अद-धुहा

इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 93 वां सूरा (अध्याय)

सूरा अद-धुहा (अरबी: [الضحى] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)aḍ-Ḍuḥà, प्रातः समय, प्रातः प्रकाश) कुरान का 93वां सूरा है। इसमें 11 आयतें हैं।

कुछ ज्ञाताओं में मतभेद है, फिर भी यह सूरा मुहम्मद को प्रकट किया हुआ द्वितीय सूरा माना जाता है। प्रथम सूरा अल-अलक़ के प्राप्त होने के उपरांत एक शांत अंतराल था, जिसमें कोई वार्तालाप नहीं हुआ। इससे नये बने पैगम्बर को संदेह हुआ कि कहीं उन्होंने ईश्वर को नाराज़ तो नहीं कर दिया, कि वे इतनी देर से कोई भी सन्देश नहीं दे रहे हैं। इस सूरा ने उस शांति को भंग करते हुए, मुहम्मद को विश्वास दिलाया कि समय के साथ - साथ सब कुछ समझ में आता जायेगा। प्रातः काल का चित्र (अध-धुहा) इस सूरा का प्रथम शब्द है और इसे मुहम्मद के ईश्वर के पैगम्बर होने के "प्रथम दिवस" को चिह्नित करता है। साथ ही साथ जीवन के नये ढंग की शुरुआत का संकेत करता है, जो कि इस्लाम बनेगा। इस सूरा के बाद, मुहम्मद की मृत्यु पर्यंत जिब्रईल का प्रकटन, कुरान के शब्दों के साथ, नियमित रूप से होता रहा।

विषय वस्तु, लम्बाई, शैली एवं कुरान में अपने नियोजन के कारण; यह सूरा प्रायः सूरा अल-इन्शिराह के साथ युगल में आता है। इनको समकालीन प्रकटित माना जाता है।

पिछला सूरा:
अल-लैल
क़ुरआन अगला सूरा:
अल-इन्शिराह
सूरा 93

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