पुरालेख 21 पुरालेख 22 पुरालेख 23

यह पृष्ठ विकिपीडिया चौपाल की वार्ताओं का पुरालेख पृष्ठ है। नवीनतम वार्ताओं के लिए देखें विकिपीडिया:चौपाल

जिमि वेल्स के संदेश का सुधार

जिमी वेल्स के संदेश का भाग यहां लिखा है। सदस्य:लॉजिक या कोई भी अन्य इसे सुधा कर बतायें। इसे सही होने पर वापस वहां सुधार/पेस्ट कर दिया जायेगा।

नमस्कार, दस साल पहले जब मैनें लोगों से विकिपीडिया के बारे में बोलना शुरु किया तो मुझे बहुत ही हास्यप्रद एवं अजीब दृष्टिकोण मिले।

बस यह कहिये कि कुछ व्यापारिक हस्तियों को इस बात का संश्य था कि क्या दुनिया के कोने कोने से स्वयंसेवक सागररुपी ज्ञान का भंडारगृह बना पायेंगे वह भी सबको सरलता से बाँटने के लिये। ना विज्ञापन, ना मुनाफा, ना कोई ऐजंडा।

आज इसकी स्थापना के दस साल बाद, अड़तीस करोड़ से ज्यादा लोग या लगभग एक तिहाई इन्टरनेट से जुड़ी़ दुनिया हर महिने विकिपीडिया का उपयोग करती है।

यह दुनिया की पाँचवी सबसे लोकप्रिय वेबसाइट है अन्य चार अरबो डालर के निवेश, विशाल कॉरपोरेट कर्मचारी और सतत विपणन के परिणाम स्वरुप बनी है। लेकिन, विकिपीडिया एक वाणिज्यिक वेबसाइट की तरह कुछ भी नहीं है, यह एक समुदाय की बनायी एवं कई स्वयंसेवकों द्वारा एक एक करके लिखी गयी है। आप हमारे समुदाय का हिस्सा हैं और आज मैं आपको यह संदेश विकिपीडिया के संरक्षण और इसके अस्तित्त्व को बनाये रखने के लिये लिख रहा हूँ। ताँकि हम सब एक साथ मिलकर इस ज्ञानकोष को निःशुल्क एवं विज्ञापन मुक्त रख सके, इसे मुक्त रख सके ताँकि आप बेझिझक हर तरह से इस ज्ञानकोष का प्रयोग कर सके, इसे निरंतर बढा सके ताँकि हर कोई इसमें अपना योगदान देकर इस ज्ञानकोष के प्रकाश को दूर दूर तक फैला सके।

हमारे इस संयुक्त उद्यम को बनाए रखने के लिये हर वर्ष इस समय हम आप और आप जैसे कई लोगों को विकिपीडिया समुदाय में $ 20, $ 35, $ 50 या अधिक राशि का एक मामूली दान देने के लिये अपना संदेश देते है।

अगर आप विकिपीडिया को ज्ञान और प्रेरणा का स्रोत समझते हैं - तो मैं आशा करता हूँ कि आप अभी इसका समर्थन करेगे।

इसके साथ ही सबको शुभकामनाएँ
जिमी वेल्स
संस्थापक, विकिपीडिया
अनुलेख - विकिपीडिया हम जैसे लोगों की शक्ति के बारे में असधारण कार्य करने के लिये है। हमारे जैसे लोग विकिपीडिया लिखते हैं, एक शब्द एक समय पर। हमारे जैसे लोग इसका समर्थन करते हैं, एक दान एक समय पर। यह दुनिया को बदलने की हमारी सामूहिक क्षमता का सबूत है।

कार्रवाई की प्रतीक्षा में: -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ०५:५५, १९ नवंबर २०१० (UTC)

logic या कहें राजीव मास

logic जी आप यहाँ के किसी अनुभवी प्रबंधक का छदम रुप है इसकी पुष्टि विकिमीडीया स्टीवर्ड्स पहले ही कर चुके है और मेरे कहने पर वो यहाँ इसकी पुष्टि करने भी आ जायेंगे। आपकी यहाँ के पुराने प्रबंधक राजीव मास के छदम खाते के रुप पुष्टि की गयी थी। आपके ऊपर कार्यवाही करने के लिये केवल हमारे पास विकिनीतियाँ नहीं थी परन्तु अब वो १० सदस्यों के निर्विरोध समर्थन के साथ बन चुकी है अत: मैं आपका एवं आपके छदम खाते दोनो खातों को अवरोधित करने जा रहा हूँ यदि राजीव मास जी को इसकी पुष्टि में कुछ कहना है तो कृपया कहे

हाँ इससे पहले मैं सभी सदस्यों को किसी सदस्य का छदम खाता पकड़ने की विधि बताना चाहूँगा, इसकी तीन विधियाँ है-

  • १) विकिमीडिया स्टीवर्ड्स की मदद से दोनो खातो की चेक युजर जाँच जिसमें यह पुष्टि की जाती है कि क्या दोनो सदस्य के आई पी समान है एवं दोनों सदस्य एक ही संगणक प्रयोग करते है और एक ही ब्राउजर का प्रयोग करते है के नहीं
    • इस जाँच में राजीवमास एवं लाजिक दोनो के खाते समान पाये गये, दोनों एक ही संगणक प्रयोग करते है एवं एक ही ब्राउजर, इसके साथ दोनों के आई पी भी समान पाये गये
  • २) दूसरी जाँच को ड्क टेस्ट कहते है हालाँकि छ्दम खाते वाल सदस्य यह पूरी कोशिश करता है कि वह गलत सलत भाषा लिखे जिससे उस पर किसी को शक न हो परन्तु इस टेस्ट में यह देखा जाता है कि क्या दोनों खातों द्वारा लिखनें में की जाने वाली त्रुटियाँ समान है के नहीं
    • इस जाँच में भी दोनों खाते समान निकले दोनों ही सदस्य एक पंक्ति लिखने के बाद स्पेस देकर पूर्ण विराम लगाते है।
  • ३) तीसरी विधि है यह है कि दोनों सदस्यों के लेखों में रुचि को देखा जाता है इसके लिये यहाँ देखें
    • इस टेस्ट में भी दोनों सदस्य समान पाये गये

अब वैसे तो हमारी विकिनीतियों के अनुसार दोनों सदस्यों को अवरोधित कर देना चाहिये परन्तु फिर भी मैं लाजिक, राजीव मास एवं अन्य प्रबंधको की इस विषय पर विचार जानना चाहूँगा-- Mayur(TalkEmail)  ०५:०२, १९ नवंबर २०१० (UTC)

अरे वाह । अब आप मुझे और राजीव मास को तुरन्त ही प्रतिबन्धित कर दें । और जल्दी से एक बिनती विकिपीडिया के संस्थापक जिमी वेल्स से को भी ठीक कर दें ।--Logic ०५:१५, १९ नवंबर २०१० (UTC)
लाजिक जी थोड़ा धैर्य रखें, हाँ और ऊपर अनुनाद जी पर "चोरी और सीना जोरी" की टिप्पणी कर आप विकि की पर्सनल अटैक की पालिसी को भंग कर रहे है। ऐसा मत करे, कृपया थोड़ा इन्तजार करे अन्य लोगो को इस विषय पर टिप्पणी करने दें, आपके १२२.१२१-१२५.-.- वाले मित्र का भी टिप्पणी करने के लिये स्वागत है।-- Mayur(TalkEmail)  ०६:११, १९ नवंबर २०१० (UTC)
मजे की बात यह है कि यहाँ सारे प्रबन्धक "पर्सनल अटैक" की दुहाई देते फिरते हैं और दूसरो को डराते रहते हैं खुद चाहे जो कहें । मेरे जिस मित्र की जो बात आपने कही है आपको उसके बारे में भी संकेतो से नही साक्ष्यों से प्रमाण देना चाहिए । मै प्रतिक्षा में हूं --Logic ०७:३५, १९ नवंबर २०१० (UTC)
मजे की तो कई बाते हो सकती है परन्तु वो मजे लेने वाले पर निर्भर है। मैं आपकी कहानी कुछ इस प्रकार कहूँगा कि जब जनवरी में मुनिता जी ने कई सदस्यों को बार्न स्टार देने का प्रस्ताव रखा तो एकदम से एक नये सदस्य लाजिक ने प्रवेश किया यह कहकर कि वो अंग्रेजी विकिपीडीया से है(जबकि अंग्रेजी विकि पर उसका कोई खाता नहीं)। उसने मुनिता जी समेत कई महिला सदस्यों पर लैंगिक टिप्पणी भी की। राजीव मास भी उस समय अचानक प्रकट हुए उन्होनें सबको अपना समर्थन भी दिया परन्तु उनको किसी भी बार्न स्टार के लिये नामांकित न करने के कारण मुनिता जी को परेशान करना आरम्भ किया और लाजिक के रुप में अपने नाम की सिफारिश भी की(यहाँ देखें फिर एक और आई पी से अपने कार्य की अनुसंशा की(यहां देखें, पहले लिखा फिर मिटा दिया कि कहीं आई पी पकड़ा न जाये), साथ में यह भी देखा गया कि राजीव मास ने प्रस्ताव को समर्थन देने के १ घंटे बाद लाजिक के रुप में केवल मुनिता जी का विरोध किया।
इन सब बातों ने मुझे राजीव मास एवं लाजिक का ड्क एवं चेक युजर टेस्ट कराने के लिये प्रेरित किया, और इन दोनों में ही दोनों सदस्य एक सिद्ध हुए। उस समय यहाँ कोई ऐसा प्रबंधक नहीं था जो इन टुल्स के बारे में या इनका प्रयोग करना जानता हो, परन्तु मुझे इन सबका ज्ञान था अत्: मैनें इनका प्रयोग भी किया। अब यदि राजीव मास जी अपनी सफाई में कुछ कहना चाहते है तो अवश्य कहें-- Mayur(TalkEmail)  ०९:१०, १९ नवंबर २०१० (UTC)
अंत में, मैं लाजिक एवं राजीवमास के खाते को चेक युजर टेस्ट एवं हमारी विकिनीतियोँ के आधार पर ब्लाक करता हूँ, क्योंकि सारे सबुत एवं चेक युजर टेस्ट इन दोनों सदस्यों के खिलाफ है। अंग्रेजी विकि में तो केवल चेक युजर टेस्ट के बिनाह पर ही सदस्यों को अवरोधित किया जाता रहा है परन्तु हिन्दी विकि में ऐसा पहली बार हो रहा है इसलिये मैनें लगभग ३ माह का समय लिया सोचा कि शायद थोड़ा संकेत देने पर यह साहब समझ जाये परन्तु इन्होने कोई सकारात्मक परिवर्तन नहीं दिखाया। इससे पूर्व भी यह प्रबंधक साहिब वी के वोहरा नामक सदस्य द्वारा छदम खाते के रुप में आरोपित हो चुके है परन्तु उस समय इन टुल्स के बारे में किसी प्रबंधक को कोई ज्ञान नहीं था। मेरे विचार में मैनें लाजिक उर्फ राजीइवमास जी को सुधरने का पूरा मौका दिया परन्तु इन्होनें अपना बर्ताव नहीं बदला। साथ में राजीवमास जी प्रबंधक अधिकार से भी मुक्त किये जाते है। इसका कारण छ्दम खाते से निरंतर एवं लम्बे समय से असक्रियता है। हमारी विकि नीतियों के अनुसार राजीवमास जी के पिछले २ वर्षों में ५०० से कम संपादन रहे है एवं वह कई बार अपने छदम खाते का दुरुपयोग करके विकिनीतियों का उल्लंघन कर चुके है। हिन्दी विकि पर आगे से ऐसा न हो इसलिये इन नीतियों का पालन अत्यावश्यक है।-- Mayur(TalkEmail)  ०५:२७, २० नवंबर २०१० (UTC)

सदस्य लॉजिक का व्यवहार

सदस्य लॉजिक को अनेक चेतावनियाँ देने के उपरांत उनके खाते को कई वैध अनैतिक कारणों के मद्देनजर प्रशासक मयूर ने अवरोधित किया है। इस अवरोध को विकिनीतियों के अंतर्गत्त किया गया है। पर्याप्त नीतियों के अभाव में विकिपीडिया की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के अनुसार प्रत्येक कार्य हेतु बहुमत जुटाना पढ़ता था, किन्तु नीतियों के बाद अब उसकी आवश्यकता नहीं रह जाती है, बशर्ते कि कार्य नीतियों के अंतर्गत्त किया गया हो। जैसा की विदित ही है, उन्होंने दोनों सदस्यों पर की गई कार्रवाई की संबंधित नीतियां बतायी ही हैं। काफी समय से समयाभाव के कारण मैं यहां अधिक सक्रिय नहीं हो पाया हूं, किन्तु हां चौपाल आदि से अवगत रहता ही हूं।

सदस्य लॉजिक ने अवरोध उपरांत एक बहुत ही गलत कां आरंभ किया है, जिसे हिन्दी विकिपीडीया में शायद कोई संज्ञा देना कठिन होगा। ये है दलित, दलित का नाम लेकर वे चाह रहे हैं कि शायद कुछ लोग दलित नाम से इनके पक्ष में आ जायेंगे और मयूर आदि का विरोध करने लगेंगे। इनकी सूचना हेतु ये बताय़ा जाता है कि हिन्दी विकिपीडिया में दलित या आरक्षण जैसी कोई नीति नहीं है।
इनको कड़ी व अंतिम चेतावनी दी जाती है कि इस काम से बाज आयें व कभी दोबारा ऐसे शब्दों या अर्थों का प्रयोग न करें, अन्यथा कार्रवाई के लिये स्वयं उत्तरदायी होंगे। इनका योगदान तो खैर क्या बताया जाये, हां गति-अवरोधक के रूप में अतुलनीय है। ऊपर जिस अनुवाद हेतु इन्होंने इतना शोर मचाया है, उसका सुधार अभी तक नहीं कर पाये हैं। अतएव हमें इनसे अन्य कोई अपेक्षा भी नहीं है। यदि अन्य किसी स्थापित सदस्य को इस पर आपत्ति हो तो अवश्य लिखें, या मेरी वार्ता पर बतायें। विकि की नियमावली के अधीन निवारण/समाधान अवश्य होगा।

स्वस्थ विकि वातावरण के हित में ये वार्ता अब यहीं समाप्त हो जानी चाहिये। धन्यवाद। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ०९:५७, २० नवंबर २०१० (UTC)

लाजिक जी को अवरोधित करने के बाद मैनें पुन उनको एक प्रस्ताव दिया था कि यदि वह अपना व्यवहार सुधारते है तो उनके एक खाते को(राजीव मास या लाजिक) को अवरोधन से मुक्त कर दिया जायेगा, परन्तु उनके व्यवहार से ऐसे कोई संकेत नहीं मिल पा रहे। दूसरी बात कि यदि वह मेरे ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही चाहते है तो विकिमीडीया स्टीवर्ड्स से सम्पर्क करे और अपना कारण बताये, वैसे मैनें उनसे राय लेने के बाद ही राजीवमास एवं लाजिक को अवरोधित किया है। जिस स्टीवर्ड ने लाजिक एवं राजीव मास का चेक युजर टेस्ट किया था उसका सदस्य पृष्ठ यहाँ है, यदि किसी को किसी प्रमाण की आवश्यकता है तो वह यहाँ से ले सकता है। बाकि यदि राजीव मास जी अपनी सफाई में कुछ कहना चाहते है तो वह अपने वार्ता पृष्ठ पर अपना संदेश रख सकते है। यहाँ सब कुछ विकिनीतियों के अनुरुप किया गया है। -- Mayur(TalkEmail)  १०:३९, २० नवंबर २०१० (UTC)

मैंने चौपाल पर सदस्य लॉजिक द्वारा अन्य सदस्यों पर की जा रही टिप्पणियों को पढा़। इन टिप्पणियों को देखकर लगता है कि लॉजिकजी को केवल नकारात्मक टिप्पणियां ही करना आता है। मयूरजी द्वारा किए गए परीक्षण में यदि ये सदस्य छद्म पाए गए हैं तो इन्हें प्रतिबन्धित कर देना चाहिए। लॉजिक जी आपकी टिप्पणियों को देखकर तो यही लगता है कि आपको कोई सकारात्मक कार्य आता ही नहीं और आपका योगदान भी ना के बराबर है। आप एक ऐसा लेख गिना दें जो आपने अपने बूते पर बनाया हो और उसे विकि मानको पर खरा माना जाए।

और दूसरी बात यह की आपकी टिप्पणियों पर अन्य सदस्यों की भी लम्बी-२ बहस आरम्भ हो जाती है। जितनी ऊर्जा आपको उत्तर देने में लगाई जाती है उससे तो ३-४ छोटे-छोटे लेख बन सकते हैं। और फिर आपकी बहस का कोई मर्म भी नहीं निकलता केवल समय खराब करनेवाली बात है। यदि आपकी बातों में कुछ परामर्श, सकारात्मक टिप्पणियां इत्यादि भी होतीं तो भी कोई बात बनें। अब जैसे मेरी टिप्पणी ही देख लीजिए बिना किसी बात के मैं लिख रहा हूँ, इसलिए मैं भी आप पर प्रतिबन्ध लगाए जाने का समर्थन करता हूँ। कृपया अपना विध्वंसात्मक कार्य बन्द कीजिए और यहाँ सकाराय्मक भूमिका निभाइये। हाँ जैसा मयूरजी ने कहा यदि आप कुछ सकारात्मक काम करना ही चाहते हैं तो अवश्य आपका एक खाता प्रतिबन्ध मुक्त किया जाना चाहिए। रोहित रावत १४:२२, २१ नवंबर २०१० (UTC)

प्रतिबन्ध नहीं यह हैं एक षड्यन्त्र

मुझे मालूम था कि एक दिन ऐसा ही होगा । मैने किसी को परेशान नही किया वरन उन मुद्दो को उठाया जो मुद्दे मेरा एक हिन्दी लेखक होने के नाते अधिकार था । मैने वेल्स के लिखे बयान को ठिक करने के लिए प्रबन्धक आषीश के कहने पर लिंक भी प्रोवाइड किया था लेकिन इन सबके मन में एक ही फांस थी कि मुझे मुद्दे उठाने से रोका जाए ।

मैने कोई बर्बरता नही कि । हाँ, आवाज उठाना आता हैं । मैने दलित साहित्य पर एक पूरी विवेचना तैयार की थी लेकिन कथित उच्च वर्ण लोगो ने मुझे प्रतिबन्धित कर दिया । यहाँ एक ऐसा षड्यन्त्र खेला गया है जो मुझे अब समझ में आ रहा है-
मै लगातार प्रबन्ध्को का ध्यान गलत लेखो पर दिला रहा था। साथ ही राजीव मास, जो पिछले दो-तीन वर्षो से यहां से त्रस्त होकर चले गए थे । उन्होने दलित विषयों को बहुत सुन्दर तरीके से हिन्दी विकि में सजाना प्रारन्भ किया । इन कथित ऊच्च वर्ण के लोगों को लगा कि अब तो दलितो के भी पन्ने बनाने लगे है तो वो राजीव मास को यहां से हटाने का प्रयत्न करने लगें । जब वे यहां नही नही है तो बहाना बना कर उन्हे भी प्रतिबन्धित कर दिया गया । खेर मुझे पता है कि ये मेरा यहां शायद अंतिम संवाद हैं । मैं जाति प्रथा को बहुत ही करीब से जानता हुँ । जाति प्रथा के विरूध जो भी काम करता है उसका यही अंजाम होता हैं, उसे या तो डरा दिया जाता है या मार दिया जाता हैं । लोग संविधान के डर से सामने तो कुछ नही कर पाते लेखिन बहाने से ही अपनी भडास निकालते हैं । जैसा मेरे साथ हुवा । आज भी ये कथित उच्च वर्ण के लोग पर्दे के पीछे से, किसी अन्य तथ्य की आड लेकर अभी भी वही काम कर रहें है जो हजारो साल पहले करते थे । दिखाने के लिए बेचारे प्रबन्ध्क ठाकुर के खाते से भी खिल्वाड करने लहे हैं , ताकि उस सवाल का जवाब दे सहें जो हिन्दी विकि से SC/ST Comission पूछ सकता हैं । मजे कि बात यह है कि अब ऐसे लोग हिन्दी विकि पर अपनी लाम्बन्दी शुरु कर रहे है जैसा इन सद्स्य रोहित रावत की बात से जाहिर हिता हैं । ऐसे में एक नई को भी ये लोग अमली जामा पहनाना शुरू करने का सोच रहें होगें ।
ये सभी जानते है कि मेरे समय समय पर उठाए मुद्दो को मानकर इस प्रबन्धक मयूर कई बार माफी भी मांग चुके हैं । अब मेरे अन्न्य जायज मुद्दो के सामने वो झेंप हए हैं अनुरूप ही उनका कथित वर्ण समर्थक मनस्त जाग उठा । मेरे प्रबन्धक के आवेदन का सुनते ही मयूर फिर झेप गए जिसे अनुनाद सिंग ने सकारत्मक तरिके से लिया था । ऐएसा होने पर तो मयूर बुरी तरह से घबरा गए और सोचने लहे कि अगर लाजिक भी प्रबन्ध बन गया तो वो राजीव मास के साथ मिल्कर हिन्दी विकि पर अनेल दलित विषयों पर लिखेगा और उनका कथित वर्चस्व टूट जाएगा ।
प्रबन्धक आशिष ने आरक्षण की बात कर इस सोच को और बल दिया है । मैने कभी भी यहा आरक्षण की बात की है । आजादी के ६० सालो से अधिक सालो के बाद भी ऐसे लोग दलितो को उनकी दक्षता, मेहनत और शिक्षा से नही बल्की आरक्षण से जोडते हैं । उनकी यह पिप्प्णी विकि के पन्नो में अंकित हो चुकी है और अब ऐसी ही लिखित शिकायत में होने जा रही हैं ।
मयूर के मेरे ऊपर लगए सभी आरोप केवल विभिन्न तरिकों से चतुराई और तकनिकि के मजेदार मेल और कथित सांठ-गाठ और वक्त और समय के अनोखे मशीनी सामंजस्य पर आधारित हैं (यह मै पहले ही अपने लेख में साफ कर चुका हुँ)।
अब एक क्रांति होगी ताकि ऐसे लोगो का पर्दाफाष हो सकें । मै जानता हुं कि यहा के अनेक लेखक सरकारी नौकरियो में है । हिन्दी विकि पर सभी मुफ्त के कार्य्कर्ता हैं हिन्दी विकि का संविधान भारत सरकार के कोस्ट्टियुशन से बडा नही हो सकता । यह सभी समझ लें । यहां ऐसी टिप्प्णियों पर कर्य्वाही संभव है जो जातिगत हो।
मुझे तत्काल ही प्रबन्धन से हटा दिया जाए । ताकि मैं हिन्दी विकिपिडीया पर अपनिति के अनुरुप सर्जन कर सकूं ।

--लाजिक (एक प्रतिबन्धित लेखक, आई पी आद्रेस के द्वारा)

सदस्य लॉजिक को पहली भी चेतावनी दी जा चुकी हैं, और फिर ये प्रतिबंधित बी किये गए हैं। यहां ये आवश्यक नहीं था किन्तु फिर भी इनके पाठ को देखते हुए ध्यानयोग्य होगा कि सदस्य:लॉजिक नाम से किसी को ज्ञात नहीं है कि ये किस जाति, धर्म, वर्ण आदि के हैं। ना हि सदस्य:राजीव के नाम से ज्ञात होता है। इस स्थिति में किसी की निजी आकांक्षा इनको हटाने की हो यह सिदध ही नहीं हो सकता है। वरन ये कहना उचित होगा कि ये संभव ही नहीं है। हां ये अवश्य सिदधह ोता है कि लॉजिक अपनी हीन भावनाओं को यहां दलित संबंधी बिन्दु से जोड़कर अपनी किसी स्वार्थी आकांक्षा की पूर्ति चाह रहे हैं, और संभव न होने पर----- खिसियाई बिल्ली खम्भा नोचे।।।।। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ०४:४८, २२ नवंबर २०१० (UTC)

चौपाल पर अनर्गल टिप्पणी बाबत

चौपाल पर लाजिक द्वारा की गयी दलित संबंधित टिप्पणी को हटाया जाना चाहिये ऐसी टिप्पणियो को देखकर वर्ग विशेष के लोगो को विकि हिन्दी के विषय मे गलतफहमी हो सकती है --अरूणेश दवे ०७:५४, २२ नवंबर २०१० (UTC)

इस बात का पूर्ण समर्थन है, किन्तु पर्याप्त समर्थन या कुछ समय किसी भि वार्ता को हटाने से पूर्व मिलना चाहिये। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ०८:०३, २२ नवंबर २०१० (UTC)
लाजिक को यह अन्तिम चेतावनी है कि इस प्रकार की अनर्गल टिप्पणियाँ चौपाल पर मत लिखे, अन्यथा इसकी आई पी रेंज को अवरोधित करना पड़ सकता है-- Mayur(TalkEmail)  ०८:०६, २२ नवंबर २०१० (UTC)

चौपाल पर अनर्गल टिप्पणी बाबत

चौपाल पर लाजिक द्वारा की गयी दलित संबंधित टिप्पणी को हटाया जाना चाहिये ऐसी टिप्पणियो को देखकर वर्ग विशेष के लोगो को विकि हिन्दी के विषय मे गलतफहमी हो सकती है --अरूणेश दवे ०७:५४, २२ नवंबर २०१० (UTC)

इस बात का पूर्ण समर्थन है, किन्तु पर्याप्त समर्थन या कुछ समय किसी भि वार्ता को हटाने से पूर्व मिलना चाहिये। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ०८:०३, २२ नवंबर २०१० (UTC)
लाजिक को यह अन्तिम चेतावनी है कि इस प्रकार की अनर्गल टिप्पणियाँ चौपाल पर मत लिखे, अन्यथा इसकी आई पी रेंज को अवरोधित करना पड़ सकता है-- Mayur(TalkEmail)  ०८:०६, २२ नवंबर २०१० (UTC)

लाजिक के तथ्य एवं उनका जवाब

  1. मयूर ने मेरे और राजीव मास के दलित योगदानो पर खींज के साथ टिप्प्णि की ।
    1. उत्तर- जिस लिंक ने आपको यह सोचने पर विवश किया वह मुझे विकिमीडीया स्टीवर्ड jyothis ने दिया था। अत आपका आरोप निराधार है।
  2. आशीष ने सर्व्प्रथम "आरक्षण" शब्द का प्रयोग किया, जो दलितो पर सीधी जातिगत टिप्प्णी थी ।
    1. उत्तर-आशीष जी ने केवल आपको विकिनीतियों से अवगत कराया
  3. जानबुझकर मेरे पुराने संवादो को क्षिपा दिया गया, ताकि संवाद का सन्दर्भ ना लिया जा सके ।

इस प्रकार के के तथ्य सिद्ध करते है कि हिन्दि विकि पर किस प्रकार का घिनोना कुचक्र चल रहा हैं । मयूर और आशीष दोनो ही हिन्दी तो जानते नही उल्टा हिन्दी विकि पर अपनी तानाशाही चला रहे हैं ।

    1. उत्तर- सदस्य अरुणदवे के सुझाव एवं आपकी टिप्पणियाँ अनुचित होने के कारण ऐसा किया गया
  • Steward ने मुझे बताया है कि जिस प्रकार के आरोप मयुर ने मुझ पर लगाए हैं ऐसा तो विकि पर आम है ।
    • उत्तर- पहली बात आपने किसी Steward से बात नहीं की, परन्तु आपकी एक बात सही है कि चेक युजर टेस्ट एवं इसके बिनाह पर सदस्यों को ब्लाक करना हर श्रेष्ठ विकि पर आम है
  1. भारत जैसे देश में जहां कम्प्युट इन्टनेट के लिए डिवोटिड लाइन नही है वहां पर नेट का आई पी अडेस बदलता रहता है । शायद तुक्के मे मयूर ने जानबुझ कर कोई आई पी अडेस मैच कर लिया होगा और षडयन्त्र बना कर मुझे लपेट लिया और मुझे प्रतिबन्धित कर दिया ।
    1. उत्तर-इसका जवाब चेक युजर टेस्ट ही है समान ब्राउजर, समान कम्पयूटर एवं समान आई पी और समान लेखन त्रुटियाँ बस इतना काफि है।
  2. Steward ने यह भी बताया कि अंगरेजी विकि में तो कोलेजो के एक ही कम्प्युटर पर ५०-५० प्रबन्धक और प्रशासक और लेखक प्रयोग करते हैं ।
    1. उत्तर- हाँ पर ये तो हिन्दी विकि है जहाँ ऐसा नहीं होता यहा तो कुल १६ प्रबंधक है। वैसे इसका जवाब भी चेक युजर टेस्ट ही है समान ब्राउजर, समान कम्पयूटर एवं समान आई पी और समान लेखन त्रुटियाँ, एक साथ उपस्थिति।
  3. Steward ने यह भी बताय कि अनेक बार प्रशासक अपने को गुट मे बाटकर गुटबन्दी करते है और विपक्षी लेखको प्रबन्धको जो उनकी बाते नही मानते, को आरोपित करते रहते है । इसका उदाहरण है कि अनेक पुराने विकिभाई हिन्दी विकि को छोड गए हैं ।
    1. उत्तर-भाईयों का तो मुझे पता नहीं परन्तु हमारी कई बहनें आपकी लैंगिक टिप्पणियों की वजह से विकि छोड़ कर अवश्य चली गयी है।
  4. Steward ने बताया कि आपके केस में जाति भावना हावी हैं और आपको डा अम्बेडकर से इस प्रकार के कुचक्रो का सामना करना सिखना चाहिए ।
    1. उत्तर- हाँ पर क्या Steward ने यह नहीं बताया कि अम्बेडकर जी से शांति, सद्भावना एवं सत्य की सम्रद्धि सीखनी चाहिये।
  5. Steward ने मुझे बताया कि आप केवल मुफ्त के योगदानकर्ता है और विकि के संविधान में आप किसी भी प्रकार से बाहर्री सरकारी संस्थाओं को शिकायत नही कर सकते। विकि इस बारे में पहले ही डिस्लक्लेमर दे देता हैं । (इसि लैए मैने गैर् सरकारी संगठनो से सहायता मांगी हैं)
    1. उत्तर- बस इतना कहूँगा "सत्यमेव जयते"
  6. मयूर ने राजीव मास को प्रतिबन्धित करने का सही समय चुना जब वे यहां नही हैं ।
    1. उत्तर-- आज सुबह ही उन्होने मेरे ईमेल का जवाब भेजा मैनें उन्हे ईमेल पर चौपाल पर आकर अपनी सफाई देने को कहा है। वैसे राजीव मास ३ माह पूर्व भी नहीं थे आपका चेक युजर टेस्ट काफि पहले कराया जा चुका है परन्तु मैनें सोचा कि शायद आप सुधर जायें।

-लौजिक

लाजिक द्वारा ऊपर बताये गये वाक्य कोरी कल्पना के अलावा कुछ भी नहीं, मैं इन्हे पहले भी बता चुका हूँ कि इनका चेक युजर टेस्ट मैने नहीं अपितु दो विकिमीडीया स्टीवर्ड्स ने मिलकर किया था उस टेस्ट में उन्होने मुझे बताया कि यह सदस्य लाजिक राजीवमास है। किसी भी विकि में केवल चेक युजर टेस्ट की बिनाह पर किसी सदस्य के दोनों खातों को अवरोधित किया जा सकता है। मैनें ३ माह प्रतिक्षा की, देखा की लाजिक की उत्पत्ति कब और कैसे हुई तो पता चला कि जनवरी २०१० के आरम्भ में जब प्रबंधक मुनिता जी ने कई सदस्यों को बार्नस्टार देने के लिये नामांकित किया तब एकदम से एक नये सदस्य लाजिक एवं कई दिनों से सुप्त प्रबंधक राजीवमास प्रकट हुए। सदस्य लाजिक ने यह कहकर कि वो अंग्रेजी विकिपीडीया से है(जबकि अंग्रेजी विकि पर उसका कोई खाता नहीं) मुनिता जी समेत कई महिला सदस्यों पर लैंगिक टिप्पणी भी की(पर क्यों, क्योंकि राजीव मास जी को मुनिता जी ने बार्न स्टार के लिये नामांकित नहीं किया। इसलिये बार बार उन्होने लाजिक के रुप में अपने नाम की सिफारिश भी की (यहाँ देखें फिर एक और आई पी से अपने कार्य की अनुसंशा की(यहां देखें पहले लिखा फिर मिटा दिया कि कहीं आई पी पकड़ा न जाये)। राजीव मास भी उस समय अचानक प्रकट हुए उन्होनें सबको अपना समर्थन भी दिया परन्तु उनको किसी भी बार्न स्टार के लिये नामांकित न करने के कारण मुनिता जी को परेशान करना आरम्भ किया और साथ में यह भी देखा गया कि राजीव मास ने प्रस्ताव को समर्थन देने के १ घंटे बाद लाजिक के रुप में केवल मुनिता जी का विरोध किया।

मेरे विचार से इतने सबुत काफि थे आज सुबह ही राजीव मास जी का ईमेल मुझे प्राप्त हुआ जिसमें उन्होने अपने अकाउन्ट को अनब्लाक करने को कहा मैनें उन्हे चौपाल पर आकर अपनी सफाई देने को कहा है क्योंकि जब तक राजीव मास खुद आकर कोई सफाई नहीं देते, मेरे लिये क्या किसी के लिये भी यह विश्वास करना बहुत मुश्किल है कि ये दोनों सदस्य एक नहीं । क्योंकि विकि पर पाये जाने वाले समस्त परीक्षण यही सिद्ध करते है और जिस लिंक पर लाजिक एवं राजीवमास के समान रुचि वाले लेखों को प्रदर्शित किया गया था वह भी मुझे विकिमीडीया स्टीवर्ड jyothis ने दिया था। आप सभी जिसको इस परीक्षण के विषय में थोड़ा बहुत भी संदेह हो तो विकिमीडीया स्टीवर्ड jyothis' से इसका प्रमाण ले सकते है। दूसरी बात कि लाजिक ने किसी भी स्टीवर्ड से बात नहीं की, लाजिक महोदय के वाक्यों में झुठ की सफेदी के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा।

परन्तु अब लगता है कि वी के वोहरा वाला इतिहास फिर से दोहराने के मोड़ पर है(क्योंकि लाजिक ने नया खाता logic1 खोल लिया है) जिसमें सदस्य लाजिक कई खाते बनायेंगे और हिन्दी विकि की प्रबंधक अपना समय बर्बाद करते रहेंगे, परन्तु मैं विश्वास दिलाता हूँ कि इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा हिन्दी विकि किसी भी तरह की बर्बरताकारी से निपटने के लिये तैयार है। अभी हाल के लिये मैनें लाजिक का नया खाता लाजिक२ भी ब्लाक कर दिया है, शेष इसके बाद देखते है।-- Mayur(TalkEmail)  १८:४३, २२ नवंबर २०१० (UTC)

सदस्य लॉजिक की तर्कहीन टिप्पणियाँ

लॉजिकजी आप एक बात समझ लीजिए कि यहाँ कोई राजनीति का मैदान नहीं है जो आप वोट बटोरने के लिए जातिवाद को बीच में ले आए हैं। आपको क्या लगता है कि ऐसी तर्कहीन बातें लिखकर आप किसी की सहानुभूती बटोर पाएंगे? ऐसा नहीं है। आज भारत के लोग पहले से कहीं अधिक समझदार हैं और वे जानते हैं कि आप जैसे ओछे लोग अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए कभी जात तो कभी धर्म विशेष को बीच में ले आते हैं, जैसे कुछ वर्ष पूर्व इमरान हाशमी ने किया था मुम्बई में किसी सोसायटि में बंगला मिलने को लेकर। यदि आपको जातिभेद अनुभव हुआ था तो आपने पहले यह बात क्यों सबके सामने नहीं रखी? अब इस बात को बीच में लाना वास्तव में आपकी ही सोच का परिचायक है। आप कुछ भी लिख लें हिन्दी विकिपीडिया तो प्रगति करती ही रहेगी और आप जैसे विध्वंसात्मक सदस्यों पर प्रतिबन्ध भी लगता रहेगा। मैं लॉजिक जी के किसी भी कथन पर अन्तिम बार टिप्पणी कर रहा हूँ क्योंकि इनकी बातों पर टिप्पणी करना समय बर्बाद करना ही है। लॉजिक के एक कथन पर न जाने कितने सदस्यों को उत्तर देना पड़ जाता है और लम्बी-चौडी बहस आरम्भ हो जाति है जो व्यर्थ है क्योंकि ये तो अपनी हरकतों से बाज आने वाले नहीं हैं। और जहाँ तक रही बात महान दलित लोगों पर लेखों की तो बाबा भीमराव अम्बेडकर पर और अन्यों पर भी लेख बनें हुए हैं। आप बताइये की आपने कितने लेखों में या लेखों का योगदान दिया है? आपने एक तर्क दिया है गुटबाजी का जिसके कारण (आपके अनुसार) बहुत से विकिभाई और विकिबहने यहाँ से चले गए हैं। तो इसका कारण यह है कि विकिपीडिया एक स्वतन्त्र और निष्पक्ष मंच है जिसपर लिखते रहने के लिए कोई भी बाधित नहीं किया जाता। लोग अपनी इच्छा से आते है, योगदान देते हैं और फिर गायब हो जाते हैं। ऐसे तो अंग्रेजी, जर्मन, रूसी, जापानी जैसी विकियों पर भी सैकडो में नहीं बल्कि हजारों की संख्या में सदस्य आते-जाते रहते है। तो क्या वहाँ भी जातिवाद कारण है? नहीं न? तो फिर। आपके द्वारा जातिभेद का व्यर्थ आरोप आपको प्रतिबन्ध मुक्त तो नहीं करेगा, हाँ उल्टे आप पर ही मानहानि का मुकद्दमा दायर किया जा सकता है हिन्दी विकि के सदस्यों और प्रबन्धकों पर आधारहीन आरोप लगाने का। और यदि आपको जातिभेद फिर भी लगता है तो क्यों नहीं आप यह मुद्दा विकिमीडिया बैठकों में उठाते, जो समय-समय पर भारत में भी आयोजित होती रहती हैं?रोहित रावत १५:४८, २२ नवंबर २०१० (UTC)

हाँ यहां पर मेरी मानहानि हुई है,और साथ ही राजीव मास कि भी मै इसका भी जवाब लुंगा। मजे की बात ये है कि दलित लेखो के मामले में आप भी केवल डा अम्बेडकर का नाम ही गिना पाए । अगर वास्तव में आप इस समस्या का कारण खोजेंगे तो आपको पता लगेगा कि यही समस्या है । मै दलित लेखो को बढाने के लिए कृत्संकल्प हुं ।
मुझे उपर लिखे तथ्यों का जवाब चाहिए बस, ऐसा इन दोनो ने कैसे किया और क्युं ?

-लाजिक्

प्रिय लाजिक जी। मुझे लगता है कि अनेक एकाउंट बनाने के कारण और उसमें बहुत जादा इनभाल्भ होने के कारण आप मल्टिपल परसनालिटी डिसआर्डर के शीकार हो गए/गई हैं। अगर आपने ध्यान नहीं दिया तो शायद कल आप जेंडर आइडेंटिटी डिसार्डर के भी शिकार हो जाएंगए। कम से कम आपकी अनर्गल प्रलापों को देखकर तो यही लगता है कि अभी आपका रोग आरंभिक अवस्ता मे है और आपको आराम करना चाहिए। मैं भी एक दलित लेखक हूँ और आपके इस फालतू प्रपंच में नहीं पड़ना चाहता (विकी पर मुझे कभी भी जातिगत बेइमानी नहीं दिखी सिवा आपके चपड़ चपड़ के) फीरभी आपको एक नेक सलाह दे रहा हूँ कि कृपया विकी की इस ज्ञान सरिता को अपने सड़े हुए विचारों से दुषीत न करे। करोड़ो लोगा इसे रेफेरेंस के रूप में पढत है। अगर आपके दिल दिमाग में तनिको भी राष्ट्रभक्ति भाषा सेवा की भावना हो तो अब बस करें। आपका भलाई चाहने वाला - मेटालॉजिक


लॉजिक काण्ड वाला अंश चौपाल से कहीं छुपाया नहीं गया है। यह अंश सामान्य चौपाल पुरालेख प्रक्रिया के यहय चौपाल/पुरालेख०२१ को भेजा गया है। ऐसा हर बार चौपाल पृष्ठ भर जाने पर किया जाता है।
यहां अनेक दलित लोगों के लेख बने हुए हैं, किन्तु उन्हें किसी दलित दृष्टि स४ नहीं बनाया गया है, वरन जैसे कोई अन्य वैसे ही वे लोग। जैसे मीरा कुमार, अर्जुन मुडा, और अनेक अन्य। अतः किसी का नाम लिखने की आवश्यकता नहीं रह जाती।
इसके अलावा यदि ये दलित लोगों पर लेख लिखने के कृतसंकल्प ही हैं तो इनका स्वागत है। मैं ये वादा करता हूं, कि यदि इन्होंने सांसद मीरा कुमार पर २५० शब्दों का आलेख अर्हक लेख बना दिया तो मयूर से कह कर इनका प्रतिबंध हटवा दूंगा।
और यदि इतन्मा भि इनके बस की नहीं तो ये दलित दलित कहकर शब्द का अपमान न करें। इनका उद्देश्य मात्र इस शब्द को उछालकर सनसनी फैलाना और अपना उल्लू सीधा करना मात्र रह जाता है। इससे अधिक लिखने को कुछ नहीं है। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ११:०२, २३ नवंबर २०१० (UTC)
ध्नयावद माई बाप , सिफारिश के लिए । वैसे आपको पता हि होगा कि मीरा कुमार कौन हैं । उनका लेख बानाने में आप के हाथ भी मेले तो नही हो जाएंगे ना । आप ही क्यो नही लिख कर अपने पापो का प्राश्चित क्यों नही कर लेते । मुझे तो आपने कुचक्र चला कर प्रतिबन्धित कर दिया हैं

-लौजिक्

लाजिक जी अब आप हिन्दी विकि पर हमेशा के लिये अवरोधित कर दिये गये है। आपके बर्ताव में कोई परिवर्तन नहीं है। इसके साथ में समस्त प्रबंधकों एवं सदस्यों से अनुरोध करुँगा कि लाजिक के किसी प्रशन का कोई उत्तर मत दें जैसा रोहित जी ने कहा कि यह केवल समय की बरबादी होगी। मैनें लाजिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबन्ध लगा दिया है। इसके वाबजूद यदि किसी तरीके से यह यहाँ अपनी टिप्पणी देता है तो उसे यहाँ से हटा या रोलबैक कर दें, अंग्रेजी विकि पर यही किया जाता है। अब तक लाजिक के कई खाते जैसे Rajeevmass, Logic, Logic1, Logicc, Anila आदि अवरोधित कर दिये गये है। इसके अब लाजिक को और कोई मौका नहीं दिया जायेगा मैनें अब तक सिर्फ इसलिये लाजिक पर पूरी तरह प्रतिबन्ध नहीं लगाया था कि शायद वह अपनी गलती स्वीकार करे परन्तु बार बार लीगल थ्रेट्स देकर उसने हिन्दी विकि की कई नीतियों को भंग किया है। परन्तु अब यह मामला वीके वोहरा की तरह होता चला जा रहा है जिसमें लाजिक ने कई खाते खोलना आरम्भ कर दिया है अत: अब मैं लाजिक पर पूर्ण रुप से प्रतिबन्ध लगाता हूँ-- Mayur(TalkEmail)  १७:४५, २३ नवंबर २०१० (UTC)
"में एक दलित लेखक हूं उपरोक्त संवाद को पढकर पता चला कि किस प्रकार हिन्दी विकि प्रबन्धक राजीव मास ने लौजिक् नामक चालू खाता बनाकर हिन्दी विकि एवं दलित समूदाय के मु पर कालिख पोत दी, आशीष-मयूर जी द्वारा किये गये चेक यूजर टेसट ने यह सिद्ध कर दिया कि लौजिक् राजीव मास है। इसके लिये ये दोनों प्रसंसा के पात्र है कि किस तरह महिला सदस्यों पर टिप्पणी करने वाले प्रबंधक राजीव कुमार(लौजिक्) का परदा फास हुआ। राजीव द्रारा बार बार लाजिक के रुप में दलित समुदाय का मजाक बनाया गया अत्: हम सब दलित मिलकर राजीव कुमार के खिलाफ शिकायत दर्ज करवायेंगे, हिन्दी विकि के प्रबन्धको से अनुरोध है कि वे इन राजीव कुमार उर्फ लाजिक जो दलित वर्ग का मजाक बनाने में लगे हुए है को अवरोधित कर दें साथ ही आशिष एवं मयूर जी से यह अनुरोध है कि वे चेक युजर से मिले इन दोनो सदस्यों के पते हमे दे जिससे इनके खिलाफ कार्यवाही की जा सके। हिन्दी विकि प्रशासको एव प्रबन्धको से निवेदन है कि हिन्दी विकि के इस मंच पर दलित वर्ग का नाम इस प्रकार मत उछ्लने दे-एक दलित पुलिस कर्मी एवं लेखक
आदरणिय लेखक महोदय हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है लाजिक एवं राजीवमास को रोकने की, मैनें राजीव मास को रोज ईमेल किये है कि चौपाल पर आकर अपना मत रखें परन्तु अब वो अपना पासवर्ड भूल जाने का बहाना बना रहे है। इस बारे में अब मैंने उन्हे अन्तिम ईमेल संदेश भेज दिया है यदि वह तब भी नहीं आते तो उनका खाता पुन: अवरोधित कर दिया जायेगा। आपसे अनुरोध है कि लाजिक या कहे राजीव जी को क्षमा कर दें। इस प्रकार की घटनाएँ अंग्रेजी विकि पर आम है जहाँ रोजाना चेक युजर टेस्ट की बिनाह पर समान पाये जाने वाले सदस्यों को अवरोधित कर दिया जाता है हाँ बस इससे पहले सदस्य को तीन चेतावनियाँ दे दी जाती है पर हमनें तो लाजिक को कई चेतावनियाँ दे दी थी। आपको यह विश्वास दिलाया जाता है कि हिन्दी विकि पर दलित शब्द का और मखौल नहीं बनने दिया जायेगा, धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ-- Mayur(TalkEmail)  १९:५१, २५ नवंबर २०१० (UTC)

नमस्कार प्रिय विकि मित्रों, उपरोक्त लिंक हिन्दी विकि पर उपस्थित १०००० अत्यंत छोटे लेखों को दर्शाता है। यह लेख अधिकतर बहुत पहले बर्बरता पर या अंग्रेजी शीर्षक पर या कई तो एक या दो शब्दों के एकदम निरर्थक बने हुए। हालाँकि हमारी हिन्दी विकि में कुल ५७००० के आस पास लेख है परन्तु आप देख सकते है कि इनमें १०००० -१५००० बिना किसी महत्त्वपूर्ण सूचना पर अधारित है। जिससे रेन्डम सर्च टेस्ट में हमारे प्रोजेक्ट की गलत छवि जाती है। अत: क्या ऐसे लेखों को हटा दिया जाये अथवा कोई अन्य विकल्प चुना जायें। कृपया सभी प्रबंधक एवं सक्रिय सदस्य इस विषय पर अपना सुझाव रखें-- Mayur(TalkEmail)  १३:४५, २९ नवंबर २०१० (UTC)

मेरे विचार से इनमें से जो लेख बिल्कुल ही व्यर्थ है या बर्बरता पर अधारित है उन्हे हमें हटा देना चाहिये, इसमें हमें लगभग २०००-३००० लेखों की क्षति होगी।-- Mayur(TalkEmail)  १४:१४, २९ नवंबर २०१० (UTC)


    मेरा मयूरजी की बातों को पूरा समर्थन है। इस बात पर बहुत बार पहले भी आमराय बनाई जा चुकी है कि छोटे-छोटे बहुत से लेख बनाने से तो किसी विषय पर विस्तृत लेख बनाए जाने चाहिए फिर चाहे संख्या में कम ही क्यों न हों। ऐसे लेखों का भला क्या प्रायोजन जिससे पढ़ने वाला और चिढ़ जाए? दरसल इन लेखों में से अधिकतर पिछले वर्ष बनाए गए होंगे क्योंकि सभी लोग मिलकर हिन्दी दिवस तक लेखों को ५०,००० के पार पहुँचाना चाहते थे जिस कारण बहुत से ऐसे छोटे लेख बनाए गए। मेरे विचार से भी इन लेखों को हटाने का काम तुरन्त किया जाना चाहिए या फिर एक सदस्य समूह बनाकर इन लेखों के विस्तारीकरण और सुधारीकरण का काम किया जाना चाहिए क्योंकि लेख एकदम मिटाने से भी तो लेखों की संख्या में बहुत तीव्र गिरावट आएगी, हालांकि तब भी हम लोग सभी भारतीय भाषाओं के विकियों से आगे ही होंगे क्योंकि दूसरे सबसे बडे भारतीय भाषा के विकि, तेलुगू विकि पर अभी ४७,००० लेख भी नहीं हुए हैं। इसलिए जिन लेखों का विस्तार/सुधार सम्भव नहीं है उन्हें तो हटाया जाए लेकिन जिन्हें विस्तृत किया जा सकता है उन्हें किया जाए। यह मेरी राय थी। अन्य सदस्य भी अपनी राय रखें। रोहित रावत १०:४२, ३० नवंबर २०१० (UTC)

ये बात काफी सार्थक रहेगी, उन बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए जो मयूर ने कहे हैं। किन्तु इनमें से बहुत से लेख ऐसे भी हैं, जिन्हें किसी आलेख या निर्वाचित लेख बनाते हुए सहायक लेख, या लाल कड़ी को नीली करने हेतु बनाया गया होगा। और उन्हें हटाने से निर्वाचित लेख आदि में लाल कड़ियां आ सकती हैं। अतएव इस प्रकार से छटनी करनी चाहिये कि पहले प्रत्येक लेख को यहां क्या जुड़ता है, लिंक के द्वारा जुड़े हुए लेखों को देख कर यदि कहीं कोई अंतर न पड़ रहा हो, तभी हटाना चाहिये। हां बहुत से लेख तो ऐसे ही होंगे जैसे कि जयचंद, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, इंदिरा पाइंट एवं व्यवसाय प्रशासन में स्नातक, आदि। इन्हें तो एक सिरे से ही हटा देर्ना चाहिये। इन लेखों की सूची हेतु देखें: छोटे पन्ने। अधिकतम कार्य तो इससे ही सिद्ध हो जायेगा।-- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ११:५६, ३० नवंबर २०१० (UTC)
मेरे विचार से हमें हिन्दी विकि की गति बढने के साथ इन लेखों को हटाते रहना चाहिये मुझे विकिमीडीया के ही एक सदस्य ने यह सुझाव दिया कि हिन्दी विकि पर इस प्रकार के लेखों को हटाया जाये क्योंकि इससे हमारे प्रोजेक्ट की गलत छवि जाती है। हमारे विकि पर अब प्रतिमाह औसतन ७०० अच्छे लेख बन रहे वह भी बिना किसी बर्बरता वाले इनमें से २००-३०० लेखों का योगदान गुगल ट्रांसलेट उपकरण का प्रयोग करने वालों के होते है। अत: इस गति को ध्यान में रखकर हमें इन लेखों को हटाना चाहिये ताकिं हमारी हमारी लेख सांख्यकी पर कोई असर ना पड़े। अभी के लिये सबसे अच्छी बात यह है कि हमें हर माह ७०० अच्छी गुणवत्ता के लेख मिल रहे है।-- Mayur(TalkEmail)  १३:५७, ३० नवंबर २०१० (UTC)
मेरे विचार से इन लेखों को हटाने के बारे में सभी लोग सिद्धान्ततः सहमत होंगे। किन्तु किस प्रकार हटाया जाय, इस बारे में अलग-अलग सोच हो सकती है। मेरा विचार है कि-
  • इन लेखों को एक साथ न हटाया जाय बल्कि शनैः-शनैः हटाया जाता रहे।
  • प्रतिमास लगभग १००-२०० लेख हटाने का विचार ठीक रहेगा। इससे हिन्दी विकि के लेखों में एकाएक गिरावट नहीं दिखेगी बल्कि ऐसा दिखेगा कि लेखों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है।
  • किसी लेख को हटाने के पहले देख लिया जाय कि यदि उसी के संगत अंग्रेजी में कोई लेख हो, या उस नाम का लेख बाद में बनाना आवश्यक दिखे, तो उस लेख को हटाने के बजाय उसे अंग्रेजी लेख के इंतरविकि लिंक्स में जोड़ दिया जाय तथा उस हिन्दी लेख में दो-तीन वाक्य जोड़कर उसे बने रहने दिया जाय।
  • ऐसे लेख जो अंठ-संठ नामों से हों या विध्वंसात्मक दिकें, उन्हें हटाने में प्राथमिकता दी जाय या तुरन्त हटा दिया जाय। -- अनुनाद सिंहवार्ता ०४:३९, १ दिसंबर २०१० (UTC)

Contribute Campaign-Fundraiser 2010

Hi everyone, I wanted to inform everyone about the ongoing Contribute campaign for this year's fundraiser. As part of the campaign, we want to drive up participation on the Indian language Wikipedias, We have created a page on Meta where we can discuss and brainstorm Ideas on what we can do to improve Indian Language Wikipedias. I would like to invite anyone who is interested in contributing to join in, and share their thoughts. Thank you. [1]Theo (WMF) १७:४९, ३० नवंबर २०१० (UTC)

कीबैक

दिनेशजी आपने कनाडा के इस प्रान्त के ध्वज और राज्यचिह्न से सम्बन्धित लेखों के नाम क्यों बदल दिए? आपने कीबैक के स्थान पर क्यूबेक कर दिया है। आपने शायद इस शब्द को देखकर इसका यह नाम हिन्दी में भी रख दिया है। दिनेशजी इस प्रान्त को फ़्रान्सीसी में, जो इस प्रान्त की प्रमुख भाषा है, कीबैक कहा जाता है, नाकि क्यूबेक जैसा आपने नाम रख दिया है। अङ्ग्रेज़ी में भी इसे कुइ'बैक कहा जाता है नाकि क्यूबेक और ज़रूरी नहीं कि हर बार विदेशी स्थानों के नाम अङ्ग्रेज़ी से लिए जाएं। इसलिए इस प्रान्त का सही नाम कीबैक होगा नाकि क्यूबेक। और दूसरी बात यह कि आपने बहुत से शब्दों को भी बदल दिया है जैसे अङ्ग्रेज़ी को अंग्रेज़ी कर दिया है। आपने जो शब्द लिखा है वह हिन्दी व्याकरण और मानकों के अनुसार सही नहीं है। हाँ यह बात सही है कि हिन्दी लिखने के सन्दर्भ में सरकार ने कैसे भी शब्द को लिख देने की छूट दे दी थी लेकिन मेरा प्रयास है कि मानकों के अनुसार भाषा लिखी जानी चाहिए फिर भले ही कोई शब्द लिखने में कितना ही अलग सा क्यों न दिखे। दरसल यहाँ पर फिर से मानकीकरण पर बहस आरम्भ हो सकती है। विश्व के बहुत से देशों ने अपनी-अपनी भाषाओं का मानकीकरन कर लिया है। यह तो बस हमारा ही अनोखा देश है जहाँ किसी चीज़ का मानकीकरण नहीं होता और जिसकी जो मन करता है लिखते रहता है। मेरे विचार से यह सही नहीं है क्योंकि शब्दों को अपने मन से लिखकर कम हिन्दी भाषा की उस सबसे बड़ी विशेषता को ही झुठला देते है जो यह है कि हिन्दी जैसी बोली जाती है वैसी लिखी जाती है या जैसी लिखी जाती है वैसी बोली जाती है। हाँ मैं किसी को मानक के अनुसार लिखने के लिए बाध्य नहीं कर रहा हूँ लेकिन मेरा मानना तो यह है कि किसी भाषा का विद्वान होने के लिए उस भाषा के व्याकरण और मानकों का आपको ज्ञान होना चाहिए। बल्कि हमें तो हिन्दी भाषियों को इस बात से अवगत कराना चाहिए कि हमारी भाषा कितनी वैज्ञानिक और सही है जिसमें वर्तनी और उच्चारण का कोई भ्रम नहीं है। इसलिए कृपया मानक के अनुसार लिखे गए शब्द को देखकर, जैसे अङ्ग्रेज़ी, यह न समझें कि यह गलत ढङ्ग से शब्द लिखा गया है। आशा करता हूँ कि आप इसे अन्यथा नहीं लेंगे। धन्यवाद। रोहित रावत १७:५६, ५ दिसंबर २०१० (UTC)

रोहित जी हो सकता है आप सही हों क्योंकि आप ने इन लेखों को बनाने से पहले शोध किया होगा पर एक बात मैं आपको बताना चाहता हूँ कि समय के साथ भाषा और लिपि दोनों मे परिवर्तन आता है आप जानते होंगे जब हम छोटे थे तो झ को भ के पीछे पूँछ लगा कर लिखते थे इसी तरह अ भी प्र की तरह लिखा जाता था पर जब हिन्दी के लिए लिपि का मानकीकरण किया गया तो इस तरह के सभी प्रयोग बंद हो गये आपने जैसे अङ्ग्रेज़ी लिखा है वो तरीका हिन्दी में अब मान्य नहीं है लेकिन नेपाली जैसी भाषाओं में अभी भी चलता है। हिन्दी में इसे अंग्रेजी या अंग्रेज़ी ही लिखा जाता है। जहां तक कीबैक या क्यूबेक का प्रश्न है तो आपको ज्ञात होना चाहिए कि हिन्दी में इसे सभी स्थानों पर क्यूबेक ही लिखा जाता है ना कि कीबैक। हो सकता है कि फ्रांसीसी में इसका उच्चारण कीबैक हो पर हमें इसके हिन्दी उच्चारण की चिंता करनी चाहिए ना कि फ्रांसीसी उच्चारण की। हिन्दी में छपने वाले सभी अखबार और पत्रिकायें क्यूबेक ही लिखती हैं इसका प्रमाण आपको गूगल सर्च से भी मिल सकता है। मेरे हिसाब से हमें वो नहीं लिखना चाहिए जो हमें सही लगता है बल्कि असल मे वो क्या है उसी को तरजीह देनी चाहिए। आशा करता हूँ कि आप इसे अन्यथा नहीं लेंगे। धन्यवाद। Dinesh smita १५:३७, ९ दिसंबर २०१० (UTC)
मेरे विचार से इस समस्या का हल पुनर्निर्देशन करना है जैसे प्रबंधक एवं प्रबन्धक यह दोनों नाम ही प्रचलित है अत: दोनों में से एक पर पुनर्निर्देशन दिया जाना चाहिये। इसी प्रकार यदि कीबैक नाम से पहले से कोई लेख बना हुआ है तो क्यूबेक को उस पर पुनर्निर्देशित किया जा सकता है। इससे हर प्रकार के पाठकों को सहायता मिलेगी। शुद्ध हिन्दी एवं प्रचलित नाम दोनों का अपना अपना महत्त्व है शुद्ध हिन्दी से किसी भाषाविद् विद्वान पाठक को एवं प्रचलित नाम से समान्य पाठको को लेख खोजने में अत्यंत सुविधा रहेगी-- Mayur(TalkEmail)  १८:०९, ९ दिसंबर २०१० (UTC)
मयूर जी आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं किंतु, ऐसा करने से करने पर भी हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि, अंतिम पुनर्निर्देशन हिन्दी का कोई मानक शब्द ही होना चाहिए ना कि कोई स्वविचारित शब्द।Dinesh smita ०७:४३, १० दिसंबर २०१० (UTC)
मेरा सभी प्रबुद्ध सदस्यों से आग्रह है कि इस मुद्दे पर मूक दर्शक ना बने रहें अपितु अपने विचार दें कि हमें इस मामले में क्या करना चाहिए? मुझे नहीं पता फ्रांसीसी (सबसे आम तरीका) को फ़्रांसीसी को फ़्रान्सीसी लिखने से क्या बदलेगा? जहां जर्मन जैसी भाषायें अपने शब्दों की वर्तनी को दुरुस्त कर रही हैं, अमेरिकन अंग्रेजी की वर्तनी, ब्रिटिश अंग्रेजी के मुकाबले अधिक सरल है, वहां हिन्दी को आज से 70 साल पुराने तरीके से लिखना कहां तक उचित है?Dinesh smita ०७:५८, १० दिसंबर २०१० (UTC)
यदि ऐसा है तो अधिक प्रचलित नाम को अधिक महत्त्व देना चाहिये, क्योंकि विकिपीडीया का पहला मुख्य उद्देश्य ज्ञान का प्रसार करना है यदि वह ज्ञान शुद्ध भाषा में हो तो उसकी शोभा और निखर जाती है। हमारे देश में समस्त हिन्दी भाषियों में से लगभग .1% लोगो को ही शुद्धतम हिन्दी का ज्ञान होगा, बाकि ९९.९% लोग समान्य बोल चाल की हिन्दी पर चलते है। परन्तु हिन्दी के अस्तित्त्व को बचाय्रे रखने के लिये हमें हिन्दी के शुद्ध शब्दों का भी विकिपीडीया के द्वारा प्रचार करना चाहिये हाँ ये अवश्य ध्यान रखा जा सकता है कि वह शब्द कोई स्वविचारित शब्द न हो। इस प्रकार दोनों शुद्ध एवं अधिक प्रचार वाले शब्दों पर पुनर्निर्देशन देकर हम आम वर्ग एवं विद्वान वर्ग दोनों का हित कर सकते है।-- Mayur(TalkEmail)  १०:१७, १० दिसंबर २०१० (UTC)

भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से रोहित जी का मत सही है किंतु भाषा समाज की संपत्ति है और एक सीमा के बाद भाषा के विपथन को अपवाद के रूप में व्याकरण और भाषा विज्ञान को मान्यता देनी ही होती है। दिल्ली विश्वविद्यालय में राष्ट्रभाषा के अंतर्गत स्नातक प्रथम वर्ष को पढ़ाई जाने वाली पुस्तक में प्रसिद्ध सांस्कृतिक विमर्शकार श्यामाचरण दूबे का एक निबंध है 'अस्मिताओं का संघर्ष'। उसमें भी कनाडा के क्यूबेक प्रांत का ही उल्लेख है। अनिरुद्ध  वार्ता  ०३:४२, ११ दिसंबर २०१० (UTC)

काफ़ी बाद में इस चर्चा में जुड़ रहा हूं, क्षमाप्रार्थी हूं। मेरा मत भी वही है, जो इस विषय पर बहुमत है। क्या सही है, और क्या शुद्ध है, इन दोनों में अंतर हो सकता है। शुद्ध का ज्ञान होना बहुत अच्छी बात है, किन्तु समय के साथ अद्यतन होते रहना चाहिये, यही विकास का परिचायक होता है, अन्यथा हम मैं को पुरानी हिन्दी फिल्मों की भांति बोलचाल में मैएं ही बोलते रहते। ऐसे ही आवो, जावूंगा, इत्यादि। हां अपभ्रंशों के स्थान पर सही शब्दों/मूल शब्दों को प्राथमिकता देनी चाहिये, किन्तु सभि तद्भवों के स्थान पर तत्सम नहीं चल सकते हैं। अतएव हमें अङ्ग्रेज़ी छोड़कर अंग्रेज़ी सरीखे शब्द सहृदयता सहित अपना लेने चाहिये।-- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ११:४६, १४ दिसंबर २०१० (UTC)

नोट:- निम्नलिखित वार्ता कुछ अधिक लम्बी है इसके लिए क्षमा चाहता हूँ।

सभी सदस्यों के विचार पढ़े। इस विष्य पर अपने-२ विचार रखने के लिए सभी सदस्यों का हार्दिक धन्यवाद। मैंने सदस्यों की राय को देखते हुए उपरोक्त लेख का नाम क्यूबेक कर दिया है। साथ ही में इस लेख से सम्बन्धित अन्य लेखों में भी बदलाव कर दिया है। मैं सभी सदस्यों की इस राय से सहमत हूँ लेकिन भाषा मानकीकरण के बारे में मेरी राय कुछ भिन्न है। दिनेशजी आपने यह तर्क दिया है कि फ़्रांसीसी को फ़्रान्सीसी लिखने से क्या बदलेगा? दिनेशजी आप ही ने यह भी सुझाया है कि मेरे हिसाब से हमें वो नहीं लिखना चाहिए जो हमें सही लगता है बल्कि असल मे वो क्या है उसी को तरजीह देनी चाहिए। यहाँ पर मैं एक बात स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मैं वह नहीं लिख रहा था जो मुझे सही लगा बल्कि मैं तो वह लिख रहा था जो सही था। चलिए कीबैक या क्यूबेक विवाद पर मैं आपकी बात से सहमत हूँ कि हमें अंग्रेज़ी या फ़्रान्सीसी उच्चारण पर नहीं अपितु हिन्दी उच्चारण के आधार पर लिखना चाहिए और इन दोनों ही भाषाओं में क्यूबेक का उच्चारण अलग-अलग है। इसके लिए मैंने कीबैक को बदलकर क्यूबैक कर दिया है।
लेकिन जो आपने दूसरा तर्क दिया है कि जिस प्रकार आजकल हिन्दी लिखी जा रही है हमें उसी प्रकार लिखनी चाहिए। तो इस सन्दर्भ मैं यह कहना चाहूँगा कि किसी भाषा को लिखने के बहुत से ढंग होते है, और जो भाषा जितनी व्यापक होती है वह उतनी ही विविध रूपों में पाई भी जाती है। फिर भी किसी भाषा का एक मानकीकृत रूप होता है जो उस भाषा के नियमों और व्याकरण को ध्यान में रखकर मानकीकृत माना जाता है। जैसे कि अङ्ग्रेज़ी, फ़्रान्सीसी, रूसी, स्पेनी, अरबी जैसी भाषाएँ बहुत से देशों में बोली जातीं है और इन भाषाओं के भी विविध स्वरूप पाए जाते हैं लेकिन यदि आप ध्यान दें तो आप पाएंगे कि इन भाषाओं का मानकीकरण किया जा चुका है। इसलिए अङ्ग्रेज़ी का वही स्वरूप मानक माना जाता है जो ब्रिटेन या अमेरिका में प्रचलित है। इसी प्रकार फ़्रान्स में बोली जाने वाली फ़्रान्सीसी ही मानक मानी जाती है और स्पेन में बोली जाने वाली स्पेनी, और इन देशों के निवासी अपनी-अपनी भाषाओं के नियमों का पालन भी करते है जैसे कि वे अपने-अपने देशों के अन्य नियमों का करते हैं। दिनेशजी आपने यह भी लिखा है हिन्दी में छपने वाले सभी अखबार और पत्रिकायें क्यूबेक ही लिखती हैं। तो आप यह बताइए कि किस अखबार और पत्रिका की हिन्दी मानक समझी जाए या किसके द्वारा बोली जा रही हिन्दी को मानक माना जाए? अब मैं आपको बताता हूँ कि फ़्रांसीसी को फ़्रान्सीसी लिखने से क्या बदलेगा?। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि हिन्दी भाषा या देवनागरी लिपि में लिखित किसी भी भाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इन भाषाओं में एक शब्द की केवल एक ही वर्तनी होती है। उस शब्द को जैसे लिखते हैं वैसे ही बोलते हैं और जैसे बोल्तए है वैसे ही लिखा भी जाता है। यानी कि हिन्दी में वर्तनी भ्रम तो होना ही नहीं चाहिए था। लेकिन मानकों का पालन न किए जाने के कारण आज हिन्दी में बहुत से शब्द (विशेषकर) बिन्दी वाले शब्दों की वर्तनी को लेकर बहुत भ्रम है। हिन्दी में आजकल ऐसे सभी शब्दों पर एक बिन्दी लगा दी जाती है। अब मैं आपसे और अन्य सदस्यों से यह प्रश्न पूछता हूँ कि उदाहरण के लिए खंडन को क्या पढूँगा? क्या मैं इसे खण्डन पढूँ या खम्डन? इसी प्रकार मैं अंग्रेज़ी को क्या पढूँ, अङ्ग्रेज़ी या अन्ग्रेज़ी या अम्ग्रेज़ी? यही बहुवर्तनीयता अन्य बिन्दी प्रयुक्त शब्दों के उच्चारण को लेकर भी हो सकती है। अब सदस्य कहेंगे कि भई यह बात तो कोई भी हिन्दी जानने वाला बता सकता है कि किस शब्द को क्या पढ़ना है। दरसल हम हिन्दी भाषियों ने यह मान लिया है कि जो भी हिन्दी जानता है उसे यह सब बातें अपने आप पता चल जाएङ्गी कि बिन्दी वाले शब्दों को कैसे उच्चारित करना हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। मुझे याद है जब हम लोग बचपन में हिन्दी सीखते थे तो मेरे मन में भी यह प्रश्न उठता था कि खंडन को खण्डन क्यों पढ़ा जाए खन्डन या खम्डन क्यों नहीं क्योंकि आधा न और म के लिए भी बिन्दी प्रयुक्त होती है। देनेशजी आप फ्रान्स और फ्रांस के उच्चारण के अन्तर को इन शब्दों के उच्चारण से समझ सकते हैं: फ़्रैंक और फ़्रैन्क पहले वाले शब्द में बिन्दी का उच्चारण गले से हो रहा है और दूसरे में जीभ ऊपर के तालू से लग रही है। और वैसे भी यदि आप स्वयं भी उच्चारण करके देखें तो पाएंगे कि बिन्दी वाले शब्दों का उच्चारण करते समय जीभ मुंह के विभिन्न भागों को छूती है जैसे गङ्गा में केवल गला थोड़ी देर के लिए बन्द होता है और जीभ हवा में रहती है इसी प्रकार कञ्चन, खण्डन, द्वन्द, और कम्पन सभी में जीभ मुंह के अलग-अलग भागों को छूती है। यह तो रही बात क से म तक के अक्षरों की। अब जहाँ तक य से ह तक के अक्षरों की बात है तो इनके भी उच्चारण से स्पष्ट हो जाता है कि आधा न आएगा या आधा म जैसे फिलीपींस और फिलीपीन्स का उच्चारण अलग हैं। वैसे ही फ़्रांस और फ़्रान्स का उच्चारण भी भिन्न है एक नहीं।

अब आपका एक अन्य तर्क है कि जो चीज़ प्रचलित हो उसे करना चाहिए। यानी कि आप कहना चाहते हैं कि यदि गलत हिन्दी लिखी जा रही है तो गलत ही सही मान लिया जाए? हमारे देश में तो वैसे भी किसी नियम-कानून, मानक को मानने का रिवाज़ नहीं के बराबर है जैसे कि यहाँ लोगों को सीटबेल्ट या हेलमेट (हेलमेट मैंने गूगल अनुवाद से लिया है) पहनने में कष्ट होता है, तो क्या सीटबेल्ट पहनने का नियम अमान्य घोषित कर दिया जाए? जब लोग उनकी अपनी ही सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों को ताक पर रख देते हैं तो भाषा को सही रूप में लिखना तो बहुत दूर की कौड़ी है। गङ्गा (सही) को गंगा (गलत) लिख देने से हाथ-पैरों को अधिक कष्ट नहीं देना पढ़ता इसलिए हमारे देश में आज हर नियम कानून ताक पर रख दिया जाता है कि जी हाथ-पैरों को अधिक कष्ट न देना पढ़े क्योंकि सीटबेल्ट या हेलमेट पहनने के लिए जो थोड़ा हाथ हिलाने पढ़ेंगे उससे अपार कष्ट होगा। अब भले ही गङ्गा शब्द दिखने में कितना ही अजीबोगरीब क्यों न दिखाई दे वह है तो सही वर्तनी न? गंगा को में गन्गा या गम्गा क्यों नहीं पढ़ सकता? दरसल इस सन्दर्भ में मुझे एक बहुत ही रोचक किस्सा याद आ गया है। आपने Nike कम्पनी का नाम सुना होगा? इसका उच्चारण क्या होता है? इसका उच्चारण है नाइकी। लेकिन बहुत से लोग इसे नाइक भी पढ़ते हैं। जैसे बाइक या काइट को पढ़ा जाता है क्योंकि लिखने में तो सारे एक जैसे हैं। इसी प्रकार do को डू पढ़ते हैं। तो इसी आधार पर go को क्षमा कीजिए गू पढ़ा जाना चाहिए। तो आ गया न उच्चारण दोष। यानि कि केवल २६ रोमन अक्षर जान लेने से आप अङ्ग्रेज़ी का कोई शब्द नहीं पढ़ सकते हैं। कदाचित इसीलिए देवनागरी लिपि को सन्सार की सबसे वैज्ञानिक लिपि माना जाता है क्योंकि इसमें शब्दों के उच्चारण के अनुसार ही वे लिखे जाते हैं और किसी नए हिन्दी सीख रहे व्यक्ति को केवल देवनागरी लिपि पढ़ना आना चाहिए वह कोई भी शब्द पढ़ सकता है। तो फिर क्यों हम लोग अपनी भाषा को लिखो कुछ, बोलो कुछ वाली भाषाओं का स्वरूप दे रहे हैं? यदि सारे हिन्दी भाषी मानक के अनुसार हिन्दी लिखें तो वर्तनी भ्रम की तो कोई गुंजाइश ही नहीं रहेगी।

और मानकीकरण के सन्दर्भ में जो सबसे महत्वपूर्ण तर्क है वह यह कि आज के कम्प्यूटर और अन्तरजाल युग में जहाँ ऑनलाइन यान्त्रिक अनुवाद ज़ोरों पर है, एक मानकीकृत भाषा को ही किसी दूसरी भाषा में सही ढङ्ग से अनुवादित किया जा सकता है। क्या आपने कभी सोचा है कि गूगल अनुवाद पर अङ्ग्रेज़ी, जर्मन, फ़्रान्सीसी, रूसी, स्पेनी इत्यादि भाषाओं का एक-दूसरे में और से अनुवाद इतना अच्छा क्यों होता है? क्योंकि यह सभी भाषाएं मानकीकृत हैं और इन देशों के लोग उन भाषा नियमों का पालन करते भी हैं। किसी अन्य भाषा से हिन्दी में या हिन्दी से अनुवाद एकदम हास्यास्पद और निरर्थक होता है। उसका कारण यह है कि गूगल का अनुवाद इञ्जन भी भ्रमित हो जाता होगा कि किस स्वरूप में अनुवाद करूं क्योंकि मानक तो है नहीं (दरसल हैं तो लेकिन उनका पालन नहीं किया जाता) और जिनका पालन किया जाता है उनका कोई स्वरूप निर्धारित नहीं हैं क्योंकि स्वरूप मानक का होता है मनमानी का नहीं। फिर वही बिन्दी वाली बात आ गई न कि गूगल इञ्जन सोचेगा कि मैं ruin का अनुवाद खण्डर करूं, खंडर, खम्डर, या खन्डर। हालांकि अभी खंडर शब्द आता है। अब कोई हिन्दी सीख रहा जापानी या कोरियाई भी खंडर देखकर यह सोचेगा कि इसका उचारण क्या होगा क्योंकि भले ही उसे देवनागरी की समझ हो लेकिन यह तो वर्तनी के उच्चारण की अस्पष्टता हो गई है। तो लगता है कि अब देवनागरी लिपि की भाषाओं के लिए भी आईपीए जैसी कोई पद्यति निकालनी होगी जैसी रोमन लिपि पर आधारित भाषाओं के लिए है क्योम्कि उन भाषाओं में शब्दों के उच्चारण और लेखन में कोई मेल नहीं है। लिखो कुछ और पढ़ो कुछ। दरसल देवनागरी लिपि और इसपर आधारित भाषाओं की सबसे बड़ी वैज्ञानिकता यही है कि इन भाषाओं में किसी शब्द की केवल एक ही वर्तनी हो सकती है और उसे वैसे ही पढ़ा भी जाता है। इसलिए फ़्रान्स और फ़्रांस में बहुत अन्तर है, वर्तनी का भी और उच्चारण का भी भले ही दोनों एक ही देश को सम्बोधित करते हों। आप संयुक्त और सन्युक्त का उच्चारण करके देखिए बात कुछ स्पष्ट हो जाएगी हालाङ्कि इस मामले में संयुक्त सही माना जाता है। इसी प्रकार सन्सद और संसद तथा सन्सार और संसार के उच्चारणों में भी बहुत अन्तर है। सन्सद में न स्पष्ट रूप से उच्चारित हो रहा है और जीभ ऊपर के दाँतों से लग रही है जबकि संसद में न कुछ अस्पष्ट सा है और गले से उच्चारित हो रहा है। इसलिए सन्सद और संसद व्याकरणिक रूप से एक नहीं हैं भले ही उनका उपयोग एक ही वस्तु के सन्दर्भ में किया जाता हो।

ये कुछ बारीकिया हैं भाषा-विज्ञान की। हालांकि मैं किसी को बाधित नहीं कर रहा हूँ मानक के अनुसार लिखने के लिए क्योंकि जिन लोगों ने ये लेख पढ़ने हैं वो भी मानकों से अनभिज्ञ हैं। लेकिन फिर भी मेरा प्रयास यह है कि मानक भाषाई स्वरूप बचा के रखा जाना चाहिए। और इसके लिए यह तर्क बिल्कुल कहीं नही ठहरता कि प्रचलित वस्तु को ही सही माना जाए जैसा मैंने आपको बताया कि कैसे हमारे देश में अन्य नियमों, मानकों इत्यादि की भी अनदेखी होती है। लेकिन अनदेखी किये जाने के कारण वे बातें अमान्य या गलत तो नहीं हो जातीं? नियम तो फिर भी अपने स्थान पर रहता ही है। और जहाँ तक आपने यह एक और बात कही है कि कैसे अपने बचपन में हम लोग को प्र जैसा लिखते थे। तो यह सुधार भी द्विअर्थतता के निवारण हेतु किया गया था।

कृपया कोई भी सदस्य मेरे द्वारा लिखी बातों को अन्यथा न ले। मैंने अपने केवल विचार लिखे हैं और मैं किसी पर कोई दोषारोपंण नहीं कर रहा हूँ। सदस्य अपने हिन्दी लिखने के वर्तमान ढङ्ग को जारी रखें। हिन्दी विकिपीडिया का एक सदस्य होने के नाते मैंने अपने विचार प्रस्तुत किए थे। फिर भी यदि किसी सदस्य को मेरी बातों से ठेस पहुँची हो तो मैं क्षमा चाहूँगा। धन्यवाद। रोहित रावत १५:००, १४ दिसंबर २०१० (UTC)

भारत और उसके निवासियों की तारीफ हमलोग वाली भाषा में करने से अनेक सुविधाएं मिल जाती है। लेकिन गाँव के एक स्कूल में पढ़ाए गए, हजारों साल पहले लिखे गए संस्कृत व्याकरण के कुछ नियम जो हिंदी व्याकरण में भी शामिल हैं, मेरा आज भी मार्गदर्शन करते हैं। अनुस्वार का उच्चारण उसके बाद वाले अक्षर के वर्ग के अंतिम अक्षर के अनुरूप होता है। इसी कारण मुझे गंगा, चंचल, खंडन, चंदन और अंबर के सही उच्चारण पढ़ने में कभी मुश्किल नहीं आई। बाद में मैने देखा कि मानकीकरण के लिए आयोजित संगोष्ठियों में भी इसी नियम को मान्यता मिली हुई है। अनिरुद्ध  वार्ता  १८:००, १४ दिसंबर २०१० (UTC) देवनागरी के मानकीकरण की कोशिशों के पीछे की अपनी कहानी है। इसलिए उसके कुछ नीतियों को स्वीकार एवं कुछ को बेकार करने के लिए हिंदी जाति आलसी और नियमों के उल्लंघन का आदी समाज के रूप में पहचाने जाने योग्य नहीं है। हिंदी को सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि कहना वास्तव में एक आत्ममुग्धता की स्थिति है किंतु इसी में यह भी निहित है कि प्रचलित हिंदी व्याकरण के ठोस एवं मानक आधार पर दृढ़ है। अनिरुद्ध  वार्ता  ०४:५६, १५ दिसंबर २०१० (UTC)

रोहित जी, लगता है आपने बहुत ही भावुक होकर तथ्य दिये हैं शायद इसीलिए हिन्दी के लिए अपनायी मानक नागरी लिपि के नियम आपके ध्यान से उतर गये हैं। जिस प्रकार हिन्दी का कोई भी शब्द ड़ या ढ़ से शुरु नहीं हो सकता उसी प्रकार अनुस्वार (बिन्दु) के नियम के अनुसार जिस भी व्यंजन से पहले इसे प्रयोग किया जाता है तो उसी व्यंजन के अनुसार यह ङ, ञ, ण, न या फिर म की ध्वनि देती है। किसी एक व्यंजन के लिए यह दो प्रकार की ध्वनि नहीं दे सकती. जिस प्रकार खंडन में क्योंकि यह ड से पहले प्रयोग की जा रही है इसलिए यह ण की ध्वनि देती है वहीं चंपा में यह ध्वनि बदलकर म की हो जाती है क्योंकि इसका प्रयोग प से पहले किया जा रहा है।

कृपया नीचे अनुस्वार प्रयोग के नियम देखें.

  • [क ख ग घ ङ] अङ्गद, पङ्कज, शङ्कर या अंगद, पंकज, शंकर
  • [च छ ज झ ञ] अञ्चल, सञ्जय, सञ्चय या अंचल, संजय, संचय
  • [ट ठ ड ढ ण] कण्टक, दण्ड, कण्ठ या कंटक, दंड, कंठ
  • [त थ द ध न] अन्त, मन्थन, चन्दन या अंत, मंथन, चंदन
  • [प फ ब भ म] कम्पन, सम्भव, चम्बल या कंपन, संभव, चंबल

Dinesh smita ०६:४३, १५ दिसंबर २०१० (UTC)

रोहित जी ने बड़ा ही सार गर्भित वार्ता अंश दिया है। शायद काफी मेहनत की होगी, किन्तु उनकी बातें अक्षरशः सही हैं, हां इनका निष्कर्ष जरा अलग निकाल लिया है, जिसे बाद में अनिरुद्ध एवं दिनेश जी ने सही किया है। सीधी सी बात है, कि गूगल अनुवाद भी और कोई भी हिन्दी सीखने वाला, ये नियम या रखे जो ऊपर दिनेश जी ने बतायें हैं, तो उसे अनुस्वार हेतु विभिन्न आधे अक्षर नहीं लिखने होंगे। मात्र एक अनुस्वार और उसके बाद आने वाला अक्षर निर्ह्दारित करेगा कि उस अनुस्वार को कैसे ढ़ा जाये।
वैसे भि शायद गञ्गा, गण्गा, गन्गा, गम्गा आदि को बोलना सरल नहीं होता, बल्कि गङ्गा ही सरलतम लगेगा। इसी प्रकार डण्डा को डम्डा, डञ्डा आदि बोलना सरल नहीं है, जितना कि डण्डा है। तो बस हो गया निर्धारण कि आगे आने वाले अक्षर के वर्ग का अंतिम अक्षर ही बोला जायेगा। इसमें इतनी मुश्किल क्या है। हम बोल तो वैसे ही रहे हैं, मात्र लिपि को सरल किया जा रहा है।-- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ११:४७, १६ दिसंबर २०१० (UTC)
काफि लम्बे समय बाद चौपाल पर एक ज्ञानवर्धक चर्चा हुई है। मेरे विचार से बहुवर्तनी शब्दों का पुनर्निर्देशन करना पाठको की दृष्टि से सही रहेगा क्योंकि इससे विभिन्न प्रकार की वर्तनियों का ज्ञान रखने वाले पाठकों लेख खोजने में परेशानी नहीं होगी।-- Mayur(TalkEmail)  १३:१५, १६ दिसंबर २०१० (UTC)
पुनर्निर्देशन से संबंधित नीतियाँ तय करते समय मानक देवनागरी के नियमों का यथायोग्य पालन किया जाना चाहिए। अर्थात् गङ्गा को गंगा की ओर पुनर्निर्देशित किया जाना चाहिए। भाषाविदों की भाषा के सरलता की ओर अग्रसर होने की प्रवृत्ति को जीवित भाषा की प्रकृति के रूप में पहचाने जाने को स्वीकार करें तो भी अनुस्वार संबंधी मानकीकरण समिति की कम-से-कम यह शिफारिश तो उपयुक्त लगती है और इसलिए यह स्वीकृत भी हुई है। कुबेरनाथ राय के शब्दों के सहारे कहुँ तो सरलता के साथ समृद्धि भी आवश्यक है। किंतु इसके लिए लिपि को क्लिष्ट बनाने के बजाय हमें नए और आवश्यक शब्दों के निर्माण की ओर ध्यान देना चाहिए। और इसके लिए भारत के संविधान की धारा 351 सचमुच अनुकरणीय है। यद्यपि उसका उल्लंघन उसी संविधान के अनुसार बनाई गई समितियों ने निर्ममतापूर्वक किया है। अनिरुद्ध  वार्ता  ०४:१३, १७ दिसंबर २०१० (UTC)
वैसे दिनेश जी द्वारा दिए गए अनुस्वार संबंधी नियम बच्चों के अथवा आरंभिक हिंदी सीखने वालों के काम आने वाले नियम है। इसके सहारे अंश, संसद, संशय, अंय, आदि शब्दों में अनुस्वार के रूप की व्याख्या नहीं होती। इसके लिए नागरी की मूल प्रकृति, उच्चारण के अनुसार लिखे जाने की प्रवृत्ति ही काम आती है, जिसका इशारा रोहित जी ने ऊपर किया है। किंतु महाण वैयाकरण पाणिणी के व्याकरण की उत्तराधिकारीणी, कम-से कम उच्चारण के मामले में तो पूर्णतः, हिंदी भाषा में कुछ भी, अवैज्ञानिक और यादृच्छिक लगे भले, है नहीं। अनिरुद्ध  वार्ता  ०४:१३, १७ दिसंबर २०१० (UTC)
हाँ ऐसा अवश्य किया जाना चाहिये, बहुवर्तनिय शब्दों में से व्याकरण की दृष्टि से सबसे शुद्ध वर्तनी पर लेख को रखना चाहिये एवं अन्य वर्तनियों को उस पर पुनर्निर्देशित किया जाना चाहिये, इससे पाठकों को शुद्धतम वर्तनी का अभ्यास भी होगा-- Mayur(TalkEmail)  ०४:३७, १७ दिसंबर २०१० (UTC)

उत्पात नियंत्रक

हिन्दी विकि पर मैनें एक नया सदस्य समूह उत्पात नियंत्रक बनाया है जिसके सदस्य किसी पृष्ठ को हटाने का अधिकार रखते है इसके साथ साथ इनके पास रोलबैक अधिकार भी होता है। इस सदस्य ग्रुप में समस्त विशिष्ट/वरिष्ठ सदस्यों को रखा गया है। आशा है कि अब बर्बरता एवं उत्पात वाले पन्नों को हताने में तेजी आयेगी-- Mayur(TalkEmail)  १४:४७, ६ दिसंबर २०१० (UTC)

मयूर जी! आपके अच्छे काम यदि निर्दोष भी रहें तो निस्संदेह स्थिति और भी बेहतर होगी। अब इस सदस्य समूह को ही देखइए। वरिष्ठ सदस्य में 8 सदस्य हैं और इसमें 7। फिर सभी वरिष्ठ सदस्य इस समूह के सदस्य कैसे हुए! वैसे इसका पता भी तभी चला जब एक हटाने योग्य पृष्ठ को हटाने की कोशिश की। अनिरुद्ध  वार्ता  ०३:५०, १७ दिसंबर २०१० (UTC)

शायद भूलवश में कुछ वरिष्ठ सदस्यों को इसमें जोडना भूल गया, कोई बात नहीं अब सभी वरिष्ठ सदस्यों को इसमें जोड़ दिया गया है। आपके इस बिंदु को ध्यान दिलाने हेतु धन्यवाद -- Mayur(TalkEmail)  ०४:०५, १७ दिसंबर २०१० (UTC)

इस साँचे में कुछ सहायता की आवश्यकता है। इसमें जो सबसे नीचे की पट्टी है जिसमें मैंने (१)- कुछ भाग यूरोप में (२)- कुछ भाग अफ़्रीका में लिखा हुआ है उसका रंग अभी हल्का सलेटी है। क्या कोई उपाय है जिससे इस पट्टी का रंग भी आसमानी नीला हो जाए जैसा एशिया के राष्ट्रगान जहाँ पर लिखा है उस पट्टी का है? मैंने अभी कुछ लिखा तो है लेकिन रंग नीला होने के बजाए वह ही प्रदर्शित हो जाता है। किसी तकनीकी रूप से कुशल सदस्य की आवश्यकता है और रंग पूरी पट्टी का नीला चाहिए। यदि न भी हो पाए तो कोई बात नहीं। नीली पट्टी हो जाने से साँच और अच्छा दिखता, बस। अन्यथा साँचे की कार्यात्मकता में कोई परेशानी नहीं हैं। धन्यवाद। रोहित रावत १५:३५, १९ दिसंबर २०१० (UTC)
   Done, मैनें आपके कहे अनुसार उस पट्टी का रंग आसमानी कर दिया है, आप चाहे तो कोई और रंग भी भर सकते है।-- Mayur(TalkEmail)  १८:१५, १९ दिसंबर २०१० (UTC)
मयूरजी आपकी सहायता के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। रोहित रावत १८:०९, २१ दिसंबर २०१० (UTC)

उपनिषद

मयूर जी के हाल ही में बनाए हुए विभिन्न उपनिषदों के लेखों में एक समान गलतियाँ हैं जो किसी मशीनी प्रक्रिया का परिणाम लगती है। शायद इसे मशीनी रूप से ठीक किया जा सके। उदाहरण के लिए उपनिषदों में बाह्य सूत्र दो बार दिया गया है। और ये बिल्कुल एक ही हैं। पुस्तक परिचय देने वाला साँचा जो प्रायः सबसे उपर लगता है, इन उपनिषद संबंधि लेखों में विवरण के नीचे आया है। यदि इन्हें यांत्रिक रूप से ठीक किया जा सके तो मानव श्रम की जो हिंदी विकिया को वैसे भी अल्प मात्रा में उपलब्ध है, काफी बचत होगी। अनिरुद्ध  वार्ता  १८:४०, २० दिसंबर २०१० (UTC)

   Done-मेरा कार्य अभी चल ही रहा था कि इतनें में आपका संदेश चौपाल पर देखा, उपरोक्त गलतियों से अवगत कराने के लिये धन्यवाद। हाँ अभी के लिये इन गलतियों को सुधार दिया गया है। परन्तु ज्ञानसंदूक की स्थिति मशीनी तौर पर सबसे ऊपर नहीं की जा सकती, इसके लिये इन लेखों को हटाकर बनाना पड़ेगा, परन्तु बाह्य सूत्र को सही कर दिया गया है जो एक मुख्य कमी थी। -- Mayur(TalkEmail)  १९:१५, २० दिसंबर २०१० (UTC)

हिन्दी विकि ५८००० के पार

हिन्दी विकि के ५८००० से अधिक का आकड़ा छुने पर समस्त सक्रिय सदस्यों को बधाइयाँ। इन बार एक हजार का आकड़ा छुने में सबसे अधिक सहायक अनुनाद जी, रोहित रावत एवं गुगल अनुवादक प्रशंसा के पात्र है। इसके साथ साथ मुख्य पृष्ठ समाचार विभाग को नियमित रुप से आधुनिक बनाने के लिये अनिरुद्ध जी भी प्रशंसा के पात्र है। वैसे यूनानी विकि हिन्दी विकि के अत्यंत पास पहुँच गया है अत: हमें हमारे लेखों की गति तेज करनी होगी वह भी गुणवत्ता बनाये हुए इसलिये मैनें आज कुछ नये ९० लेख बनाकर मशीनी परीक्षण किये यदि सदस्यों को यह पैटर्न पसन्द आता है तो इस प्रकार के लगभग १००० लेख बनाने की सामग्री मेरे पास है। हिन्दी विकि पर लेख निर्माण की गति अत्यंत धीमी हो चुकी है अत: हमें अधिक से अधिक सक्रिय सदस्यों की आवश्यकता है। अभी के लिये अच्छी बात यह है कि हिन्दी विकि की गहराई भी ३० हो गयी है जो अभी तक की हिन्दी विकि की अधिकतम प्राप्त की गयी गहराई है।-- Mayur(TalkEmail)  १९:२८, २० दिसंबर २०१० (UTC)

सबको बधाी हो। किंतु उन्नीस-बीस का फ़र्क मिटाने के लिए हिंदी विकिया ने जो ऐतिहासिक भूलें कर ली हैं उनसे सबक लेते हुए ही आगे की दिशा तय करनी चाहिए। मैं बेकार के पृष्ठों को हटाने का कार्य कर रहा हूँ। इस कारण संभव है हम युनानी विकिया से पीछे रहें किंतु विकिया के पृष्ठ खोलकर किसी के निराश होने एवं झुंझलाने की गुंजाइश भी जरूर कम होगी। अनिरुद्ध  वार्ता  २०:३३, २० दिसंबर २०१० (UTC)

पुनर्निर्देशित कर दें

जनतंत्र, प्रजातंत्र, गणतंत्र को लोकतंत्र की ओर पुनर्निर्देशित कर दें। अनिरुद्ध  वार्ता  २०:२६, २० दिसंबर २०१० (UTC)

मुल्य वार्ता

मुल्य वार्ता क्या होती हे ?

मानक हिंदी वर्तनी -आलेख शृंखला

आज का आलेख स्तंभ में मानक हिंदी वर्तनी लेख के अंश शृंखलावार प्रस्तुत करने की योजना मैंने सोची है। इसके लिये १ -९ जनवरी तक के आलेख भी तैयार किये हैं। इस प्रकार से हम हिन्दी के सही एवं मानक रूप को लोगों को सुलभ करा पायेंगे। इसके बारे में अपने विचार शीघ्रातिशीघ्र प्रस्तुत करें, जिससे इसे १ जनवरी (नव वर्ष) से क्रियान्वित किया जा सके। साथ ही सक्रिय सदस्यों से, विशेषकर अनुनाद जी से अनुरोध करूंगा, कि इसमें यथा संभव सन्दर्भ का समर्थन तथा बाहरी कड़ियाँ दें,. जिससे ये लेख निःसंदेह एक उत्कृष्ट लेख बन पाये। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ०५:५९, २७ दिसंबर २०१० (UTC)

अवनीश सिंह चौहान

अवनीश जी, आपका हिन्दी विकि पर स्वागत है। आप सदृश साहित्यकार को पाकर हिन्दी विकि को बहुत सी आशाएं जागी हैं। विशेष रूप से साहित्यिक एवं भाषा संबन्धी विषयों पर आपसे अच्छे लेखों की आशा है। मेरा आपसे विशेष अनुरोध है कि साहित्य में प्रयुक्त प्रमुख शब्दों का संक्षिप्त परिचय वाला एक लेख अवश्य रचें। आरम्भ में इसमें पाँच शब्दों की परिभाषाएँ हो तो भी चलेगा। धीरे-धीरे उसे बढ़ा सकते हैं। एक बार पुनः स्वागत् ! -- अनुनाद सिंहवार्ता ०९:३६, २९ दिसंबर २०१० (UTC)

क्या मैसिडोनिया का नाम हिन्दी में मकदूनिया नहीं होना चाहिए? कृपया अपने विचार दें।Dinesh smita ०९:०५, ३० दिसंबर २०१० (UTC)

मैनें अपनी राज्य पाठ्यचर्या की सातवीं या आठवीं की पुस्तक में मकदूनिया ही पढ़ा है। --आलोक मिश्र ११:१६, ३० दिसंबर २०१० (UTC)
मैं दिनेशजी से पूर्णतः सहमत हूँ। मैसिडोनिया नाम विदेशी भाषाओं में है। हमे जहाँ तक हो सके विदेशी नामों का देसीकरण करना चाहिए और देसी नामों को ही प्रयुक्त करना चाहिए। इसलिए लेख का नाम मकदूनिया कर देना चाहिए। इसी प्रकार यूनान नाम ही हमें प्रयुक्त करना चाहिए नाकी ग्रीस। रोहित रावत १५:३०, ३० दिसंबर २०१० (UTC)

अन्तरफलक प्रबन्धक

मैंने विकिपीडिया:विशेषाधिकार निवेदन पृष्ठ पर अन्तरफलक प्रबन्धक के लिए कई मास पूर्व आवेदन किया था। तब मयूरजी ने मुझे बताया था कि चूंकि मैं स्वयं एक प्रबन्धक हूँ इसलिए मुझे इस अधिकार के लिए समर्थन जुटाने की आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि यह अधिकार मुझे प्रबन्धक होने के नाते स्वतः ही प्राप्त है। यदि ऐसा है तो मेरे खाते मैं यह अधिकार मुझे क्यों नहीं दिखता है? मयूरजी इस सम्बन्ध में मैंने आपके वार्ता पृष्ठ पर भी पूछा था लेकिन तब आप कुछ दिनों के लिए विकिपीडिया से दूर थे। पर बाद में भी आपने कोई उत्तर नहीं दिया। कृपया इस सम्बन्ध में मेरा मार्गदर्शन करें क्योंकि इस बारे में मुझे बहुत भ्रामक स्थिति में रहना पड़ रहा है। यदि यह अधिकार मुझे प्राप्त है तो मुझे इस पद से सम्बन्धित कार्य करने के लिए और क्या करना होगा और यदि यह अधिकार मुझे प्राप्त नहीं है तो कृपया सदस्य निवेदन पृष्ठ पर समर्थन या विरोध में अपना मत दें। धन्यवाद। रोहित रावत १५:४२, ३० दिसंबर २०१० (UTC)

रोहित जी इसके लिये आप सदस्य समूह अधिकार देख सकते है इसमें आप प्रबंधको के अधिकारो में भी edit interface मिलेगा और अन्तर्फलक प्रबंधक के अधिकार में भी edit interface मिलेगा। आपने मुख्यत इन्टरफेस अनुवाद करने के लिये मुझसे प्रशन किया था उस समय मैनें आपको बताया था कि इसके लिये आप व्यवस्था संदेशों को संपादित करे, हाँ अन्तरफलक समूह इस लिये बनाया गया था कि जिससे हम किसी अन्य विकि के कुशल तकनीकि प्रबंधक को किसी विशेष इन्टरफेस सुधार हेतु बुला सकें। अब यह स्थिति और भ्रामक न बने इस लिये मैनें आपको इस सदस्य समूह में जोड़ दिया है। क्योंकि किसी विकि के तकनीकि रुप से कुशल प्रबंधक को यह अधिकार हिन्दी विकि पर किसी विशेष तकनीकि समस्या आने पर दिया जा सकता है और रही बात हिन्दी विकि की तो आप पहले से ही इसके प्रबंधक है आपके पास पहले से ही इन्टरफेस संपादन करने का अधिकार है इसलिये मुझे या किसी को भी आपको इस सदस्य समूह में डालने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिये। हाँ आपको किसी इन्टर फेस संदेश को बदलना है तो व्यवस्था संदेशों में समस्त इन्टरफेस संदेश है इनको आप या कोई भी प्रबंधक संपादित कर सकता है। -- Mayur(TalkEmail)  १६:५५, ३० दिसंबर २०१० (UTC)

हिन्दी विकिपिडिया के सभी लेखों के शीर्षक

हिन्दी विकिपिडिया के सभी लेखों के शीर्षकों का कोश कैसे प्राप्त किया जा सकता है? मुझे लगता है कि यह बहुत उपयोगी हो सकता है। -- अनुनाद सिंहवार्ता १५:१५, १ जनवरी २०११ (UTC)

मुझे अभीष्ट उत्तर मिल गया है। इसके लिये सभी पेज पर जाना पड़ेगा।
-- अनुनाद सिंहवार्ता ०५:४८, ३ जनवरी २०११ (UTC)

    हाँ अनुनाद जी परन्तु यह शीर्षक यदि आपको एक साथ टेक्स्ट फाईल में चाहिये तो,इस लिंक पर जाकर all-titles-in-ns0.gz वाली फाईल डाउनलोड करे, निश्चय ही यह आपके लिये अधिक उपयोगी होगी-- Mayur(TalkEmail)  १८:०८, ३ जनवरी २०११ (UTC)

धन्यवाद मयूर जी। मुझे वस्तुतः इसी की तलाश थी। -- अनुनाद सिंहवार्ता ०४:१२, ५ जनवरी २०११ (UTC)

लेखों के इतिहास में आकार

हिन्दी विकि पर काफि समय से लेखों के इतिहास एवं अन्य कई जगहों जैसे विशेष:shortpages मे लेखों के आकार में अकेला बाइट प्रदर्शित होती थी परन्तु कोई संख्या दिखाई नहीं देती थी , मैनें इस समस्या को हटा दिया है अबसे पुन संख्या दिखायी पडेगी-- Mayur(TalkEmail)  १८:०२, ३ जनवरी २०११ (UTC)

हिन्दी विकि ६७००० के पार

नमस्कार मित्रों, हिन्दी विकि पर लेखों की संख्या ६७००० के पार हो गयी है इसके साथ ही हिन्दी विकि ४० वें पायदान पर आ गया है २२ गहराई के साथ। दरसल मैनें यह अनुभव किया की अन्य विकियों की तरह हमारे विकि पर तारिख से संबंधित लेख अत्यंत कम है इसके लियें मैनें अंग्रेजी विकि देखा तो पाया की उन्होनें भी तारिख सम्बंधित कई लेख बना रकहे है वह भी बाटस की सहायता से, यही समानता फ्रेंज व अन्य बड़े प्रोजेक्टस में दिखी। इसलिये मैनें भी हिन्दी विकि में कई हजार तारिख सम्बंधित लेख बनाने का निश्चय किया और मैनें अर्ध स्वचालित तरीके से कई तारिख सम्बंधित लेख बना दिये। हालाँकि मेरे द्वार उठाया यह कदम आपको अनुचित लग सकता है परन्तु इसमें चिंता की तनिक भी बात नहीं मैं यह समस्त लेख एक झटके में तुरन्त हटा सकता हूँ लेकिन एक सप्ताह से पहले। मैनें इन लेखों में कुछ जानकारी देने का भरसक प्रयत्न किया है परन्तु इन सबको बनाये रखने के लिये आपका सुझाव वांछित है कृपया शीघ्र अपना सुझाव दें ताँकि समय रहते इन लेखों को तुरन्त हटाया जा सकें। धन्यवाद-- Mayur(TalkEmail)  १७:३५, ३ जनवरी २०११ (UTC)

मयूरजी मैं समझा नहीं कि आप कौनसे तारीखों वाले लेखों की बात कर रहे हैं। हिन्दी विकि पर तो वर्ष की सभी तिथियों के लेख पहले से ही उपलब्ध हैं। और आपने जो एक झटके में हज़ारों लेख बनाए हैं वे हाल में हुए परिवर्तनों में भी नहीं दिख रहे हैं। आपने जो नए लेख बनाए है उनकी कड़ी तो चौपाल पर उपलब्ध कराइये तभी तो समझ में आ पाएगा कि इन नए बने लेखों का क्या करना है। और दूसरी बात यह कि हिन्दी विकि की गहराई एकदम से घट कर ३० से २२ हो गई है जो लेखों के एकदम बढ़ने से कम होनी तो स्वाभाविक है लेकिन मयूरजी क्या आप कोई बॉट चलाकर नॉन-आर्टिकल्स की संख्या में वृद्धि कर सकते हैं? इसके लिए आप चाहें तो नए बने लेखों के वार्ता पृष्ठों पर वार्ता साँचा लगाने वाला कोई बॉट चला सकते हैं। इससे विकि पर नॉन-आर्टिकल्स भी बढ़ेंगे और सम्पादन भी और यदि सम्पादनों की संख्या भी दस लाख तक पहुंच जाए तब तो अति उत्तम रहेगा क्योंकि ६७,०००+ लेखों वाली विकि पर दस लाख सम्पादन तो होने ही चाहिए। ऐसा मेरा सुझाव है। रोहित रावत १६:१५, ४ जनवरी २०११ (UTC)
रोहित जी आपके उत्तर एवं अत्यंत उपयोगी सुझावों के लिये धन्यवाद, दरसल मैं २१०० ईसा पूर्व,३१०० ईसा पूर्व इत्यादि ऐसे लेखों की बात कर रहा था अन्य विकियों की तरह मैनें हिन्दी विकि पर भी इस तरह के कई लेख बना दिये है, अब बात रही गहराई की तो उसे बड़े आराम से फिर से ३० पर ही ला दिया जायेगा, इसके लिये मैं अपने कई बाट का प्रयोग कर सकता हूँ। परन्तु इसमें २ सप्ताह तक का समय लगेगा। पहले भी हिन्दी विकि की गहराई २१ पर थी परन्तु मैनें अपने बाट अकाउन्ट से कई संपादन करके इसे ३० तक पहूँचा दिया था। अब मेरा लक्ष्य गहराई को ५० तक लेकर आने का है जिसमें ४ या ५ माह का समय लगेगा। आशा है कि इस ४ या ५ माह में हम नेपाल भाषा के विकि को भी पीछे छोड़ देंगे, दूसरी बात वार्ता पृष्ठ बनाने की तो वह कार्य कल तक पूरा हो जायेगा -- Mayur(TalkEmail)  १६:२६, ४ जनवरी २०११ (UTC)
बधाई ! लेकिन अपने इस पृष्ठ - |विकिपीडियाओं की सूची (नई) पर पता नहीं क्यों हिन्दी अपनी पुरानी स्थिति में ही पड़ि हुई दिख रही है।
विकि बोट का इतिहास पढ़ रहा था तो देखा कि अंग्रेजी विकि पर शायद ८० हजार नगपालिकाओं के पृष्ट बोट से बनाये हैं। इसी तरह बहुत से पेज बोट से बनाए हैं जिनपर गरमागरम बहस भी हुई थी। -- अनुनाद सिंहवार्ता ०४:०८, ५ जनवरी २०११ (UTC)
अब आप पुन: इस |विकिपीडियाओं की सूची (नई) को देखें इसमें हम ४० वें पायदान पर आ गये है और हमारी गहराई अब २२ से बढकर २३ हो गयी है शीघ्र ही यह पुन: ३० तक आ जायेगी। हिन्दी विकि के इस संवर्धन पर सबको बधाईयाँ-- Mayur(TalkEmail)  ०५:३८, ५ जनवरी २०११ (UTC)
इस अर्थहीन प्रतिस्पर्धा के प्रति मैं अपनी असहमति और हिंदी विकिया के मेहनती सदस्यों की इस ओर प्रदर्शित रुचि के प्रति निराशा व्यक्त करता हूँ। अनिरुद्ध  वार्ता  १९:०९, ७ जनवरी २०११ (UTC)
इसमें निराश होने की आवशयकता नहीं है क्योंकि यह लेख निरंतर बर्बरता पर बने लेखों एवं ५००० छोटे लेखों से बेहतर है एवं कई विकियों पर ऐसे लेख बाट की मदद से बनाये जाते है जिसमें धीरे धीरे संपादक और सूचनाएँ डालते रहते है। इस प्रकार के लेख इसी तरह वृद्धि करते है हमने केवल एक आधार सूचना बनाकर इन्हे प्रस्तुत किया है। अब जब भी हम २१०० ईसा पूर्व इत्यादि लिंक किसी पेज पर देंगे तो उस पर यह नीला लिंक दिखायेगा। साथ में यह लेख पूर्व में तारिखों पर बने युकेश बाट द्वारा बनाये गये लेखों से बेहतर है(उद्दारण के लिये ६०० एवं ६०० ईसा पूर्व की तुलना कर सकते है) क्योंकि यह एक आधार सूचना लिये हुए है। -- Mayur(TalkEmail)  ०१:२३, ८ जनवरी २०११ (UTC)

हिन्दी विकिपिडिया पर पीडीएफ आदि औजार

हिन्दी विकि पर भी लेख को पीडीएफ बनाकर उतारने वाला औजार लगाया जाय। इसके साथ ही बहुत से लेखों को चुनकर उन्हें पुस्तक रूप में बदलकर उतारने की सुविधा देने वाला औजार भी लगाया जाय।-- अनुनाद सिंहवार्ता ०४:३०, १४ जनवरी २०११ (UTC)

अनुनाद जी हिन्दी विकि पर पहले भी पीडिफ कन्वर्टर इन्सटाल किया गया था परन्तु हमारी देवनागरी लिपि के अक्षरों को यह सपोर्ट नहीं कर रहा था, इसके बाद से यह मीडियाविकि डेवेलपर्स के पास सही होने के लिये लम्बित है, जैसे ही वे इसे सही कर देते है वैसे ही इसे पुन हिन्दी विकि पर लगा दिया जायेगा। उद्दारण के लिये आप हिन्दी विकिसोर्स से कोई हिन्दी की सामग्री कन्वर्ट करके देंखें वहाँ भी समान समस्या आ रही है-- Mayur(TalkEmail)  १६:३४, १६ जनवरी २०११ (UTC)
धन्यवाद मयूर जी, मुझे भी लग रहा था कि कभी अपने 'उपकरण' समूह में ये औजार देखे थे। कहीं इन औजारों की उपयोगिता के बारे मे पढ़ा ओ लगा कि ये हिन्दी के लिये भी उतना ही उपयोगी हो सकते हैं क्योंकि धीरे-धीरे अब यहाँ भी लेखों की संख्या पर्याप्त हो चुकी है। -- अनुनाद सिंहवार्ता ०४:१४, १७ जनवरी २०११ (UTC)
मैने अंग्रेजी विकि के लेख को गूगल ट्रांसलेट से हिन्दी अनुवाद किया और फिर उसे पीडीएफ में बदला। मजेदार बात है कि वहाँ छोटी 'इ' की मात्रा का स्थानपरिवर्तन या कोई अन्य गलती देखने को नहीं मिली। जबकि हिन्दी विकिबुक्स में पीडीएफ बनाने पर छोटी 'इ' की मात्रा गलत स्थान पर चली जा रही है। -- अनुनाद सिंहवार्ता १४:१३, १९ जनवरी २०११ (UTC)
मैनें फिर से दोनों जगहों पर प्रयास किया परन्तु दोनों जगह से डाउनलोड पीडीफ में त्रुटियाँ आ रही हैं-- Mayur(TalkEmail)  १९:५९, २० जनवरी २०११ (UTC)

जानकारी सेना : युवाओं के भविष्य निर्माण का ई-संगठन

क्या आज के युवा बेसहाय है ?
क्या इस नये वेब माध्यम का उपयोग एक नये भविष्य को बनाने के लिये किय जा सकता है क्या ऐसी प्रणाली स्थापित की जा सकती है कि लोग ( युवा और प्रौढ , सभी ) अपने थोडे थोडे योगदान से एक बडी ताकत को आकार दे जो सकारात्मक तरीके से उन्नती कि ओर ले जाये

बहुत ही उर्वर विचार है। -- अनुनाद सिंहवार्ता ०५:०२, १५ जनवरी २०११ (UTC)

Categories

There are double and triple categories:

श्रेणी:अफगानिस्तान, श्रेणी:अफ़गानिस्तान, श्रेणी:अफ़ग़ानिस्तान
श्रेणी:अमरीका, श्रेणी:अमेरिका
श्रेणी:थाईलैंड, श्रेणी:थाईलैण्ड
श्रेणी:दक्षिण अफ़्रीका, श्रेणी:दक्षिण अफ्रीका

Martin-vogel ०३:४४, १६ जनवरी २०११ (UTC)

मार्टिनजी गलत नाम की श्रेणियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। इनपर उपयुक्त कार्यवाही की जा चुकी है। रोहित रावत १५:२४, १६ जनवरी २०११ (UTC)

मुख पृष्ठ पर प्रकाशित निर्वाचित लेख

मुखपृष्ठ पर प्रकाशित निर्वाचित लेख की एक पंक्ति का अंश देखिए।

  • जैसे कई महत्तवपूर्ण शिक्षण संस्थान हैं। यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। अपनी सुंदर दृश्यवाली

दो छोटी गलतियाँ जिन्हें ठीक किया जाना चाहिए। ये मेरे अधिकार क्षेत्र के बाहर की गलतियां हैं इसलिए इसे मैं ठीक नहीं कर पा रहा हूँ। कृपया उपयुक्त व्यक्ति इसे सही कर दें। अनिरुद्ध  वार्ता  ०८:१२, १९ जनवरी २०११ (UTC)

अनिरुद्ध जी द्वारा बतायी गयी गलतियाँ हिन्दी विकि के निर्वाचित लेख गुणवत्ता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाती है, इस समय कोई भी नया निर्वाचित लेख न उपलब्ध होने के कारण मैनें आज का आलेख की तरह पुराने चुने गये निर्वाचित लेखों को रोजना दिखाना आरम्भ कर दिया है ताँकि एक ही लेख रोज रोज देखकर पाठक उदासीन न हो। देहरादून लेख को काफि पहले निर्वाचित लेख घोषित किया गया था। खैर अभी यह गलतियाँ सुधार दी गयी है।-- Mayur(TalkEmail)  १२:४१, १९ जनवरी २०११ (UTC)

यह बेहतर होगा। निर्वाचित लेखों की ठीक-ठाक सूची हिंदी विकिया के पास हो गई है। इसके परिवर्तन का समय एक माह से घटाकर एक सप्ताह या उससे भी कम कर दें। और नए उपलब्ध न हों तो क्रम से पुराने लेखों का ही कुछ अद्यतन के साथ पुनः प्रकाशन किया जा सकता है। इससे नवीनता भी बनी रहेगी और गुणवत्ता भी। अनिरुद्ध  वार्ता  ०५:२४, २० जनवरी २०११ (UTC)

अनिरुद्ध जी अभी वही प्रणाली काफि पहले लागु की जा चुकी है जिसका ऊपर आपने जिक्र किया है-- Mayur(TalkEmail)  १९:५८, २० जनवरी २०११ (UTC)

आज

विकिया जिस ज्ञान के निरंतर अद्यतित श्रोत के संकल्प के साथ बढ़ रहा है उसमें मुखपृष्ठ पर आज के दिन संबंधी सूचनाओं का अभाव अखरने वाला है। हिंदी विकिया पर इसकी पूर्ती के लिए आवश्यक दिनों के लेख अभी शुरुआती दौर में हैं। क्या इस तरह के कॉलम, जो कि अंग्रेजी एवं अन्य भारतीय विकियों में मौजूद हैं, को लेकर हिंदी विकिया में कुछ किया जा सकता है? शायद ऐसे कॉलम दिनों के लेख को बढ़ाने में हमारी मदद करे। अन्यथा हम इस आवश्यक कॉलम को शायद ही कभी बना पाएँ। दिन विशेष के दिन होने वाले उत्सवों, घटनाओं, अवसरों एवं जन्म एवं निधनों का विवरण हिंदी विकिया मुखपृष्ठ का हिससा होना मुझे अनिवार्य लगता है। इसके बिना कुछ कम सा लगता है। वैसे इतने दिनों के साथ के बाद इसकी वजह से अनजान नहीं हूँ मगर कमी तो दूर की ही जानी चाहिए। अनिरुद्ध  वार्ता  ०५:३६, २० जनवरी २०११ (UTC)

--पूर्ण सहमत हूँ। विकि पर पहुँचने का एक मुख्य रास्ता गूगल खोज है और गूगल पर लोग हाल की घटनाएँ ज्यादा ढूँढते हैं। अतः हाल की घटनाओं का विशेष महत्व है विकि को लोकप्रिय बनाने में। -- सौरभ भारती (वार्ता) ०५:१७, २१ जनवरी २०११ (UTC)
--हिन्दी विकि का नया मुख्य पृष्ठ आशीष जी निर्माणाधीन है आपके उपरोक्त सुझाव को नये पृष्ठ पर अवश्य लागु किया जाना चाहिये-- Mayur(TalkEmail)  ०९:५५, २१ जनवरी २०११ (UTC)

पाठकों को प्ररेणा

क्या कोई सदस्य हिन्दी विकि के पाठको को हिन्दी विकि पर संपादन हेतु प्रेरित करने के लिये एक छोटा संदेश बनाकर दे सकता है अथवा वह संदेश किस प्रकार का होना चाहिये। वह संदेश को हम केन्द्रिय संदेश बनाकर सदस्यों एवं पाठकों को दिखा सकते है तथा उस पर देवनागरी लिखने एवं हिन्दी विकि पर लेख बनाने की विधि के लिंक भी दे सकते है यह संदेश हमारे यहां आने वाले हर पाठकों को हिन्दी विकि पर संपादन करने हेतु प्रेरित एवं उत्साहित करेगा। अत: कृपया प्रबंधक एवं वरिष्ठ सदस्य इस विषय पर अपने सुझाव दें-- Mayur(TalkEmail)  १३:४४, २२ जनवरी २०११ (UTC)

-- वार्ता पृष्ठ में डाल सकते हैं इस पाठ को। -- सौरभ भारती (वार्ता) ०७:२०, २३ जनवरी २०११ (UTC)
नहीं वार्ता पृष्ठ से तो हम केवल पंजीकृत सदस्यों तक ही यह संदेश पहूँचा सकते है जो केवल ३८,००० के करीब है एवं उनमें से भी पता नहीं कौन फिर से अपने सदस्य पृष्ठ का भ्रमण करते होंगे परन्तु हिन्दी विकि पर लगभग १०,००,००० पाठक रोजना भ्रमण करते है केन्द्रिय संदेश के जरिये वे जिस भी पृष्ठ को खोलेंगे वहाँ उन्हें हमारा संदेश दिखायी देगा। मतलब कि महीने में लगभग ३०,००,००० पाठकों तक हमारा संदेश पहुँचेगा तो इस बात की प्रायिकता बहुत बढ जाती है कि उनमें से कई हिन्दी विकि पर योगदान करने को प्रेरित हो-- Mayur(TalkEmail)  ०८:२०, २३ जनवरी २०११ (UTC)
-- हालाँकि पहले भी ऐसा प्रस्ताव आया था पर स्पैमिंग के नाम पर इसे छोड़ना पड़ा था। अर्थ ये है कि विकि पर आने वाले सदस्यों को अन्यथा संदेश या सूचना ना भेजे जाएँ सिवाय कोई आपातकालीन या प्रबंधन कारणों के। स्वयं मैं आपके पक्ष में हूँ। फिर भी सबकी राय ले लेना उचित होगा। -- सौरभ भारती (वार्ता) ०८:५०, २३ जनवरी २०११ (UTC)
अभी भी हम "देवनागरी में लिखने के लिये सहायता" आदि केन्द्रिय संदेश दे रहे है, बस इस बार हम इसे थोड़ा अलग तरीके से दिखायेंगे, इसकी जगह कुछ प्रेरित संदेश छोड़कर उसका लिंक एक मुख्य पृष्ठ पर देंगे जिस पर पूरा संदेश एवं विकि पर लेख लिखने के समस्त तरीके एवं सहायता लिंक होंगे, इससे पाठक विकि पर लेख बनाने हेतु प्रेरित होंगे और अंग्रेजी विकि में तो इन केन्द्रिय संदेशों का काफि प्रयोग किया जाता है एवं हिन्दी विकि पर इन से संबंधित कोई नीति भी नहीं अत: यदि अधिकतर सदस्यों को अगर इसमें आपत्ति नहीं तो हम यहां हमारे समुदाय के निर्णय के आधार पर यह संदेश दिखा सकते है-- Mayur(TalkEmail)  ०९:३४, २३ जनवरी २०११ (UTC)
-- समर्थन। -- सौरभ भारती (वार्ता) १५:१८, २५ जनवरी २०११ (UTC)

हाँ। ऐसे थोड़े शब्दों में बड़ी बात करने वाले संदेश देना एक अच्छा कदम है। हाँ उसे दिखाने या छुपाने का बटन साथ में लगा हो तो और भी बेहतर होगा। मयूर जी ने संदेश देने की बात सोची है तो संदेश भी जरूर सोचा होगा। ऐसे संदेश का ड्राफ्ट यदि कहीं उपलब्ध कराएँ तो सुझाव देने में आसानी होगी। संभव है सुझाव की जरूरत ही न हो। और ऐसे किसी भी प्रयास को मेरा समर्थन है। अनिरुद्ध  वार्ता  १८:४६, २५ जनवरी २०११ (UTC)

सुझाव

पीलभीत जिला इस लेख को या तो हटा देना चाहिए या पीलीभीत जिला लेख मे मिला देना चाहिए जो कि सही नाम व बेहतर सामग्री के साथ ज्यादा उप्युक्त है। Jain.dhrj १३:४९, २५ जनवरी २०११ (UTC)

चित्तौड़गढ़ जिला सही लेख है । चित्तौरगढ़ जिला इस लेख को या तो उसमे मिला दिया जाए या मिटा दिया जाये। Jain.dhrj १४:१९, २५ जनवरी २०११ (UTC)

-- सुझाव ठीक हैं। मैंने बदलाव कर दिए हैं। क्या आप चित्तौड़गढ़ जिले पर और लेख लिख सकते हैं? धन्यवाद्। -- सौरभ भारती (वार्ता) १५:३३, २५ जनवरी २०११ (UTC)

इस विषय पर पहले ही ये लेख है सुखोई ३० एमकेआई। इसलिए इसे सुखोई-३० एमकेआई मिटा दिया जाए। Jain.dhrj १८:२३, २५ जनवरी २०११ (UTC)

मेरा सुझाव यह है कि लेख को बजाय पुनर्निर्देशित करने के उसे मिटा दिया जाए। Jain.dhrj १८:२७, २५ जनवरी २०११ (UTC)

जैनजी आपके कहे अनुसार लेख मिटाया गया। इस ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। रोहित रावत १८:३७, २५ जनवरी २०११ (UTC)

सत्यकाशी

सत्यकाशी

उपरोक्त सांचे का अनुवाद एवं अंग्रेज़ी विकि से चित्र अपलोड करने हैं। यदि कोई सदस्य सहायता करे तो काम बन जाये। अग्रिम धन्यवाद। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  १२:५१, २७ जनवरी २०११ (UTC)

आपके कहे अनुसार सभी चित्र अपलोड कर दिये गए है एवम कई चित्रो के शीर्षक की त्रुटियो को भी दूर कर दिया गया है। शेष शीर्षक भी शीघ्र ही ठीक कर दिये जाएँगे।:--Jain.dhrj १४:२२, २८ जनवरी २०११ (UTC)
प्रयास एवं कार्रवाई का धन्यवाद। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ०६:५०, २९ जनवरी २०११ (UTC)

अनुरोध

मेरा सभी से अनुरोध है कि कृपया चौपाल पर उत्पात ना करे।

अपलोड किये गये चित्रो के सन्दर्भ में

मेरा सभी प्रबंधको एवं सदस्यों से निवेदन है कि अपने अपलोड किये गये चित्रों में उपयुक्त लाइसेंस देवें , मैनें हिन्दी विकिपीडीया पर कई लाईसेंस के विकल्प डाले है जो आपको अपलोड करते समय नजर आयेंगे। कृपया इस विषय को गम्भीरता से ले क्योंकि मीडीयाविकि की तरफ से हिन्दी विकि की इस तरह की कई शिकायते आई है जिसके लिये हम सब प्रबंधक ही जिम्मेवार है कृपया प्रबंधक एवं उत्पात नियंत्रक समूह के सदस्य उन सब चित्रों को हटा दें जिन पर कोई लाईसेंस साँचा नहीं लगा हुआ-- Mayur(TalkEmail)  ०३:२७, ३० जनवरी २०११ (UTC)

मयूरजी मैं आपकी बात समझा नहीं। क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि हिन्दी विकि पर अपलोड किए जाने वाले बहुत से चित्र कॉपीराइट वाले हैं जो निशुल्क उपलब्ध नहीं हैं? मैं तो गूगल इमेज पर जाकर चित्रों को खोजता हूं और वहां से चित्र यहां हिन्दी विकि पर अपलोड करता हूं। मुझे यह ज्ञात नहीं था कि ऐसा भी कुछ है। यदि यही बात है तो मैं भविष्य में सावधान रहूंगा। और क्या आप यह भी कहना चाहते हैं कि यदि कॉपीराइट वाले चित्र अपलोड किए भी जाएं तो इसके लिए उपयुक्त व्यक्ति या संस्था को (जिसका उस चित्र पर कॉपीराइट है) को इसका पूरा श्रेय दिया जाए। कृपया यह भ्रामकता दूर करने का कष्ट करें। धन्यवाद। रोहित रावत ११:४१, ३० जनवरी २०११ (UTC)
हम कौन से चित्र अपलोड कर सकते है इसके सन्दर्भ में यह संदेश पढे़, मुख्यत हिन्दी विकि पर हम वही चित्र लगा सकते है जो कापीराईट से मुक्त हो और यदि हमें कोई चित्र लगाना है तो लगाते समय उसका लाईसेंस एवं स्त्रोत जानकारी देनी चाहिये। आज से हिन्दी विकि में विभिन्न लाईसेंस के विकल्प लगा दिये है जो आपको चित्र अपलोड करते समय दिखायी देंगे, ध्यान रहे आपके द्वारा लगाया चित्र इन्हीं लाईसेंस के अन्तर्गत हो। कापीराईट से बचने वाले चित्रो को खोजने का सबसे सरल तरीका ये है कि हम इन चित्रों को विकिमीडीया कामन्स, अंग्रेजी विकिपीडीया या फिल्कर पर उपलब्ध मुक्त चित्र लेवें, गुगलखोज में तो अनेकों कापीराईट वाले लेख आते है अत: वहाँ से कभी चित्र न ले, कृपया सभी सदस्य अपने लगाये गये चित्र जाँच ले यदि उन पर कोई लाईसेंस नहीं लगा हुआ तो लाईसेंस लगायें अन्यथा उस चित्र को हटा दें-- Mayur(TalkEmail)  १२:०६, ३० जनवरी २०११ (UTC)

इस साँचे का वार्ता पृष्ठ देखें

साँचा:मुखपृष्ठ स्वागतम। इस साँचे के वार्ता पृष्ठ पर मैंने कुछ निवेदन किया है। कृपया इसे देख लें। धन्यवाद। रोहित रावत ११:४१, ३० जनवरी २०११ (UTC)

   Done-उपरोक्त साँचे मे आपके बताये अनुसार दोनो कालमस को एक ही स्तर पर किया गया-- Mayur(TalkEmail)  १२:२१, ३० जनवरी २०११ (UTC)
सहायता के लिए धन्यवाद। अब मुखखपृष्ठ और अच्छा दिख रहा है। रोहित रावत १२:२९, ३० जनवरी २०११ (UTC)

एक सुझाव

हिन्दी विकि के बांई ओर जो उर्ध्वाधर पट्टी है जिसमें सारे टूल इत्यादि हैं, के लिए मेरे पास एक सुझाव है। सुझाव भाषाओं से सम्बन्धित हैं। कृपया भोजपुरी विकिपीडिया के मुखपृष्ठ को देखें। इसमें बांई ओर की उर्ध्वाधर पट्टी में विविध के नीचे भारतीय विकिपीडिया नामक एक ओर लिंक दिया गया है जिसमें कुछ भारतीय भाषाओं के विकिपीडियाओ के लिंक दिए गए हैं। क्यों न हम भी हिन्दी विकि में ऐसा कुछ करे और उसमें सारी भारतीय भाषाओं की कड़ियां दे दी जाएं। इससे भारतीय और अन्य भाषाओं का वर्गीकरण हो जाएगा। क्योंकि अभी तो हिन्दी विकि के मुखपृष्ठ पर ६० भाषाओं के विकिपीडियाओं की कड़ियां दे रखी हैं जिससे वहां खिचड़ी सी पकी हुई है। इसक्से लिए एक सुझाव तो यही है जो मैंने ऊपर दिया है, और दूसरा सुझाव है कि भाषाओं की संख्या कुछ कम कर दी जाए लगभग २०-२५ तक ही जिसमें प्रमुख विकिपीडियाओं को डाला जाए और साथमें सारी भारतीय भाषाओं की कड़ियां भी ताकि वहां भीड़ जैसी न लगी रहे। वैसे मेरे विचार से तो पहला वाला उपाय अति उत्तम रहेगा। इससे भाषाओं का वर्गीकरण भी हो जाएगा और खिचपिच भी नहीं रहेगी। बहुत सी अच्छी विकियों पर तो १०-१५ भाषाओं से अधिक की कड़ियां नहीं हैं, अब लेकिन हमें अपने मुखपृष्ठ पर भारतीय भाषाओं को तो रखना ही चाहिए तो इसके लिए वर्गी करण ही अच्छा उपाय है। बाकि आपलिग जैसा सही सझें। रोहित रावत १२:२९, ३० जनवरी २०११ (UTC)

अच्छा सुझाव है। लागू किया जाना ठीक रहेगा। -- अनुनाद सिंहवार्ता ०३:५१, ३१ जनवरी २०११ (UTC)
   लीजिये आपका सुझाव क्रियान्वित कर दिया गया है, परन्तु इस सूची को उपकरणों के नीचे डाला गया हैं।-- Mayur(TalkEmail)  १३:०४, ३१ जनवरी २०११ (UTC)
बढिया सुझाव है। धन्यवाद मयूर जी। -- सौरभ भारती (वार्ता) १३:२६, २ फ़रवरी २०११ (UTC)

विकिपीडिया पुस्तकें

मैंने हिन्दी विकि पर यह नई परियोजना वाला पृष्ठ बनाया है विकिपीडिया:पुस्तकें। यह हिन्दी विकि में नया फ़ीचर है। पर इसके लिए कुछ औज़ारों की आवश्यकता है जैसे पीडीएफ़ डाउनलोड करने की सुविधा, बुक क्रिएटर की सुविधा इत्यादि। मैंने परीक्षण के तौर पर यह पुस्तक बनाई है पुस्तक:भारत। लेकिन पीडीएफ़ इत्यादि की सुविधा न होने के कारण यह व्यर्थ है। इसलिए कृपया हिन्दी विकि पर भी यह सुविधाएं लाई जाएं ताकि प्रयोक्ताओं को यह सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। धन्यवाद। रोहित रावत १९:१०, ३० जनवरी २०११ (UTC)

रोहित जी जैसा मैनें पहले भी कहा है कि पीडिफ कन्वर्टर अभी हिन्दी भाषा पर सही तरीके से कार्य नहीं कर रहा है उद्दारण के लिये आप हिन्दी विकि बुक्स पर कोई फाइल को किसी किताब में बदलकर देंखे, यह पहले से ही मीडियाविकि डेवलेपरस के पास लम्बित है और इस सुविधा के आने में साल भर का समय भी लग सकता है-- Mayur(TalkEmail)  १६:००, ३१ जनवरी २०११ (UTC)
चलिए कोई बात नहीं। सालभर ही लग जाए लेकिन सुविधा हो जाएगी पाठकों को। रोहित रावत ०९:१३, १ फ़रवरी २०११ (UTC)

नामवाचक संज्ञा और व्यक्तिवाचक संज्ञा में अन्तर

कृपया कोई सदस्य मुझे इनमें अन्तर बताए। इसे अंग्रेज़ी में प्रॉपर नाउन कहते है। यह वह नाउन होता है जो किसी संज्ञा को नाम से पहचानता है जैसे भारत, चीन, श्याम, इन्फ़ोसिस इत्यादि प्रॉपर नाउन हैं। मैंने इसका हिन्दी अर्थ खोजा तो मुझे व्यक्तिवाचक संज्ञा मिला, लेकिन मेरे विचार से व्यक्तिवाचक का उपयोग तो केवल व्यक्तियों (अर्थात जीवितों) के नामों के सन्दर्भ में किया जा सकता है और वह भी मनुष्यों के लिए और निर्जीव वस्तुओं के लिए नामवाचक संज्ञा प्रयुक्त होगा। क्या मेरा ऐसा मानना सही है या नामवाचक किसी अन्य प्रकार की संज्ञाओं के लिए प्रयुक्त होगा? रोहित रावत ०९:१८, १ फ़रवरी २०११ (UTC)

जिस संज्ञा को व्यक्तिवाचक कहा जाता है नामवाचक इसलिए नहीं कह सकते क्योंकि हर एक नाम को ही तो संज्ञा कहा जाता है । व्यक्तिवाचक केवल व्यक्तियों के लिए उपयोग न करके दूसरे विशेष नाम के लिए उपयोग करना कैसे उचित होगा यह नहीं पता । व्यक्तिवाचक को विशेषवाचक कहा जाये तो आपकी आपत्ति शायद समाप्त हो जाये मगर यह कौन तय करेगा । फ़ज़ल अब्बास । १० फ़रवरी २०११

भारतीय विकि सर्वेक्षण

भारतीय विकिस के किये गये सर्वे में हिन्दी विकि प्रथम स्थान पर रहा, अधिक जानकारी के लिये यह लिंक देखें-- Mayur(TalkEmail)  १३:३४, २ फ़रवरी २०११ (UTC)

यह तो बहुत शुभ समाचार है। इसके लिए सभी सदस्य बधाई के पात्र है। आइए हम सभी अपना प्रयास निरन्तर जारी रखें। रोहित रावत १७:२७, २ फ़रवरी २०११ (UTC)
हाँ परन्तु गुणवत्ता के मामले में हिन्दी विकि ९वें स्थान पर रहा है परन्तु सम्पूर्ण रेंकिंग में हिन्दी विकि प्रथम रहा-- Mayur(TalkEmail)  १७:५९, २ फ़रवरी २०११ (UTC)
हमने प्रथम स्थान प्राप्त किया यह तो उत्साहवर्धक है पर जिस प्रकार हम गुणवत्ता की कसौटी पर 9वें स्थान पर रहे यह तो विचारणीय प्रश्न है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अधिक से अधिक ऐसे लेख बनायें (लिखें) जो भले ही छोटे हों पर गुणवत्ता की दृष्टि से उत्तम हों। Dinesh smita ०५:०७, २२ फ़रवरी २०११ (UTC)

हिन्दी विकि विकिमीडीया मेलिंग लिस्ट

कृपया सभी सदस्य हिन्दी विकि एवं मीडियावीकि मे चल रही गतिविधियों से अवगत रहने हेतु यह मेलिंग लिस्ट में शामिल हो--Mayur (talk•Email) १३:१३, ५ फ़रवरी २०११ (UTC)

हिन्दी विकि कार्यशाला सम्मेलन, नई दिल्ली

१२ फरवरी को नई दिल्ली में हिन्दी विकि की प्रथम कार्यशाला आयोजित करवायी जा रही है। सभी हिन्दी विकि सदस्य इसमें सादर आमंत्रित है, अधिक जानकारी के लिये यहाँ देखें--Mayur (talk•Email) १३:१२, ५ फ़रवरी २०११ (UTC)


निर्वाचन हेतु प्रस्ताव

कर्नाटक लेख निर्वाचित लेख हेतु प्रतावित है। यह लेख पूरा हो चुका है। हां निर्वाचन होते-होते इसमें कुछ अन्य सुधार एवं घटा-जोड़ किए जाते रहेंगे। पर्याप्त समर्थन/ सुधा/ सुझाव, आदि अपेक्षित हैं, उपरांत इसे निर्वाचित किया जा सकेगा। आशा है शीघ्र ही लक्ष्य प्राप्त होगा।

सभी सदस्यों से अनुरोध है अपने विचार विकिपीडिया:निर्वाचित लेख उम्मीदवार पृष्ठ पर व्यक्त करें। -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  १२:३४, ५ फ़रवरी २०११ (UTC)

मेरा प्रश्न राज्य के जिलों के सही नाम को लेकर है: -

"कर्नाटक के जिले राज्य में ३० जिले हैं — बागलकोट (बगलकोट), बंगलुरु ग्रामीण (बेंगलुरु देहात), बंगलुरु शहरी (बेंगलुरु शहरी), बेलगाम (बेलगांव), बेल्लारी, बीदर (बिदर), बीजापुर, चामराजनगर, चिकबल्लपुर, चिकमंगलूर, चित्रदुर्ग, दक्षिण कन्नड़, दावणगिरि (दावणगेरे), धारवाड़, गडग, गुलबर्गा, हसन (हासन), हवेरी, कोडगु, कोलार, कोप्पल, मांड्या, मैसूर, रायचूर, रामनगर (रमनग्राम),[४१] शिमोगा (सिमोगा), तुमकुर, उडुपी, उत्तर कन्नड़ एवं यादगीर (यादगिर)"

जहां कोष्टक मे वैकल्पिक नाम दिये गये हैं लेकिन कई स्थानों पर यह प्रयुक्त होते हैं। Dinesh smita १०:०५, २२ फ़रवरी २०११ (UTC)

कहीं कोई प्रतिक्रिया नहीं, लगता नहीं कि कोई इस पृष्ठ को देखता है। Dinesh smita १०:३१, १३ मार्च २०११ (UTC)

राजस्थानी भाषा

मै राजस्थानी भाषा मे सहयोग करना चाहता हु मै ये किस प्रकार कर सकता हु ?

प्रिय योगदानकर्ता, अभी राजस्थानी विकिपीडिया अस्तित्व में नहीं है इसलिए आप अभी राजस्थानी बोली में लेख नहीं लिख पायेंगे। पर आपसे अपेक्षित है कि, आप हिन्दी विकिपीडिया पर राजस्थान से संबंधित लेख लिखकर उसे समृद्ध करेंगे। लेख लिखते समय भाषा की स्पष्टता, उसका विन्यास, वर्तनी और विषय से संबंधित मानक शब्दों के प्रयोग को ध्यान में रखें।Dinesh smita ०५:१३, २२ फ़रवरी २०११ (UTC)

जनीवा

विकि पर जनीवा नाम से एक लेख है, मैने इसे कुछ सुधारा भी है पर, अभी भी इसके नाम को लेकर संशय है कि यह जिनेवा है कि जनीवा क्योंकि आज तक मैने सिर्फ जिनेवा ही सुना है। कृपया जानकार स्थिति स्पष्ट करें।Dinesh smita ०९:१४, २२ फ़रवरी २०११ (UTC)


इस शहर का नाम जिनेवा है। कृपया नाम परिवर्तित कर दीजिए।

--Jain.dhrj १०:१६, २२ फ़रवरी २०११ (UTC)

अवसाद

मैं Antidepressants को हिन्दी में अनुवाद करना चाहता हूँ, पर मैं हिन्दी में इनके सही नाम को लेकर अटक गया हूँ, क्या इसे हिन्दी में अवसादरोधी कहते हैं या फिर अवसादहर या फिर कुछ और? कृपया मानक शब्द सुझायें।Dinesh smita १२:००, २६ फ़रवरी २०११ (UTC)

विकिपिडिया पर एक नया प्रोजेच्ट आरम्भ् करना चाह्ता हू

मै विकिपिडिया पर एक नया प्रोजेच्ट आरम्भ् करना चाह्ता हू। विकिफूडिया जो विभिन्न प्रकार के व्यन्जनो के बारे मे जानकारी देगा। क्र्प्या मुझे विस्त्रित जान्कारी दे।

आप निसंकोच रुप से विकि पर व्यंजनों से संबंधित लेख बना सकते है इसके लिये आपको अनुमति की आवश्यकता नहीं। इसके लिये आप एक परियोजना पृष्ठ विकिपीडीया:विकिफूडिया बनायें तथा जो भी लेख बनाये उसे इस श्रेणी में जोड़ते जायें, बस आप कार्य शुर करें बाकि सब अपने आप होता चला जायेगा। धन्यवाद --Mayur (talk•Email) ०९:४५, ४ मार्च २०११ (UTC)

विश्व में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा

विश्व में सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा मँडारिन है। जो कि एक चीनी लिपि की भाषा है। तथा दूसरे नम्बर पर सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा स्पेनिस व तीसरे नम्बर पर अंग्रेजी तथा चौथे नम्बर पर सबसे अधिक विश्व में बोले जाने वाली भाषा हिन्दी है।

mujhe kya aap jantte hain type ki kuchh jankari chahiye

अपना नाम और सम्पर्क पता (ईमेल) लिखें तो आपसे बातचीत हो सके और आपको जानकारी देने का प्रयत्न किया जाय। -- अनुनाद सिंहवार्ता ०५:२५, ५ मार्च २०११ (UTC)

समाचार

मुखपृष्ठ पर समाचार स्तंभ में श्रीलंका का झंडा लगा है पर श्रीलंका से संबंधित कोई भी समाचार उसमें नहीं है। कृपया उसे हटायें।Dinesh smita ०९:०६, १० मार्च २०११ (UTC)

आज भी झंडा वहीं का वहीं है।Dinesh smita १०:२९, १३ मार्च २०११ (UTC)
    झंडा हटा दिया गया है--Mayur (talk•Email) १०:४७, १३ मार्च २०११ (UTC)

विमानक्षेत्र

विकिपीडिया पर कई स्थानों पर हवाई अड्डा या हवाई अड्डे के स्थान पर विमानक्षेत्र शब्द प्रयोग किया गया है जो कि हिन्दी का एक मानक शब्द नहीं है और शायद कहीं भी प्रयोग किया नहीं जाता। आम और व्यापारिक हिन्दी में हवाई अड्डा या विमानपत्तन ही बोला और लिखा जाता है। क़ृपया किसी बॉट का प्रयोग कर जहाँ जहाँ विमानक्षेत्र लिखा है उसे बदल कर हवाई अड्डा करें।Dinesh smita १०:५८, १० मार्च २०११ (UTC)

अनावश्यक शब्द

हवाई अड्डा या हवाई अड्डे से संबंधित सभी प्रचलित शब्दों को विभिन्न लेखों में लोगों ने अपने हिसाब से इस्तेमाल किया है, जहाँ हवाई अड्डा (प्रचलित, हिन्दी मानक: विमानपत्तन) को विमानक्षेत्र वहीं हवाई पट्टी (प्रचलित, हिन्दी मानक: धावनपथ) को अनावश्यक रूप से उड़ान पट्टी मे बदल दिया गया है। हिन्दी पहले ही एक मानक स्वरूप के लिए संघर्ष कर रही है उस पर हम लोग अनावश्यक रूप से उसके सबसे प्रचलित शब्दों को भी अपने हिसाब से बदल कर पता नहीं क्या हासिल करना चाहते हैं। Dinesh smita ११:३६, १० मार्च २०११ (UTC)

स्पष्टीकरण

एयरपोर्ट के लिये मानक शब्द है विमानक्षेत्र, जैसा कि अधिकतर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण संबंधित प्रलेखों में देखा जा सकता है। विमानपत्तन शब्द भी Airports के लिये प्रयोग किया जाता है, किन्तु किसी विमानक्षेत्र विशेष के लिये नहीं वरन व्यापक क्षेत्र में इस शब्द को प्रयोग करने हेतु, जैसे कि भारत के विमानपत्तन काफ़ी अच्छे हैं, आदि। किन्तु यदि दिल्ली विमानपत्तन लिखना होगा तो उसके स्थान पर दिल्ली विमानक्षेत्र ही लिखा जाता है। Airports Authority of India के लिये भी व्यापक तौर पर विमानपत्तन शब्द प्रयोग किया जाता है। जैसे कि सागर यात्रा संबंधित शब्द जहाजरानी या जहाजपत्तन कहा जाता है, किन्तु seaport को बंदरगाह ही लिखा जाता है। पत्तन शब्द किसी वस्तु के पतन या उतरने के लिये नियत स्थान को कहते हैं। यहां ये भी स्पष्ट करना आवश्यक है कि मूलतः विमानक्षेत्र का समानांतर अंग्रेज़ी शब्द है Aerodrome जो कि पूरे क्षेत्र के लिये नियत किया गया शब्द होता है, जैसे रेल के लिये रेलवे स्टेशन+यार्ड+वर्कशॉप(यंत्रशाला)होती है। किन्तु मात्र नागरिकों के आवागमन हेत्रु नियत स्थान को Airport या चालू भाषा में हवाई अड्डा कहा जाता है। असल में अड्डा शुद्ध हिन्दी का शब्द नहीं है।

दूसरी बात आपने लिखा है कि हम लोग अनावश्यक रूप से उसके सबसे प्रचलित शब्दों को भी अपने हिसाब से बदल कर पता नहीं क्या हासिल करना चाहते हैं।:-- इस बारे में कहना चाहूंगा कि एक तो मानक शब्दावली कहीं सर्वसुलभ प्रकाशित नहीं हुई है, जिससे कि हर किसी को सुलभ हो। दूसरे यदि किसी ने यहां योगदान किया भी है तो इस प्रकार हमें उसे नकारना नहीं चाहिये। शब्दों के मानक सर्वसम्मति से यहां तय किये जाने चाहिये। मानक हिन्दी केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की मानें, तो वहां अंकों के लिये रोमन अंकों को निश्चित किया गया है, किन्तु हिन्दी विकिपीडिया पर सर्वसम्मति से हिन्दी अंकों के प्रयोग को निश्चित किया गया था। हालांकि मैं तब इसके विरोध में था, किन्तु जो भि अंतिम निर्णय हुआ, उसके लिये बाध्य हूं। ऐसे ही धावन पथ शब्द आपने runway का सीधा सीधा अनुवाद कर बना लिया है, जबकि हवाई पट्टी शब्द airstrip के लिये एवं उड़ानपट्टी या पथ runway के लिये प्रयोग किये जाते हैं। इस बारे में किसी संबंधित क्षेत्र के व्यक्ति की राय लें। मैं स्वयं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण में १२ वर्षों से कार्यरत हूं, अतः मुझे ये शब्द पता हैं इसीलिये ब्यौरेवार लिखे हैं। शेष जैसी सर्वसम्मति।

मैं उड्डयन (‘एविएशन’) से संबंधित शब्दावली के मानकीकरण के संबंध में तो कुछ भी नहीं कहना चाहता क्योंकि मुझे अभी इसका समुचित ज्ञान नहीं है, पर भारत में मैने जहाँ-जहाँ भी यात्रा की है वहाँ मैंने सिर्फ हवाई अड्डा या फिर नागरी में एयरपोर्ट शब्द ही लिखा देखा है, मैं आजतक कभी भी विमानक्षेत्र नामक शब्द से दो चार नहीं हुआ। Dinesh smita ०७:२६, १२ मार्च २०११ (UTC)

उत्तराखण्ड के गाँव

श्रेणी:उत्तराखण्ड के गाँव में लगभग 9500 बॉट-उत्पन्न लेख हैं, पर इन लेखों की गुणवत्ता काफ़ी खराब है. आदर्श रूप में इन्हें एक लाइन का stub ("आधार") होना चाहिए.

  • हर लेख की सामग्री एक ही है -- केवल् {{PAGENAME}} अलग है!
  • इन लेखों का अधिकान्श भाग गावों के बारे में नहीं, बल्कि उत्तराखंड के बारे में हैं - और यह हिस्सा हर लेख में दोहराया गया है (शायद इन्हें श्रेणी:आधार में वर्गीकृत होने से बचाने के लिए?).
  • सभी गावों का निर्देशांक/मानचित्र एक ही दिखाया गया है, जो कि गलत है.
  • "आधिकारिक भाषा(एं)" सभी के लिये "हिन्दी, अवधी, बुंदेली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, पहाड़ी, उर्दु, अंग्रेज़ी" दिखाई गईं हैं - यह भी गलत है.
  • सभी लेखों में 13 "बाहरी कड़ियाँ" दी गईं हैं, परन्तु इनमें से एक-दो को छोड़कर सभी अप्रासंगिक है (जैसे ब्लॉग, फ़ोरम पोस्ट आदि).

इससे हिन्दी विकीपीडिया की "लेख गिनती" (article count) तो बढ़ गई है, परन्तु गुणवत्ता बहुत कम हो गयी है. हिन्दी विकीपीडिया पर गुणवत्ता के बेहतर मानक होने चाहिए - खासकर बॉट-उत्पन्न पन्नों के लिए! Utcursch १०:०२, १२ मार्च २०११ (UTC)

उत्कर्ष की बात में काफी दम है। ऐसे लेखों को हटाना जरूरी है। यदि आज नहीं तो कुछ दिन बाद। -- अनुनाद सिंहवार्ता १३:४६, १२ मार्च २०११ (UTC)
   मैनें फिल्हाल इस श्रेणी के समस्त लेखों को ह्टा दिया है और जल्द ही उपरोक्त सुधारों के साथ इन लेखोँ को पुन जोड़ दिया जायेगा--Mayur (talk•Email) ०३:०९, १३ मार्च २०११ (UTC)
धन्यवाद -- इन्हें दोबारा बनाते वक्त केवल गावों से सम्भन्धित जानकारी ही शामिल करें (भले ही ये लेख 2 लाइन के हों!). {{PAGENAME}} की जगह गावँ के नाम का प्रयोग करें. "बाहरी कड़ियाँ" अनुभाग में केवल उत्तरखण्ड की आधिकारिक वेबसाइट शामिल करें. Utcursch ०५:५०, १३ मार्च २०११ (UTC)
ऐसे लेख, २ वर्ष पूर्व एक विशेष अभियान के तहत, (सही उद्देश्य हेतु) एक गलत कार्य जैसे किये गए थे। तह उद्देश्य हिन्दी के लेखों की संख्या बढ़ाना था, किन्तु इस प्रकार नहीं। मैंने भि ट्रेनों के लेख बनाये, किन्तु सभि में पृथक जानकारी है, जो कि उस रेल विशेष के लिये बनी है। ये मुद्दा मैंने तब भि उठाया था, किन्तु लोग माने नहीं। फिर भि जब जागें तब सवेरा। उत्कर्ष जी को हार्दिक धन्यवाद हिन्दी विकिपीडिया में उत्साह दिखाने के लिये, शायद इस तरह हमें एक नया उत्साही सदस्य मिलने वाला है!! -- प्रशा:आशीष भटनागर  वार्ता  ०६:०७, १३ मार्च २०११ (UTC)