिस्तान एयरवेज़ ताश्कंद 3
वर्जिन अटलांटिक लंदन-हीथ्रो 3

कार्गो सेवाएं

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चित्र:T3 car garage.jpg
टी-३ पर बहुमंजिलीय कार पार्किंग भवन
वायुसेवाएंगंतव्य
एयरोलॉजिकबहरीन, बैंगकाक-सुवर्णभूमि, फ़्रैंकफ़र्ट, हांगकांग, लिपज़िग/हॉल्ल, शारजाह, सिंगापुर
ब्लू डार्ट एविएशन अहमदाबाद, औरंगाबाद, बंगलुरु, बागडोगरा, भोपाल, चेन्नई, कोयंबतूर, दिल्ली, गोआ, हैदराबाद, इन्दौर, जयपुर, कोच्चि, कोलकाता, लखनऊ, नागपुर, रायपुर, रांची, पटना
ब्रिटिश एयरवेज़ वर्ल्ड कार्गो
संचालक ग्लोबल सप्लाई सिस्टम्स
फ़्रैंकफ़र्ट, हांगकांग, लंडन-स्टैन्स्टेड सिस्टम्स
कैथे पैसेफ़िक कार्गोबंगलुरु, फ़्रैंकफ़र्ट, हांगकांग, ज़ारागोज़ा
डेक्कन ३६०मुंबई
डी.एच.एल.एक्स्प्रेसब्रसल्स, कोलोन, कोपनहेगन, दुबई-अन्तर्राष्ट्रीय, फ़्रैंकफ़र्ट, लिपज़िग/हॉल्ल, लंदन-स्टॅनस्टेड, त्बिलिसी
इत्तिहाद क्रिस्टल कार्गोअबु धाबी
एवा एयर कार्गोताईपेई-ताओवुआन, वियना
फ़ॅड-एक्स एक्स्प्रॅसचेंगदु, दुबई-अन्तर्राष्ट्रीय, गुआंगज़ोउ
फ़िन्नएयर कार्गो
संचालक: नॉर्डिक ग्लोबल एयरलाइंस
हेल्सिंकी
हांगकांगएयरलाइंसहांगकांग
लुफ़्थानसा कार्गोफ़्रैंकफ़र्ट, ढाका, गुआंगज़ोउ, क्रास्नोयार्स्क
मार्टिनएयर कार्गो 1एम्स्टर्डैम, हांगकांग, शारजाह
थाई एयरवेज़ कार्गोबैंगकाक-सुवर्णभूमि, फ़्रैंकफ़र्ट
सिंगापुर एयरलाइंस कार्गोसिंगापुर
टीएनटी एयरवेज़लीग, दुबई-अन्तर्राष्ट्रीय
टर्किश एयरलाइंस कार्गोइस्तंबोल-अतातुर्क, ताश्कंद, त्बिलिसी
युनीटॉप एयरलाइंसवुहान
उज़्बेकिस्तान एयरवेज़ कार्गोताश्कंद
याण्डा एयरलाइंसबैंगकाक-सुवर्णभूमि

^1 - मार्टिनएयर कार्गो KLM 747 विमान का प्रयोग लीज़ पर के.एल की वर्दी में करते हैं, किन्तु सेवा मार्टिन की स्वयंकी है, न कि के.एल.एम की।


कनेक्टिविटी

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दिल्ली विमानक्षेत्र एक्स्प्रेस ट्रेन
 
दिल्ली-गुड़गांव एक्स्प्रेसवे

विमानक्षेत्र को मेट्रो रेल द्वारा आवागमन दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्स्प्रेस ट्रेन लाइन द्वारा मिलता है। यह लाइन २२.७ कि.मी की है और टर्मिनल ३ से भारतीय रेल के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन तक २० मि. में पहुंचा देती है। किन्तु यह सेवा अस्थायी रूप से ८ अगस्त २०१२ से तकनीकी कारणों से बंद की गई है।[51][52]

भारतीय रेल

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भारतीय रेल का निकटतम रेलवे स्टेशन शाहबाद मुहम्मदपुर (SMDP) है।[53] इसके बाद निकटवर्ती बड़ा रेलवे स्टेशन है पालम रेलवे स्टेशन (PM)[54]

विमानक्षेत्र आठ-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग ८ अर्थात् दिल्ली गुड़गांव एक्स्प्रेसवे से जुड़ा हुआ है। डीटीसी द्वारा संचालित विशेष एयरपोर्ट सेवा में निम्न-तलीय (लो फ़्लोर) बसें नियमित रूप से विमानक्षेत्र के दोनों टर्मिनल्स एवं शहर के बीच संचालित होती हैं। टर्मिनल से दिल्ली के विभिन्न एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के स्थानों के लिये मीटर वाली टैक्सी सेवा भी उपलब्ध रहती है। इनमें पूर्व-भुगतान वाली प्रीपेड टैक्सी सेवा भी उपलब्ध हैं।

फ़िक्स्ड बेस ऑपरेट्र्स (एफ़बीओ)

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ईंधन प्रदाता

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  • इण्डियन ऑयल स्काईटैंकिंग लि.
  • भारत स्टार्स सर्विसेज़ प्रा.लि.

ग्राउण्ड हैण्डलर्स

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  • एन.ए.सी.आई.एल
  • सेलेबी ग्राउण्ड हैण्डलिंग देल्ही प्रा.लि.
  • कम्बाटा एविएशन
  • बी.डब्लु.एफ़.एस

घटना एवं दुर्घटनाएं

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  • १४ जून १९७२ को जापान एयरलाइंस की उड़ान संख्या ४७१ पालम विमानक्षेत्र के बाहर ही क्रैश हो गयी। इसमें ८२ में से ८७ यात्री मारे गए; जिनमें ११ में से १० क्रू सदस्य एवं ७६ में से ७२ यात्री थे। इनके अलावा ३ व्यक्ति जमीन पर थे।[56]
  • ३१ मई १९७३ को इण्डियन एयरलाइंस उड़ान 440 पालम विमानक्षेत्र पहुंचते हुए, यहां के वायु-अप्रोच क्षेत्र में ही क्रैश हो गयी। इसमें ६५ याट्रियों में से ४८ एवं सभी क्रू सदस्य काम आ गये।
  • ७ मई १९९० को लंदन से आ रही एयर इंडिया की लंदन-दिल्ली-मुंबई मार्ग की उड़ान में बोइंग ७४७ विमान लंदन के हीथ्रो विमानक्षेत्र से उड़ान भरने के बाद दिल्ली पहुंचने पर इंदिरा गांधी विमानक्षेत्र में टच-डाउन किया। यहां विरोधी दबाव (रिवर्स थ्रस्ट) देते हुए उसने पाया कि विमान के पंख से जुड़ा इंजन-१ फ़ेल हो गया है। परिणामस्वरूप विमान का अग्रभाग (नोज़) नीचे झुक गया। इस कारण निकसित गर्म गैसों एवं वाष्प से बाएं पंख में आग लग गयी। विमान में २१५ लोग थे जिनमें से १९५ यात्री एवं २० क्रू सदय थे। सौभाग्यवश कोई हताहत नहीं हुआ, किन्तु विमान मरम्मत की सीमा से बाहर हो जाने से बेकार हो गया।[57]
  • १२ नवम्बर १९९६ को विमानक्षेत्र १९९६ चरखी दादरी मार्ग मध्य भिडंत काण्ड का भागी बना। इसमें एक साउदिया वायुसेवा के बोइंग ७४७-१००बी विमान की टेक-ऑफ़ लेने के उपरांत उन्नयन करते हुए आगमन करते हुए एक फ़ैशन कंपनी द्वारा चार्टर किये गए एक एयर कज़ाखिस्तान के इल्यूशिन आईएल-७६ विमान से भिड़ंत हुई। इस काण्ड में दोनों विमानों के सभी ३४९ यात्रियों की मृत्यु हो गई।[58] 28 जून 2024: सुबह-सुबह भारी बारिश के बीच टर्मिनल 1 की छत का एक हिस्सा खड़ी गाड़ियों पर गिर गया। एक व्यक्ति की मौत हो गई और 8 लोग घायल हो गए।

बड़ी घटनाएं

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  • १४ जून १९७२ को जापान एयरलाइंस की उड़ान संख्या ४७१ पालम विमानक्षेत्र के बाहर ही क्रैश हो गयी। इसमें ८२ में से ८७ यात्री मारे गए; जिनमें ११ में से १० क्रू सदस्य एवं ७६ में से ७२ यात्री थे। इनके अलावा ३ व्यक्ति जमीन पर थे।[60]
  • ७ मई १९९० को लंदन- दिल्ली-मुंबई जा रहा एयर इण्डिया बोइंग ७४७, जिसमें २१५ लोग (१९५ याट्री एवं २० क्रू सदस्य) थे लंदन हीथ्रो विमानक्षेत्र से उड़ान भरने के बाद इंदिरा गांधी अं. विमानक्षेत्र पर टच डाउन किया। रिवर्स त्रस्ट लगाने पर बायें विंग से जुड़े इंजन सं.१ के फ़ेल हो जाने से उसे नोज़-लैण्डिंग करनी पड़ी। गर्म उत्सर्जित वाष्प के कारण बायें विंग में आग लग गयी। हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ, किन्तु विमान मरम्मत की सीमा से बाहर हो जाने के कारण बेकार हो गया।[61]
  • १२ नवम्बर १९९६ को यह विमानक्षेत्र चरखी-दादरी वायु मध्य भिडंत में संलग्न रहा, जब साउदिया के एक बोइंग 747-100बी, उड़ान भरने के उपरांत ऊपर उठते हुए यहाम अवतरण के लिये तैयार एक एयर कज़ाखिस्तान के इल्यूशिन आईएल-७६ जो एक फ़ैशन कंपनी द्वारा चार्टर उड़ान थी, वायु मध्य में भिड़ गया, जिससे दोनों उड़ानों में सवार सभी ३४९ यात्री मारे गए।[58] 28 जून 2024: सुबह-सुबह भारी बारिश के बीच टर्मिनल 1 की छत का एक हिस्सा खड़ी गाड़ियों पर गिर गया। एक व्यक्ति की मौत हो गई और 8 लोग घायल हो गए।

अन्य जानकारी

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दिल्ली विमानक्षेत्र की संचालक कंपनी डायल (DIAL) से प्राप्त सूचना के अनुसार वय माइक्रोसॉफ़्ट के साथ मिलकर आगामी विंडोज़ ८ प्लेटफ़ॉर्म की संगत एप्लीकेशन लान्च करेगी। इससे उड़ानों की वास्तविक सूचना, मौसम की जानकारी, हवाई अड्डे पर यात्रियों के लिये उपलब्ध सभी सुविधाओं के बारे में जानकारी उपलब्ध होगी। यहां ध्यानयोग्य है कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) संबंधी चुनौतियों के नियंत्रण तथा उससे निपटने को लेकर डायल को कुछ समय पूर्व ही आईएसओ 20000 प्रमाणपत्र मिला है।[62][63]

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  3. दिल्ली विमानक्षेत्र मुंबई विमानक्षेत्र से ४० उड़ान प्रतिदिन की दर से व्यस्ततर है Archived 2012-11-30 at the वेबैक मशीन उद्धरण: Delhi Airport busier than Mumbai by 40 flights a day
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बाहरी कड़ियाँ

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निर्देशांक: 28°33′16″N 77°5′58″E / 28.55444°N 77.09944°E / 28.55444; 77.09944