अल-हाक़्क़ा

इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 69 वां सूरा (अध्याय) है

सूरा अल-हाक़्क़ा (इंग्लिश: Al-Haaqqa) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 69 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 52 आयतें हैं।

الحاقة

नाम संपादित करें

इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अल्-हाक्का [1]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में सूरा अल्-ह़ाक़्क़ा[2] नाम दिया गया है।

सूरा के पहले शब्द “अल्-हाक्का" (हो कर रहने वाली) को इस सूरा का नाम दे दिया गया है।

अवतरणकाल संपादित करें

मक्की सूरा अर्थात् पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई।

इस सूरा की वार्ताओं से मालूम होता है कि यह मक्का के आरम्भिक काल में उस समय अवतरित हुई थी जब अल्लाह के रसूल (सल्ल.) के प्रति विरोध ने अभी अधिक उग्र रूप धारण नहीं किया था।

विषय और वार्ताएँ संपादित करें

इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि

आयत 1 से 36 तक परलोक का उल्लेख है और आगे सूरा के अन्त तक कुरआन के अल्लाह की ओर से अवतरित होने और मुहम्मद (सल्ल.) के रसूल होने का उल्लेख किया गया है। सूरा के पहले भाग का प्रारम्भ इस बात से हुआ है कि क़ियामत का आना और आख़िरत (परलोक) का घटित होना एक ऐसा तथ्य है जो अवश्य ही सामने आकर रहेगा।

फिर आयत 4 से 12 तक यह बताया गया है कि पूर्व समय में जिन जातियों ने भी परलोक का इनकार किया है , वे अन्ततः ईश्वरीय यातना की भागी होकर रहीं।

तदनन्तर आयत 17 तक प्रलय ( क़ियामत ) का चित्रण किया गया है कि वह किस प्रकार घटित होगी।

फिर आयत 18 से 27 तक यह बताया गया है कि उस दिन समस्त मनुष्य अपने प्रभु के न्यायालय में उपस्थित होंगे, जहाँ उनका कोई भेद छिपा न रह जाएगा। हरेक का कर्मपत्र उसके हाथ में दे दिया जाएगा। (सुकर्मी) अपना हिसाब दोषरहित देखकर प्रसन्न हो जाएंगे और उनके हिस्से में जन्नत ( स्वर्ग ) का शाश्वत सुख एवं आनन्द आएगा। इसके विपरीत जिन लोगों ने न ईश्वर के अधिकार को माना और न उसके बन्दों का हक़ अदा किया , उन्हें ईश्वर की पकड़ से बचानेवाला कोई न होगा और वे जहन्नम (नरक) की यातना में ग्रस्त हो जाएंगे.

सूरा के दूसरे भाग (आयत 38 से सूरा के अन्त तक) मक्का के काफ़िरों को सम्बोधित करते हुए कहा गया है कि तुम इस कुरआन को कवि और काहिन (भविष्यवक्ता) की वाणी कहते हो, हालाँकि यह अल्लाह की अवतरित की हुई वाणी है, जो एक प्रतिष्ठित सन्देशवाहक के मुख से उच्चारित हो रही है।

रसूल (सन्देशवाहक ) को इस वाणी में अपनी ओर से एक भी शब्द घटाने या बढ़ाने का अधिकार नहीं। यदि वह इसमें अपनी मनगढन्त कोई चीज़ सम्मिलित कर दे तो हम उसकी गर्दन की रग (या हृदयनाड़ी) काट दें।

सुरह "अल-हाक़्क़ा का अनुवाद संपादित करें

बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है।

इस सूरा का प्रमुख अनुवाद:

क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी [3]"मुहम्मद अहमद" ने किया।

बाहरी कडियाँ संपादित करें

इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें


पिछला सूरा:
अल-क़लम
क़ुरआन अगला सूरा:
अल-मआरिज
सूरा 69 - अल-हाक़्क़ा

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114


इस संदूक को: देखें  संवाद  संपादन

सन्दर्भ संपादित करें

  1. सूरा अल्-हाक्का,(अनुवादक: मौलाना फारूक़ खाँ), भाष्य: मौलाना मौदूदी. अनुदित क़ुरआन - संक्षिप्त टीका सहित. पृ॰ 893 से.
  2. "सूरा अल्-ह़ाक़्क़ा का अनुवाद (किंग फ़हद प्रेस)". https://quranenc.com. मूल से 22 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  3. "Al-Haaqqa सूरा का अनुवाद". http://tanzil.net. मूल से 25 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  4. "Quran Text/ Translation - (92 Languages)". www.australianislamiclibrary.org. मूल से 30 जुलाई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 March 2016.

इन्हें भी देखें संपादित करें