अल-कौथर

इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 108 वां सूरा (अध्याय)

अल-कौथर (अल-कौसर):(इंग्लिश: Al-Kawthar) इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरआन का 108 वां सूरा (अध्याय) है। इसमें 3 आयतें हैं।

नाम संपादित करें

इस सूरा के अरबी भाषा के नाम को क़ुरआन के प्रमुख हिंदी अनुवाद में सूरा अल-कौसर [1]और प्रसिद्ध किंग फ़हद प्रेस के अनुवाद में भी सूरा अल्-कौसर [2] नाम दिया गया है।

नाम "हमने तुम्हें कौसर (अल-कौसर) प्रदान कर दिया" के शब्द 'अल-कौसर' को इसका नाम दिया गया है।

इस्लामी मान्यता में जन्नत की नहर का नाम।

अवतरणकाल संपादित करें

मक्की सूरा अर्थात् पैग़म्बर मुहम्मद के मदीना के निवास के समय हिजरत से पहले अवतरित हुई।

इब्ने मरदूयह ने हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रजि.), हज़रत अब्दुल्लाह बिन जुबैर (रजि.) और हज़रत आइशा सिद्दीक़ा (रजि.) से उद्धृत किया है कि यह सूरा मक्की है और सामान्यतः सभी टीकाकारों का कथन भी यही है, किन्तु हज़रत हसन बसरी, इक्रमा, मुजाहिद और क़तादह इसको मदनी घोषित करते हैं। इमाम सुयूती ने 'इतक़ान' में इसी कथन को सत्यानुकूल ठहराया है और इमाम नववी ने 'मुस्लिम' की टीका में इसी टीका को प्राथमिकता दी है। कारण इसका वह उल्लेख है जो इमाम अहमद, मुस्लिम और बैहक़ी आदि हदीसशास्त्रियों ने हज़रत अनस बिन मालिक (रजि.) से उद्धृत किया है। (लेकिन यह कोई दृढ़ प्रमाण नहीं है। सत्य यह है कि) हज़रत अनस (रजि.) का यह उल्लेख यदि सन्देह पैदा करने का कारण न हो तो सूरा 'कौसर' की पूरी वार्ता अपने आप इस बात का साक्ष्य प्रस्तुत करती है कि यह मक्का मुअज़्ज़मा में अवतरित हुई थी और उस कालखण्ड में अवतरित हुई थी जब नबी (सल्ल.) को अत्यन्त हताश कर देनेवाली परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा था।

विषय और वार्ता संपादित करें

इस्लाम के विद्वान मौलाना सैयद अबुल आला मौदूदी लिखते हैं कि


ऐतिहासिक पृष्ठभूमि संपादित करें

इससे पहले सूरा 93 (अज़-जुहा) और सूरा 94 (अल-इनशिराह) में नुबूवत के आरम्भिक काल में जब अलह के नबी (सल्ल.) अत्यन्त कठिनाइयों से गुज़र रहे थे और दूर तक कहीं सफलता के चिह्न दिखाई नहीं दे रहे थे, उस समय आपको सांत्वना देने और आपको हिम्मत बँधाने के लिए सर्वोच्च अल्लाह ने अनेक आयतें अवतरित कीं। ऐसी ही परिस्थितियाँ थीं जिसमें सूरा ‘कौसर' अवतरित करके अल्लाह ने नबी (सल्ल.) को सांत्वना दी और आपके विरोधियों के तबाह और विनष्ट होने की भविष्यवाणी भी की। कुरैश के काफ़िर (इन्कार करने वाले) कहते थे कि मुहम्मद (सल्ल.) सम्पूर्ण जाति से कट गए हैं और उनकी हैसियत एक अकेले और निस्सहाय व्यक्ति की सी हो गई है। इक्रमा से उल्लिखित है कि जब हुजूर (सल्ल.) नबी बनाए गए और आपने कुरैश को इस्लाम की ओर बुलाना शुरू किया तो कुरैश के लोग कहने लगे कि “बति- र मुहम्मदुन मिन्ना" ( इब्ने जरीर) अर्थात् मुहम्मद अपनी क़ौम से कटकर ऐसे हो गए हैं जैसे कोई वृक्ष अपनी जड़ से कट गया हो और सम्भावना इसी की हो कि कुछ समय पश्चात् वह सूखकर मिट्टी में मिल जाएगा। मुहम्मद बिन इसहाक़ कहते हैं कि मक्का के सरदार आस बिन वाइल सहमी के सामने जब अल्लाह के रसूल (सल्ल.) की चर्चा की जाती तो वह कहता , “अजी, छोड़ो उन्हें, वे तो एक अबतर (जड़ कटे) आदमी हैं। उनकी कोई नर सन्तान नहीं। मर जाएँगे तो कोई उनका नाम लेने वाला भी नहीं होगा।" शिमर बिन अतीया का बयान है कि उक़बा बिन अबी मुईत भी ऐसी ही बातें नबी (सल्ल.) के सम्बन्ध में कहा करता था, (इब्ने जरीर)। अता कहते हैं कि जब नबी (सल्ल.) के दूसरे बेटे का देहान्त हुआ तो आपका अपना चचा अबू लहब, (जिसका घर आपके घर से बिलकुल मिला हुआ था) दौड़ा हुआ, बहुदेववादियों के पास गया और उनको यह ‘शुभ - सूचना' दी कि “आज रात मुहम्मद (सल्ल.) सन्तानहीन हो गए या उनकी जड़ कट गई।" (यही हाल आस बिन वाईल और अबू जहल आदि क़ौम के दूसरे सरदारों का भी था।) पर सूरा कौसर अवतरित की गई। अल्लाह ने आपको इस अत्यन्त संक्षिप्त सूरा के एक वाक्य में वह शुभ - सूचना दी जिनसे बड़ी शुभ - सूचना संसार के किसी मनुष्य को कभी नहीं दी गई और साथ-साथ यह फैसला भी सुना दिया कि आपका विरोध करने वालों ही की जड़ कट जाएगी।

सुरह "अल-माऊन" का अनुवाद संपादित करें

बिस्मिल्लाह हिर्रह्मा निर्रहीम अल्लाह के नाम से जो दयालु और कृपाशील है।

इस सूरा का प्रमुख अनुवाद:

क़ुरआन की मूल भाषा अरबी से उर्दू अनुवाद "मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ खान", उर्दू से हिंदी [3]"मुहम्मद अहमद" ने किया:

بسم الله الرحمن الرحيم

۝ निश्चय ही हमने तुम्हें कौसर प्रदान किया, (108:1) 

۝ अतः तुम अपने रब ही के लिए नमाज़ पढ़ो और (उसी के दिन) क़़ुरबानी करो(108:2)

۝ निस्संदेह तुम्हारा जो वैरी है वही जड़कटा है (108:3)

बाहरी कडियाँ संपादित करें

इस सूरह का प्रसिद्ध अनुवादकों द्वारा किया अनुवाद क़ुरआन प्रोजेक्ट पर देखें

पिछला सूरा:
अल-माऊन
क़ुरआन अगला सूरा:
अल-काफ़िरून
सूरा 108 - अल-कौथर

1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114


इस संदूक को: देखें  संवाद  संपादन

सन्दर्भ संपादित करें

  1. सूरा अल-कौसर,(अनुवादक: मौलाना फारूक़ खाँ), भाष्य: मौलाना मौदूदी. अनुदित क़ुरआन - संक्षिप्त टीका सहित. पृ॰ 1030 से.
  2. "सूरा अल्-कौसर का अनुवाद (किंग फ़हद प्रेस)". https://quranenc.com. मूल से 22 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  3. "Al-Kawthar सूरा का अनुवाद". http://tanzil.net. मूल से 25 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जुलाई 2020. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  4. "Quran Text/ Translation - (92 Languages)". www.australianislamiclibrary.org. मूल से 30 जुलाई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 March 2016.

इन्हें भी देखें संपादित करें