शनि (ग्रह)

सूर्य से छठा ग्रह और बृहस्पति के बाद सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है
(Saturn से अनुप्रेषित)
यह पेज ग्रह के बारे में है। देवता के लिए शनिदेवता देखें।

शनि (Saturn; प्रतीक: ♄), सूर्य से छठां ग्रह है तथा बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह हैं। औसत व्यास में पृथ्वी से नौ गुना बड़ा शनि एक गैस दानव है।[9][10] जबकि इसका औसत घनत्व पृथ्वी का एक आठवां है, अपने बड़े आयतन के साथ यह पृथ्वी से 95 गुने से भी थोड़ा बड़ा है।[11][12][13] इसका खगोलिय चिन्ह ħ है।

शनि  ♄
कैसिनी द्वारा खींची गई तस्वीर में, शनि वास्तविक रंग में
उपनाम
विशेषण Saturnian, Cronian
युग J2000.0
उपसौर1,513,325,783 कि॰मी॰ (10.11595804 खगोलीय इकाई)
अपसौर 1,353,572,956 कि॰मी॰ (9.04807635 खगोलीय इकाई)
अर्ध मुख्य अक्ष 1,433,449,370 कि॰मी॰ (9.5820172 खगोलीय इकाई)
विकेन्द्रता 0.055723219
परिक्रमण काल
संयुति काल 378.09 days[3]
औसत परिक्रमण गति 9.69 km/s[3]
औसत अनियमितता 320.346 750°
झुकाव
आरोही ताख का रेखांश 113.642 811°
उपमन्द कोणांक 336.013 862°
उपग्रह ~ 200 observed (62 with secure orbits including 53 that are named)
भौतिक विशेषताएँ
विषुवतीय त्रिज्या
  • 60 268 ± 4 km[5][b]
  • 9.4492 Earths
ध्रुवीय त्रिज्या
  • 54 364 ± 10 km[5][b]
  • 8.5521 Earths
सपाटता 0.097 96 ± 0.000 18
तल-क्षेत्रफल
  • 4.27×1010 km²[b][6]
  • 83.703 Earths
आयतन
  • 8.2713×1014 km3[3][b]
  • 763.59 Earths
द्रव्यमान
  • 5.6846×1026 kg[3]
  • 95.152 Earths
माध्य घनत्व 0.687 g/cm3[3][b]
(less than water)
विषुवतीय सतह गुरुत्वाकर्षण
पलायन वेग35.5 km/s[3][b]
नाक्षत्र घूर्णन
काल
10.57 hours[7]
(10 hr 34 min)
विषुवतीय घूर्णन वेग
  • 9.87 km/s[b]
  • 35 500 km/h
अक्षीय नमन 26.73°[3]
उत्तरी ध्रुव दायां अधिरोहण
  • 2h 42m 21s
  • 40.589°[5]
उत्तरी ध्रुवअवनमन 83.537°[5]
अल्बेडो
सतह का तापमान
   1 bar level
   0.1 bar
न्यूनमाध्यअधि
134 K[3]
84 K[3]
सापेक्ष कांतिमान +1.47 to −0.24[8]
कोणीय व्यास 14.5"–20.1"[3]
(excludes rings)
वायु-मंडल[3]
स्केल हाईट 59.5 km
संघटन )
~96% हाइड्रोजन (H2)
~3% हिलियम (He)
~0.4% मीथेन (CH4)
~0.01%अमोनिया (NH3)
~0.01%हाइड्रोजन ड्यूटेराइड (HD)
0.0007%इथेन (C2H6)
Ices:

शनि का आंतरिक ढांचा संभवतया, लोहा, निकल और चट्टानों (सिलिकॉन और ऑक्सीजन यौगिक) के एक कोर से बना है, जो धातु हाइड्रोजन की एक मोटी परत से घिरा है, तरल हाइड्रोजन और तरल हीलियम की एक मध्यवर्ती परत तथा एक बाह्य गैसीय परत है।[14] ग्रह अपने ऊपरी वायुमंडल के अमोनिया क्रिस्टल के कारण एक हल्का पीला रंग दर्शाता है। माना गया है धातु हाइड्रोजन परत के भीतर की विद्युतीय धारा, शनि के ग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को उभार देती है, जो पृथ्वी की तुलना में कमजोर है और बृहस्पति की एक-बीसवीं शक्ति के करीब है।[15] बाह्य वायुमंडल आम तौर पर नीरस और स्पष्टता में कमी है, हालांकि दिर्घायु आकृतियां दिखाई दे सकती है। शनि पर हवा की गति, 1800 किमी/घंटा (1100 मील) तक पहुंच सकती है, जो बृहस्पति पर की तुलना में तेज, पर उतनी तेज नहीं जितनी वह नेप्च्यून पर है।[16]

शनि की एक विशिष्ट वलय प्रणाली है जो नौ सतत मुख्य छल्लों और तीन असतत चाप से मिलकर बनी हैं, ज्यादातर चट्टानी मलबे व धूल की छोटी राशि के साथ बर्फ के कणों की बनी हुई है। बासठ[17] चन्द्रमा ग्रह की परिक्रमा करते है; तिरेपन आधिकारिक तौर पर नामित हैं। इनमें छल्लों के भीतर के सैकड़ों " छोटे चंद्रमा" शामिल नहीं है। टाइटन, शनि का सबसे बड़ा और सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है। यह बुध ग्रह से बड़ा है और एक बड़े वायुमंडल को संजोकर रखने वाला सौरमंडल का एकमात्र चंद्रमा है।[18]

भौतिक लक्षण

 
शनि और पृथ्वी के आकार की तुलना।

शनि एक गैस दानव के रूप में वर्गीकृत है क्योंकि बाह्य भाग मुख्य रूप से गैस का बना है और एक सतह का निःसन्देह अभाव है, यद्यपि इसका एक ठोस कोर होना चाहिए।[19] ग्रह का घूर्णन इसके चपटे अंडाकार आकार धारण करने का कारण है, इस कारण, यह ध्रुवों पर चपटा और भूमध्यरेखा पर उभरा हुआ है। इसकी भूमध्यरेखीय और ध्रुवीय त्रिज्याओं के बीच करीब 10% का फर्क है - क्रमशः 60,268 किमी बनाम 54,364 किमी।[3] सौरमंडल में अन्य गैस दानव, बृहस्पति, यूरेनस और नेपच्यून भी चपटे हैं मगर कुछ हद तक। शनि सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है जो पानी से कम घना - लगभग 30% कम है।[20] यद्यपि शनि का कोर पानी से काफी घना है, गैसीय वातावरण के कारण ग्रह का औसत विशिष्ट घनत्व 0.69 ग्राम/सेमी3 है। बृहस्पति पृथ्वी के द्रव्यमान का 318 गुना है[21] जबकि शनि पृथ्वी के द्रव्यमान का 95 गुना है,[3] बृहस्पति और शनि एक-साथ सौरमंडल के कुल ग्रहीय द्रव्यमान का 92% सहेजते है।[22]

आंतरिक ढांचा

शनि एक गैस दानव घोषित हुआ है पर यह पूरी तरह से गैसीय नहीं है। ग्रह मुख्य रूप से हाइड्रोजन का बना हैं, जो एक गैर आदर्श तरल हो जाता है जब घनत्व 0.01 ग्राम/सेमी3 के ऊपर होता है। यह घनत्व एक त्रिज्या पर शनि के द्रव्यमान का 99.9% शामिल करने जितना बढ़ा है। ग्रह के भीतर के तापमान, दबाव और घनत्व सभी कोर की दिशा पर तेजी से बढ़ते है, जिससे ग्रह की गहरी परतों में, हाइड्रोजन एक धातु में परिवर्तन का कारण बनता है।[22]

मानक ग्रहीय मॉडल बताते है कि शनि की बृहस्पति के जैसी ही आंतरिक बनावट है, अंश मात्रा की भिन्न-भिन्न वाष्पशीलों के साथ हाइड्रोजनहीलियम से घिरा एक चट्टानी कोर,[23] जो संरचना में पृथ्वी के कोर के समान, मगर अधिक सघन है। आंतरिक बनावट के भौतिक मॉडल के साथ संयोजन में, ग्रह के गुरुत्व विभव के परीक्षण ने फ्रांसीसी खगोलविदों डिडिएर साउमोन और ट्रिस्टन गुइलोट को ग्रहीय कोर की बड़ी राशि पर रोक को स्थान देने के लिए अनुमति दी। 2004 में, उन्होने आकलन किया कि कोर पृथ्वी के द्रव्यमान का 9-22 गुना अवश्य होना चाहिए,[24][25] जो लगभग 25,000 किमी की एक व्यास से मेल खाती है।[26] यह कोर एक मोटे तरल धातु हाइड्रोजन परत से घिरा हुआ है, जो हीलियम-संतृप्त आणविक हाइड्रोजन की एक तरल परत द्वारा अनुगमित हुई है जिसका बढ़ती ऊंचाई के साथ धीरे-धीरे गैस में बदलाव हुआ। बाह्यतम परत 1,000 किमी तक फैली है एवं एक गैसीय वातावरण से बनी हैं।[27][28][29]

शनि का अति तप्त भीतरी भाग है। कोर में पारा 11,700 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ जाता है। ग्रह सूर्य से जितनी ऊर्जा प्राप्त करता है उससे 2.5 गुना अधिक अंतरिक्ष में छोड़ता है। इस अतिरिक्त ऊर्जा की अधिकांश मंद गुरुत्वीय संपीड़न के केल्विन-हेल्महोल्ट्ज़ तंत्र द्वारा उत्पन्न हुई है, पर यह अकेली शनि के ऊष्मा उपज को समझाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती। वहां एक अतिरिक्त तंत्र की भूमिका होनी चाहिए जिसके द्वारा शनि अपने गहरे आंतरिक भाग में अपनी कुछ उष्मा हीलियम की बूंदों की हो रही फुहार के माध्यम से उत्पन्न करता है। जैसे ही बूंदे निम्न-घनत्व हाइड्रोजन से होकर उतरती है, यह प्रक्रिया घर्षण से गर्मी जारी करती है और हीलियम से खाली हो चुके ग्रह की बाहरी परत को छोड़ देती है।[30][31] ये उतरती बूंदे कोर के आसपास एक हीलियम खोल में जमा हो सकती हैं।[23]

वायुमंडल

शनि का बाह्य वायुमंडल 96.3% आणविक हाइड्रोजन और 3.25% हीलियम शामिल करता है।[32] हीलियम का यह अनुपात सूर्य में इस तत्व की प्रचुरता की तुलना में काफी कम है।[23] हीलियम से भारी तत्वों की मात्रा ठीक ठीक ज्ञात नहीं है, लेकिन अनुपातों को सौर मंडल के गठन से निकली प्रारंभिक प्रचुरता से मिलान के लिए ग्रहण किया हुआ है। शनि के कोर क्षेत्र में स्थित एक महत्वपूर्ण अंश के साथ, इन भारी तत्वों का कुल द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 19-31 गुना होने का अनुमान है।[33]

अंश मात्रा की अमोनिया, एसिटिलीन, ईथेन, प्रोपेन, फोस्फाइन और मीथेन शनि के वायुमंडल में खोजी गई है।[34][35][36] ऊपरी बादल अमोनिया क्रिस्टल से बने हुए हैं, जबकि निचले स्तर के बादल या तो अमोनियम हाइड्रोसल्फाईड (NH4SH) या जल से मिलकर बने हुए दिखाई देते हैं।[37] सूर्य से निकली पराबैंगनी विकिरण ऊपरी वायुमंडल में मीथेन वियोजन का कारण बनती है और बवंडरों व विसरण से नीचे ले जाए जा रहे परिणामी उत्पादों के साथ एक हाइड्रोकार्बन रासायनिक प्रतिक्रियाओं की श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करती है। यह प्रकाश रासायनिक चक्र शनि के वार्षिक मौसमी चक्र द्वारा ठीक की हुई है।[36]

बादल परतें

 
2011 में ग्रह को घेरता एक वैश्विक तूफान।

शनि का वायुमंडल बृहस्पति के समान एक धारीदार स्वरुप दर्शाती है, परंतु शनि की धारियां बेहद हल्की हैं तथा भूमध्य रेखा के पास बहुत चौड़ी हैं। इन धारियों का वर्णन करने के लिए प्रयुक्त नामकरण बृहस्पति पर के जैसे ही है। शनि के महीन बादल स्वरुप 1980 के दशक के वॉयजर अंतरिक्ष यान के फ्लाईबाई तक प्रेक्षित नहीं हुए थे। तब से, पृथ्वी-आधारित दूरबीनता उस दिशा के लिए सुधारी गई जिस तरफ नियमित प्रेक्षण होना बन सकता है।[38]

बादलों की संरचना गहराई और बढ़ते दबाव के साथ बदलती रहती है। ऊपरी बादल परतों में, 100-160 केल्विन हद के तापमान एवं 0.5-2 बार के बीच विस्तारित रहे दबाव के साथ, बादल अमोनिया बर्फ से मिलकर बनते है। जल बर्फ बादल उस स्तर पर शुरू होते है, जहां दबाव करीब 2.5 बार है एवं 9.5 बार नीचे तक विस्तारित होता है, वहीं तापमान सीमा 185-270 केल्विन होती है। इस परत में अन्तर्मिश्रित हुई है वह अमोनियम हाइड्रोसल्फाईड बर्फ की एक धारी है, जो 290-235 केल्विन के तापमान के साथ 3-6 दबाव सीमा में रहती है। अंत में, निचली परतें, जहां दबाव 10-20 बार के बीच और तापमान 270-330 केल्विन हैं, जलीय घोल में अमोनिया के साथ पानी की बूंदों का एक क्षेत्र शामिल करते हैं।[39]

शनि का आमतौर पर नीरस वायुमंडल कभी कभी दीर्घायु अंडे और अन्य आकृतियां दर्शाते है जो बृहस्पति पर आम है। 1990 में, हबल स्पेस टेलीस्कोप ने शनि की भूमध्य रेखा के पास एक विशाल सफेद बादल प्रतिचित्रित किया जो वॉयजर मुठभेड़ों के दौरान मौजुद नहीं था। 1994 में एक अन्य छोटा तूफान देखा गया था। 1990 तूफान एक विशालकाय श्वेत धब्बा का एक उदाहरण था। एक अद्वितीय लेकिन अल्पकालिक घटना जो उत्तरी गोलार्द्ध की ग्रीष्म संक्रांति के समय के आसपास, हर शनि वर्ष में, मोटे तौर पर हर 30 पृथ्वी वर्ष में, एक बार होती है।[40] सुप्रसिद्ध हुए 1933 के तूफान के साथ, पिछले विशालकाय श्वेत धब्बे 1876, 1903, 1933 और 1960 में देखे गए थे। यदि कालक्रमता बनी हुई है, तो एक और तूफान लगभग 2020 में घटित होगा।[41]

शनि पर सौरमंडल के ग्रहों में द्वितिय सबसे तेज हवाएं हैं। वॉयजर डेटा पूर्वी हवाओं के चरम को 500 मीटर/सेकंड (1800 किमी/घंटा) होना दिखाते है।[42] 2007 के दरम्यान कैसिनी अंतरिक्ष यान से खींची छवियों में, शनि के उत्तरी गोलार्द्ध ने यूरेनस के समान एक उज्ज्वल नीले रंग का प्रदर्शन किया। इस रंग का सर्वाधिक संभावित कारण रेलेह प्रकीर्णन द्वारा होना था।[43] अवरक्त प्रतिचित्रण ने दिखाया है कि शनि का दक्षिण ध्रुव एक गर्म ध्रुवीय भंवर रखता है, सौर मंडल में इस तरह की घटना का एकमात्र ज्ञात उदाहरण।[44] वहीं शनि पर तापमान सामान्यया -185° सेल्सियस हैं, भंवर पर तापमान अक्सर अधिक से अधिक -122 डिग्री सेल्सियस पहुँचता है, यह शनि पर सबसे गर्म स्थान होना माना गया है।[44]

उत्तरी ध्रुव षटकोणीय बादल पद्धति

 
उत्तरी ध्रुवीय षटकोणीय मेघाकृति, वॉयजर 1 द्वारा खोजी और 2006 में कैसिनी द्वारा पुष्ट की गई।
 
षट्कोण के केन्द्र में उत्तर ध्रुवीय भंवर का निकटतम दृश्य।

वायुमंडल में उत्तरी ध्रुवीय भंवर के आसपास लगभग 78°उ. पर एक दृढ़ षटकोणीय लहर स्वरुप सर्वप्रथम वॉयजर की छवियों में उल्लेखित हुआ था।[45][46]

उत्तरी ध्रुवीय षट्कोण की प्रत्येक सीधी भुजाएं लगभग 13,800 किमी (8,600 मील) लंबी हैं, जो उन्हें पृथ्वी के व्यास से बड़ा बनाती है।[47] यह पूरा ढांचा 10घंटे 39मीनट 24सेकंड की अवधि (ग्रह के रेडियो उत्सर्जन के जितनी ही समान अवधि) के साथ घूमता है, जो शनि के आंतरिक ढ़ाचे के घूर्णन अवधि के बराबर माना हुआ है।[48] यह षटकोणीय आकृति दृश्यमान वायुमंडल के अन्य बादलों की तरह देशांतर में बदलाव नहीं करता।[49]

इस स्वरुप का मूल बड़े अटकलों का विषय है। अधिकांश खगोलविद विश्वास करते हैं यह वायुमंडल में कुछ खड़ी-लहर पद्धति की वजह से हुआ था। बहुभुजी आकार तरल पदार्थ के अंतरीय घूर्णन के माध्यम से प्रयोगशाला में दोहराया जा चुका है।[50][51]

दक्षिणी ध्रुव भंवर

 
शनि का दक्षिणी ध्रुव तूफान

दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के हबल दूरबीन के प्रतिचित्रण एक तेज धारा En की उपस्थिति का संकेत करते है, पर न ही किसी शक्तिशाली ध्रुवीय भंवर का और न ही किसी षटकोणीय खड़ी-लहर का।[52] नासा ने नवंबर 2006 में सूचना दी कि कैसिनी ने दक्षिणी ध्रुव के साथ जकड़ा हुआ एक " चक्रवात सदृश्य" तूफान देखा था जो कि एक स्पष्ट रूप से परिभाषित आईव़ोलEn था।[53][54] यह अवलोकन विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि आईव़ोल बादल पहले कभी पृथ्वी के अलावा किसी अन्य ग्रह पर नहीं देखे गए थे। उदाहरण के लिए, गैलिलियो अंतरिक्ष यान से प्राप्त छवियां बृहस्पति के विशालकाय लाल धब्बेEn में कोई आईव़ोल नहीं दिखाते।[55]

दक्षिणी ध्रुव तूफान अरबों वर्षों तक के लिए मौजूद होना चाहिए।[56] यह भंवर पृथ्वी के आकार के बराबर है और इसकी 550 किमी की हवाएं है।[56]

अन्य आकृतियां

कैसिनी ने "मोतीयों की माला" के रूप में उपनामित मेघाकृतियों की एक श्रृंखला प्रेक्षित की, जो उत्तरी अक्षांश में पाई गई। These features are cloud clearings that reside in deeper cloud layers.[57]

चुम्बकीय क्षेत्र

 
विषुव के निकट ली गई शनि की हबल पराबैंगनी छवि दोनों ध्रुवीय ज्योतियां दिखाते हुए।
 
हबल एसटीआईएस पराबैंगनी और एसीएस दृश्य प्रकाश शनि के दक्षिणी ध्रुवीय ज्योतियों को प्रकट करने के लिए मिश्रित की गई।

शनि का एक आंतरिक चुम्बकीय क्षेत्र है जिसका एक सरल, सुडौल आकार है - एक चुम्बकीय द्विध्रुव। भूमध्य रेखा पर इसकी ताकत - 0.2 गॉस (20 μT) - बृहस्पति के आसपास के क्षेत्र का तकरीबन एक बीसवां और पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की तुलना में थोड़ा कमजोर है।[15] फलस्वरूप शनि का बृहस्पति की तुलना में काफी छोटा चुम्बकीय क्षेत्र है।[58] जब वॉयजर 2 ने चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश किया, सौर वायु का दबाव अधिक था और चुम्बकीय क्षेत्र केवल 19 शनि त्रिज्याओं जितना विस्तारित हुआ, या 1.1 लाख किमी (7,12,000 मील),[59] हालांकि यह कई घंटो के भीतर बढ़ा और तो और करीब तीन दिनों तक बना रहा।[60] अधिकांश संभावना है, इसका चुम्बकीय क्षेत्र बृहस्पति के समान ही उत्पन्न हुआ है - तरल धातु में धाराओं द्वारा - हाइड्रोजन परत एक धातु-हाइड्रोजन डाइनेमो कहलाती है।[58] यह चुम्बकीय क्षेत्र सूर्य से निकले सौर वायु कणों को विक्षेपित करने में कुशल है। टाइटन चंद्रमा शनि के चुम्बकीय क्षेत्र के बाहरी हिस्से के भीतर परिक्रमा करता है और टाइटन के बाहरी वायुमंडल के आयनित कणों से निकले प्लाज्मा का योगदान करता है।[15] शनि का चुम्बकीय क्षेत्र, पृथ्वी की ही तरह, ध्रुवीय ज्योति पैदा करता है।[61]

परिक्रमा एवं घूर्णन

 
शनि और सूर्य के बीच की औसत दूरी 1.4 अरब किलोमीटर से अधिक (9 एयू) है। 9.69 किमी/सेकंड की एक औसत परिक्रमण गति के साथ, यह सूर्य के चारों ओर एक घुमाव पूर्ण करने के लिए, शनि के 10,759 पृथ्वी दिवस लेता हैं (या लगभग 29½ वर्ष)।

शनि और सूर्य के बीच की औसत दूरी 1.4 अरब किलोमीटर से अधिक (9 एयू) है। 9.69 किमी/सेकंड की एक औसत परिक्रमण गति के साथ,[3] सूर्य के चारों ओर एक घुमाव पूर्ण करने के लिए,[3] यह शनि के 10,759 पृथ्वी दिवस लेता हैं (या लगभग 29½ वर्ष)[62]। शनि की दीर्घवृत्ताकार कक्षा पृथ्वी के परिक्रमा तल के सापेक्ष 2.48° झुकी हुई है।[3] 0.056 की विकेन्द्रता के कारण, शनि और सूर्य के बीच की दूरी उपसौर और अपसौर के बीच लगभग 15.5 करोड़ किलोमीटर से भिन्न होती है,[3] जो उसके परिक्रमण मार्ग के साथ-साथ ग्रह के सूर्य से क्रमशः निकटतम और सबसे दूर के बिंदु हैं।

शनि पर दृश्यमान आकृतियां भिन्न-भिन्न दरों पर घूमती है जो कि अक्षांश पर निर्भर करती है और ये बहुल घूर्णन अवधियां विभिन्न क्षेत्रों के लिए आवंटित की गई है (जैसे बृहस्पति के मामले में की गई): प्रणाली I का काल 10घंटे 14मिनट 00सेकंड (844.3°/ दिन) है और भूमध्यरेखीय क्षेत्र सम्मिलित करता हैं, जो दक्षिणी भूमध्यरेखीय पट्टी के उत्तरी किनारे से लेकर उत्तरी भूमध्यरेखीय पट्टी के दक्षिणी किनारे तक विस्तारित है। शनि के बाकी सभी अक्षांश 10घंटे 38मिनट 25.4सेकंड (810.76°/दिन) की एक घूर्णन अवधि के साथ आवंटित किए गए है जो कि प्रणाली II है। प्रणाली III, वॉयजर दौरे के दौरान ग्रह से उत्सर्जित रेडियो उत्सर्जन पर आधारित है। इसका 10घंटे 39मिनट 22.4सेकंड (810.8°/दिन) का एक काल है। चुंकि यह प्रणाली II के बेहद करीब है, इसने उसका काफी हद तक अतिक्रमण किया हुआ है।[63]

आंतरिक ढांचे के घूर्णन काल का एक सटीक मान रहस्य रह गया है। 2004 में जब शनि तक पहुंच हुई, कैसिनी ने पाया कि शनि का रेडियो घूर्णन काल काफी बढ़ा हुआ है, लगभग 10घंटे 45मीनट 45सेकंड (± 36 सेकंड) तक।[64][65] मार्च 2007 में, यह पाया गया था कि ग्रह से निकले रेडियो उत्सर्जन की घटबढ़ शनि के घूर्णन की दर से मेल नहीं खाती। यह अंतर शनि के चंद्रमा एनसेलेडस पर गीजर गतिविधि की वजह से हो सकता है। इस गतिविधि द्वारा शनि की कक्षा में उत्सर्जित हुई जल वाष्प चार्ज हो जाती है और शनि के चुंबकीय क्षेत्र पर एक खींचाव पैदा करती है, जो उसके घूर्णन को ग्रह के घूर्णन की अपेक्षा थोड़ा धीमा कर देती है।[66][67][67] शनि के घूर्णन का नवीनतम आकलन कैसिनी, वॉयजर और पायनियर से मिले विभिन्न मापनों के एक संकलन पर आधारित है, जिसकी सूचना सितंबर 2007 में मिली थी और यह 10घंटे, 32मिनट, 35सेकंड है।[68]

ग्रहीय छल्ले

शनि के छल्ले (2007 में कैसिनी द्वारा प्रतिबिम्बित) सौर मंडल में सबसे विशाल और विशिष्ट हैं।[28]
शनि की बाहरी B और A छल्ले की कृत्रिम रंग पराबैंगनी छवि; कैसिनी डिवीजन में मटमैले छल्ले और उपर लाल एन्के विभाजन दिखाते हुए।

शनि संभवतया ग्रहीय छल्लों की प्रणाली के लिए बेहतर जाना जाता है जो उसे दृष्टिगत रूप से अनूठा बनाता है।[28] यह छल्ले शनि की भूमध्य रेखा के ऊपर 6,630 किमी से लेकर 1,20,700 किमी तक विस्तारित है, औसतन तकरीबन 20 मीटर की मोटाई में तथा अंश मात्रा की थोलीन अशुद्धियों एवं 7% अनाकार कार्बन के साथ 93% जल बर्फ से बने हुए हैं।[69] छल्लों को बनाने वाले कणों के आकार के परास धूल कणों से लेकर 10 मीटर तक है।[70] हालांकि अन्य गैस दानवों की भी वलय प्रणालीयां है, पर शनि की सबसे बड़ी और सर्वाधिक दृश्यमान है। छल्लों की उत्पत्ति के बारे में दो मुख्य परिकल्पनाएं हैं। एक परिकल्पना है कि छल्ले शनि के एक नष्ट चांद के अवशेष हैं। दूसरी परिकल्पना है कि छल्ले छोड़ी गई मूल नीहारिकीय सामग्री हैं जिनसे शनि बना है। केंद्रीय छल्लों की कुछ बर्फ एनसेलेडस चंद्रमा के बर्फ ज्वालामुखी से आती है।[71] अतीत में, खगोलविदों ने माना छल्ले ग्रह के साथ-साथ बने जब अरबो वर्षों पहले ग्रह का गठन हुआ।[72] बावजुद, इन ग्रहीय छल्लों की उम्र शायद कुछ सैकड़ों लाख वर्षों की है।[73]

ग्रह से 12 लाख किलोमीटर की दूरी पर मुख्य छल्ले से परे विरल फोबे वलय है, जो कि अन्य छल्लों से 27 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है तथा, फोबे की तरह, प्रतिगामी रीति में परिक्रमा करता है।[74] पैंडोरा और प्रोमेथियस सहित, शनि के चंद्रमाओं में से कुछ, छल्लों को सीमित रखने और उन्हें बाहर फैलने से रोकने के लिए सैफर्ड En चांद के रूप में कार्य करते है।[75] पान और एटलस शनि के छल्लों में निर्बल, रैखिक घनत्व तरंगों के कारण है that have yielded more reliable calculations of their masses.[76]

प्राकृतिक उपग्रह

 
शनि का एक कलात्मक चित्र तथा उसके प्रमुख चंद्रमा ( डीओन, टेथिस, माइमस, एनसेलेडस, रिया और टाइटन, आऐपिटस प्रदर्शित नहीं)। यह प्रसिद्ध छवि वॉयजर 1 अंतरिक्ष यान द्वारा नवंबर 1980 में ली गई तस्वीरों से बनाई गई थी।

शनि के कम से कम 62 चंद्रमा हैं, उनमें से 53 के औपचारिक नाम है।[77] सबसे बड़ा चंद्रमा, टाइटन, छल्ले सहित, शनि के इर्दगिर्द की कक्षा में द्रव्यमान का 90% से अधिक समाविष्ट करता है।[78] एक कमजोर वायुमंडल के साथ-साथ,[79][80][81][82] शनि के दूसरे सबसे बड़े चंद्रमा, रिया, की अपनी एक स्वयं की कमजोर वलय प्रणाली हो सकती है।[83] कई अन्य चन्द्रमा बहुत छोटे हैं: व्यास में 10 किमी से कम के 34 है तथा 14 अन्य 50 किमी से कम किंतु 10 किमी से बड़े है।[84] परंपरागत रूप से, शनि के अधिकांश चन्द्रमा ग्रीक पौराणिक कथाओं के दिग्गजों पर नामित किए गए है। टाइटन एक बड़े वायुमण्डल वाला सौरमंडल का एकमात्र उपग्रह है,[85][86] जिसमें एक जटिल कार्बनिक रसायन शास्त्र पाया जाता है। यह हाइड्रोकार्बन झीलों वाला एकमात्र उपग्रह है।[87][88]

शनि का चंद्रमा एनसेलेडस अक्सर सूक्ष्मजैविक जीवन के लिए एक संभावित आधार के रूप में माना गया है।[89][90][91][92] इस जीवन के साक्ष्य उपग्रह के लवण-बहुल कणों को शामिल करते है जिसमें एक "महासागर की तरह" संघटन मिलते है जो इंगित करता है एनसेलेडस की अधिकांश निष्कासित बर्फ तरल लवण जल के वाष्पीकरण से आती है।[93][94][95]

अन्वेषण का इतिहास

शनि के प्रेक्षण एवं अन्वेषण में तीन मुख्य चरण रहे है। पहले युग में आधुनिक दूरबीन के आविष्कार से पहले के प्राचीन प्रेक्षण थे (जैसे कि नग्न आंखों के साथ)। 17 वीं सदी में शुरू हुआ, पृथ्वी से उत्तरोत्तर और अधिक उन्नत दूरबीन प्रेक्षण करना संभव बना। अन्य प्रकार के, या तो परिक्रमा द्वारा या फ्लाईबाई द्वारा, अंतरिक्ष यान द्वारा यात्रा से हुए है। 21 वीं सदी के प्रेक्षण पृथ्वी से (या पृथ्वी परिक्रमारत वेधशालाओं) तथा शनि के कैसिनी परिक्रमा यान से जारी है।

प्राचीन प्रेक्षण

शनि को प्रागैतिहासिक काल से जान लिया गया है।[96] प्राचीन काल में, सौरमंडल में सूदूर के पाँच ज्ञात ग्रह (पृथ्वी को छोड़कर) थे और इसलिए विभिन्न पौराणिक कथाओं के मुख्य पात्र थे। बेबीलोनियाई खगोलविदों ने शनि की गतिविधियों को व्यवस्थित रूप से प्रेक्षित और दर्ज किया।[97] प्राचीन रोमन पौराणिक कथाओं में, शनि (लेटिन : सेटर्नस) देवता, जिससे इस ग्रह ने अपना नाम लिया, कृषि के देवता थे।[98] रोमनों ने सेटर्नस को यूनानी देवता क्रोनस के समकक्ष माना।[98] यूनानियों ने सबसे बाहरी ग्रह क्रोनस को पवित्र बनाया,[99] और रोमनों ने भी यही किया था। (आधुनिक यूनानी में, ग्रह अपना प्राचीन नाम क्रोनस बरकरार रखता है (Κρόνος: Kronos)।)[100]

अलेक्ज़ैंड्रिया में रहने वाले एक यूनानी, टॉलेमी, ने शनि की एक विमुखता का प्रेक्षण किया, जो इसकी कक्षा के तत्वों के उनके निर्धारण के लिए एक आधार था।[101] हिंदू ज्योतिषशास्त्र में, नौ ज्योतिषीय वस्तुएं है, जिसे नवग्रह के रूप में जाना जाता है, शनि उनमें से एक है, जो शनि देव के रूप में जाने गए, जीवन में अच्छे और बुरे कर्मों के प्रदर्शन के आधार पर वह हरेक का न्याय करते है।[98] प्राचीन चीनी और जापानी संस्कृति ने शनि ग्रह को भू-तारा के रूप में नामित किया। यह पांच तत्वों पर आधारित था जो पारंपरिक रूप से प्राकृतिक तत्वों वर्गीकृत करने के लिए प्रयुक्त हुए थे।[102]

प्राचीन हिब्रू में, शनि को 'शब्बाथाइ' कहा हुआ है।[103] इसकी दूत कैसिएल है। इसकी बुद्धि या लाभदायक भावार्थ एगियल (लायगा) है तथा इसकी भावना (अंध भाव) ज़ाज़ेल (इज़ाज़) है। ओटोमन तुर्की, उर्दू एवं मलय में, इसका 'ज़ुहाल' नाम, अरबी زحل से व्युत्पन्न हुआ है।

यूरोपीय प्रेक्षण (17वीं-19वीं सदी)

 
रॉबर्ट हुक ने 1666 में शनि के अपने इस चित्र में ग्लोब और छल्ले के बीच छाया (ए और बी) का उल्लेख किया।

शनि के छल्लों को स्पष्ट देखने के लिए कम से कम एक 15 मिमी व्यास के दूरबीन की जरुरत होती है। [104] इसलिए 1610 में गैलीलियो द्वारा सर्वप्रथम देखने तक यह ज्ञात नहीं था। [105][106] उन्होने उनको शनि की तरफ के दो चंद्रमाओं जैसा समझा।[107][108] यह तब तक नहीं हुआ जब तक क्रिश्चियन हुय्गेंस ने बड़ी दूरबीन आवर्धन प्रयुक्त किया जिससे यह धारणा खंडित हुई थी। हुय्गेंस ने शनि के चंद्रमा टाइटन की खोज की, गियोवन्नी डोमेनिको कैसिनी ने बाद में चार अन्य चंद्रमाओं को खोजा : आऐपिटस, रिया, टेथिस और डीओन। 1675 में, कैसिनी ने एक अंतराल खोजा जो अब कैसिनी विभाजन के रूप में जाना जाता है।[109]

आगे महत्व की और कोई खोजें 1789 तक नहीं बनी जब विलियम हर्शेल ने दो चन्द्रमाओं माइमस और एनसेलेडस को खोजा। अनियमित आकार का उपग्रह हिपेरायन, जिसका टाइटन के साथ एक अनुनाद है, एक ब्रिटिश दल द्वारा 1848 में खोजा गया था।[110]

1899 में विलियम हेनरी पिकरिंग ने फोबे की खोज की, एक अत्यधिक अनियमित उपग्रह जो शनि के साथ तुल्यकालिक रूप में नहीं घूमता जैसे कि बड़े ग्रह करते है।[110] फोबे पाया गया ऐसा पहला उपग्रह था, जो एक प्रतिगामी कक्षा में शनि की परिक्रमा के लिए अधिक से अधिक एक साल लेता है। 20 वीं शताब्दी के दौरान, टाइटन के अनुसंधान ने 1944 में इस पुष्टिकरण की अगुआई की कि इसका एक मोटा वायुमंडल था- सौरमंडल के चंद्रमाओं के बीच एक अद्वितीय विशेषता।[111]

आधुनिक नासा और इसा प्रोब

पायनियर 11 फ्लाईबाई

सितंबर 1979 में पायनियर 11 शनि के लिए ढोया गया पहला फ्लाईबाई बना, जब यह ग्रह के बादलों के शीर्ष से 20,000 किमी के भीतर से गुजरा। ग्रह और उसके चन्द्रमाओं की कुछ तस्वीरें खींची गई, हालांकि उसकी स्पष्टता सतह की विस्तारपूर्वक मंत्रणा के लिहाज से बेहद हल्की थी। अंतरिक्ष यान ने शनि के छल्लों का भी अध्ययन किया, पतले एफ-छल्ले का खुलासा हुआ और सच्चाई यह है कि छल्ले का श्याह अंतराल चमकता है जब इसे उच्च चरण कोण En पर देखा गया, जिसका अर्थ है कि वे बारिक प्रकाश बिखरने वाली सामग्री शामिल करते है। इसके अतिरिक्त, पायनियर 11 ने टाइटन का तापमान मापा।[112]

वॉयजर फ्लाईबाई

नवम्बर 1980 में, वॉयजर 1 यान ने शनि प्रणाली के लिए फ्लाईबाई का आयोजन किया। इसने ग्रह और उसके छल्लो व उपग्रहों की पहली उच्च-स्पष्टता की तस्वीरे प्रेषित की। सतही आकृतियां और अनेक चंद्रमा पहली बार देखे गए थे। वॉयजर 1, टाइटन के करीब से गुजरा और चंद्रमा के वायुमंडल की जानकारी बढ़ाई। इसने साबित कर दिया कि टाइटन का वायुमंडल दृश्य तरंगदैर्घ्य के प्रति अभेद्य है; इसलिए, कोई सतही विवरण देखना नहीं हो पाया था। फ्लाईबाई ने अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपवक्र को सौरमंडल के तल से बाहर की ओर बदला।[113]

करीब-करीब एक साल बाद, अगस्त 1981 में, वॉयजर 2 ने शनि प्रणाली का अध्ययन जारी रखा। शनि के चन्द्रमाओं की नजदीकी तस्विरें अधिग्रहीत हुई, साथ ही वातावरण और छल्ले में परिवर्तन के सबूत भी प्राप्त हुए। दुर्भाग्य से, फ्लाईबाई के दौरान, यान का फिरने वाला कैमरा मंच कुछ दिनों के लिए अटक गया, जिससे प्रतिचित्रण की कुछ योजनाओं की क्षति हुई थी। शनि का गुरुत्वाकर्षण अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपवक्र को यूरेनस की ओर मोड़ने के लिए प्रयुक्त हुआ था।[113]

यान ने ग्रह के छल्ले के निकट या भीतर परिक्रमारत कई नए उपग्रहों, साथ ही साथ छोटे मैक्सवेल अंतराल (छल्ला-सी के भीतर का एक अंतराल) और कीलर अंतराल (छल्ला-ए में 42 किमी चौड़ा अंतराल) की खोज और पुष्टि की।

कैसिनी-हुय्गेंस अंतरिक्ष यान

 
विषुव के दौरान शनि, कैसिनी ऑर्बिटर द्वारा ली गई तस्वीर।
 
शनि का सूर्य ग्रहण, जैसा कि कैसिनी द्वारा देखा गया।

1 जुलाई 2004 को कैसिनी-हुय्गेंस अंतरिक्ष यान ने 'शनि कक्षा प्रविष्टि' के कौशल का प्रदर्शन किया और शनि के आसपास की कक्षा में प्रवेश किया। प्रविष्टि के पहले, कैसिनी पहले से ही बड़े पैमाने पर प्रणाली का अध्ययन कर चुका था। जून 2004 में, इसने फोबे का एक नजदीकी फ्लाईबाई का आयोजन किया था जिसने उच्च स्पष्टता की छवियों और डेटा को प्रेषित किया।

शनि के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन के कैसिनी फ्लाईबाई ने बड़ी झीलों तथा द्वीपों और पहाड़ों के साथ उनके तटों की रडार छवियों को कैद किया। इस ऑर्बिटर ने हुय्गेंस यान की 25 दिसम्बर 2004 में रवानगी से पहले दो टाइटन फ्लाईबाई पूरा किया। हुय्गेंस, 14 जनवरी 2005 को टाइटन की सतह पर उतरा और वायुमंडलीय अवतरण के दौरान एवं लैंडिंग के बाद डेटा की बाढ़ भेजी।[114] कैसिनी ने उसके बाद से टाइटन और अन्य बर्फीले उपग्रहों के बहु-फ्लाईबाई आयोजित किए है।

शुरुआती 2005 के बाद, वैज्ञानिकों ने शनि ग्रह पर बिजली खोज निकाली है। इस बिजली की शक्ति पृथ्वी पर की बिजली की करीब 1,000 गुना है।[115]

वर्ष 2006 में नासा ने खबर दी कि कैसिनी ने शनि के चंद्रमा एनसेलेडस के सोते में प्रस्फुटित हो रहे तरल जल जलाशयों के प्रमाण पाए थे। तस्वीरों ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में झरोखों से शनि के आसपास की कक्षा में उत्सर्जित हो रहे बर्फीले कणों की फुहारों को दिखाया था। एंड्रयू इंगरसोल, कैलिफोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान, के अनुसार, "सौरमंडल के अन्य चन्द्रमाओं के पास कई किलोमीटर की बर्फीली परत से आच्छादित तरल-जल महासागर है। यहाँ ऐसा क्या जुदा है कि सतह के दसियों मीटर से ज्यादा नीचे तरल जल के क्षेत्र नहीं हो सकते।"[116] मई 2011 में, एक एनसेलेडस फोकस समूह सम्मेलन में नासा के वैज्ञानिकों ने सुचित किया कि एनसेलेडस "जीवन, जैसा कि हम जानते हैं, के लिए सौर मंडल में पृथ्वी से परे सर्वाधिक रहने योग्य स्थान के रूप में उभर रहा है।[117][118]

कैसिनी छवियों ने अन्य महत्वपूर्ण खोजों के लिए प्रेरित किया है। उसने शनि के चमकदार मुख्य छल्ले के बाहर और जी और ई छल्ले के भीतर एक पूर्व का अज्ञात ग्रहीय छल्ला उजागर किया है। इस छल्ले का स्रोत शनि के दो चंद्रमाओं का एक उल्कापिंड में चूरचूर हो जाना माना गया है।[119] जुलाई 2006 में, कैसिनी छवियों ने टाइटन के उत्तरी ध्रुव के समीप हाइड्रोकार्बन झीलों के सबूत प्रदान किये, जिसकी मौजुदगी की पुष्टि जनवरी 2007 में हुई थी। मार्च 2007 में, टाइटन के उत्तरी ध्रुव के समीप की अतिरिक्त छवियों ने हाइड्रोकार्बन "समुद्र" का खुलासा किया, उनमें से सबसे बड़ा करीब-करीब कैस्पियन सागर के आकार का है।[120] अक्टूबर 2006 में, यान ने शनि के दक्षिणी ध्रुव के एक आईव़ोल में एक 8,000 किमी व्यास के चक्रवात जैसे तूफान का पता लगाया।[121]

2004 से लेकर 2 नवम्बर 2009 तक, यान ने 8 नए उपग्रहों की खोज और पुष्टि की। 2008 में इसका प्राथमिक मिशन समाप्त हुआ, तब तक अंतरिक्ष यान ग्रह के चारों ओर 74 परिक्रमाएं पूरी कर चुका था। यान का मिशन, शनि के पूर्ण अवधि के मौसमों के अध्ययन के लिए, सितंबर 2010 तक के लिए विस्तारित हुआ था और फिर 2017 तक के लिए फिर से विस्तारित किया गया।[122]

अप्रैल 2013 में कैसिनी ने ग्रह के उत्तरी ध्रुव के एक तूफान की छवियां प्रेषित की, 530 किमी/घंटा से भी तेज हवाओं वाला यह तुफान पृथ्वी पर पाए जाने वाले तुफानों से 20 गुना बड़ा है।[123]

प्रेक्षण

 
शौकिया दूरबीन दृश्य

शनि नग्न आंखों से आसानी से दिखाई देने वाले पाँच ग्रहों में सबसे दूर का है, अन्य चार, बुध, शुक्र, मंगल और बृहस्पति है (यूरेनस और कभी-कभी 4 वेस्टा श्याह अंधेरे आसमान में नग्न आंखों को दिखे हैं)। शनि रात्रि आकाश में नग्न आंखों को एक चमकदार पीले प्रकाश पुंज के माफिक दिखाई देता है जिसका सापेक्ष कांतिमान आमतौर पर 1 और 0 के मध्य है। यह राशि चक्र के पृष्ठभूमि तारामंडल के खिलाफ क्रांतिवृत्त का एक पूरे परिपथ को बनाने के लिए लगभग 29½  साल लेता हैं। अधिकांश लोगों को शनि के छल्ले को स्पष्ट रूप से समझने के लिए कम से कम 20× प्रकाशिक सहित (बड़ी दूरबीन या एक दूरदर्शी) आवर्धक की जरुरत होगी।[28][104]

जब भी यह आसमान में दिखाई देता है अधिकांश समय तक प्रेक्षण हेतू एक लाभदायक लक्ष्य है। शनि जब विमुखता पर या इसके नजदीक है, ग्रह और उनके छल्लों को सबसे अच्छा देखा गया है (जब यह 180° के प्रसरकोण पर है, ग्रह विन्यास, आकाश में सूर्य के विपरीत दिखाई देता है।)। भले ही शनि 2003 के अंत में पृथ्वी व सूर्य के करीब था,[124] 17 दिसम्बर 2002 के विमुखता के दौरान, पृथ्वी के सापेक्ष उसके छल्लों के अनुकूल अभिविन्यास के कारण, शनि अपनी सर्वाधिक चमक पर दिखा।[124]

संस्कृति में

अधिक जानकारी: गल्पकथा में शनि

भारतीय संस्कृति में

 
शनि देवता

भारतीय संस्कृति में शनि को सूर्य पुत्र माना गया है। उनके सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां है इसलिये उन्हे मारक, अशुभ और दुख कारक आदि अनेक रुपों वाला माना गया है। शनि मोक्ष देने वाला एक मात्र ग्रह है। शनि प्रकृति में संतुलन बनाए रखते है। वह हर एक प्राणी के साथ न्याय करते है। शनि केवल अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देने वाले लोगो को ही प्रताडित करते है।

फ़लित ज्योतिष शास्त्रो में शनि अनेक नामों से सम्बोधित है, जैसे मन्दगामी, सूर्य-पुत्र, शनिश्चर इत्यादि। पुष्य,अनुराधा और उत्तराभाद्रपद शनि के नक्षत्र है तथा दो राशियों मकर और कुम्भ के वह स्वामी है। वें सूर्य,चन्द्रमंगल को शत्रु एवं बुधशुक्र को अपना मित्र मानते है तथा गुरु के प्रति सम भाव रखते है। शारीरिक रोगों में शनि को वायु विकार,कंप, हड्डी व दंत रोगों का कारक माना गया है। शनि के सात वाहक: हाथी, घोड़ा, हिरण, गधा, कुत्ता, भैंसा और गिद्ध है। उनकी पत्नी नीलादेवी है।

भारत के प्रायः हर शहर में शनि के मंदिर स्थापित है। इनमें महाराष्ट्र प्रांत के सीग्नापुर का शनि मंदिर सुप्रसिद्ध है। शनि की पुजा के लिए शनिवार शुभ दिन है।

वैश्विक संस्कृति में

ज्योतिष में शनि( ), पारंपरिक रूप से एक्वारियस तथा कैप्रिकॉन के सत्तारूढ़ ग्रह है।

दिवस सैटर डे, शनि ग्रह पर नामित है, जो कृषि के रोमन देवता सैटर्न से प्राप्त हुआ है (यूनानी देवता क्रोनस से जुड़ा हुआ है)।[125][126]

पृथ्वी की कक्षा और उससे आगे के लिए भारी पेलोड प्रमोचन के लिए सैटर्न समुदाय के रॉकेट ज्यादातर वर्नहेर वॉन ब्राउन के नेतृत्व में जर्मन रॉकेट वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा विकसित हुए थे।[127] मूल रूप से एक सैन्य उपग्रह प्रक्षेपक के रूप में प्रस्तावित इन रॉकेटो को अपोलो कार्यक्रम के लिए प्रक्षेपण वाहन के रूप में अपनाया गया।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; horizons नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  2. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; CSeligman नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  3. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; fact नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  4. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; meanplane नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  5. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; SeidelmannArchinalA'hearn_2007 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  6. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; nasafact नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  7. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; saturnDay नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  8. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; magnitude नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  9. Brainerd, Jerome James (नवम्बर 24, 2004). "Characteristics of Saturn". The Astrophysics Spectator. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2010.
  10. "General Information About Saturn". Scienceray. जुलाई 28, 2011. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अगस्त 2011.
  11. Brainerd, Jerome James (अक्टूबर 6, 2004). "Solar System Planets Compared to Earth". The Astrophysics Spectator. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2010.
  12. Dunbar, Brian (नवम्बर 29, 2007). "NASA – Saturn". NASA. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जुलाई 2011.
  13. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Mass ref 3 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  14. Brainerd, Jerome James (अक्टूबर 27, 2004). "Giant Gaseous Planets". The Astrophysics Spectator. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2010.
  15. Russell, C. T.; Luhmann, J. G. (1997). "Saturn: Magnetic Field and Magnetosphere". UCLA – IGPP Space Physics Center. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2007.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  16. "The Planets ('Giants')". Science Channel. जून 8, 2004.
  17. Piazza, Enrico. "Saturn's Moons". Cassini, Equinox Mission. JPL NASA. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010.
  18. Munsell, Kirk (अप्रैल 6, 2005). "The Story of Saturn". NASA Jet Propulsion Laboratory; California Institute of Technology. मूल से 22 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जुलाई 2007.
  19. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; melosh2011 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  20. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; preserve नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  21. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Jupiter fact नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  22. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; ssr152_1_423 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  23. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; guillot_et_al2009 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  24. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; science305_5689_1414 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  25. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; apj609_2_1170 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  26. "Saturn". BBC. 2000. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  27. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; faure_mensing2007 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  28. "Saturn". National Maritime Museum. मूल से 23 जून 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जुलाई 2007.
  29. "Structure of Saturn's Interior". Windows to the Universe. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  30. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; de_pater_lissauer2010 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  31. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; nasa_saturn नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  32. Saturn Archived 2013-02-23 at the वेबैक मशीन. Universe Guide. Retrieved 29 मार्च 2009.
  33. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; science286 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  34. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; baas15_831 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  35. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; cain2009_24029 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  36. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; pfsaa2008 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  37. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; martinez20050905 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  38. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; emp105_2_143 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  39. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; dougherty_esposito2009 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  40. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; icarus176_1_155 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  41. Patrick Moore, ed., 1993 Yearbook of Astronomy, (London: W.W. Norton & Company, 1992), Mark Kidger, "The 1990 Great White Spot of Saturn", pp. 176–215.
  42. Hamilton, Calvin J. (1997). "Voyager Saturn Science Summary". Solarviews. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2007.
  43. Watanabe, Susan (मार्च 27, 2007). "Saturn's Strange Hexagon". NASA. मूल से 1 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जुलाई 2007.
  44. "Warm Polar Vortex on Saturn". Merrillville Community Planetarium. 2007. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2007.
  45. Godfrey, D. A. (1988). "A hexagonal feature around Saturn's North Pole". Icarus. 76 (2): 335. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0019-1035. डीओआइ:10.1016/0019-1035(88)90075-9. बिबकोड:1988Icar...76..335G.
  46. Sanchez-Lavega, A.; Lecacheux, J.; Colas, F.; Laques, P. (1993). "Ground-based observations of Saturn's north polar SPOT and hexagon". Science. 260 (5106): 329–32. PMID 17838249. डीओआइ:10.1126/science.260.5106.329. बिबकोड:1993Sci...260..329S.
  47. "New images show Saturn's weird hexagon cloud". MSNBC. दिसम्बर 12, 2009. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 सितंबर 2011.
  48. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; science247_4947_1206 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  49. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; pss57_14_1671 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  50. Ball, Philip (मई 19, 2006). "Geometric whirlpools revealed". Nature. डीओआइ:10.1038/news060515-17. Bizarre geometric shapes that appear at the centre of swirling vortices in planetary atmospheres might be explained by a simple experiment with a bucket of water but correlating this to Saturn's pattern is by no means certain.
  51. Aguiar, Ana C. Barbosa; Read, Peter L.; Wordsworth, Robin D; Salter, Tara; Hiro Yamazaki, Y. (2010). "A laboratory model of Saturn's North Polar Hexagon". Icarus. 206 (2): 755–763. डीओआइ:10.1016/j.icarus.2009.10.022. मूल से 16 अगस्त 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 फ़रवरी 2013. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद) Laboratory experiment of spinning disks in a liquid solution forms vortices around a stable hexagonal pattern similar to that of Saturn's.
  52. "Hubble Space Telescope Observations of the Atmospheric Dynamics in Saturn's South Pole from 1997 to 2002". The Smithsonian/NASA Astrophysics Data System. अक्टूबर 8, 2002. मूल से 7 नवंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जुलाई 2007.
  53. "NASA catalog page for image PIA09187". NASA Planetary Photojournal. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 मई 2007.
  54. "Huge 'hurricane' rages on Saturn". बीबीसी न्यूज़. नवम्बर 10, 2006. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 सितंबर 2011.
  55. "NASA Sees into the Eye of a Monster Storm on Saturn". NASA. नवम्बर 9, 2006. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 नवंबर 2006.
  56. "A Hurricane Over the South Pole of Saturn". NASA. NASA. नवम्बर 13, 2006. मूल से 7 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मई 2013.
  57. Carolina Martinez, NASA (10 नवम्बर 2006). Cassini Image Shows Saturn Draped in a String of Pearls. प्रेस रिलीज़. Archived from the original on 1 मई 2013. http://www.nasa.gov/mission_pages/cassini/media/cassini-20061011a.html. अभिगमन तिथि: 3 मार्च 2013. 
  58. McDermott, Matthew (2000). "Saturn: Atmosphere and Magnetosphere". Thinkquest Internet Challenge. मूल से 5 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जुलाई 2007.
  59. "Voyager – Saturn's Magnetosphere". NASA Jet Propulsion Laboratory. अक्टूबर 18, 2010. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  60. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; atkinson2010 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  61. Russell, Randy (जून 3, 2003). "Saturn Magnetosphere Overview". Windows to the Universe. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  62. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; cain2009 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  63. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; benton2006 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  64. "Scientists Find That Saturn's Rotation Period is a Puzzle". NASA. जून 28, 2004. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मार्च 2007.
  65. Cain, Fraser. "Saturn Archived 2011-10-25 at the वेबैक मशीन." Universe Today. 30 जून 2008. Retrieved 17 अगस्त 2011. साँचा:WebCite
  66. NASA Jet Propulsion Laboratory (मार्च 22, 2007). Enceladus Geysers Mask the Length of Saturn's Day. प्रेस रिलीज़. Archived from the original on 7 दिसंबर 2008. http://www.nasa.gov/mission_pages/cassini/media/cassini-20070322.html. अभिगमन तिथि: 22 मार्च 2007.  साँचा:WebCite
  67. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; science316_5823_442 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  68. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Anderson2007 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  69. Poulet F.; Cuzzi J.N. (2002). "The Composition of Saturn's Rings". Icarus. 160 (2): 350. डीओआइ:10.1006/icar.2002.6967. बिबकोड:2002Icar..160..350P.
  70. Shafiq, Muhammad (2005). "Dusty Plasma Response to a Moving Test Change" (PDF). मूल (PDF) से 8 नवंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जुलाई 2007.
  71. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Spahn नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  72. "The Real Lord of the Rings". Science@NASA. February 12, 2002. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि August 24, 2011.
  73. "Age and Fate of Saturn's Rings" (PD). Creation Concepts. मूल से 28 मार्च 2012 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 23 जुलाई 2011.
  74. Cowen, Rob (नवम्बर 7, 2999). "Largest known planetary ring discovered". Science News. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अप्रैल 2010. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  75. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; russell2004 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  76. NASA Jet Propulsion Laboratory (मार्च 3, 2005). "NASA's Cassini Spacecraft Continues Making New Discoveries". ScienceDaily. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि July 19, 2011.
  77. Wall, Mike (जून 21, 2011). "Saturn's 'Ice Queen' Moon Helene Shimmers in New Photo". Space.com. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  78. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; brunier2005 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  79. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; atkinson20101126 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  80. NASA (नवम्बर 30, 2010). "Thin air: Oxygen atmosphere found on Saturn's moon Rhea". ScienceDaily. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जुलाई 2011.
  81. "Oxygen found on Saturn moon: NASA spacecraft discovers Rhea has thin atmosphere rich in O2". Daily Mail. नवम्बर 26, 2010. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जुलाई 2011.
  82. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; ryan20101126 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  83. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Jones2008 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  84. "Saturn's Known Satellites". Department of Terrestrial Magnetism. मूल से 15 मई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जून 2010.
  85. "Cassini Finds Hydrocarbon Rains May Fill Titan Lakes". ScienceDaily. January 30, 2009. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  86. "Voyager – Titan". NASA Jet Propulsion Laboratory. अक्टूबर 18, 2010. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  87. "Evidence of hydrocarbon lakes on Titan". MSNBC. Associated Press. जुलाई 25, 2006. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि July 19, 2011.
  88. "Hydrocarbon lake finally confirmed on Titan". Cosmos Magazine. जुलाई 31, 2008. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  89. NASA (अप्रैल 21, 2008). "Could There Be Life On Saturn's Moon Enceladus?". ScienceDaily. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  90. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; madrigal20090624 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  91. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; spotts20050928 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  92. Pili, Unofre (सितंबर 9, 2009). "Enceladus: Saturn′s Moon, Has Liquid Ocean of Water". Scienceray. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जुलाई 2011.
  93. "Strongest evidence yet indicates Enceladus hiding saltwater ocean". Physorg. जून 22, 2011. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  94. Kaufman, Marc (जून 22, 2011). "Saturn′s moon Enceladus shows evidence of an ocean beneath its surface". Washington Post. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जुलाई 2011.
  95. Greicius, Tony; Dunbar, Brian (जून 22, 2011). "Cassini Captures Ocean-Like Spray at Saturn Moon". NASA. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 सितंबर 2011.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  96. "Saturn > Observing Saturn". National Maritime Museum. मूल से 22 अप्रैल 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जुलाई 2007.
  97. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; ptrsl276_1257_43 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  98. "Starry Night Times". Imaginova Corp. 2006. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2007.
  99. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; evans1998 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  100. "Greek Names of the Planets". मूल से 9 मई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जुलाई 2012. The Greek name of the planet Saturn is Kronos. The Titan Cronus was the father of Zeus, while Saturn was the Roman God of agriculture. See also the Greek article about the planet.
  101. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; ps04_1893_862 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  102. साँचा:Chinaplanetnames
  103. Cessna, Abby (नवम्बर 15, 2009). "When Was Saturn Discovered?". Universe Today. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि जुलाई 21, 2011.
  104. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; binoculars नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  105. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; chan2000 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  106. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; cain2008_15390 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  107. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; cain2008_15418 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  108. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; cain2008_46237 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  109. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; micek2007 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  110. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; pa54_122 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  111. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; apj100_378 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  112. "The Pioneer 10 & 11 Spacecraft". Mission Descriptions. मूल से 30 जनवरी 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2007.
  113. "Missions to Saturn". The Planetary Society. 2007. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जुलाई 2007.
  114. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; nature438_7069_758 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  115. "Astronomers Find Giant Lightning Storm At Saturn". ScienceDaily LLC. 2007. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 जुलाई 2007.
  116. Pence, Michael (मार्च 9, 2006). "NASA's Cassini Discovers Potential Liquid Water on Enceladus". NASA Jet Propulsion Laboratory. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2011.
  117. Lovett, Richard A. (मई 31, 2011). "Enceladus named sweetest spot for alien life". Nature. Nature. डीओआइ:10.1038/news.2011.337. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2011.
  118. Kazan, Casey (जून 2, 2011). "Saturn's Enceladus Moves to Top of "Most-Likely-to-Have-Life" List". The Daily Galaxy. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2011.
  119. Shiga, David (सितंबर 20, 2007). "Faint new ring discovered around Saturn". NewScientist.com. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 जुलाई 2007.
  120. Rincon, Paul (मार्च 14, 2007). "Probe reveals seas on Saturn moon". BBC. मूल से 20 मई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 सितंबर 2007.
  121. Rincon, Paul (नवम्बर 10, 2006). "Huge 'hurricane' rages on Saturn". BBC. मूल से 6 अक्तूबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जुलाई 2007.
  122. "Mission overview – introduction". Cassini Solstice Mission. NASA / JPL. 2010. मूल से 21 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 नवंबर 2010.
  123. "Massive storm at Saturn's north pole". 3 News NZ. April 30, 2013. मूल से 19 जुलाई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 मई 2013.
  124. Schmude, Richard W Jr (2003). "Saturn in 2002–03". Georgia Journal of Science. मूल से 16 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अक्टूबर 2007.
  125. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; plotner20080222 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  126. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; reis_jones2009 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  127. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; bilstein1999 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।

बाहरी कड़ियाँ

  वा  
सौर मण्डल
 सूर्यबुधशुक्रचन्द्रमापृथ्वीPhobos and Deimosमंगलसीरिस)क्षुद्रग्रहबृहस्पतिबृहस्पति के उपग्रहशनिशनि के उपग्रहअरुणअरुण के उपग्रहवरुण के उपग्रहनेप्चूनCharon, Nix, and Hydraप्लूटो ग्रहकाइपर घेराDysnomiaएरिसबिखरा चक्रऔर्ट बादल
सूर्य · बुध · शुक्र · पृथ्वी · मंगल · सीरीस · बृहस्पति · शनि · अरुण · वरुण · यम · हउमेया · माकेमाके · एरिस
ग्रह · बौना ग्रह · उपग्रह - चन्द्रमा · मंगल के उपग्रह · क्षुद्रग्रह · बृहस्पति के उपग्रह · शनि के उपग्रह · अरुण के उपग्रह · वरुण के उपग्रह · यम के उपग्रह · एरिस के उपग्रह
छोटी वस्तुएँ:   उल्का · क्षुद्रग्रह (क्षुद्रग्रह घेरा‎) · किन्नर · वरुण-पार वस्तुएँ (काइपर घेरा‎/बिखरा चक्र) · धूमकेतु (और्ट बादल)


सन्दर्भ त्रुटि: "lower-alpha" नामक सन्दर्भ-समूह के लिए <ref> टैग मौजूद हैं, परन्तु समूह के लिए कोई <references group="lower-alpha"/> टैग नहीं मिला। यह भी संभव है कि कोई समाप्ति </ref> टैग गायब है।