अल-मुल्क

इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 67 वां सूरा (अध्याय) है

सूरा उल-मुल्क (अरबी: [سورة الملك] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)‎) (सार्वभौमिकता, नियंत्रण; शाब्दिक 'राज्य) कुरान का 67वां सूरा है। इसमें 30 आयतें हैं। इस सूरा का नाम मलिक अल मुल्क (अरबी: [مالك الملك] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)‎) का हवाला देता है। पूर्ण सार्वभौमिकता का शासक्, शाब्दिक तौर पर "कायनात का बादशाह", यह अल्लाह के 99 नामों में से एक है। यह सूरा कहता है अल्लाह की असीम शक्तियों के बारे में और कहता है, कि जो भी अल्लाह की चेतावनी को नज़रन्दाज़ करेंगे, वे दहकती अग्नि के साथी बनेंगे, यानि उन्हें नरक भोइगना पडे़गा।

ऐसा हदीस में आता है, कि मुहम्मद मुस्तफा सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया, जो शख्स हर रात सूरह मुल्क की तिलावत करेगा, वो अज़ाबे कब्र से महफूज़ रहेगा।[1]

इन्हें भी देखें

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पिछला सूरा:
अत-तहरीम
क़ुरआन अगला सूरा:
अल-कलम
सूरा 67

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बाहरी कडि़यां

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विकिस्रोत में इस लेख से सम्बंधित, मूल पाठ्य उपलब्ध है:
  1. "Surah Mulk In Hindi | Surah Tabarakal lazi Hindi Mein". Islamic Trainer. अभिगमन तिथि 2023-05-22.