चक, बहराइच

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले का एक गाँव
(चक. से अनुप्रेषित)

चक (अंग्रेज़ी Chak) (उर्दू چک) एक गाँव है जो भारत देश के राज्य उत्तर प्रदेश के जिला बहराइच में पड़ता है। यह गांव महसी तहसील के अन्तर्गत आता है तजवापुर इस गांव का ब्लाक है और थाना बौंडी है। रामगढ़ी इस गांव की ग्राम पंचायत है। इस गाँव से 2 किलोमीटर की दूरी पर खैरा बाज़ार पड़ता है। चक गाँव के लोग वहीं से घर की जरूरतों का सामान लेकर आते हैं। चक गाँव के पूरब दिशा में एक बड़ी बाजार फखरपुर और दक्षिण दिशा में जैतापुर बाजार है।[1][2]

चक
Chak
چک
गाँव
चक
जामा मस्जिद चक दक्षिण साइट से खींचे हुए फोटो का दृश्य
जामा मस्जिद चक दक्षिण साइट से खींचे हुए फोटो का दृश्य
चक is located in उत्तर प्रदेश
चक
चक
मानचित्र पर चक की अवस्थिति
चक is located in भारत
चक
चक
चक (भारत)
चक is located in एशिया
चक
चक
चक (एशिया)
निर्देशांक: 27°28′50″N 81°28′30″E / 27.48056°N 81.47500°E / 27.48056; 81.47500
देश भारत
राज्य उत्तर प्रदेश
जिलाबहराइच
ब्लाॅकतजवापुर
ग्राम पंचायतरामगढ़ी
डाकघरमैला सरैयां
संस्थापकचंदा अंसारी
शासन
 • प्रणालीलोकतांत्रिक
 • ग्राम प्रधानश्रीमती बानों पत्नी (मुनीर अहमद अंसारी) (निर्दलीय)
 • सांसद MPसावित्री बाई फूले
 • विधायक MLAसुरेश्वर सिंह
 • समाजिक कार्यकर्तामौलाना मुहम्मद सईद साहब क़ासमी
 • समाजिक कार्यकर्ताशेहरे आलम अंसारी
जनसंख्या 832
भाषा
 • अधिकारिकहिंदी
 • बोलचाल की भाषाहिंदी उर्दू अवधी
 • लिखने पढ़ने की भाषाहिंदी उर्दू अंग्रेज़ी और अरबी
चक गाँव के महान लोग
 • अंसारीपहलवान अंंसारी
 • राईनीमुहम्मद अमीन राईनी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड271902
टेलिफ़ोन कोड05255
गाड़ियांयूपी-40

नाम की उत्पत्ति

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चक नाम की उत्पत्ति अवधी भाषा से हुई है उत्तर प्रदेश में खेतों को चक भी कहते हैं। कुछ पुराने लोगों से सुना गया है कि चक गाँव की जगह पर पहले एक घना जंगल था। उसी जंंगल के पास ही कुछ मुस्लिम रहते थे जैसे भागू अंसारी और उनके लड़के सलाबत अंसारी और एक ठाकुर साहब का घर था। लेकिन उस गाँव का कोई नाम नहीं था। जब उस गांव में चंदा अंसारी और उनके भाई करिया अंसारी आए जो लखनऊ जिला के काकोरी, गाँव से आये हुए थे। तो वह ठाकुर साहब बोले की चंदा भाई आप मेरे इस चक (खेत) में अपना घर बना लो चंदा अंसारी ने उसी चक में घर बना लिया तभी से उस गाँव का नाम चक पड़ गया।

चक गाँव का इतिहास काफी पुराना है, इस गाँव का इतिहास गाँव बनने के समय से शुरू होता है, गांव के पुराने लोग से गांव के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त होती रही है, जैसा कि गांव के पुराने लोगों का कहना है कि यहां पर गाँव बनने से पूर्व यहां पर एक घना जंगल हुआ करता था, यह बात लगभग 200 साल पुरानी है जब इस गाँव का उदय हुआ, इस गाँव के सबसे पहले दो या अधिक घर थे जिसमें एक घर ठाकुर साहेब का था और दूसरा घर सलाबत अंसारी का था जोकि जंगल के किनारे पर स्थित था, उस समय गांव का कोई अधिकारिक नाम नहीं था, जब इस गाँव में चंदा अंसारी और उनके भाई करिया अंसारी का आगमन हुआ जोकि लखनऊ के करीब ककोरी गाँव से आए हुए थे, तो वह ठाकुर साहेब ने चंदा अंसारी से कहा कि चंदा भाई आप हमारे इस चक में अपना घर बना लो, चक यानी मेरे खेत में, तो चंदा अंसारी ने ठाकुर साहब के चक में अपना घर बना लिया, तभी से इस गाँव अधिकारिक नाम चक हो गया, इसके बाद और भी अलग अलग जगहों से लोग आते गये और आज एक बड़ा से गांव बन गया है, भारत की आज़ादी से पहले यह गाँव रेहुवा स्टेट का हिस्सा था, जोकि ब्रिटिश शासन के दौरान एक छोटी सी आज़ाद रियासत थी जिसका मुख्यालय बेड़नापुर में सरयू नदी के किनारे स्थित था, रेहुवा रियासत का वह क़िला आज भी मौजूद है। चंदा अंसारी के पोते हफीजुर्रहमान अंसारी बताते हैं कि जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत की थी तब चक गाँव के बहुत सारे नवजवानों ने आन्दोलन में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था, हफीजुर्रहमान अंसारी और रवन्नक सलमानी मुख्य थे, इसके अलावा जमीलुर्रहमान अंसारी जो बाद में अपनी ससुराल सीतापुर जिले के करसा गाँव में बस गए थे, और हबीबुर्रहमान अंसारी ने भी मुख्य भूमिका निभाई थी, जिस समय भारत को आज़ादी मिली थी उस वक्त गाँव के लोग बहुत खुश थे, जब देश आजाद हो गया भारत की सारी रियासतें खत्म हो गई और लोकतंत्र देश में आ गया, तब गांव के कुछ लोगों ने अपना व्यापार चालू किया, कुछ लोग गाँव छोड़कर शहर में कमाई करने के लिये चले गए और कुछ घर पर ही खेती मजदूरी करने लगे, हबीबुर्रहमान अंसारी ने लकड़ी की ठेकेदारी का काम शुरू किया था, उस समय उन्होंने बहुत पैसा कमाया 1980 से 90 के दसक में चक गाँव के लोग पैसा ज्यादा होने के कारण हबीबुर्रहमान अंसारी को महाजन कह कर बुलाते थे, महाजन यानी जिसके पास पैसा ज्यादा हो मालदार हो, फिर धीरे धीरे कुछ लोग लखनऊ कानपुर, दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और हैदराबाद की ओर चले गए वहां पर उन लोगों ने बहुत अच्छी कमाई की और कुछ लोगों ने तो अपना खुदका घर बना कर वहीं के हो गये।

इस गांव के लोग मुख्य रूप से किसान हैं। कृषि का कार्य करते हैं। खेतीबाड़ी और कुछ लोग गाँँव से बाहर दिल्ली, मुम्बई, लखनऊ, बंगलौर, हैदराबाद, पुणे, चण्डीगढ़, और भी भारत के कई शहरों में काम करते हैं। और कुछ लोग भारत से बाहर विदेश में रहते हैं जैसे कि सउदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, क़तर, ओमान, आदि देशों में काम करते हैं।

  • मुख्य फसलें

गाँव की मुख्य फसलों में गन्ना, धान गेहूँ और मकई, ज्वार, जई, और बजड़ी है। और भी कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं जैसे कि तिलहन (सरसों) उरद दाल अरहर दाल मूंग दाल बक्कल और चना आदि उगाया जाता है।

  • सब्ज़ियाँ

गाँव में यह सब सब्जियां उगाई जाती हैं जैसे कि आलू, कद्दू, लौकी, पालक, मटर, भिंडी, तोरई, गाजर, मूली, शलजम, फूल गोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, परवल, कुंदरू, चिचिड़ा, अरवी, बैंगन, करेला, कटहल, खीरा, और ककड़ी आदि उगाते हैं।

चक गाँव में बहुत से किस्म के फल पाये जाते हैं जैसे कि आम अमरूद, पपीता, शरीफा, केला, जामुन, गूलर, बड़हल, बेर, शहतूत, महुआ, अमबार, आमला, करौंदा और इमली आदि के पेेड़ पाये जाते हैं।

  • मसाले

गाँव में मसालों की खेती की जाती है जैसे कि हल्दी, धनिया, मिर्च, लहसुन, प्याज, अदरक, सौंफ, जीरा, कलौंजी, अजवायन और मेथी आदि मसालों को उगाया जाता हैं।

  • साग

साग का क्या पूंछना साग तो आपको साल में 12 महीने मिल जाएगा इस गाँव में तरह-तरह का साग लगाया जाता है जैसे कि चौलाई, मरसा, बथुआ, करमुआ, सोया, और मेथी आदि साग उगाते हैं। यहां का मुख्य साग सरसों है जो ठंडी के मौसम में होता है। सरसों की और भी बहुत सारी किस्में होती हैं। जैसा कि लाही, लाहा, और राई आदि।

सिंचाई के साधन

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इस गाँव के पश्चिम में एक नहर है ज्यादा तर लोग इसी नहेर से सिंचाई करते हैं और कुछ लोग इस गांव के चारों तरफ तालाब हैं उस से सिंचाई करते हैं। और किसी - किसी के खेतों में बोरिंग है वह लोग उस से सिंचाई करते हैं

पुरबै तलवा

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पूरब तालाब का नाम चक गांव के पूर्व दिशा में होने के कारण पड़ा है। यह एक बड़ा तालाब है जो 2 ग्राम पंचायतों में पड़ता है। एक है रामगढ़ी ग्राम पंचायत और दूसरी है खैरा ग्राम पंचायत। यह तालाब चक गांव से लगभग 150 मीटर की दूरी पर स्थित है। इस तालाब के किनारे से निकलने वाली सड़क का नाम चक लिंक रोड है। और उस सड़क पर बनी पुलिया बहुत ही सुंदर जगह है। चक गांव के लोग देर रात तक इस पुल पर बैठे रहते हैं। इस तालाब में कई तरह की मछलियां पक्षी और जल लिली हैं। लोग शाम को इस तालाब के किनारे बैठकर मनोरंजन करते हैं। सुबह और शाम को इस तालाब का नजारा देखते ही बनता है।

पेड़ पौधे

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पेड़ों में सबसे यहां पर सबसे अधिक पोपलर और यूकेलिप्टस के पेड़ लगाये जाते हैं और भी बहुत से वृक्ष होते हैं जैसे बबूल (कीकर) शीशम सेमल, नीम महुुआ सागौन, लसोर, नहसूत, शहतूत कटगूल्लर, सिहोर, पकड़िया, पीपल बेर बेल, कन्डैल, अढ़वल शहीजन कदम, रबर प्लान्ट शीबबूल, बांस, गुलमोहर और बकैना, के पेड़ होते हैं।

पालतूपशु

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पालतू पशुओं में गाय, भैंस, बकरी, बतख, मुर्गी, और बहुत से कुक्कुट पालन,(मुर्गी फार्म) मत्स्य पालन, (मछली पालन) भी हैं जानवरों की दवा के लिए यहां से 1.5 किलोमीटर नगदिलपुर चंगिया ग्राम में एक पशु अस्पताल हैं

चिकित्सा के साधन

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चिकित्सा के क्षेत्र में यहां पर कोई भी अस्पताल मौजूद नहीं है। गाँव से 2 किलोमीटर की दूरी पर सरकारी प्राथमिक स्वास्थ सेवा केन्द्र खैरा बाज़ार में है। इसके अलावा एक और स्वास्थ्य सेवा केन्द्र है जो रामगढ़ी पंचायत के पाठक पट्टी गाँव में स्थित है। वहां से गांव के लोग दवा आदि लेते हैं, और चक गाँव से 22 किलोमीटर की दूरी पर बहराइच शहर हैै। वहां पर जिला अस्पताल हैै वहां से औषधियां लेते हैं बहराइच शहर में और भी कई बड़े -बड़े प्रााइवेट हॉस्पिटल हैं। गाांववासी वहां से भी दवाइयां लेते हैं।

कैसे पहूंचें

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आप अगर यहां हवाई जहाज से जा रहे हैं तो यहां का नजदीकी एयरपोर्ट (हवाई अड्डा) यहां से 110 किलोमीटर लखनऊ में अमौसी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र है आप वहाँ से जा सकते हैं और रेलगाड़ी से जा रहे हैं तो यहां से 22 किलोमीटर की दूरी पर बहराइच रेलवे स्टेशन और 45 किलोमिटर नजदीकी रेलवे स्टेशन जरवल रोड है। आप सड़क द्वारा जा रहे हैं तो लखनऊ बहराइच राष्ट्रीय राजमार्ग से मरौचा मोड़ उतर कर टैक्सी पकड़ कर भोला बगिया उतर कर चक गाँव जा सकते हैं।

इसकी औसत ऊंचाई 126 मीटर (413 फीट) है।निर्देशांक 27°28′50″N 81°28′30″E / 27.48056°N 81.47500°E / 27.48056; 81.47500 है। अप्रैल से जुलाई तक गर्म ग्रीष्मकाल के साथ चक गांव में गर्म आर्द्र उपोष्णकटिबंधीय जलवायु होती है। बरसात का मौसम जुलाई से मध्य सितंबर तक होता है। दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं से चक में औसत वर्षा होती है, और कभी-कभी जनवरी में ललाट वर्षा होती है।  सर्दियों में अधिकतम तापमान लगभग 25 डिग्री सेल्सियस (77 डिग्री फारेनहाइट) और न्यूनतम -1 से 7 डिग्री सेल्सियस (30 से 45 डिग्री फारेनहाइट)  लगभग होता है।  नवंबर के अंत से फरवरी के मध्य तक कोहरा काफी पड़ता है। मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी में काफी ज्यादा पाला पड़ता है जिसकी वजह से ठंड ज्यादा होती है। ग्रीष्मकाल बेहद गर्म होता है, जिसमें तापमान 40 से 47 डिग्री सेल्सियस (104 से 117 डिग्री फारेनहाइट ) तक बढ़ जाता है,मई जून के महीने में गर्म लू और तेज हवाएं चलती हैं, कभी-कभी आंधी तूफ़ान भी आ जाते हैं। बर्षा औसत ऊंचाई 30 डिग्री सेल्सियस के उच्च स्तर पर होती है।  औसत वार्षिक वर्षा १,९०० सेंटीमीटर (७५० इंच) (लगभग) है।

इस गांव के पुरुष लोग कुर्ता पैजामा सलवार कमीज़, लुंगी और कुछ लोग पैंट शर्ट और टी-शर्ट पहनते हैं। और औरतें सलवार सूट पंजाबी सूट और साड़ी बुर्क़ा पहनती हैं।[3][4][5]

आधिकारिक भाषा हिन्दी है

बोलचाल की भाषा अवधी, उर्दू, और हिंदी हैै।

जनसांख्यिकी

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शिक्षा के क्षेत्र में उस गाँव के अंदर एक अरबी मदरसा मदरसा इस्लामिया अरबिया अनवारुल उलूम चक और एक हिंदी स्कूल प्राथमिक विद्यालय चक है।

 
गाँव के उत्तर पूर्व में स्थित प्राथमिक विद्यालय चक

इस गाँव के मुख्य खेल क्रिकेट और कबड्डी हैं। और भी कई तरह के खेल खेले जाते हैं। जैसे कि कैरम, शतरंज, खो-खो, सुरबुघी (16 बीड्स) गिल्ली डंडा कँचे फुटबॉल, तैराकी, कुश्ती और पतंग उड़ाना आदि।

इबादत गाहें

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चक गाँव के बीच में कुआं के पास स्थित (जामा मस्जिद चक)

इबादत गाहों में एक मस्जिद (जामा मस्जिद चक) है जहां पर पाँच समय की नमाज़ पढ़ी जाती है। और गांव से पश्चिम की तरफ 500 मीटर की दूरी पर एक तारापुर गांव है वहां पर गाँव का ईदगाह है जहां पर लोग ईद (ईद उल-फ़ित्र) बकरीद (ईद-उल-अज़हा) और नमाज़ ए-जनाज़ा पढ़ते हैं। ईदगाह के पास ही कब्रिस्तान भी है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "चक गाँव के बारे में जानकारी के लिए यहां क्लिक करें". onefivenine. Com. अभिगमन तिथि 24 मई 2020.
  2. "चक गाँव". up24x7news.Com. अभिगमन तिथि 24 मई 2020.[मृत कड़ियाँ]
  3. "मारपीट में तीन घायल दो गंभीर". jagran.com. मूल से 24 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2015.
  4. "पत्नी पर किया धारदार हथियार से हमला". jagran.com. मूल से 26 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 जुलाई 2015.
  5. "समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक प्रत्याशी 285-महसी विधानसभा क्षेत्र के डाॅ राजेश तिवारी चक गाँव के मौलाना मुहम्मद सईद क़ासमी साहब से मुलाकात की". Circle.page. मूल से 6 नवंबर 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 नवंबर 2021.