अश-शम्स
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सुरा अस-सम्स (अरबी: [الشمس] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help) aš-Šams, सूर्य)। यह कुरान का 91वां सूरा है। इसमें 15 आयतें हैं। यह भिन्न आसमानी पवित्र शपथों की शृंखला से आरम्भ होता है, जिसमें प्रथम "सूर के द्वारा" से इस सूरा को नाम मिला है। फिर स्वयं मानवी आत्मा। फिर यह बताता है थमूद के भाग्य के बारे में। थमुद एक पूर्व समृद्ध अरब कबीला था, जो अब विलुप्त हो चुका है। पैगम्बर सलीह ने उन्हें केवल ईश्वर की ही उपासना करने की प्रेरणा दी थी, एवं ईश्वर के नाम पर एक ऊँटनी को संरक्षित करने को कहा था। परंतु उन्होंने उनके सन्देश की अनदेखी की, एवं आज्ञा का उल्लंघन करते रहे। तब ईश्वर ने उन सबों को बर्बाद कर दिया। केवल वे ही बचे, जिन्होंने सलीह की आज्ञा की अवहेलना नहीं की थी।
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