विकिपीडिया:चौपाल/पुरालेख 24
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अंक सम्बन्धी चर्चा
- कुल मत
- देवनागरी अंकों के पक्ष में- 3 (प्रशा:आशीष भटनागर, श्रीश e-पण्डित , रोहित रावत)
- अन्तर्राष्ट्रिय अंकों के पक्ष में- 7(भवानी गौतम, Mayur, Dinesh smita, Hunnjazal, उत्कर्षराज, Vibhijain, MarkAHershberger)
मित्रों, हिन्दी विकि में देवनागरी अंकों का प्रयोग किया जाता रहा है यह स्वाभाविक है परन्तु भारत के अधिकारिक एवं अग्रणी हिन्दी संस्थान ने बहुत साल पहले हिन्दी में रोमन अंक चलाने निर्णय ले लिया, शिक्षकों को भी इसी प्रकार तालिम दिया जा रहा है, भारत भर में हिन्दी मे रोमन अंकों (0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 ) का ही प्रयोग किया जाता है। संसद के विधेयक, कानून सम्बन्धित बातें आदि आदि। देखिए केन्द्रीय हिन्दी संस्थान का रोमन अंको में लिखा यह पृष्ठ। विकि मे भी साँचा (Template) का निर्माण करते समय बहुत सारी समस्याएं आतीं है, देखे यह साँचा। बात दूसरी भी है आजकल के बच्चे देवनागरी संख्या नही जानते इसका कारण हिन्दी संस्थान के निर्देश अनुसार रोमन नम्बर ही उन्होनें पढा है, आने वाली पींढी ही जब समझ न पाएगी तो हिन्दी विकि का भविष्य क्या होगा?
अतः मेरा निवेदन है शीघ्रातिशीघ्र चर्चा करके उचित निर्णय ले लिया जाना चाहिए। धन्यवाद-भवानी गौतम ०४:१७, २१ मई २०११ (UTC)
- मेरा भी इस मत में यही विचार है कि हमें रोमन अंकों का प्रयोग करना चाहिये, इसका कारण यह है कि समय समय पर कई सदस्यों ने इस पर आपत्ति जताई है एवं भारत के अधिकारिक एवं अग्रणी हिन्दी संस्थान भी रोमन अंको का प्रयोग करते है, कृपया अन्य सदस्य भी अपने विचार प्रस्तुत करे।--Mayur (talk•Email) ०४:२९, २१ मई २०११ (UTC)
- सभी माननीय सदस्यों का ध्यान मैं एक महत्वपूर्ण तथ्य की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ, कि अंग्रेजी में प्रयोग होने वाले अंक 1 2 3 आदि रोमन अंक नहीं हैं (रोमन अंक I, II, III, IV आदि होते हैं), यह भारतीय अंको का ही अंतरराष्ट्रीय स्वरूप है, जो भारत से अरब गया और वहां से यूरोप। मैं भी भारतीय अंकों के अंतरराष्ट्रीय स्वरूप के प्रयोग का हिमायती हूँ। Dinesh smita ०४:५५, २१ मई २०११ (UTC)
- मेरा इसपर कोई विशेष पक्ष नहीं फिर भी सोचा की अपना मत दे दूं। अंतर्राष्ट्रीय अंक अच्छे रहेंगे, लेकिन पुराने हिंदी अंकों में भी कुछ बुरा नहीं। चीनी और जापानी में अंतर्राष्ट्रीय अंक प्रयोग होने लगे हैं और ठीक लगते हैं। अरबी-फ़ारसी में उनके अंक इस्तेमाल होते हैं। वे भी ठीक लगते हैं। मेरे ख़्याल से नेपाली में अभी भी हिंदी-जैसे पुराने अंकों का रिवाज है। बंगाली में भी बंगाली अंकों का ही रिवाज है। अपने अलग अंक होने का ठाठ होता है - सिर्फ़ प्राचीन और स्थापित सभ्यताओं में उनके अपने अंक मिलते हैं। लेकिन अगर हिंदी पढ़ने वालों को इनकी आदत नहीं रही तो न पढ़े जाने से अच्छा है के अंतर्राष्ट्रीय अंक इस्तेमाल करें। इस विषय में जो भी फ़ैसला आप सब करेंगे मैं उसके अनुसार चलने को राज़ी हूँ। --Hunnjazal ०५:५४, २१ मई २०११ (UTC)
- मेरे विचार में अंतर्राष्ट्रीय अंकों के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए. भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार "संघ की राजभाषा-- (1) संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।." उत्कर्षराज १९:२४, २२ मई २०११ (UTC)
- I support this. Vibhijain १५:३५, ७ जून २०११ (UTC)
- As per above discussion, I have filed a bug on Bugzilla to revert previous translation which was done on behalf of 4 support and 3 oppose which is unfair, As of Now Six user are in favor of this without any oppose, if anybody has any objection please feel free to discuss it--Mayur (talk•Email) ०४:०२, ११ जून २०११ (UTC)
I really don't see consensus here, nor do several foundation employees I've asked. Please continue to keep this open for votes. Alternatively, if you could point to an official policy of the Indian Government (especially regarding education), not just examples of the use of a particular character set, then that would probably be sufficient. MarkAHershberger २२:४९, १७ जून २०११ (UTC)
- Article 343 of the Constitution of India: "(1) The official language of the Union shall be Hindi in Devnagari script. The form of numerals to be used for the official purposes of the Union shall be the international form of Indian numerals." उत्कर्षराज ०४:००, १८ जून २०११ (UTC)
- There is a discussion in the past also, majority of users were in favor of change to international numeral. In India all the students are learning International Numeral as all Hindi text books are published according to above article 343 and recommendation of Rashtriya Hindi Sansthan. Hindi is nation language of India and Indian parliament has already passed the resolution, I think no need to pass another resolution here.-भवानी गौतम (वार्ता) १२:१५, १८ जून २०११ (UTC)
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- मैं भी भटनागरजी की बातों से १००% सहमत हूँ। आखिर कब तक भारतीय लोग विदेशी चीज़ों के पिट्ठू बने रहेंगे। और वैसे भी भारतीय/देवनागरी अंकों के उपयोग में क्या बुराई है? और रही बात इनके एकदम से समझ में ना आने की तो यह बता दूँ की जब कोई चीज़ बहुत बार उपयोग में होती है तो वह आदत बन ही जाती है। मुम्बई जैसे महानगरों में तो बसों की मार्ग संख्याओं के लिए भी देवनागरी अंकों का उपयोग होता है। और क्या हमें इससे कोई लेनादेना होना चाहिए कि पूरी दुनिया क्या कर रही है? आज पूरी दुनिया मैट्रिक इकाइयों का उपयोग करती है लेकिन अमेरिका में आज भी इम्पीरियल इकाइयाँ उपयोग में हैं। जैसे पूरी दुनिया में तापमान डिग्री सेल्सियस में मापा जाता है और अमेरिका में फेरन्हाइट में। तो क्या अमेरिकी दुनिया की चिन्ता करते हैं कि बाकी देशों में क्या इकाई उपयोग में है? और भटनागरजी की यह बात भी १००% सत्य है कि उपयोग के अभाव में देवनागरी अंक सदा के लिए लुप्त हो जाएंगे। इसलिए मेरी राय भी देवनागरी अंकों के पक्ष में है। और जिनको रोमन अंक प्रयुक्त करने हैं उनके लिए कोई रोकटोक नहीं हैं, लेकिन मुखपृष्ठ पर देवनागरी अंकों को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। रोहित रावत (वार्ता) ०२:१७, २३ जून २०११ (UTC)
The information from the Indian Constitution was enough to act on this. This statement, for example, should be signed using the International digits. Old discussions are not changed. MarkAHershberger (वार्ता) 21:56, 27 जून 2011 (UTC)
मित्रों मैंने पहले भी कहा था कि आखिर हिन्दी के सात अंकों को सीखना (शू्न्य और दो तो एक जैसे ही होते हैं, तीन भी लगभग वैसा ही है) इतना कठिन क्यों लगता है कुछ लोगों को। हम लोग खुद भी और अपने बच्चों को अंग्रेजी के सैकड़ों शब्द रटते हुये गौरवान्वित महसूस करते हैं क्या हिन्दी के सात अंक नहीं सीख सकते। उन्हें भी कोई रटना नहीं पड़ता, चार-पाँच बार देखने पर पहचान हो जाती है। तमाम हिन्दी ब्लॉगर आम मध्यमवग्रीय आदमी ही हैं लेकिन नेट पर हिन्दी से जुड़ने के कुछ ही समय बाद वे हिन्दी अंक समझने लगते हैं।
एक प्रसंग साझा करना चाहूँगा। गणित का अध्यापक हूँ, छठी कक्षा में पहला अध्याय संख्या पद्धति का ही आता है जिसमें देवनागरी, अन्तर्राष्ट्रीय तथा रोमन अंक आते हैं। आम तौर पर अध्यापक देवनागरी अंकों को छोड़ देते हैं कि ये "काम नहीं आते"। मैंने प्रयोग के तौर पर बच्चों को देवनागरी और अन्तर्राष्ट्रीय का टेबल बनावाया। दो-तीन दिन बाद ही वे उन्हें पहचानने लगे। यह बात और कि मैं उन्हें आगे जारी नहीं रख पाया।
बार-बार लोग कहते हैं कि संविधान में अन्तर्राष्ट्रीय अंक हैं, संविधान में तो हिन्दी को राजभाषा बनाने की बात कही गयी है क्या उसका पालन होता है? रही बात समझ न आने की तो जब सब जगह से हटा देंगे तो समझ कहाँ से आयेंगे। आज फिल्मी सितारे कहते हैं कि उन्हें देवनागरी समझ नहीं आती, वे रोमनागरी में स्क्रिप्ट पढ़ते हैं। कल को आने वाली पीढ़ी कहेगी कि देवनागरी मुश्किल है तो क्या हिन्दी विकिपीडिया को रोमनागरी में बदल डालेंगे। महाराष्ट्र और उत्तराखण्ड में देवनागरी अंकों का प्रचलन है, और भी उत्तर भारतीय राज्यों में होगा। रही बात इन संस्थानों का तो हिन्दी के पूर्णविराम और अंकों का कत्ल तो वे कर ही चुके हैं।
हमें विकिपीडिया को देवनागरी को संरक्षित करने का साधन बनाना चाहिये उसे लुप्त करने का नहीं।-- श्रीश e-पण्डित वार्ता 17:03, 29 जून 2011 (UTC)
- I had to read your response via Google Translate so apologies if that results in mis-communication. Your point-of-view as a math teacher is especially poignant. I think, though, that you are asking something from Wikipedia that it isn't meant to do. Wikimedia's "Vision Statment" only talks about "freely shar[ing] in the sum of all knowledge" and says nothing about preserving culture. We have a page on enwiki, for example, about devanagari numerals since that is a part of freely sharing knowledge. This is not to say that culture is not important -- it is. But we're only a tiny organisation with limited funds trying to bring knowledge to everyone. In that sense it seems better to use international numerals rather than devanagari since they are more widely understood, even by Hindi speakers. 70.15.144.155 (वार्ता) 22:04, 2 जुलाई 2011 (UTC)
- Sorry, forgot to sign in before responding. MarkAHershberger (वार्ता) 22:07, 2 जुलाई 2011 (UTC)
- अंतर्राष्ट्रीय अंक रोमन अंकों से अलग हैं और भारतीय मूल के हैं.
- दूसरी बात, भाषा एक बहती नदी की तरह है. अगर आप उसे "संरक्षित" करने के नाम पर उसके बहाव को रोक देंगे, तो वह लुप्त हो जाएगी. संस्कृत के साथ भी यही हुआ. अगर आप सोचते हैं कि हिंदी विकीपीडिया पर देवनागरी अंकों का प्रयोग करने से आने वाली पीढ़ी भी इन्हीं अंकों का प्रयोग करने लगेगी, तो आप गलत सोचते हैं. अगली पीढ़ी तो विकीपीडिया की बजाय कुछ और पढ़ने लगेगी, जो उन्हें समझ में आता हो. हिन्दी की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण संरक्षण के नाम पर इसका जबरन संस्कृतीकरण है, जो इसे नई पीढ़ी से दूर ले जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो धीरे-धीरे संस्कृत की यह भाषा भी लुप्त हो जाएगी. उत्कर्षराज (वार्ता) 05:55, 3 जुलाई 2011 (UTC)
- मैं भी उत्कर्ष की बात से सहमत हूँ, हिन्दी विकिपीडिया एक मुक्त ज्ञान कोष है जिसका उद्देश्य ज्ञान का प्रसार करना है ना कि भाषा का संरक्षण करना। आजकल सभी शिक्षण संस्थाओं एवं समाचार पत्रों इत्यादि में अन्तर्राष्ट्रिय अंको का प्रयोग ही होता है। यह अंकों की समस्या कई पाठको को हुई है एवं संपादकों को भी। और वैसे भी यह बदलाव अभी केवल मीडिया विकि साफ्टवेयर इन्टरफेस में किये गये है, आप सभी अभी भी देवनागरी अंकों का प्रयोग कर सकते है टायपिंग टूल में भी अभी यह सुविधा उपलब्ध है। मीडीयाविकि पूर्ण रुप से अन्तर्राष्ट्रिय अंको पर कार्य करता है, जैसा कि उत्कर्ष को महीनों के कैलेण्डर बनाने में समस्या हुई थी इसी प्रकार कई कोडिंग वाले सांचों का इस्तेमाल भी देवनागरी अंको के साथ सम्भव नहीं। अगर चाहे तो हम बाट की मदद से समस्त देवनागरी अंकों को अन्तर्राष्ट्रिय अंको में बदल सकते है।--Mayur (talk•Email) 06:21, 3 जुलाई 2011 (UTC)
- यह बात मुझे भी ठीक लगती है। अगर समय के साथ नहीं चलेंगे तो हिन्दी ख़त्म हो जाएगी। विकिपीडिया के ज़रिये हिन्दी को कोई मोड़ नहीं दिया जा सकता। प्रशन सीधा है और केवल दो रस्ते हैं - (क) शुद्ध हिन्दी लिखें जो कोई नहीं पढ़ेगा और हम चार-पाँच गिनती के लोग ख़ुश होते रहेंगे (ग) ऐसी हिन्दी लिखें जो आम हिंदीभाषियों को अंग्रेजी से अधिक समझ आये और वह अनायास ही यहाँ लेख पढ़ें। (क) का कोई फ़ायदा नहीं - यह एक व्यर्थ प्रयास होगा। ऐसा समझ लीजिये के एक गली में बहुत सी दुकानें हैं और विकिपीडिया उनमे से एक है। अगर हिन्दी मुश्किल हुई तो ग्राहक अंग्रेज़ी दुकान में चला जाएगा। इसको आन-शान का मामला बनाकर हम अपनी दुकान बंद करवा सकते हैं लेकिन व्यापार में जीत नहीं सकते। व्यक्तिगत स्तर पर मुझे हिन्दी में नागरी अंक पसंद हैं - उनसे हिन्दी की सुगंध आती है। लेकिन यह महज़ मेरी अकेले की भावना है। जीवन में कुछ तो लेन-देन होता ही है। सब कुछ वैसा नहीं रह सकता जैसा था। हिन्दोस्तानी अंक पूरे जहाँ पर इस तरह छा गए के सबको अपनी अंक प्रणालियाँ छोड़कर उनका दामन पकड़ना पड़ा। रोमन अंक कहाँ हैं? मर गए। चीनी अंक कहाँ हैं? मर गए। यह क्या कम जीत है? अगर उन भाषाओँ की हानि नहीं हुई तो हिन्दी की ज़रा सी फेर-बदल कर अपने ही अंकों का एक और रूप अपनाने में भला क्या होगी? जो माननीय सदस्य नागरी के परम्परागत अंकों का पक्ष ले रहें हैं उनका नज़रिया मेरी समझ में आता है। उनकी भावनाएँ मैं समझता हूँ। लेकिन नए जगत में हिन्दी का नया इतिहास लिखने की ज़रुरत है। माफ़ कीजियेगा के गंभीर मामले में व्यंग्य छेड़ रहा हूँ लेकिन यह जो अग्रेज़ी से रास्ते से होते हुए हिन्दी अंक हिन्दी में वापस आ रहें हैं उस से मुझे यह याद आया - "मच्छर ने जो काटा, मेरे दिल में जुनून था। खुजली हुई इतनी, दिल बेसुकून था। पकड़ा था फिर भी छोड़ दिया यही सोचकर, उसकी रग़ों में भी तो अपना ही ख़ून था।" ग़ौर से देखिये - अंतर्राष्ट्रीय अंकों में अपना ही ख़ून है। फिर भी जो यहाँ बहुमत है (देसी अंक या अंतर्राष्ट्रीय अंक) - मैं दोनों के साथ चलने को तैयार हूँ। --Hunnjazal (वार्ता) 07:54, 3 जुलाई 2011 (UTC)
आगे की चर्चा
यदि विकिपीडीया की दुकान से तुलना ही देखनी है, तो देखिये पान आदि की दुकान पर मनचले लोगों की भीड़ सबसे अधिक मिलती है। इस तरह तो हम हिन्दी विकी को उसी स्तर पर गिरा देंगे, जिससे अधिकतम लोग यहां आयें, जैसे कि अंग्रेज़ी में कहा जाये तो Only masses, but no classes.
- फ़्रेंच भाषा विश्व में शायद सबसे कठिन मानी जाती है, किन्तु क्या कभी उन्होंने इस बात की चिन्ता की है कि हम इसे अंग्रेज़ी की भांति सरल बना दें, तो अधिक बोली जायेगी?
- ब्रिटिश इंग्लिश के मुकाबले अमरीकी अंग्रेज़ी कहीं सरल होती है , programme को program, और कई अन्य सरल रूप मिलते हैं, पर क्या इससे इंग्लैण्ड चलना मुश्किल हो गया?
- क्या भारतमाता कल से सलवार कुर्ता और परसों जीन्स में दिखाई देंगीं? पहनना सरल होता है इसलिये लिखा, कृपया अन्यथा न लें
- क्या ऊपर कही सात अंकों वाली बात किसी के गले से नहीं उतरी, जो लोग यहां हिन्दी भाषा में जानकारी लेने आते हैं, वे क्या हिन्दी के सात अंक नहीं सीख सकते हैं, या मान लें कि यह भी एक जानकारी है।
- हां जहां प्रोग्रामिंग की बात आती है, तो अवश्य हम अंग्रेज़ी के अंक प्रयोग कर सकते हैं, ऐसा मैंने भी कई बार किया है।
- शायद इससे पढने वालों को परेशानी अधिक नहीं आती, वरन लिखने वाले कुछ लोगों को लिखने में परेशानी अधिक हो रही है: वैसे इसका एक समाधान Baraha Indic है।
- शायद काफ़ी ऊपर और यहां लिख चुका हूं। -- प्रशा:आशीष भटनागर वार्ता 04:56, 7 जुलाई 2011 (UTC)
- आशीष जी, आपके तर्क में ज़ोर और सच्चाई है, इस से मैं क्षणभर को इनकार नहीं करता (हालांकि पान जैसी कोई दूसरी चीज़ दुनिया में न बनी है, न बनेगी)। यह भी सच है के "सही" का पलड़ा हमेशा 'सरल" से भारी होना चाहिए। मानता हूँ। सच है। फिर भी यह एक ऐसा कठिन निर्णय है जिसके दो पहलु हैं, जिस वजह से हिन्दी के हितैषी इसपर अलग-अलग मत रख सकते हैं। फ़्रांसिसी और ब्रिटिश अंग्रेज़ी दोनों प्रभाव में सिकुड़ रहीं हैं। देखने योग्य बात है के अंग्रेज़ी में दरअसल आधे शब्द फ़्रांसिसी से चुराए हुए हैं (नॉर्मन ज़माने में) - लेकिन उन्हें इसपर कोई खेद नहीं - उल्टा कहते हैं के वे उन्हीं के बन गए हैं। कितने तो हिन्दी के ही शब्द अंग्रेज़ी निग़ल चुकी है। अंग्रेज़ी वास्तव में पान की दुकान है - "चूना भी मेरा, कत्था भी मेरा; सुपारी भी मेरी, पत्ता भी मेरा"। फ़्रांसिसी बेचारे "le weekend" और "le parking" पर नींदे गँवा रहे हैं। कभी-कभी लगता है के यही सही रास्ता है - सीना चौड़ा करके बोलो के "सब मेरा है, जो बन सके कर लो"। बॉलीवुड की तो यही नीति लगती है। चीनी, अफ़्रीकी, अमरीकी सब संगीत उनके लिए कच्चा माल (raw material) है। लेते हैं, पेंच लगा के तोड़-जोड़ करके देसी ढांचे में डालते हैं, और दुनिया पर छाये हुए हैं। उनका रवैया है "मेरी मर्ज़ी। तुम सब हमारे लिए काम कर रहे हो - जो कोई कुछ अच्छा बनेगा, समझ लो हमारी नौकरी में बना रहा है।" इस से हम सहमत हों न हों, इसे हम सस्ता समझें न समझें, बात तो जिगर वाली है। अगर "धरोहर शुद्ध रखने" और "सीमित फेर-बदल कर के छा जाने" में से एक को चुनना हो, तो किसे चुना जाए? मुश्किल प्रशन है। इसपर दो-राय हो सकती हैं। --Hunnjazal (वार्ता) 03:50, 8 जुलाई 2011 (UTC)
- धरोहर को शुद्ध रखना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है उसे आगे बढ़ाना। इस तरह इन दोनों के बीच का रास्ता चुना जाये, जिससे कि अधिक मुश्किल भी न हो, अधिक अशुद्धि भि न हो, किन्तु अधिक कठिन भी न हो। जैसा कि ऊपर किसी ने कहा भी है कि मात्र ७ अंक हिन्दी के सीख लेना कौन सा कठिन कार्य है - इस पर अमल करना सरल ही है, और इससे शुद्धता एवं धरोहर भि बनी रहेगी।
- जिसने हिन्दी के ५६ अक्षर सीख लिये तो ७ और सही।
- जहां तक्ल सब मेरा का सवाल है, तो भारत तो सदा ही वसुधैव कुटुम्बकम कहता आया है।
- कभी कभी ये भी प्रयास करना चाहिये कि हम पहले बने सबके चलने के रास्ते पर ही सदा क्यूं चलें, कभि तो कुछ अपना भी विशेष बनाये रखें, जिस प्र शायद कल विश्व चलने लगे और उसे अपना बताये......
- धरोहर को शुद्ध रखना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है उसे आगे बढ़ाना। इस तरह इन दोनों के बीच का रास्ता चुना जाये, जिससे कि अधिक मुश्किल भी न हो, अधिक अशुद्धि भि न हो, किन्तु अधिक कठिन भी न हो। जैसा कि ऊपर किसी ने कहा भी है कि मात्र ७ अंक हिन्दी के सीख लेना कौन सा कठिन कार्य है - इस पर अमल करना सरल ही है, और इससे शुद्धता एवं धरोहर भि बनी रहेगी।
चर्चा में देर से शामिल हो रहा हूं। क्योंकि मुझे लगा था कि पूर्णिमा जी के प्रबंधकत्व के जमाने में इस पर अच्छी चर्चा हो चुकी थी एवं नागरी अंकों के प्रयोग का उचित निर्णय लिया गया था। लेकिन लगता है कि बहस में फिर से शामिल होना होगा। उत्कर्ष के संवैधानिक प्रावधान के संदर्भ के लिए इतना जरूर कहूँगा कि हिंदी के संवैधानिक प्रावधानों को उस समय की और बाद की भाषायी राजनितिक संदर्भ से काटकर सर्वसम्मत निर्णय के रूप में देखने से बचें। लेकिन अगर संवैधानिक प्रावधानों के उल्लेख से ही कुछ तय होना है तो उत्कर्ष द्वारा उद्धृत प्रावधान के निर्माण के 4 साल बाद राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद जिनके अध्यक्षिय मत से हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में दर्ज हो पाई थी, ने नागरी अंकों के प्रयोग के लिए अध्यादेश जारी किया था। संविधान से बाहर आकर स्कूल कॉलेजों के किताबों को देखें तो राष्ट्रभाषा, जिसे सारे भारत में व्यापक पैमाने पर पढ़ा और पढ़ाया जाता है, की पाठ्य पुस्तकों में नागरी अंकों का ही प्रयोग होता है। हिंदी भाषी प्रदेश में व्यापक रूप से पढ़ी-पढ़ाई जाने वाले हिंदी साहित्य में नागरी अंकों का इस्तेमाल होता है। यह हिंदी विषय संघ लोक सेवा आयोग की परिक्षा का भी एक लोकप्रिय विषय है। गाँव की पाठशाला में आज भी बच्चे नागरी अंक में ही पहाड़ा सीखने की शुरुआत करते हैं। कम-से-कम मेरी और मेरे आस-पास के बच्चों की पाठशाला की शिक्षा की शुरुआत इन्हीं अंकों में हुई थी। हिंदी के कुछ अख़बार और कई पत्रिकाओं में नागरी अंक प्रयोग किए जा रहे हैं। और इनकी वितरण संख्या अंग्रेजी अखबारों से अधिक है। विकिया की नीति सर्वाधिक प्रचलित के प्रयोग की हमेशा नहीं रही है वरना बेहद सीमित क्षेत्र में प्रयोग की जाने वाली भाषाओं के लिए अलग विकिया परियोजना नहीं होती। खास कर उन देशों की भाषाओं की भी विकिया है जहाँ के विकिया प्रयोकता अंग्रेजी अच्छी तरह समझते हैं। सांस्कृतिक संरक्षण विकिया का उद्देश्य भले न रहा हो लेकिन भाषा संरक्षण उसका घोषित लक्ष्य है। और भाषा को संस्कृति का मुखपत्र मानने वालों के तर्कों को मानें तो भाषा बचाइये संस्कृति अपने आप बच जाएगी। नागरी अंक के प्रयोक्ता अभी कंप्युटर दुनिया में अल्पसंख्यक हैं। नागरी अंकों का प्रयोग मुश्किल है। सारे सॉफ्टवेयर में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता। विकिया के कई कामों में भी परेशानी आती है, इसलिए नागरी अंक का विरोध किया जाना चाहिए। यह उचित रास्ता नहीं है। क्योंकि जो मुश्किलें नागरी अंकों के प्रयोग में है कमोवेश वही मुश्किल नागरी लिपि के प्रयोग में भी है। और बहुत दिनों तक और कभी कभी आज भी इसिलिए रोमण लिपि के प्रयोग का समर्थन किया जाता है। आज भी विभिन्न पुस्तकालयों में हिंदी भाषा रोमण में लिखी होती है। मजबूरी में ऐसे प्रयोग होते रहे हैं किंतु इसका समर्थन करना एवं इसे प्रोत्साहित करना मेरे विचार से ठीक नहीं होगा। अनिरुद्ध वार्ता 04:36, 29 जुलाई 2011 (UTC)
- मैं माफि चाहूँगा लेकिन हमें शायद इन अंकों से समझौता करना पडेगा क्योंकि मीडीयाविकि में ऐसी कई साँचे एवं संदेश है जो केवल अन्तर्राष्ट्रिय अंक ही स्वीकार करते है जैसा कि आपने देखा कि उत्कर्ष को कैलण्डर का साँचा बनाने में काफि परेशानी हुई। यह परिवर्तन सिर्फ साफ्टवेयर समस्या को सुलझाने के लिये मीडियाविकि डेवलेपर्स द्वारा किया गया। हमारे अधिकतर सदस्य भी अन्तर्राष्ट्रिय अंको का प्रयोग कर रहे है जैसा कि मुखपृष्ठ पर समाचार विभाग एवं आज का आलेख से प्रदर्शित होता है परन्तु मैनें इस परिवर्तन को समर्थन केवल साफ्टवेयर दुविधा को दूर करने के लिये किया। रही बात पिछ्ले निर्णय कि तो आप यहाँ देख सकते है कि ३ सदस्य अन्तर्राष्ट्रिय अंकों के पक्ष में थे एवं ४ सदस्य देवनागरी के समर्थन में एवं यह चर्चा पूर्णिमा जी के समय से पूर्व की गयी थी।--Mayur (talk•Email) 16:36, 31 जुलाई 2011 (UTC)
जिसका समाधान उपलब्ध हो उसके लिए समझौता करने की जरूरत नहीं है। आपका एक बॉट आज का आलेख और समाचार सहित सारे पृष्ठों के अंतर्राष्ट्रीय अंकों को नागरी अंकों में बदल सकता है। साँचा आदि तकनिकि कामों में मुश्किल आ रही है तो वहाँ अंतर्राषट्रीय अंकों का इस्तेमाल करने में कोइ हर्ज नहीं है। किंतु इस मजबूरी को सैद्धांतिक रूप से सर्वमान्य मानक का रूप तो मत दीजिए। 'पूर्णिमा जी के प्रबंधकत्व के समय में' मैने स्मृति के आधार पर लिखा था। क्योंकि वर्ष भर पहले मैने चौपाल के सारे पुरालेख पढ़ा था। अंकों पर वर्तमान से पूर् भी दो से अधिक बार चर्चा हो चुकी है एवं दोनों बार निर्णय लोकप्रियता और सरलता के बजाय लक्ष्य के पक्ष में रहा। वरना अंग्रेजी विकिया की सामग्रियों को नागरी लिपि में अनुदित या परिवर्तित करने की जरूरत ही क्या है? मेरे द्वारा बनाए गए पृष्ठों पर नागरी अंकों के प्रयोग न कर पाने की तकनीकि बाधा का समाधान मैं जल्दि हीं निकाल लूँगा। अनिरुद्ध वार्ता 03:41, 2 अगस्त 2011 (UTC)
- अनिरुद्ध जी बाय डिफाल्ट सेटिंग में अगर देवनागरी अंक कर दिये जाये तो कई साँचों को बनाने में समस्या आयेगी एवं आती रही है, हमनें हमारे टायपिंग टूल से अभी तक यह सुविधा नहीं हटायी है हमनें केवल बाय डिफाल्ट देवनागरी की जगह अन्तर्राष्ट्रिय अंक कर दिये है जिससे कि साफ्टवेयर इन्टरफेस में कोई समस्या ना आये। परन्तु बाय डिफाल्ट कर देने से कई जगह अन्तर्राष्ट्रिय अंक दिखेंगे जैसे हमारे हस्ताक्षर करने पर दिखते है अगर हमनें देवनागरी अंकों में लिखा तो आधे जगह देवनागरी एवं आधे जगह अन्तर्राष्ट्रिय अंक दिखायी देंगे। जो अच्छा नहीं लगेगा, इसलिये निर्णय अन्तर्राष्ट्रिय अंको के पक्ष में लिया गया। वैसे कोई देवनागरी अंक प्रयोग करना चाहे तो कर सकता है हम बाट की सहायता से ऐसे समस्त लेखों को अन्तर्राष्ट्रिय अंकों में परिवर्तित कर सकते है।--Mayur (talk•Email) 13:01, 2 अगस्त 2011 (UTC)
- मैं हिन्दी विकि पर देवनागरी अंकों के प्रयोग के पक्ष में हूं। हाँ कहीँ-कहीं रोअमन अंक प्रयोग कर लेने चाहिये, जैसे Sin(30) लिखना ठीक होगा न कि Sin(३०) । बहुत सारे बिन्दुओं पर लोगों से अपनी राय दी है, मैं कुछ छूट गये बिन्दु रखना चाहूँगा-
- मराठी, संस्कृत, नेपाली आदि में देवनागरी अंक ही चल रहे हैं।
- तमिल, बांग्ला आदि भारत की प्रमुख विकियों में उन भाषाओं के अंक ही प्रयुक्त हो रहे हैं।
- अरबी, फारसी आदि भी अन्तरराष्ट्रीय अंक नहीं प्रयोग करते।
- भारत सरकार की राजभाषा नीति का कोई अर्थ नहीं रह जाता क्योंकि वह नीति 'सम्पूर्ण रूप' में लागू कहाँ है? हिन्दी वालों को जो-जो त्यागना था उन्होने त्याग दिये पर अंग्रेजी वाले वहीं अड़े हैं या आगे बढ़ गये हैं।
- आजकल ऐसे टूल हैं जो केवल एक कुंजी दबाने मात्र से देवनागरी से अन्तरराष्ट्रीय अंकों में या इसके उल्टा बदल सकते हैं। इसलिये इससे किसी को असुविधा नहीं होगी।
-- अनुनाद सिंहवार्ता 09:00, 3 अगस्त 2011 (UTC)
पता नहीं मयूर समझ नहीं रहे हैं या समझना नहीं चाह रहे हैं। जब तक और जहाँ तक यांत्रिक बाधा हो तबतक और वहाँ तक अंतर्राषट्रीय अंकों (यद्यपि यह भ्रामक शब्द है) का प्रयोग करते रहना चाहिए। किंतु लक्ष्य तो नागरी अंक ही हैं या हो सकते हैं। पहले आधार के लिए स्टब साँचा लगता था श्रेणी के लिए कैटेगरी। किंतु क्या इस दिशा में किया गया परिवर्तन ही सही नहीं है? बॉट द्वारा अंतर्राषट्रीय अंकों को नागरी अंकों में परिवर्तित करने के सुझाव को उन्होंने उलट दिया। और प्रशासक की भाषा में अंतर्राषट्रीय अंकों के प्रयोग के निर्णय की सूचना भी दे दी। उन्होंने शायद ध्यान दिया नहीं या देना नहीं चाहते कि नागरी के विरोध और अंतर्राषट्रीय अंकों के समर्थन में गिने गए मत व्यक्त करने वाले सदस्यों ने अंतर्राषट्रीय अंकों के प्रयोग की सुविधा की ओर ध्यान दिलाया है किंतु नागरी अंकों के प्रति भी आकर्षण व्यक्त किया है। उन्होंने इस संबंध में पुराने एवं समर्पित सदस्यों के विचारों को भी ध्यान में रखना जरूरी नहीं समझा। तब यांत्रिक बाधाएं भी ज्यादा थीं। पहले के लिए गए निर्णयों को बदलने से पहले उसके पीछे के निहित भाव को पूरे संदर्भ में समझने की जरूरत है। सुविधाओं के अनुसार बदलने के बजाय सुविधाओं का निर्माण करने की संस्कृति क्या अधिक बेहतर नहीं है। कम से कम ऐसी आकांक्षा तो रखनी ही चाहिए। अनिरुद्ध वार्ता 04:41, 4 अगस्त 2011 (UTC)
- अनिरुद्ध जी आप अभी तक यह समझ नहीं पा रहे है कि यह बदलाव मेरे द्वारा नहीं अपितु मीडियाविकि डेवलेपरस द्वारा किया गया था जिन्होने यहाँ हुई चर्चा को पढ़ कर यह निर्णय लिया था उस समय आप लोगों में से किसी ने भी इस पर आपत्ति नहीं उठायी जिस कारण यह संशोधन हुआ। मैंने सिर्फ साफ्टवेयर कार्यं के लिये इसका समर्थन किया था एवं हर सक्रिय सदस्य चाहे वो प्रशासक ही क्यो न हों को अपना विचार रखने का अधिकार है एवं मैनें इसीलिये इस चर्चा को पुराना होने के वाबजूद पुरालेख में नहीं डाला जिससे सभी लोग इस पर अपने विचार रख पाये एवं इस बार कोई उचित निर्णय लिया जा सके। मैनें अभी तक हमारे देवनागरी टुल्स से देवनागरी अंकों की जगह अन्तर्राष्ट्रिय अंक नहीं डाले क्योंकि निर्णय सिर्फ डिफाल्ट अंकों के प्रयोग का हुआ था बस इसके लिये ही मैनें इस चर्चा को आगे बढाया ताँकि हम यह निर्णय ले सकें कि क्या अधिकतर जगह देवनागरी अंकों का प्रयोग करना है या अन्तर्राष्ट्रिय।--Mayur (talk•Email) 06:22, 4 अगस्त 2011 (UTC)
अंकचर्चा अगस्त२०११
मैं आशीषजी द्वारा दिए गए तर्कों से १००% सहमत हूँ। दरसल पूरे भारत में हिन्दी के वास्तविक स्वरूप को मिटाने का जो कुचक्र चल रहा है यह उसी निति का भाग है। और आजकल देखने में आ रहा है कि हिन्दी विकि पर अंग्रेज़ी के घालमेल का चलन भी आ चुका है। फ़्रान्सीसी ही क्यों, चीनी, जापानी, कोरियाई जैसी भाषाएं भी विश्व की कठिनतम भाषाएं हैं, और उनकी लिपि भी तो क्या उन लोगों ने अपनी लिपियों को बदल डाला है? नहीं ना। दरसल कुल मिलाकर बात यह है कि भारत के लोगों को किसी ना किसी रूप में अंग्रेज़ों की नकल आदत लग चुकी है। यह रवैया केवल हिन्दी विकि पर ही नहीं बल्कि वास्तविक जीवन में भी देखा जा सकता है। हर बात में केवल नकल, नकल और नकल, और देखा जाए तो पूरा भारत नकल पर ही तो चल रहा है क्योंकि असल तो कुछ रहा ही नहीं इस देश में। मेरी राय में भी हिन्दी विकिपीडिया पर देवनागरी अंकों का सख्ती से पालन किया जाए। और जहाँ तक रही बात संविधान की तो भारत का संविधान भी अमेरिकी संविधान की नकल है। और कौन सा भारत की सरकार ही संविधान का पालन करती है। संविधान के अनुसार हिन्दी भारत की प्रथम राजभाषा है और सरकार के सभी दस्तावेज हिन्दी में तो होने ही चाहिए लेकिन अहिन्दी भाषी राज्यों में बहुत बार केवल उस राज्य की भाषा और अंग्रेज़ी जैसी विदेशी भाषा में ही दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं हिन्दी में नहीं। दुनिया के ढंग के देशों में उनकी अपनी भाषाओं में कार्यक्रम बनाए जाते है और उनका अंग्रेज़ी अनुवाद किया जाता है और भारत महान में अंग्रेज़ी में कार्यक्रम बनाए जाते है और उनका भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाता है। यानि की भारत देश की तो रीत ही निराली है। और अब यही कुचक्र हिन्दी भाषा को उसके मूल अंकों से वंचित करने के लिए चलया जा रहा है। जिनकों देवनागरी अंक समझने में कठिनाई हो रही हो वह हिन्दी विकिपीडिया के लेख ना पढ़े। भाषा का समय के साथ बदलते रहना एक अलग बात है और जबरन बदलाव को लादना एक बिल्कुल अलग बात है। और जहां तक रही बात तकनीकी बातों की तो इस बात ने भी हिन्दी घालमेल के कुचक्र को आगे बढ़ाया है। शायद आप लोगों को पता नहीं है लेकिन दुनिया के कुछ ढंग के देशों के प्रयासों के चलते अब जालपृष्ठों के नाम यानी की वेबसाइटों के नाम तक लातिन लिपि में रहने आवश्यक नहीं है। यदि भारत महान के लोग होते तो कहते यह तो सम्भव ही नहीं है। और बात भी सही है, आखिर किसी भी प्रौद्योगिकी पर केवल एक ही भाषा का दबदबा क्यों हो!
एक बार मेरा एक मित्र थाईलैण्ड गया था। वहां पर कुछ सम्मेलन था जहां बहुत से देशों के लोग आए हुए थे। दरसल वहां कोई वाद-विवाद प्रतियोगिता थी। जैसा की भारतीयों से उम्मीद की जा सकती है वो लोग तो अंग्रेज़ी में ही बोले (यह सोचकर की कुछ इज्जत बढ़ेगी)। उसने मुझे बताया कि जब फ़्रारान्सीसी लोग भाषण देने मञ्च पर आए तो उन लोगों का रवैया ऐसा था कि किसी को फ़्रान्सीसी समझ में आए ना आए लेकिन हम तो फ़्रान्सीसी ही बोलेंगे और उन लोगों ने फ़्रान्सीसी में ही अपनी बात रखी। अब आप खुद ही समझ लीजिए कि थाई लोगों की नजरों में किस देश के लोगों के प्रति सम्मान का भाव होगा और किसके प्रति घृणा/नीचता का क्योंकि थाईलैण्ड के लोग खुद भी केवल अपनी ही भाषा को आगे रखते हैं। यहां की तरह नहीं है कि हर बात में नकल करनी है। थाई विकिपीडिया पर थोड़ा यह देखें [1]। ऊपर दाएं जो तिथि लिखी है वहां पर उन लोगों ने वर्ष तक अपने देश के अनुसार 4 สิงหาคม 2554 लिखा है। तो क्यों नहीं थाई लोग तथाकथित अन्तर्राष्ट्रीय वर्ष २०११ लिख रहे हैं? अमेरिका में आजतक इम्पीरियल ईकाइयां उपयोग में है। खाड़ी के देशों में साप्ताहिक अवकाश रविवार ना होकर शुक्रवार है (यहां धर्म की भी भूमिका हो सकती है लेकिन मेरा तर्क नकल या असल से है)।
और एक बात जो मुझे आजतक समझ में नहीं आई की केवल अंग्रेज़ी के शब्दों को हिन्दी में मिलाने के लिए भाषा-परिवर्तन की बात क्यों कही जाती है। क्या हम लोग अंग्रेज़ों के गुलाम हैं? क्यों नहीं चीनी, जापानी, रूसी, कोरियाई, स्पेनी, जर्मन, फ़्रान्सीसी इत्यादि भाषाओं से शब्द लिए जाते हैं। हां माना की अंग्रेज़ी ने हिन्दी के भी बहुत से शब्दों को अपनाया है लेकिन उन लोगों ने इसलिए अपनाया क्योंकि उन्हें इन शब्दों की आवश्यकता महसूस हुई जबकि भारतीय लोग अंग्रेज़ी को जबरन हिन्दी में मिला रहे है क्योंकि उन्हें केवल नकल करने से मतलब है। और क्या जरुरी है कि बाकि के ९९% लोग जो कर रहे हैं वह हम भी करें। दरसल इतिहास पर पालन करने वालों की नहीं कुछ नया प्रदान करने वालों की छाप पड़ती है।
और Hunnjazalजी आपसे यह किस्ने कह दिया कि बॉलीबुड दुनिया पर छाया हुआ है? दरसल यह भी भारत के मीडिया द्वारा फैलया हुआ भ्रम है कि बॉलीवुड हॉलीवुड की टक्कर पर है। भारत तक में ही यह नहीं छाया हुआ है दुनिया की तो खैर रहने दें। आप कभी दक्षिण भारत जाइए तब पता चलेगा की इन नाचने वाले बञ्जारों और तमाशियों की क्या औकात है। आपको पता है कि भारत का सबसे महँगा अभिनेता कौन है? रजनीकान्त जो एक तमिल अभिनेता हैं। अभी हाल ही में कान फिल्म समारोह में कुछ बॉलीबुडिए भी गए थे और भारत के समाचारपत्रों ने ऐसा छापा था कि लग रहा था मानों वहां के मुख्य अतिथि यही लोग हैं जबकि वास्तव में इन लोगों को केवल इक्का-दुक्का लोगों को छोड़कर कोई नहीं पहचानता था। बॉलीबुड से कहीं अधिक लोकप्रिय चीन, जापान और कोरिया की फिल्में हैं। दरसल झूठ छापने और टीआरपी के दीवाने वाले हमारे मीडिया में ऐसा छापा जाता है ताकि अधिक से अधिक लोग उनके कचरे को खरीदे या देखें। और इस कुचक्र में भारत का मीडिया भी शामिल है। दरसल हम लोगों को ऐसा प्रतीत कराया जाता है कि अंग्रेज़ी ही विश्व महारानी है, अंग्रेज़ी विश्व का प्रवेश्द्वार है, अंग्रेज़ी दैवीय है, अंग्रेजी लोगों को सुसंस्कृत बनाती है। अंग्रेज़ी का विकास होने से भी हजार पर्ष पूर्व भारत एक सुसंस्कृत राष्ट्र था। अधिक दूर नहीं केवल पड़ोस के चीन में जाइए तब पता चलेगा अंग्रेज़ी की क्या औकात है। और आपको थोडा यह भी पढ़ना चाहिए China bans English words in media। फ़्रान्स तो खैर फ़्रान्स है। अभी मेरे मित्र का मित्र फ़्रान्स के किसी कस्बे में गया था। उसने बताया की फ़्रान्स में तो एक दुकानदार भी आपसे यही उम्मीद करता है कि आप फ़्रान्सीसी बोलेंगे। यदि उससे अंग्रेज़ी में बात करने की कोशिश की तो वह आपको सामान नहीं देगा। इसलिए वह मित्र का मित्र अपने साथ हमेशा अनुवादित पृष्ठ रखता था ताकि किसी फ्रान्सीसी से बात करनी हो तो कर सके। और आज भी एक फ़्रान्सीसी आपसे अंग्रेज़ी में बात करना तो क्या आपके द्वारा अंग्रेज़ी में पूछे गए प्रश्न का उत्तर तक देना पसन्द नहीं करता। तो क्यों नहीं इन सभी देखों के लोए अंग्रेज़ी की नकल कर रहे हैं? और अंग्रेजों का गुलाम हमारा मीडिया भी किसी फ्रान्सीसी राष्ट्राध्यक्ष के आने पर उसका साक्षात्कार लेने के लिए किसी ऐसे पत्रकार को भेजता हैं जिसे फ्रान्सीसी आती है। दरसल सही समाचार प्राप्त करने हैं तो भारतीय मीडिया (विशेषकर अंग्रेजी) को सुनना तो छोड़ देना चाहिए। और यदि फ़्रान्सीसी यह मान भी रहें हैं कि अंग्रेज़ी भी सीखनी चाहिए तो यह बता दूं कि अंग्रेज़ी का दबदबा तभी तक रहेगा जबतक अमेरिका शीर्ष पर रहेगा। भाषाएं अपने देशों से जुड़ी होती हैं। आज अमेरिका है तो अंग्रेज़ी है कल को चीन होगा तो चीनी भाषा का दबदबा होगा। जब लातिन अमेरिका के देश आगे बढेंगे तो स्पेनी भाषा का दबदबा होगा। इसलिए यह मान लेना की सदैव अंग्रेज़ी ही रहेगी और अंग्रेजी की नकल करते रहों मेरे विचार में मूर्खता होगी।
और देखा जाए तो हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि अपने आप में इतनी पूर्ण हैं कि हमारा काम अंग्रेज़ी का एक भी अक्षर लिखे बिना चल सकता है। क्या कभी ऐसा दिन भी आएगा कि दुनिया के बाकि देशों के लोग हमारे बारे में कहेंगे कि भारतीयों को इससे कोई फर्ख नहीं पड़ता कि दुनिया क्या कर रही है या अमेरिका क्या कर रहा है, उन लोगों की तो अपनी नीतियां और प्रणालियाँ हैं! शायद हम लोगों के जीवन काल में तो नहीं। रोहित रावत (वार्ता) 16:27, 4 अगस्त 2011 (UTC)
- Unfounded facts:
- फ़्रान्सीसी ही क्यों, चीनी, जापानी, कोरियाई जैसी भाषाएं भी विश्व की कठिनतम भाषाएं हैं, और उनकी लिपि भी तो क्या उन लोगों ने अपनी लिपियों को बदल डाला है?
- Chinese Wikipedia, Japanese Wikipedia and Korean Wikipedia, कृपया बताये ये Wikipedia क्यो European numerals इस्तमाल कर रहे हैं?
- इन लिपियों के अंकों का परिचय विकिपिडिय पर उपलब्ध है। इन पर पाँच मिनट सरसरी निगाह लगाने पर पता लग जायेगा कि ये अपनी मूल अंक क्यों नहीं प्रयोग करते। सरल उत्तर - 'अंक लिखना और उनमें गणना करना अत्यन्त कठिन है।' -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
विकिया सच का एक पक्ष है। पूरा सच नहीं। मेरे कोरियाइ सहपाठी हिंदी और अंग्रेजी का विद्वान होने पर भी तेजी से गिनती गिनते समय एक, दो या वन टू के बजाय छिप, छिबिल में ही गिनते हैं। यह मातृभाषा से तय होता है भाषआ कि कठिनता से नहीं। यही बात चीनी और जापानि मित्रों के लिए भी ठीक है। और इसे कोइ फेक कहानी न समझे इसके लिए इतना उल्लेख करना शायद पर्याप्त है कि मेरी उच्च शिक्षा जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में हुई है जहाँ विभिन्न देशों के विद्यार्थि हमारे साथ छात्रावास में रहते हैं। मैं स्वयं आज तक सैंतिस तिया इगरहाँ से और पन्द्रह छका नब्बे ही पढ़ता हूँ। और न मैं अनूठा हूँ न अकेला। हिंदी विकिया पर नागरी अंकों के प्रयोग का निर्णय गाँव, देहात की पाठशालाओं औऱ शहरी हिंदी पढ़ने वालों के आधार पर होना चाहिए। केवल विकिया संपादनकर्ताओं की तकनिकी सुविधा को ध्यान में रखकर नहीं। विकिया पर चीनी , जापानी या कोरियाइके अंक न भी प्रयुक्त हों तो क्या फर्क पड़ता है। वे तकनिकी रूप से अंग्रेजी जितना ही सक्षम हैं जिन्हें मिटाना अंग्रेजी के लिए संभव नहीं है। वे गूगल मैप का भी विकल्प बना सकते हैं और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का भी। अनिरुद्ध वार्ता 17:08, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- Another unintelligent comment, see this website of The Chosun Ilbo with your open eyes, this is a South Korea's national newspaper with most readership, and even it also uses European numerals, not only this but also all the published/non-published media of South Korea, even the textbooks of schools and colleges use these numbers, and you're saying English won't wipe them out, how funny.
कोरियन केवल अमेरिकी प्रभाव वाले दक्षिण कोरिया की ही भाषा नहीं है। अंग्रेजी के विरोधी उत्तर कोरिया की भी भाषा है। और कोरिया के विभाजन की अंगरेजी भूमिका का भी इतिहास पढ़ लिजिए। वहाँ के सरकारी निर्णयों के अर्थ समझ आ जाएंगें। अनिरुद्ध वार्ता 19:57, 5 अगस्त 2011 (UTC)* संविधान के अनुसार हिन्दी भारत की प्रथम राजभाषा है और सरकार के सभी दस्तावेज हिन्दी में तो होने ही चाहिए लेकिन अहिन्दी भाषी राज्यों में बहुत बार केवल उस राज्य की भाषा और अंग्रेज़ी जैसी विदेशी भाषा में ही दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं हिन्दी में नहीं।
- "Neither the Constitution of India, nor any Indian law defines any national language."
- यहाँ 'राजभाषा' की बात हो रही है, 'राष्ट्रभाषा' की नहीं। 'राजभाषा' राजनीतिक उपयोग का शब्द है, 'राष्ट्रभाषा' सांस्कृतिक उपयोग का।-- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- Official Languages Act, 1963 provides both—Hindi and English—languages equal status, and all the non-Hindi states are free to use any of two.
- यहाँ 'राजभाषा' की बात हो रही है, 'राष्ट्रभाषा' की नहीं। 'राजभाषा' राजनीतिक उपयोग का शब्द है, 'राष्ट्रभाषा' सांस्कृतिक उपयोग का।-- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- भारत महान में अंग्रेज़ी में कार्यक्रम बनाए जाते है और उनका भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाता है
- अंग्रेजी भारत की एक संवैधानिक भाषा है, तो इसमे कुछ गलत नही हैं
- 'संवैधानिक भाषा' क्या होती है? क्य 'कोंकणी' भारत की संवैधानिक भाषा नहीं है? -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- So what? yes Konkani is also a constitutional language, I don't get what point you are trying to make here. According to Official Languages Act, 1963 only English should be used for official purpose along with Hindi, not Konkani, Bengali, Punjabi or Assamese.
- 'संवैधानिक भाषा' क्या होती है? क्य 'कोंकणी' भारत की संवैधानिक भाषा नहीं है? -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- दरसल वहां कोई वाद-विवाद प्रतियोगिता थी। जैसा की भारतीयों से उम्मीद की जा सकती है वो लोग तो अंग्रेज़ी में ही बोले (यह सोचकर की कुछ इज्जत बढ़ेगी)। उसने मुझे बताया कि जब फ़्रारान्सीसी लोग भाषण देने मञ्च पर आए तो उन लोगों का रवैया ऐसा था कि किसी को फ़्रान्सीसी समझ में आए ना आए लेकिन हम तो फ़्रान्सीसी ही बोलेंगे और उन लोगों ने फ़्रान्सीसी में ही अपनी बात रखी। अब आप खुद ही समझ लीजिए कि थाई लोगों की नजरों में किस देश के लोगों के प्रति सम्मान का भाव होगा और किसके प्रति घृणा/नीचता का क्योंकि थाईलैण्ड के लोग खुद भी केवल अपनी ही भाषा को आगे रखते हैं। यहां की तरह नहीं है कि हर बात में नकल करनी है
- इससे बस यही पता चलता हैं की या तो उन फ़्रान्सीसीयो मै दिमाग की कमी थी या यह कोई मनगढ़ंत कहानी हैं, what's a deal in using any language which no one understands? और आप कहे रहे हैं की यह वाद-विवाद प्रतियोगिता थी, how it could be possible that in a debate competition people are using some alien language that no one understands. थाई लोगों की नजरों में किस देश के लोगों के प्रति सम्मान का भाव होगा उन की नजरों में भारतीयों का ही सम्मान भाव होगा, क्योंकि Indians ने वो भाषा प्रयोग करी जो सभी समझते है, and again English is our constitutional language so why would "Thai people" feel any type of repugnance against Indians?
- साहब हमने तो संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में भी सैंकड़ों भाषाओं में बहस होते देखा है। भारतीय संसद में भी ऐसा होता है। अंतर्राष्ट्रीय वाद-विद ही नहीं सैमीनार में भी इसके लिए उपयुक्त प्रबंध किया जाता है। मगर ये बातें आपकी समझ में नहीं आएंगीं। अनिरुद्ध वार्ता 17:08, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- First, learn how to comment. Another great nerdish example, if you ever heard of word "simultaneous interpretation" then you'd never made this statement. United Nations allows representatives to make a speech in any world-widely recognizable language, but before that representative has to disclose his language preference. After that Coordinator for multilingualism—the post which was also held by शशि थरूर—access a simultaneous interpreter, who renders the message in the target-language as quickly as he can formulate it from the source language, here target language is one of the six official languages of UN (English, Russian, Chinese, Arabic, Spanish and French). And Indian Parliament also follows the same pattern, but here you would be allowed only to speak in one of any constitutional language, not in French or Arabic, but felony is that these things wouldn't lump in your mind/ मगर ये बातें आपकी समझ में नहीं आएंगीं. I don't understand how a person could make such an unintelligent statement. — Bill william comptonTalk 18:49, 5 अगस्त 2011 (UTC)
रोहित जी ने कहीं कहा था कि वहाँ इंटरप्रेटर नहीं था। ऐसी जगहों पर यह व्यवस्था अनिवार्य रूप से की ही जाती है। मगर यह आपकी समझ में तब आएगा न जब समझने की इच्छा हो। और माफ किजिए मैं दूसरों को गलत तो समझ सकता हूँ मूर्ख नहीं। अनिरुद्ध वार्ता 20:06, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- थाई विकिपीडिया पर थोड़ा यह देखें [1]। ऊपर दाएं जो तिथि लिखी है वहां पर उन लोगों ने वर्ष तक अपने देश के अनुसार 4 สิงหาคม 2554 लिखा है
- Why are you cherry picking here? Why Thai Wikipedia using European numerals?
- क्यों नहीं चीनी, जापानी, रूसी, कोरियाई, स्पेनी, जर्मन, फ़्रान्सीसी इत्यादि भाषाओं से शब्द लिए जाते हैं।
- It shows your deep lack of knowledge, along with English Hindi already has so many foreign languages' words, like from Turkish (कैंची), Persian (आवाज़), Arabic (ख़ाली), Chinese (चाय), Burmese (लुन्गी), Portuguese (क़मीज़), French (समीज), etc. And these are just very few examples.
- एक कद्दू और एक पनीर का टुकड़ा मिलाकर कह सकते हैं कि 'कद्दू-पनीर' की मिश्रित शब्जी बनी है? क्या कोरियाई और अंग्रेजी से लिये गये शब्दों की संख्या में कोई अनुपात है?-- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- बॉलीबुड दुनिया पर छाया हुआ है? दरसल यह भी भारत के मीडिया द्वारा फैलया हुआ भ्रम है कि बॉलीवुड हॉलीवुड की टक्कर पर है।
- I admit still Bollywood is not commensurable with Hollywood, but yes Bollywood is much popular than you can imagine, 13% of total business in films' sector of UK is acquired by Bollywood only, and so many other examples in other countries. "Indian cinema found markets in over 90 countries".For what it matters, I've never watched any Bollywood film in my life
- यह बॉलीवुड की लोकप्रियता का हवाला है या मजाक? अनिरुद्ध वार्ता 17:17, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- Neither it's हवाला nor मजाक, it's a fact.
- अंग्रेज़ी का विकास होने से भी हजार पर्ष पूर्व भारत एक सुसंस्कृत राष्ट्र था।
- LOL, India was never a sovereign nation in its history, it was divided into so many small independent principalities till 1947 or so. See this map File:Countries by earliest date of nationhood.PNG and try to learn something.
- जरा इस List of sovereign states by date of formation चर्चा को ध्यान से पढ़िये। पता चल जायेगा कि इस मानचित्र को बनाने में कितनी लापरवाही की गयी है? और 'सॉवरेन नेशन' के बारे में कितना मतैक्य है! इसके अतिरिक्त भाषा और लिपि का संबन्ध संस्कृति से है, राजनीतिक स्थिति (संप्रभुता/गुलामी आदि) से नहीं। -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- My comment was for the phrase–"भारत एक सुसंस्कृत राष्ट्र था", and for your knowledge Indian had never been a nation until 1947, having common language among the territories doesn't show their nationhood, same apply for India.
- जरा इस List of sovereign states by date of formation चर्चा को ध्यान से पढ़िये। पता चल जायेगा कि इस मानचित्र को बनाने में कितनी लापरवाही की गयी है? और 'सॉवरेन नेशन' के बारे में कितना मतैक्य है! इसके अतिरिक्त भाषा और लिपि का संबन्ध संस्कृति से है, राजनीतिक स्थिति (संप्रभुता/गुलामी आदि) से नहीं। -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- और आपको थोडा यह भी पढ़ना चाहिए China bans English words in media
- Tell me, is it Chinese?, and it's an official press agency of the government of China.
- अभी मेरे मित्र का मित्र फ़्रान्स के किसी कस्बे में गया था।
- Another fake story. No need for special description.
- "आज अमेरिका है तो अंग्रेज़ी है कल को चीन होगा तो चीनी भाषा का दबदबा होगा"
- Chinese would have been the most widely spoken language (by virtue of population) but it will have a hard time to be the universal language because of the complex writing system.
- क्या अंग्रेजी संसार की सबसे सरल भाषा है? क्या यह सिद्ध और सर्वमान्य तथ्य है कि कोई भाषा 'विश्व भाषा' तब बनती है जब वह सरल हो? -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- Not sure about the simplicity of English but yes Chinese is formally among the hardest languages of the world. If you've ever heard of "Simplified Chinese" then you would know this fact. Simplicity doesn't make any language a world language, but a difficult language would never also get this status which applies for Chinese. The global status that English has achieved would never be over taken by any other language, and if you need reason for this very simple fact then I can give that too.
- क्या अंग्रेजी संसार की सबसे सरल भाषा है? क्या यह सिद्ध और सर्वमान्य तथ्य है कि कोई भाषा 'विश्व भाषा' तब बनती है जब वह सरल हो? -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:43, 5 अगस्त 2011 (UTC)
Summary – All the facts by Rohit are just result of some very poor research and some forged imagination.More later — Bill william comptonTalk 19:18, 4 अगस्त 2011 (UTC)
- सारांश - बिल साहब 'अंग्रेजियत' के रंग में रंगे हुए हैं। जब वे तर्क नहीं कर पाते तो 'समय की बर्बादी' का रोना रोने लगते हैं। -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:26, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- Do you have some kind of brain-eyes coordination problem? when did I cry for wastage of time?
- सारांश - बिल साहब 'अंग्रेजियत' के रंग में रंगे हुए हैं। जब वे तर्क नहीं कर पाते तो 'समय की बर्बादी' का रोना रोने लगते हैं। -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:26, 5 अगस्त 2011 (UTC)
Summary – अनुनाद is so hyper with his nationalistic problem that he can't see reality. And अनिरुद्ध is worthless for any intelligent discussion. — Bill william comptonTalk 18:49, 5 अगस्त 2011 (UTC)
कॉंपटन जी। अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता को संभालकर रखिए अंग्रेजी की सर्वोच्चता के लिए वह अच्छा होगा। । हमने इस राष्ट्रीय और बेकार की समझदारी के साथ ही हिंदी में काम किया है। और मैं तो उन हिंदी में काम करने वाले साथियों तक अपनी बात पहुँचाना चाह रहा हूँ जो आपके सुविधा के तर्क के कायल होते समय आपको पहचानने में चूक कर बैठते हैं। अनिरुद्ध वार्ता 19:34, 5 अगस्त 2011 (UTC)
इसमें कोई सन्देह नहीं है, कि यदि कुछ बलाद्विहित (enforce) करना है तो देवनागरी अंकों को ही किया जाना चाहिये। हालाँकि मैं अन्तर्राष्ट्रीय अंकों से नफ़रत नहीं करता, लेकिन मैं कभी भी नीति के रूप में इसका पक्षधर नहीं रहा। और यह तो आश्चर्य की बात है, कि हिन्दी विकिपीडिया पर जबकि आद्य व श्रेष्ठ योगदानकर्त्ता (अब इस शब्द पर बहस करके विषयान्तर न करें) नागरी अंकों के पक्षमें हैं, और यह हिन्दी विकिपीडिया है, तो फिर शुभ काम में देरी क्यों। मैं स्वयं एक प्रोग्रामर (भी) हूँ, और भली-भाँति समझता हूँ कि नागरी अंकों से क्या-क्या समस्याएँ आ सकती हैं, लेकिन इस न्याय्य माँग के विरुद्ध मुझे (कु)तर्क करने की कोई इच्छा नहीं है। कभी कोई समस्या आयी तो हम सब मिल-बैठकर सुलझा सकते हैं, आखिर हम सभी खुले दिमाग़ के लोग हैं। ऊपर की बहस में, जिन्हें हिन्दी नहीं आती है उनका stand तो समझा जा सकता है, परन्तु हमारे हिन्दी जानने वाले मित्र तो इस बात को समझेंगे ऐसी आशा है। धन्यवाद। -Hemant wikikoshवार्ता 07:11, 5 अगस्त 2011 (UTC)
- मेरे ख्याल से हम अपने मुख्य लक्ष्य से भटक रहे है। हमारा लक्ष्य हिन्दी विकिपीडिया के पाठकों को अधिक सुख-सुविधा देना है। सब जानते है की अधिकांश हिन्दी वक्ताओं को देवनागरी संख्याओं से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय संख्याओं ज़्यादा ज्ञान है। में नहीं चाहता की हमारे पाठको को गूगल ट्रांस्लेट या समान किसी उपकरण से देवनागरी अंको का मतलब पता लगाना परे। इसलिए में अंतरराष्ट्रीय संख्याओं को समर्थन देता हु। ♛♚★Vaibhav Jain★♚♛ Talk Email 09:45, 5 अगस्त 2011 (UTC)
हमारा लक्ष्य अथक परिश्रम कर पूँजीपतियों की कंपनियों और भाषा और ज्ञान के सहारे अपना सांस्कृतिक और राजनितिक वर्चस्व कर हमारे ही स्वाभिमान को आहत करने वालों के लिए मार्ग निष्कंटक करना नहीं है। मैं विकिया से यह सोंचकर जुड़ा था कि यह हिंदी में और हिंदी भाषियों की संस्कृति तथा अस्मिता का संवर्धन करते हुए ज्ञान को बढ़ाने का माध्यम है। मगर सिघ्र ही इसका उद्देश्य कुछ-कुछ समझ आने लगा। गनीमत थी कि यह गुप्त था और मैं इसे नजरंदाज कर सकता था मगर मिडिया विकिया के नागरी अंक को समाप्त करने के कदम और उपर रोहित जी के मत पर आइ टिप्पणी ने वह पर्दा भी नष्ट कर दिया। मैं कामना करता हूँ कि वैसा दिन न आए जब कोइ विकिया अंग्रेजी से ज्यादा समृद्ध हो जाए। क्योंकि फिर इस प्रोजेक्ट की भलमनसाहत के परखच्चे उड़ जाएंगें। अनिरुद्ध वार्ता 17:36, 5 अगस्त 2011 (UTC)
आगे की चर्चा
मेरे विचार से इस पर और चर्चा करना अब उचित नहीं क्योंकि सब सक्रिय सदस्य इस बारे में अवगत है इसलिये मैं अन्तिम विकल्प "पुन मतदान" का प्रस्ताव रखता हूँ। जिस तरफ बहुमत रहेगा हम सभी को उस पक्ष का निर्णय मानते हुए उस परिवर्तन को स्वीकार कर लेना चाहिये। कृपया सदस्य निम्न विकल्पों में अपना मत दें-
केवल देवनागरी अंक
इस पक्ष मैं वह सदस्य मत दे जो चाहते है कि सम्पूर्ण हिन्दी विकिपीडिया में केवल देवनागरी अंक का ही प्रयोग हो चाहे फिर कोई तकनीकी समस्या आती रहें।
लेखों में देवनागरी एवं तकनीकी सुविधा हेतु अन्तर्राष्ट्रिय अंक
इसके अन्तर्गत हम डिफाल्ट स्तर पर अन्तर्राष्ट्रिय अंक समर्थ रखेंगे परन्तु टायपिंग टूल्स वैगेरा में देवनगरी अंक समर्थ रखेंगे अथार्त हम हमारे सभी लेखों में एवं मुखपृष्ठ पर देवनागरी अंकों का प्रयोग करेंगे।
केवल अन्तर्राष्ट्रीय अंक
इसके अन्तर्गत हम देवनागरी एवं अन्तर्राष्ट्रीय अंकों के मिश्रण को रोकने हेतु केवल अन्तर्राष्ट्रीय अंकों का प्रयोग ही हर जगह करेंगे, जिससे पाठकों को भी कोई असुविधा न हों इसके अन्तर्गत टायपिंग टूल्स में भी देवनागरी की जगह अन्तर्राष्ट्रीय अंक समर्थ कर दिये जायेंगे
- ♛♚★Vaibhav Jain★♚♛ Talk Email
- I support this proposalKrantmlverma (वार्ता) 07:35, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- – No doubt whatsoever. — Bill william comptonTalk 10:34, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- Mayur (talk•Email) 11:09, 6 अगस्त 2011 (UTC)
विरोध
क्या करोड़ों लोगों की भाषा के संबंध में दस लोगों को कभी भी अपनी मर्जी से ६-४ या ७-३ के आदार पर निर्णय लेने का अधिकार है। और खासकर तब जबकि उस विषय पर पहले भी निर्णय लिया जा चुका हो और गंभीर बहसें हो चुकी हों। देखें विकिपीडिया पर देवनागरी अंक। क्या आज के निर्णय को भी दस दिन बाद दस लोगों के कहने पर फिर से नहीं बदला जाएगा। क्या कभी इस बात पर भी मतदान होगा कि देवनागरी लिपि में लिखे गए अंग्रेजी के शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल में क्या बुराई है? रोमण लिपि में भारतीय अंकों का रोमणीकृत रूप प्रयुक्त होता है। नागरी में नागरी अंक के रहते हुए उसका रोमणीकृत रूप के प्रयोग पर मतदान कैसे हो सकता है? भारत सरकार ने तो आजतक अंग्रेजी या हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प देकर आम लोगों के बीच मतदान नहीं कराया। अनिरुद्ध वार्ता 09:28, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- मेरा भी यही मत है कि पाँच लोग, पचास करोड़ लोगों के प्रतिनिधि के रूप में मतदान करें तो इसे बहुत बड़ा मजाक ही माना जाएगा। अतः देवनागरी अंक या अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप का मुद्दा लेख लिखने वालों के विवेक पर छोड़ दिया जाय। हाँ, जहाँ अन्तरराष्ट्रीय अंकों के बिना काम ही न चले वहाँ तो पूछने की भी आवश्यकता नहीं है। अरबी, फारसी, तमिल आदि विकियों में क्या किया जा रहा है?-- अनुनाद सिंहवार्ता 12:09, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- देखिये यदि आप फिर से देवनागरी अंकों को डिफाल्ट करवाना चाहते है तो यह मतदान करवाना पड़ेगा क्योंकि इसके बिना मीडियाविकि डेवलेपर्स यह संशोधन नहीं करेंगे, विकिनीतियों के अनुसार किसी भी निर्णय को समाज के बहुमत के आधार पर बदला जा सकता है। यदि आप समस्त विकि पाठको का मत चाहते है तो हम इसे मुख्य सन्देश (Central Notice) बनाकर सबका मत जान सकते है।--Mayur (talk•Email) 09:35, 6 अगस्त 2011 (UTC)
मयूर। आपने उपर्युक्त संदेश को मिटाने की कोशिश कर गंभीर अपराध किया है। यह प्रशासकीय अधिकार रखने वाले व्यक्ति के लिए सर्मनाक है। अनिरुद्ध वार्ता 17:24, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- क्षमा चाहूँगा अनिरुद्ध जी परन्तु उपरोक्त अनामक सदस्य ने मेरे ऊपर एवं अन्य सदस्यों के ऊपर(देखें ऊपर बाकी दो-एक "कल के पंछी" हैं। इत्यादि) व्यक्तिगत टिप्पणियाँ की थी, हिन्दी विकि का वरिष्ठ सदस्य होने के नाते आपका यह उत्तरदायित्त्व था कि आप स्वयं इसे हटा दें। बाकि आपकी जैसे इच्छा। इस आई पी से पहले भी मेरे ऊपर कई बार व्यक्तिगत आक्षेप लगते रहे है जिस कारण मैनें इस सम्पादन को पूर्ववत किया। मेरे विचार से चौपाल पर इस तरह के वाक्य शोभा नहीं देते। बाकि जैसी आपकी इच्छा।--Mayur (talk•Email) 17:31, 6 अगस्त 2011 (UTC)
एक बात और मैने उपर उपलब्ध कराए गए लिंक का पृष्ठ जाकर पढ़ा है। वहाँ पर का अनिरुद्ध मैं नहीं हूँ। क्योंकि मैं अपने नाम की स्पेलिंग अनिरुद्ध लिखता हूँ। मैं मनाता हूँ कि वहाँ पर वर्णित मयूर भी आप न हों। लेकिन यदि ऐसा है तो आप प्रशासक क्या प्रबंधक बनने योग्य भी नहीं हैं। अपने विरोध में आये मत को मिटाने की कोशिश करना सबसे गंभीर अपराध है। अनिरुद्ध वार्ता 17:27, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- गलती किसी से भी हो सकती है फिर चाहे वो प्रशासक या प्रबन्धक ही क्यों न हो। मैं प्रतिदिन हिन्दी विकि के लगभग समस्त मैनेटिनेन्स सम्बन्धित कार्य करता हूँ, फिर भी आपको ऐसा लगता हि कि मैं प्रबन्धन के योग्य नहीं तो यह बहुत आश्चर्य जनक रहेगा मेरे लिये। क्योंकि मुझे हमेशा से आप जैसे अनुभवी सदस्यों के मत एवं सुझाव मिलते रहे है जिस पर मैनें हमेशा अमल किया है यदि किसी से भी कोई गलती होती है तो उसे उसके बारे में अवगत कराना एक वरिष्ठ सदस्य का दायित्त्व है।--Mayur (talk•Email) 17:39, 6 अगस्त 2011 (UTC)
आप इस संदेश को दुबारा खत्म करने की कोशिश न करें इसके लिए मैं इसे अपने सदस्य पृष्ठ पर लगा रहा हूँ। मुझे लग रहा है कि सचमुच आपकी तकनीकी क्षमता को देखकर आपको अधिकार सौंपने का निर्णय काफी कुछ ठीक था किंतु उससे ज्यादा गलत साबित हुआ है। यह संयोग ही है कि मैने इस संदेश को पढ़ लिया वरना चौपाल के पुराने इतिहास में जाकर प्रतिक्रियाओं को कौन पढ़ता है? आपने न जाने कितनी बार अपना मतलब सिद्ध करने के लिए ऐसी हरकतें की होंगी। इस बार तो संयोग था की मेरी नजर भी पड़ गई। अनिरुद्ध वार्ता 17:32, 6 अगस्त 2011 (UTC)
इनका आरोप गलत लगने पर इसका जबाब मैं खूद जरूर देता। आप हमारे समर्थन से ही बनाए गए प्रशासक हैं। लेकिन जिसपर कोइ कुछ आरोप लगाए तो आरोपित व्यतक्ति उसका जबाब दे या नहीं उसकी मर्जी लेकिन उसे हटाने का उसे अधिकार नहीं है। मैने मूर्ख माने जाने पर कॉंपटन जैसे हिंदी हितैषियों की टिप्पणी तो नहीं हटाई। आपने ऐसा जानबूझकर नहीं किया है इसका यकीन करना मुश्किल हो रहा है। अनिरुद्ध वार्ता 17:41, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- अनिरुद्ध जी आप लाजिक नामक एक सदस्य से वाकिफ ही होंगे, यह आई पी काफि समय से उस सदस्य के साथा मिलिभगत करके मुझ पर आरोप लगाता रहता है। आज मुझ पर तो कल किसी और पत निशाना सदेगा। हम सभी सदस्य बिना किसी लालच के यहां इस परियोजना में अपना बहुमूल्य समय लगाते है जिससे कि इस ज्ञान कोश की वृद्धि हो। मैनें अपना बहुत समय इस ज्ञानकोष के संवर्धन में लगाया है हिन्दी विकि के टायपिंग टुल बनाने से लेकर विभिन्न औजार तैयार करना इत्यादि इन मैनें बहुत समय लगाया है। अतः मैं यह उम्मीद रखता हूँ कि मुझे आप सब का सहयोग मिले। यदि फिर भी मुझसे कोई अपराध हुआ है तो उसके लिये मैं क्षमा प्रार्थी हुं परन्तु एक बात अवश्य कहना चाहूँगा कि हमें हिन्दी विकि की एकता को इन समान्य विवादों हेतु भंग नहीं करना चाहिये। मैनें उस सम्पादन को हमारी इस विकि नीति के तहत पलटा था। विकिनीतियां इसीलिये बनायी जाती है जिससे कि हम प्रबन्धक अपना कार्य सुचारु रुप से करे एवं कोई गलती की गुंजाईश न रहे। आशा है आप अपना सहयोग बनाये रखेंगे--Mayur (talk•Email) 17:54, 6 अगस्त 2011 (UTC)
निम्न संदेश के उत्तर में-
- मेरा भी यही मत है कि पाँच लोग, पचास करोड़ लोगों के प्रतिनिधि के रूप में मतदान करें तो इसे बहुत बड़ा मजाक ही माना जाएगा। अतः देवनागरी अंक या अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप का मुद्दा लेख लिखने वालों के विवेक पर छोड़ दिया जाय। हाँ, जहाँ अन्तरराष्ट्रीय अंकों के बिना काम ही न चले वहाँ तो पूछने की भी आवश्यकता नहीं है। अरबी, फारसी, तमिल आदि विकियों में क्या किया जा रहा है?-- अनुनाद सिंहवार्ता 12:09, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- मैं अनुनाद जी के उपरोक्त मत से सहमत हूँ कि यह हमें हिन्दी भाषियों के विवेक पे छोड़ देना चाहिये। क्योंकि यह निर्णय अतिमहत्त्वपूर्ण है जहाँ केवल अन्तर्राष्ट्रिय अंको के बिना काम ही ना चले वहां हम इसका प्रयोग कर सकते है।--Mayur (talk•Email) 18:09, 6 अगस्त 2011 (UTC)
विकिया का और मेरा साथ अब किसी आग्रह की अपेक्षा नहीं रखता है। यह तबतक जारी रहेगा जबतक कि इससे बेहतर विकल्प न मिल जाय। और कॉंपटन जैसे लोगों के विपरीत और मैं कुछ और अंग्रेजी भाषइयों को जानता हूँ जो सचमुच ज्ञान का प्रसार चाहते हैं। उसके बहाने अपनी श्रेष्ठा का ढिंढोरा पीटना नहीं जानते। मगर विरोध को गलत तरिके से मिटाना गलत है। नागरी अंकों को समाप्त करने में अनजाने में भी सहायक होना भी उसका महत्व समझने वालों को शोभा नहीं देता। आपके कार्यों से मैं परिचित हूँ। वरना अब तक आपके प्रशासक के अधिकार पर वहस की माँग जरूर करता किंतु अभी मैं स्वयं ही इसके पक्ष में हूँ। यद्यपि मैं यह जानता हूँ कि इस बार यह भूल नहीं हुई है बल्की आपने जानबूझकर किया है क्योंकि टिप्पणी आने और हटाये जाने का समय इतना कम है कि शायद ही किसी की नजर पड़े और ऐसा कर आपने ट्प्पणी की अंतिम पंक्तियों को सच साबित कर दिया। परंतु आपके अबतक के कार्य इसे नजरंदाज करने एवं आपपको सावधान रहने का अनुरोध करने के लिए बाध्य कर रहे हैं। अनिरुद्ध वार्ता 18:30, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- यह टिप्पणी मैनें इसलिये इतनी जल्दी मिटायी क्योंकि यह उसी आई पी रेंज से थी जो मुझ पर कई बार व्यक्तिगत आक्षेप करती रही है। आप सभी लोगों की तरह मैं एक समान्य सदस्य एवं व्यक्ति हूँ जिस प्रकार जब कोई बर्बरता या उत्त्पातकारी किसी अन्य सदस्य पर आक्षेप करता है एवं मैं उसे पलट देता हूँ उसी प्रकार मैं आप जैसे अनुभवी वरिष्ठ सदस्य से भी यह अपेक्षा रखता हुँ कि इस प्रकार के आक्षेप पर आप भी मेरी सहायता करेंगे। परन्तु यह मेरा सोचना है आपका सोचना शायद अलग है। फिर भी मैं आगे से इस चीज का अवश्य ध्यान रखूँगा कि कभी स्वयं ऐसे वाक्यों को ना हटाया जाये अपितु किसी अन्य रोलबैकर्स से इसका अनुरोध किया जाये। अंग्रेजी विकि में ऐसा ही किया जाता है अत: मेरा भी अब ऐसा ही प्रयास रहेगा। एवं उपरोक्त अनामक सदस्य से मैं सिर्फ यही कहूँगा कि हिन्दी विकि के पास पहले से ही दक्ष एवं सक्रिय सदस्यों की कमी है यह परियोजना एक भी सक्रिय सदस्य की क्षति नहीं सह सकती, हम सब को मिलकर ही इस परियोजना को आगे बढाना है जिसके लिये आपसी सहयोग बहुत महत्त्वपूर्ण है।--Mayur (talk•Email) 18:45, 6 अगस्त 2011 (UTC)
सही रास्ता यही है कि आप आरोपों का जबाब दें या खामोश रहें मगर उसे स्वयं न हटाएं या कम से कम २४ घंटे से पूर्व न हटाएं। जो सही हैं उन्हें किस चिज का डर है। विश्वास रखिए हम हर सही लगने वाले रास्ते पर आपके साथ हैं। और मैं जिस तरह राजीव मास पर लगाए गए प्रतिबंध का कट्टर समर्थक रहा हूँ उसी तरह किसी भी तरह के व्यक्तिगत आक्षेप के खिलाफ कदम उठाने की माँग करता हीं। मेरी नजर में काम करने वालों का स्थान विवाद करने वालों से हमेशा ऊँचा रहा है। इसलिए यदी आज या कल अनुनाद जी के प्रशासक बनने की बात आती है तो मैं उसका समर्थन करने के लिए तैयार बैठा हूं। और यह विचार आज का नहीं बल्कि वर्ष भर पहले से ही बन चुका है। अनिरुद्ध वार्ता 19:11, 6 अगस्त 2011 (UTC)
- Mayur, why are you regretting for your act. Removing defamatory comment is completely under the guidelines of Wikipedia.
- अनिरुद्ध, I don't expect you to adore mine contribution or anyone for that matter. If you really wanna to see what I'm doing on Wikipedia then peep to English Wikipedia. I don't wanna to boast here, but any article I make here fully complies with all the policies and guidelines of Wikipedia, not like yours; within a short period of time I've helped Hindi Wikipedia with several templates and other important stuff that were neglected here for so long, and this is I'm doing without having eloquent knowledge of Hindi. I'm not trumpeting neither of my knowledge nor of my work, I just introduced you with a reality. So think twice before making comment on other user. — Bill william comptonTalk 04:23, 7 अगस्त 2011 (UTC)
- "I'm not trumpeting neither of my knowledge nor of my work, I just introduced you with a reality." - इस वाक्य का क्या अर्थ लगाया जाय? 'डबल निगेशन इज़ अफर्मेशन !' -- अनुनाद सिंहवार्ता 05:25, 7 अगस्त 2011 (UTC)
- Bill, Hindi Wikipedia hardly follows such policy of English Wikipedia as you have already seen bcoz users are not aware of that policy.On the other side I don't want to loose any potential user like you or anirudh from Hindi Wikipedia. I am doing many outreach programs for this outside of Wikipedia like first Hindi Wiki Workshop was Organized by me I know it is very hard to get active Hindi Wikipedians. Off course you are doindg good with many hi articles and I hope you will continue your efforts for hindi wiki.Its good for the growth of Hindi Wiki.I always regret to any body on this Wiki for being active here and forget mistakes of anybody. But I think my time is over here, as soon as I find some new good admins for hindi wiki I shall resign from my rights.I can't let leave alone this wiki with no experienced admins regarding abuse filter, scripts and typing tool etc.. As of now I have done a lot of setting of abuse filter, scripts etc..So in my absence it may become very difficult for our existing admins to handle it, SO I am waiting for some new good admins who do good admin works(deletions,revert,block,copy right removal), abuse filter, scripts and other tools. Best wishes to you and all active Hindi Wikipedians.--Mayur (talk•Email) 05:57, 7 अगस्त 2011 (UTC)
बस करिए
क्या फ़ज़ूल की लड़ाई है। राई के पहाड़ और बिना वजह मन को ख़राब करने वाली बातें। मयूर, आप बहुत बेहतरीन काम कर रहें हैं। अनिरुद्ध, आप इतने कमाल के योगदान देतें हैं। दोनों हिंदी का भला चाहते हैं। यह अंकों की बात ऐसी है की इसपर अच्छे लोगों में दो मतें हो सकती हैं। ऐसी अभी बहुत सी बातें और आएँगी। हर दफ़ा ऐसा होगा? अक्सर कहा जाता है कि पश्चिम आगे इसलिए निकल गया क्योंकि लोगों को वहाँ गहरे मतभेद के बावजूद संगठित काम करना आता है। आज हमारे सामने जीती-जागती मिसाल है कि पश्चिम में और पूर्व में क्या अंतर है। गिनती के कार्यकर्ता हैं और एक मतभेद को आन-शान का मसला बनाकर आपसी द्वेष से उनमें से अब कुछ चले जाएँगे। किसी शायर का कहा है कि "वो शहर तो हमेशा से आबाद था लेकिन, कुछ लोग ही ऐसे थे कि आबाद नहीं थे"। मुझे रत्ती भर अंतर नहीं लगता नागरी और अंतर्राष्ट्रीय अंकों में (हो सकता है आपको लगता हो - यह मेरी व्यक्तिगत राय है - सबको अपनी राय होने का अधिकार है)। नागरी के कुछ अंक सीखना कोई बड़ी बात नहीं - नागरी के साथ रहें तो अच्छा है। इन अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप प्रयोग करना भी कोई बड़ी बात नहीं। अंतर्राष्ट्रीय अंक लें तो भी अच्छा है। कोई हिंदी ख़तरे में नहीं पड़ रही। अगर दोनों इस्तेमाल करें, इसमें भी कोई बड़ी बात नहीं। फ़ैसला करो, कल को बदलो, परसों को फिर बदलो - यह भी कोई बड़ी बात नहीं। लेकिन हिंदी विकिपीडिया समाज को घटा डालो - बहुत बड़ी बात है, बहुत नुक़सानदेह है। मेरा मन यह मनमुटाव देखकर उखड़ रहा है। लानत है हम सब पर। रोहित जी का लोहा मैं मानता हूँ, लेकिन उनकी षड्यंत्रों वाली बात मुझे अजीब लगती है। जो भाषा-समुदाय स्वयं ख़ुदकुशी पर तुला हो उसे मारने का षड्यंत्र भला कौन बनाएगा? मयूर नागरी पर राज़ी हो गए हैं। नागरी पक्ष की जीत होती लगती है। अब नागरी वालों का कर्तव्य है कि दूसरे पक्ष के लोगों के साथ सम्बन्ध सुधारें और उन्हें जाने से रोकें, वरना यह एक पिरिक जीत होगी (नया लेख है, अभी बनाया है, नागरी अंकों के साथ)। --Hunnjazal (वार्ता) 08:03, 7 अगस्त 2011 (UTC) इस विषय में आप निश्चिंत रहिए। मयूर जी और मैं हिंदी विकिया से कहीं नहीं जा रहे हैं। नागरी अंक प्रतिबंधित होते तो भी मैं कहीं जाने वाला नहीं था। अगर कभी अनुपस्थित या कम सक्रीय रहूँ तो इसका कारण व्यस्तता हो सकती है गर वह कुछ समय के लिए ही होगी। और मयूर ने हिंदी विकिया के लिए जितना काम किया है वे उसे अधूरा नहीं छोड़ सकते। कम-से-कम इन विवादों की वजह से तो बिल्कुल भी नहीं। हमारे बीच कुछ विषयों पर सैद्धांतिक मतभेद हो जाते हैं लेकिन एक विषय पर अविच्छन्न सहमती है कि हिंदीभाषियों के लिए अंतर्जाल की दुनिया में लगातार काम करते हुए हम उनकी कुछ मुश्किलें जरूर आसान बनाएंगें। मेरी माँ अंग्रेजी का एक अक्षर भी नहीं जानती है। अनिरुद्ध वार्ता 09:00, 7 अगस्त 2011 (UTC)
समाचारों में नागरी अंक
मित्रों एक वादा है कि मुखपृष्ठ के समाचारों में अब नागरी अंक ही दिखेंगें। इसके लिए शिरिश जी को धन्यवाद। उन्होंने मेरे लिए कीबोर्ड के जरिए नागरी अंक टंकित करने का रास्ता साफ कर दिया है। कंप्युटर में हिंदी ट्रेडिशनल के बदले देवनागरी कीबोर्ड चुनिए और दाएं ऑल्ट जो कि वास्तव में ऑल्ट+कंट्रोल है के साथ अंक दबाइए। अनिरुद्ध वार्ता 05:36, 7 अगस्त 2011 (UTC)
- देवनागरी अंक लिखने के बहुत से तरीके हो सकते हैं। किन्तु किसी बड़े लेख में पहले से ही अन्तरराष्ट्रीय अंक लिखे हों और उनको देवनागरी में बदलकर पढना हो या 'जतन करना' हो तो इसके लिये फायरफॉक्स का एक 'ऐड-ऑन' प्रोग्राम उपलब्ध है, जिसका नाम है - फॉक्सरिप्लेस (FoxReplace). मैं इसका उपयोग फॉण्ट-परिवर्तन के लिये भी करता हूँ। -- अनुनाद सिंहवार्ता 06:05, 7 अगस्त 2011 (UTC)
- इसके अलावा हिन्दी विकि के देवनागरी टुल में भी यह सुविधा उपलब्ध है या फिर अनुनाद जी द्वारा बताया गया विकल्प फॉक्सरिप्लेस (FoxReplace) भी बहुत उत्तम है।--Mayur (talk•Email) 06:09, 7 अगस्त 2011 (UTC)
- देवनागरी अंक लिखने के बहुत से तरीके हो सकते हैं। किन्तु किसी बड़े लेख में पहले से ही अन्तरराष्ट्रीय अंक लिखे हों और उनको देवनागरी में बदलकर पढना हो या 'जतन करना' हो तो इसके लिये फायरफॉक्स का एक 'ऐड-ऑन' प्रोग्राम उपलब्ध है, जिसका नाम है - फॉक्सरिप्लेस (FoxReplace). मैं इसका उपयोग फॉण्ट-परिवर्तन के लिये भी करता हूँ। -- अनुनाद सिंहवार्ता 06:05, 7 अगस्त 2011 (UTC)
Huggle
Dear Hindi Wikipedians, Now Hindi Wikipedia is very near to be the first Indian wiki to be one of the huggle wikis. We have to just translate this page and then Huggle would be enabled on this wiki. Regards. Vibhijain (वार्ता) १६:०८, २२ जून २०११ (UTC)
उपरोक्त श्रेणी में हिन्दी विकि पर अपलोड किये गये समस्त बिना लाइसेंस विकल्प वाले चित्र हैं, मेरा प्रस्ताव है कि इन चित्रों को हमें हटा देना चाहिये क्योंकि इनमें से अधिकांश चित्र समान्य गूगल सर्च इंजन से लिये गये हैं जिस कारण इनके कापीराइटेड होने के संयोग काफी अधिक हैं । बाकी सदस्य कृपया इस विषय पर अपनी राय प्रस्तुत करें--Mayur (talk•Email) १७:००, २६ जून २०११ (UTC)
- इन में से कुछ चित्र तो लोगों हैं, जिनका उपयोग फ़ु??????????????????? कहा जा सकता है. कुछ चित्र (जैसे चित्र:424px-PPlaquecloseup.svg.png) Commons पर पहले से उपलब्ध हैं. बाकी चित्रों को अपलोडर को सूचित किए जाने के कुछ दिनों बाद हटा देना चाहिए. मयूर जी का कहना सही है कि इनके कापीराईटेड होने के काफ़ी सम्भावना है. उत्कर्षराज (वार्ता) १७:११, २६ जून २०११ (UTC)
- मयूर जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, हिन्दी विकिपीडिया पर चित्रों की कमी है। इस स्थिति में हमें अपलोडर को एक महीने/पन्द्रह दिन का समय देना चाहिए कि वह लाइसेंस प्रस्तुत करें। समयावधि समाप्त होने तक यदि लाइसेंस नहीं स्पष्ट किया जाता है, तब चित्र को हटाया जा सकता है। -- लवी सिंघल (वार्ता) ०९:०९, २७ जून २०११ (UTC)
- तो कृपया सभी सदस्य इन चित्रों को देख लें एवं यदि इनमें से कोई चित्र उनके द्वारा अपलोड किया गया है तो कृपया उसका लाइसेंस शीध्र डाल दें । यदि आपने ये चित्र विकिमीडिया कामन्स या अंग्रेजी विकि से लिये हैं तो आपके ये चित्र हटाने के बाद अंग्रेजी विकि के लाईसेंस के साथ फिर से अपलोड कर दिये जायेंगे। सभी सदस्यों को आगे के लिये सुझाव दूँगा कि कृपया बिना लाईसेंस के चित्र अपलोड मत करें, इतने अधिक कापीराईटेड चित्र होने से हिन्दी विकि परियोजना बन्द होने का खतरा भी बन सकता है कापीराईट पालीसी के प्रति विकिमीडिया फाउण्डेशन काफि सख्त है। अगर आपको कोई चित्र खोजना है तो उसे विकिमीडिया कामन्स में खोजें अथवा अंग्रेजी विकि में खोजें गूगल पर पाये जाने वाले अधिकांश चित्र कापीराईटेड होते है।--Mayur (talk•Email) १३:०३, २७ जून २०११ (UTC)
नया स्वागत संदेश
मित्रो आप सब लोगों के समर्थन से हिन्दी पर स्वचालित स्वागत संदेश की व्यवस्था कर दी गयी है अब हर नये सदस्य को अपने सदस्य वार्ता पृष्ठ पर यह संदेश नजर आयेगा, यह संदेश मैनें बनाया है यदि आप इसमें किसी भी प्रकार का जोड़ या बदलाव चाहते है तो अवश्य सुझाव दें--Mayur (talk•Email) 18:16, 21 जुलाई 2011 (UTC)
इस संदेश की भाषा में काफी सुधार की जरूरत है। तथ्यात्मक और सैद्धांतिक विरोधाभासों को नजरंदाज किया जा सकता है किंतु भाषागत अशुद्धियों को ठीक किए बिना बॉट को यह साँचा लगाने का काम न सौपें। वरना एक गलती हजारगुना बढ़ जाएगी। कइ वाक्यों के अंत में अनुस्वार का प्रयोग नहीं हुआ है। कुछ की मात्राओं में गड़बड़ी है। हिंदी के लिए स्वागतम् से बेहतर स्वागत है। दुनिया भर के हिंदी भाषियों द्वारा विकसित की जा रही परियोजना का उल्लेख के बाद इस देश के 55 करोड़ हिंदी भाषियों का प्रयोग ठीक नहीं है। ठंढा का दो स्थान पर प्रयोग शांत और विनम्र से बदल देना चाहिए। ऐसी अशुद्धियों को दूर करने के बाद ही यह साँचा सदस्यों के वार्ता पृष्ठ पर लगाइए। अनिरुद्ध वार्ता 05:13, 23 जुलाई 2011 (UTC)
- धन्यवाद, तथ्यात्मक और सैद्धांतिक विरोधाभास के लिये इसमें ऐसा कुछ भी नहीं क्योंकि यह सब मैनें अन्य सदस्यों के द्वारा बनाये गये कार्यों से लिया है जैसे विकिपीडीया के पंचशील सिद्धान्त इत्यादि एवं इसके फारमेट को अन्य शीर्ष विकियों के स्वागत साँचों को देखकर बनाया गया है हिन्दी विकि में इस प्रकार के विस्तृत स्वागत संदेश का होन अत्यंत आवश्यक है परन्तु भाषा सम्बन्धित सुधार वह भी स्वागत संदेश पर यह एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक कार्य है इसलिये मैं आपसे अनुग्रह करता हूँ कि आप बेझिझक इसमें कोई भी आवश्यक सुधार कर दें, हाँ यह सन्देश एक साँचे के माध्यम से सदस्यों के वार्ता पृष्ठ पर जाता है इसलिए हजारों गलतियाँ सिर्फ इस एक साँचे को सुधारने से ही सही हो जायेंगी। आपके सुझाव के लिये बहुत बहुत धन्यवाद--Mayur (talk•Email) 07:08, 23 जुलाई 2011 (UTC)
- ये संदेश काफी अच्छा है इसलिए मेरा इसे पूर्ण समर्थन। ♛♚★Vaibhav Jain★♚♛ Talk Email 13:11, 24 जुलाई 2011 (UTC)
- मैने अपनी तरफ से कुछ सुधार कर दिया है। अनिरुद्ध वार्ता 06:27, 29 जुलाई 2011 (UTC)
- आपके इस पृष्ठ पर सुधार कार्य हेतु आपको साधुवाद--Mayur (talk•Email) 09:37, 29 जुलाई 2011 (UTC)
विकिप्रेम
साथियो, एक खुशखबरी, हिन्दी विकिपीडिया पे विकिप्रेम (wikilove) सक्षम हो गया है। आप मेरी पसंद<संपादन पे जा के सबसे नीचे Labs features में जाके विकिप्रेम को सक्षम कर सकते है। इसके बाद जब आप किसी सदस्य पृष्ठ या सदस्य वार्ता पृष्ठ पर जाएगे तो इतिहास देखे के पास एक दिल के आकार का बटन दिखेगा जिस पर क्लिक करके आपके पास कुछ विकल्प आएगे जिसे आप उस सदस्य को एक प्रशंसा भरा संदेश भेज सकते है। Vibhijain (वार्ता) 06:03, 17 जुलाई 2011 (UTC)
विशिष्ट सदस्यता
I have nominated Utcursch for वरिष्ठ सदस्य on hi wiki here Please comment on it. ♛♚★Vaibhav Jain★♚♛ Talk Email 11:32, 24 जुलाई 2011 (UTC)
विकिपीडिया शाटकट्स
मित्रों आप सब के सहयोग से हिन्दी विकि पर भी अन्य विकियों की तरह शाटकट्स उपलब्ध हो गये है जैसे अब
- विकिपीडिया -> वि या WP
- साँचा -> सा या T
- प्रवेशद्वार -> प्र या P
- श्रेणी -> C
- सदस्य -> स या u
- मीडियाविकि -> मी या MW
अब आप खोज बक्से में यह शाटकट्स भरकर अनावश्यक रुप से बड़ा पाठ लिखने से बच सकते है। आशा है कि इस सुविधा से सभी लाभान्वित होंगे। धन्यवाद--Mayur (talk•Email) 07:26, 23 जुलाई 2011 (UTC)
खराब मशीन अनुवाद
मेरे ख्याल से बिना जाँचे-परखे कॉपी-पेस्ट किए गए मशीन अनुवाद वाले लेखों को "शीघ्र हटाने योग्य" पेजों की श्रेणी में शामिल कर लेना चाहिए. मैंने ऐसे लेखों के लिए साँचा:अशुद्ध अनुवाद बनाया था, पर ऐसे कई लेख सुधारने-योग्य नहीं हैं. उदाहरण के लिए आज बानए गए लेख "एमिशन मानक" को देखें. मशीन अनुवाद कॉपी-पेस्ट करते वक्त योगदानकर्ता ने "सामग्री [छुपाने के]" (Contents [hide]) और "संपादित करें" (Edit this) जैसे शब्दों को हटाने का कष्ट भी नहीं किया है. ऐसे लेख को सुधारने की बजाए नया लेख बनाने में कम समय लगेगा. अगर मशीन अनुवाद को सुधारते समय में कुछ गलतियाँ रह गईं हों, तो अलग बात है, लेकिन आँख मूंद कर पेस्ट किए मशीन अनुवाद को डिलीट कर देना चाहिए. अन्य सदस्यों कि इस बारे में क्या राय है? उत्कर्षराज (वार्ता) 14:29, 25 जुलाई 2011 (UTC)
- इन्हे शीघ्र हटाना सही न होगा, क्योंकि इन्हे अच्छा बनाया जा सकता है। आसे लेखो पर साँचा:अशुद्ध अनुवाद लगाना सही होगा। ♛♚★Vaibhav Jain★♚♛ Talk Email 15:33, 25 जुलाई 2011 (UTC)
- मैं उत्कर्ष की बात से पूर्णत सहमत हूँ यह लेख केवल एक अन्धाधुन्ध मशीनी अनुवाद है जो कि हिन्दी विकि की गुणवत्ता पर सीधा सीधा असर डालते है क्योंकि यह समझने में अत्यंत कठिन है अतः इन लेखों को हटाना ही बेहतर रहेगा। --Mayur (talk•Email) 17:40, 25 जुलाई 2011 (UTC)
- मशीन अनुवादित लेखों को पूरी तरह हटाने के बजाय उन्हें छोटा करना (चार-पाँच वाक्य वाला) बेहतर होगा। मेरा निवेदन है कि जो हटाने जा रहा हो वह थोड़ी सी मेहनत करके चार-पाँच वाक्य का परिचय दे दे तो एक लेख का 'बीज' जीवित बना रहेगा जिसे कोई न कोई कभी न कभी विस्तारित कर देगा। -- अनुनाद सिंहवार्ता 03:46, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- यह विचार भी अतिउत्तम है कि ऐसे लेखों को हटाने की बजाये बहुत ही कम वाक्यों का कर दिया जाये--Mayur (talk•Email) 12:52, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- I'd go with Utcursch, because these articles ain't helping much. Actually they are making things difficult to solve, as this type of article appears on the left side "languages" panel of other wikis as interwiki link, and users who are active on both wikis would neglect to make that particular article in Hindi. Great example is कैलिफ़ोर्निया, this article is on hi wiki since 2008, but still (unfortunately) hasn't improved. So IMHO, these articles should be deleted so that people don't get the wrong impression that article is already present in Hindi. — Bill william comptonTalk 13:40, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- गम्भीर किस्म के विकिपीडिया लेखक केवल बांयी तरफ देखकर लेख मौजूद होने मात्र से संतोष नहीं कर लेंगे. वे जरूर देखेंगे कि लेख की गुणवत्ता कैसी है. और जब वे देखेंगे कि वहाँ पर्याप्त सामग्री नहीं है तो योगदान करने के लिए प्रेरित होंगे. -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:54, 27 जुलाई 2011 (UTC)
- If serious type wikipedia editors are so "serious" then why that कैलिफ़ोर्निया jocularity lived for three years. Badly translated articles just prehend the namespace of subject and remain neglected. You might not be aware of condition of Bengali or Marathi Wikipedia, there are so many articles where only titles exist and articles contain void content, but due to interwiki linkage they are rotting there and no one is serious enough to take care of them. A progressive race of creating more and more articles is just making things worse for Indic wikis, and I won't be surprised if quality articles are outweighed by waste ones. — Bill william comptonTalk 11:27, 27 जुलाई 2011 (UTC)
- इसको उल्टे तरह से भी देखा जा सकता है। 'लाखों' लेख बनाने हैं किन्तु बनाने वाला कोई नहीं है। वहाँ कौन सी चीज 'रिपेल' कर रही है? -- अनुनाद सिंहवार्ता 12:22, 27 जुलाई 2011 (UTC)
- Sorry, but I'm not quite understanding what you mean here. — Bill william comptonTalk 13:55, 27 जुलाई 2011 (UTC)
- इसको उल्टे तरह से भी देखा जा सकता है। 'लाखों' लेख बनाने हैं किन्तु बनाने वाला कोई नहीं है। वहाँ कौन सी चीज 'रिपेल' कर रही है? -- अनुनाद सिंहवार्ता 12:22, 27 जुलाई 2011 (UTC)
- If serious type wikipedia editors are so "serious" then why that कैलिफ़ोर्निया jocularity lived for three years. Badly translated articles just prehend the namespace of subject and remain neglected. You might not be aware of condition of Bengali or Marathi Wikipedia, there are so many articles where only titles exist and articles contain void content, but due to interwiki linkage they are rotting there and no one is serious enough to take care of them. A progressive race of creating more and more articles is just making things worse for Indic wikis, and I won't be surprised if quality articles are outweighed by waste ones. — Bill william comptonTalk 11:27, 27 जुलाई 2011 (UTC)
- गम्भीर किस्म के विकिपीडिया लेखक केवल बांयी तरफ देखकर लेख मौजूद होने मात्र से संतोष नहीं कर लेंगे. वे जरूर देखेंगे कि लेख की गुणवत्ता कैसी है. और जब वे देखेंगे कि वहाँ पर्याप्त सामग्री नहीं है तो योगदान करने के लिए प्रेरित होंगे. -- अनुनाद सिंहवार्ता 04:54, 27 जुलाई 2011 (UTC)
- ये तो हटाने वाले के विवेक और लेख पर निर्भर करता है| सभी लेखो पर एक सा नियम लागू नहीं किया जा सकता| मेरे ख्याल से लोकप्रिय विषयों पर लिखे लेखो को हटा देना उचित है जबकि कम लोकप्रिय लेखो को छोटा कर देना ठीक है| Jsatpal (वार्ता) 14:32, 26 जुलाई 2011 (UTC)
मैं अनुनाद जी से सहमत हूँ। रास्ता मुश्किल है लेकिन सही यही है कि लेखों को हटाने के बजाय उसे सुधारा जाय। अभी मैने कॉनकॉर्ड विमान के साथ यही किया था। पूरा लेख तो बहुत बड़ा है मगर उसकी भूमिका अब ठीक कर दी गई है। कोइ उसके दूसरे अंशों को भी ठीक कर ही देगा। हो सकता है ऐसा कई वर्षों के बाद हो मगर होगा जरूर। इसलिए मैं ऊर्जा अशुद्ध अनुवाद वाले लेखों को शुद्ध करने में लगाने का समर्थन करता हूँ लेख हटाने का नहीं। कम से कम ऐसे लेखों पर लगे साँचे यदि हिंदी में प्रदर्शित हों तो उससे भी काफी सूचनाएं मिल जाती हैं। अनिरुद्ध वार्ता 00:57, 28 जुलाई 2011 (UTC)
सन्दर्भ फ़ॉन्ट आकार
सन्दर्भ डालते हुए मैं फ़ॉन्ट का आकार छोटा रखता हूँ लेकिन अब देख रहा हूँ कि "<small>{{reflist}}</small>" करने पर पहला स्रोत तो छोटे अक्षरों में होता है लेकिन बाक़ी सन्दर्भों के हर्फ़ बड़े हो जाते हैं। उदाहरण के लिए फ़्रैंक लोग देखिये। मयूर जी या कोई अन्य सदस्य कृप्या बताए कि इस से कैसे निपटा जाए। शुक्रिया! --Hunnjazal (वार्ता) 14:26, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- यह समस्या मेरे भी समझ नहीं आ पायी इसके लिये कुछ अन्य विकल्प देखने का प्रयास करुंगा--Mayur (talk•Email) 17:07, 26 जुलाई 2011 (UTC)
प्रिय सदस्यों हिन्दी विकि 1 लाख के पास पहूँचने के निकट है इस विशेष अवसर पर अन्य विकियों जैसे अंग्रेजी, फ्रेंच एवं मलयालम विकि की तरह हमें भी एक 1000 लेखों का प्रथम डीवीडी वर्जन निकालना चाहिये। इसके लिये निम्न प्रक्रिया है-
- लेखों का चयन- उपयुक्त लेखों पर श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना लगायें जो आपको सम्पादन टूल्स में उपलब्ध होगी
- लेखों को चुनते समय उन पर उपस्थित चित्रों का ध्यान रखें कि वह सही लाईसेन्स से युक्त हो एवं लेखों की सामग्री कापीराईटेड ना हो
- लेख छोटे ही सही परन्तु उत्तम गुणवत्ता के हो
कृपया बाकी सदस्य इस पर अपने सुझाव दें--Mayur (talk•Email) 17:07, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- Mayur, it's my humble request that please try to use Indo-Arabic numerals, as we already have general convention for this. I suggest two proposals, first, to judge the quality of articles we should set some basic criteria, like neutrality, no original research, use of free images, no copyright violation, citations and reliable sources. Second, all the articles should be passed after the peer-review only. If any user has some qualm or query over these two proposals then please point it out. Mayur if everyone goes with these two suggestions then please add them in the guidelines of process, thanks. — Bill william comptonTalk 18:05, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- I think first of all we should proceed for categorizing normal good article into श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना', after that we should proceed for review to select final 1000 articles--Mayur (talk•Email) 18:12, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- It would be great, but make a child category for this, like श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना के नामिती (या उम्मेदवार). — Bill william comptonTalk 18:41, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- I think first of all we should proceed for categorizing normal good article into श्रेणी:हिन्दी विकि डीवीडी परियोजना', after that we should proceed for review to select final 1000 articles--Mayur (talk•Email) 18:12, 26 जुलाई 2011 (UTC)
- कहने की जरूरत नहीं है कि महत्वपूर्ण लेखों का संकलन करके सीडी बनाना हिन्दी के लिये बहुत उपयोगी रहेगा। सब लोग 'अच्छे' और महत्वपूर्ण लेख 'चुनते' रहें, बनाते रहें। -- अनुनाद सिंहवार्ता 12:29, 27 जुलाई 2011 (UTC)
फोटो पोस्ट करने में सहायता करें
मै बहुत सारे पन्नों में, जो अभी तक केवल एकही लैन में लिखे गये थे, काफि सारे तथ्य जोड चुका हुं, परन्तु मै उस पन्ने पर संश्लिष्ट फोटो पोस्ट नहीं कर पा रहा हुं। मेरे शिक्षक त्रिदिब मित्राजी भी बिफल र्हें। हम लोग चाहते हैं फोटोसमूह इ-मेल के जरिये सहायताकारी सदस्य को भेजुं जो कि संश्लिश्ट पन्ने पर पोस्ट कर देंगे। हम दोनों बांग्ला साहित्यकार और बंगाल से संवन्धित पन्ने पर काम कर रहें है। हमारा काम सराहा जा रहा है, इसलिये हमलोग सम्पादकों के आभारी हुं। Shankar Sen (वार्ता) 13:21, 27 जुलाई 2011 (UTC)
- 'संश्लिष्ट फोटो' से आपका क्या मतलब है? कृपया यह भी बताएँ कि फोटो अपलोड करने में क्या समस्या आ रही है? आप बांयी तरफ 'फ़ाइल अपलोड करें' वाले लिंक का उपयोग कर रहे हैं या कुछ और कर रहे हैं? -- अनुनाद सिंहवार्ता 09:16, 28 जुलाई 2011 (UTC)
- Please upload images on Commons (the uploading tool will ask you to do so). Images uploaded on commons can be used across all wikimedia projects in all languages. — Bill william comptonTalk 10:41, 28 जुलाई 2011 (UTC)
राजस्थान के निम्नांकित विषयों पर आलेख विकिपीडिया में जुड़ें तो अच्छा हो:
राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक पृष्ठभूमि, राजस्थान में इतिहास के प्रमुख स्रोत, शिलालेख,पुराभिलेख, फरमान, ताम्रपत्र, सिक्के, लिखित और वाचिक इतिहास। राजस्थान का प्राचीन इतिहास: राजस्थान में राजपूत वंशों का उदय, वैदिक युग से राजपूत युग तक वर्ण-व्यवस्था, वैदिक युग से राजपूत युग तक स्त्रियों की स्थिति, मुगलकाल में राजपूताने की स्थिति, राजपूताने में मराठों का हस्तक्षेप, राजपूताने में पिण्डारियों का आतंक, राजपूताना पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का शिकंजा, राजपूताना पर ब्रिटिश क्राउन का शासन, १८५७ की क्रांति और राजस्थान का योगदान, बीसवीं सदी में देशी रियासतों की स्थिति, राजस्थान में स्वतंत्रता आंदोलन, (क) राजस्थान में किसान आंदोलन, (ख) जनजातीय आंदोलन, (ग) क्रांतिकारी गतिविधियाँ, (घ) प्रजामण्डल आंदोलन, प्रजामण्डल आंदोलन के प्रमुख नेता, राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का योगदान, राजस्थान का भारतीय संघ में विलय, राजस्थान का निर्माण, एकीकरण पश्चात् की समस्याएँ, प्रशासनिक समस्याएँ, राजनैतिक समस्याएँ, नेतृत्व की समस्याएँ, वित्तीय समस्याएँ। राजस्थान एक दृष्टि में: महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ, प्रमुख घटनाओं का कैलैण्डरवर्ष 2007, वर्ष 2008, वर्ष 2009, वर्ष २०१०, वर्ष २०११। जनगणना से सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण तथ्य, कृषि और पशुगणना से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य, विगत एक दशक में राज्य में पशुधन की स्थिति, राजस्थान के प्रमुख आर्थिक सूचकांक, राजस्थान के राजकीय प्रतीक, राजस्थान में भू उपयोग, साक्षरता से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण तथ्य, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सम्मिलित क्षेत्र, राजस्थान में प्रथम, राजस्थान में कहाँ पर, क्या?, किस जिले में किसे क्या कहते हैं?, राज्य के महापुरुषों के उपनाम, राजस्थान के राज्यपाल और राज्यपालों का कार्यकाल, मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल, नवीनतम सूचनाएँ, राजस्थान के सर्वोच्च पदाधिकारी, केन्द्र सरकार में राजस्थान के मंत्री, राजस्थान की नयी मंत्रिपरिषद, राज्यसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व, पन्द्रहवीं लोक सभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व, तेरहवीं विधान सभा के सदस्य। निधन (वर्ष २००७,२००८,२००९,२००१०,२०११। महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम (वर्षवार) राजस्थान में सरकार, नवीन नियुक्तियाँ, मनोनयन एवं निर्वाचन, पुरस्कार एवं सम्मान, महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन वार्षिक पुरस्कार, मारवाड़ रत्न पुरस्कार, कला, संस्कृति एवं साहित्यिक संस्थान तथा अकादमियाँ, पुरस्कार एवं अलंकरण। राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार, राजस्थान सिंधी अकादमी पुरुस्कार,राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी पुरुस्कार , राजस्थान उर्दू अकादमी पुरस्कार, राजस्थान ललित कला अकादमी पुरस्कार, राजस्थान संस्कृत अकादमी पुरस्कार, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, प्रशासनिक गतिविधियाँ, पुलिस गतिविधियाँ, न्यायिक गतिविधियाँ, सैन्य गतिविधियाँ, वित्तीय गतिविधियाँ, पर्यटन गतिविधियाँ, विकास गतिविधियाँ, ऊर्जा विकास गतिविधियाँ, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य गतिविधियाँ, शैक्षणिक गतिविधियाँ, जन आंदोलन–विरोध प्रदर्शन, प्राकृतिक आपदा, दुर्घटनाएं, अपराध, विविध गतिविधियाँ। भूगोल, जलवायु एवं मानव-संसाधन राजस्थान का भौगोलिक परिचय, राजस्थान प्रदेश की जलवायु, राजस्थान में जल संसाधन (नदियाँ, बांध एवं झीलें), राजस्थान की सिंचाई परियोजनाएँ, राजस्थान में स्रोतवार सिंचाई , राजस्थान में जनसंख्या, राजस्थान में जातियों का वितरण, राजस्थान में पिछड़ी तथा अन्य पिछड़ी जातियों की सूची, राज्य में आरक्षण व्यवस्था का इतिहास, राज्य में गुर्जर आंदोलन, राज्य में आरक्षण की वर्तमान व्यवस्था। अर्थव्यवस्था राजस्थान की अर्थव्यवस्था, राजस्थान : अतीत बनाम वर्तमान, सामंती संस्कृति की विद्यमानता, राजस्थान : सामाजिक पिछड़ापन, राजस्थान : आज भी पिछड़ा राज्य, राजस्थान : क्या बीमारू राज्य ?, राजस्थान में मानवसंसाधन विकास, राजस्थान के कुछ जनांकिकीय संकेतक, इक्कीसवीं सदी का राजस्थान, राज्य के वित्तीय प्रबंधन में सुधार, तेल की खोज के बाद तेजी से बदलता राजस्थान, राजस्थान में भूमि सुधार कानून, राज्य में धारा 90-बी का विवाद, राजस्थान में खनिज संपदा, प्रधान खनिजों की सांख्यिकी सूचना, अप्रधान खनिजों की सांख्यिकी सूचना, राजस्थान में औद्योगिक विकास, राजस्थान सरकार के सार्वजनिक औद्योगिक उपक्रम, राजस्थान में केन्द्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम, प्रदेश में औद्योगिक विकास हेतु कार्यरत संस्थाएं , राजस्थान में रत्नाभूषण उद्योग, राज्य के प्रसिद्ध औद्योगिक उत्पाद, राजस्थान में ऊर्जा विकास,गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का विस्तार, राजस्थान में सड़कों का विकास, राजस्थान में सहकारिता आंदोलन, राजस्थान में पशुधन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन, पशु मेलों का आयोजन, राजस्थान में कृषि , राजस्थान में मुख्य फसलों का औसत उत्पादन, कार्यशील जोत, राजस्थान में कृषि से सम्बद्ध शब्द और उनका अर्थ, औषधि सम्पदा, राजस्थान में वन सम्पदा, औषधि उत्पादन की विभिन्न योजनायें एवं कार्यक्रम, राज्य में समाज कल्याण कार्यक्रम, ग्रामीण विकास से जुड़ी हुई नीतियां और कार्यकारी संस्थाएँ, राजस्थान में सूखा, बाढ एवं अकाल, राजस्थान में शैक्षिक विकास, राजस्थान में साक्षरता, राजस्थान में शिक्षा, राजस्थान में उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा, सतत एवं प्रौढ़ शिक्षा। राजस्थान सरकार के महत्वपूर्ण प्रकाशन, कुछ प्रमुख निजी प्रकाशक। राजस्थान के उद्योगपति । राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था: राज्य प्रशासन, जिला प्रशासन,राजस्थान में पंचायती राज, राजस्थान में नगरीय स्वशासन, स्वायत्तशासी संस्थाएं। सूचना का अधिकार, राजस्थान में स्थापित विविध आयोग, राजस्थान में पुलिस फायरिंग का इतिहास, राजस्थान की चुनी हुई सरकारें, प्रथम विधान सभा (1952–1957), द्वितीय विधान सभा (1957–1962), तृतीय विधान सभा (1962–67), चतुर्थ विधान सभा (1967–72), पंचम विधान सभा (1972–1977), षष्ठ विधान सभा (1977–80), सप्तम् विधान सभा (1980–1985), आठवीं विधान सभा (1985–1990), नवम् विधान सभा (1990–92), दशम् विधान सभा (1993–1998), ग्यारहवीं विधान सभा (1998–2003), बारहवीं विधान सभा (2003 से 2008), तेरहवीं विधान सभा (2008 से 20013)। राजस्थान के इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति, राजस्थान की इतिहास-प्रसिद्ध महिलायें, आधुनिक काल के प्रसिद्ध व्यक्ति, राजस्थान के प्रसिद्ध इतिहासकार, राजस्थान के लोग, पद्श्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण आदि अलंकरण प्राप्त व्यक्ति । भाषा एवं साहित्य राजस्थानी भाषा एवं उसकी बोलियाँ, राजस्थानी साहित्य, राजस्थानी भाषा के प्रमुख ग्रंथ, राजस्थान के प्रेमाख्यान, राजस्थानी कहावतें, राजस्थान के प्रमुख मध्यकालीन साहित्यकार, आधुनिक काल के लेखक, राजस्थान के प्रसिद्ध कवि और उनकी कवितायेँ, प्रसिद्ध कहानीकार एवं उनकी कहानियाँ, राजस्थान के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं उनके उपन्यास, प्रसिद्ध नाटककार एवं उनके नाटक, राजस्थान के प्रसिद्ध पत्रकार, राजस्थान से प्रकाशित समाचार पत्र-पत्रिकाएँ। संस्कृति/ लोक संस्कृति, राजस्थान के प्रमुख सांस्कृतिक क्षेत्र, राजस्थान में धर्म एवं दर्शन, लोक-देवता एवं लोक-देवियाँ, राजस्थानी संस्कृति में संख्याओं का महत्त्व, राजस्थान के प्रमुख आंचलिक(देशज शब्द) और उनका मायना, राजस्थान की विशिष्ट लोककलायें, राजस्थान की हस्तकलाओं से सम्बद्ध शब्द और उनका अर्थ, राजस्थान की कुछ विशिष्ट जातियाँ, राजस्थान का लोक संगीत, राजस्थान की प्रमुख गायक वादक नर्तक जातियाँ, राजस्थान के प्रमुख लोक वाद्य, राजस्थान के लोक नृत्य, राजस्थान के लोक नाट्य, राजस्थान के प्रमुख त्यौहार, राजस्थान के प्रसिद्ध मेले, राजस्थान में पारंपरिक और आधुनिक चित्रकला राजस्थान में आधुनिक मूर्तिशिल्प, राजस्थान की विभिन्न अकादमियां, राजस्थान की हस्तकलायें, राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों की वेशभूषा, राजस्थान के प्रसिद्ध आहार व व्यंजन, राजस्थानी सिनेमा, राजस्थान की लोकोक्तियाँ और मुहावरे, राजस्थान में रंगमच, राजस्थान में शास्त्रीय संगीत परंपरा, कथक नृत्य और राजस्थान । पर्यटन: राजस्थान में पर्यटन, राज्य में प्रमुख पर्यटन स्थल, राजस्थान में वन्य-जीवन, राजस्थान का स्थापत्य एवं शिल्प, राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर, राजस्थान के प्रसिद्ध गुरुद्वारे, राजस्थान की प्रसिद्ध दरगाहें,मकबरे एवं मस्जिदें, राजस्थान के प्रसिद्ध दुर्ग, प्रमुख दुर्गों के प्राचीन नाम एवं आरंभिक निर्माण का समय, प्राचीन दुर्गों में हुए जौहर एवं साके, प्रसिद्ध और अप्रसिद्ध नगर और कस्बे आदि आदि।
-हेमंत शेष
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